मेरी उम्र अभी 32 साल की है, मेरी शादी को अब सात साल हो चुके है। मेरी बीवी और मै दोनों ही रोजाना सेक्स करते है, जिससे हम दोनों ही बहुत खुश है।
मेरी बीवी का नाम अनीता है, और मै प्यार से उसे अनु बुलाता हूं। यह कहानी मेरे शादी के कुछ महीनों बाद की है। शुरू में अनु गांड चुदाई से बहुत डरती थी। मैने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वो मेरी बात मानती ही नही थी। आप इस कहानी में पढिए कि, किस तरह से मैने उसे गांड चुदाई के लिए मनाया और अपनी बीवी की गांड का मजा लिया।
तो चलिए अब आपका अधिक समय न लेते हुए मै सीधे कहानी पर आता हूं। मेरी अनु अब भी बहुत सजती संवरती है, उसे देखकर मेरे मोहल्ले के लडके भी उसके पीछे पड जाते है। अनु का फिगर भी बहुत सेक्सी है, उसके पूरे बदन में मुझे उसकी गांड सबसे ज्यादा पसंद थी।
हमारी अरेंज मैरिज हुई थी, शादी से पहले जब मै अपने घरवालों के साथ उसे देखने गया था, तब से ही मै उसकी गांड का दीवाना हो चुका था। अनु का ड्रेसिंग सेंस भी लाजवाब था, जो उसको और चार चांद लगाता था।
शादी से पहले हमने सिर्फ चुमाचाटी की, बाकी उसने मुझे कहीं पे भी हाथ लगाने नही दिया। हम दोनों ही यह सब सुहागरात के लिए बचाकर रख रहे थे। खैर सुहागरात की कहानी किसी और दिन बताऊंगा, लेकिन आज तो अनु के गांड उदघाटन की कहानी है।
शादी के बाद हम दोनों ने सब कुछ किया, लेकिन मै जैसे ही अनु की गांड को हाथ लगाता, तो वो मुझे मना कर देती। मुझे मेरी अनु की जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है, उसी को मै भोग नही पा रहा था।
हमारी शादी के दो महीने बाद मैने एक तरकीब लगाई, जिससे मुझे अनु अपनी गांड मारने से ना रोके। मैने अनु के लिए एक सरप्राइज डिनर प्लान किया। फिर डिनर के बाद, मै उसे लेकर एक ड्राइव पर गया। तब हम दोनों ऐसे ही बातें कर रहे थे, तो मैने उससे पूछा कि, “अनु तुम्हारी सबसे वाइल्ड फैंटेसी क्या है?”
यह सुनकर पहले तो वो थोडा शरमाई लेकिन फिर बोलने लगी, “मै एक बार आपसे खुले में चुदना चाहती हूं, जहां हमे देखने वाला कोई न हो।”
इस पर मैने उसे कहा, “अगर तुम चाहो, तो आज ही तुम्हारी यह फैंटेसी पूरी कर देते है।”
इस पर वो तो बहुत खुश हुई, उसने मुझसे कहा, “तो मुझे ले चलो फिर ऐसी जगह जहां हमे देखने वाला कोई न हो।”
तभी मैने उससे कहा, “मै तो तुम्हारी फैंटेसी पूरी कर रहा हूं, तुम्हे भी तो मेरी इच्छा पूरी करनी चाहिए।”
अनु को पता था, मेरी इच्छा क्या है। तो उसने तुरंत मुझसे कहा, “पहले आपने जो कहा है, वो करो। फिर आप जो चाहेंगे जैसे चाहेंगे मै वैसे ही करूंगी।”
मुझे तो बस यही चाहिए था, मैने तुरंत अपनी गाडी शहर से बाहर ले ली। हमारे शहर से बाहर निकलकर कुछ दूरी पर ही एक पुरानी हवेली थी, जो अब एक खंडहर बन चुकी थी। तो मैंने अपनी गाडी वहीं ले जाकर लगा दी, और पहले खुद अंदर जाकर देख आया कि, कहीं अंदर कोई है तो नही। अंदर कोई नही था।
फिर मै अनु के पास आया और उससे कहा, “बोलो मेरी जान, कहां से शुरू करें?”
तो अनु ने मेरा हाथ पकडा और मुझे खींचते हुए एक दीवार के पीछे ले गई। वहां से हमे सड़क पर जाने वाले लोग नही देख सकते थे। वहां जाते ही उसने अपनी दोनों बाहें मेरे गले मे डालकर मेरे होठों पर अपने नाजुक कोमल होंठ रख दिए। मुझे अनु के रसीले होंठ बडे पसंद थे, जिसे मै घंटो तक चूमते हुए रह सकता था।
मैने भी अब देर न करते हुए उसको चूमते हुए अपने हाथ उसके बदन पर घुमाने शुरू कर दिए। अब मै अनु के उरोजों को अपने हाथों से दबा रहा था। अनु ने भी मुझे चूमते हुए मेरे लंड को अपने हाथ मे ले लिया। अनु के हाथ का स्पर्श पाते ही मेरा लौडा भी मस्त फूलने लगा था। मैने अनु से अलग होते हुए पूछा, “तुम कैसे चुदना पसंद करोगी? पूरी नंगी होकर या अधनंगी होकर।”
तो अनु ने कहा, “अब जैसे तुम चाहो, वैसे चोद डालो मुझे कोई फर्क नही पडता।”
तो मैने उसकी कमीज को ऊपर उठाकर निकाल दिया, और उसके स्तनों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा था। यहां मै आप सभी लोगों को एक बात बताना चाहूंगा, कभी भी किसी भी लडकी के साथ सीधे चुदाई पर मत उतर आना। चुदाई के पहले उसे उत्तेजित करना बहुत महत्व रखता है।
मै अपनी अनु के बूब्स मसलते हुए चूस भी रहा था। वो मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी। मैने उसकी ब्रा को थोडा ऊपर की ओर खिसका दिया, तो उसके स्तन मेरे सामने नंगे हो गए। अब मैने उसके स्तनों पर अपना मुंह लगा दिया। अनु ने भी मेरी पैंट की चेन खोलकर अपना हाथ अंदर डाल दिया। अब अनु अंदर ही मेरे लौडे से खेल रही थी, लेकिन मेरे लंड को आजादी चाहिए थी।
मैने उसे रोककर अपने लंड को ही बाहर निकालकर उसके हाथ मे थमा दिया। मै फिर से अनु के बूब्स को चूसने में लग गया। थोडी देर बाद मैने सोचा कि, अनु की फैंटेसी है तो क्यों न हम खुलकर सेक्स करें। यही सोचकर मैने उसकी कमीज को उसके बदन से अलग कर दिया, और अगले ही पल उसकी ब्रा का हूक भी खोल दिया। अब मेरी अनु ऊपर से पूरी तरह नंगी थी, उसका गोरा बदन अंधेरे में भी मै साफ देख सकता था। ऐसी बला की खूबसूरत अप्सरा के लिए तो मुरदे भी जाग जाए।
अब अनु ने भी मेरे लंड को छोडकर मेरी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया था। अनु मुझे उत्तेजित करने में अपनी तरफ से कोई कसर नही छोड रही थी, वो मेरे छाती पर अपना हाथ फेरने लगी। और बीच बीच मे मेरे निप्पल को अपनी उंगली में लेकर दबा देती।
मैने भी अब अपने हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार का नाडा खोलने की कोशिश में लगा दिए। लेकिन मुझसे नाडा नही खुल रहा था, यह बात अनु को भी समझ आ गई। तो उसने खुद ही अपनी सलवार उतारकर उसे बगल में रख दिया और फिर से मुझसे आकर चिपक गई।
अब अनु सिर्फ पैंटी में थी, तो उसने मुझे भी पूरा नंगा करने के लिए मेरी पैंट उतारना शुरू कर दिया। और अगले ही पल उसने नीचे बैठकर मेरी चड्डी भी खींचकर मेरे पैरों में गिरा दी। अब मेरा लौडा उसके सामने तनकर खडा था, और अपने पूरे जोश के साथ झटके भी मार रहा था। अनु ने पहले मेरे लंड के टोपे की खाल को पूरा पीछे खींचा और फिर सिर्फ टोपे को अपने मुंह मे लेकर उस पर जीभ फिराने लगी। उसने आज यह मेरे साथ पहली बार किया था, और इस वजह से मेरे मुंह से अब आह निकल गई। उसने ऐसे ही एक दो बार करने के बाद, मेरा पूरा लंड ही अपने मुंह मे डाल लिया और किसी कुल्फी की तरह उसे चूसने और चाटने लगी। मुझे लगा कि, अगर अब यह नही रुकी तो मेरा अभी हो जाएगा, तो मैने उसे रोक दिया।
अब मेरी बारी थी उसको पूरी नंगी करके उसकी चुत का स्वाद चखने की। मैने उसे उठाकर खडी कर दिया, और उसके चुचियों को मसलते हुए मै नीचे बैठ गया। अब उसकी चुत और मेरे बीच सिर्फ उसकी पैंटी थी। अनु को डिजाइनर पैंटी पहनने का शौक है, और उसने आज ट्रांसपरेंट पैंटी पहनी थी। मैने पहले तो उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को सूंघकर देखा, और फिर उसकी पैंटी को हल्का सा साइड में हटाकर अपनी एक उंगली से उसकी भग्नासा को रगड दिया।
मेरी इस हरकत से वो पूरी तरह से सिहर सी गई। फिर मैने उसकी पैंटी को निकाल दिया और अब हम दोनों ही पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। ठंडी ठंडी हवा का स्पर्श वातावरण को और भी रोमांचित बना रहा था। मैने अब अपनी उंगलियों से अनु की चुत की फांकों को खोलकर अपनी जीभ वहां लगा दी। मेरे जीभ वहां लगाते ही उसके हाथों ने मेरे सर पर दबाव देना शुरू कर दिया। मै भी अब पूरे जोश के साथ उसकी चुत को चाट रहा था, और उसके रस का रसपान कर रहा था।
उसकी चुत चाटते वक़्त मैने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसके चूतड़ों पर जमा दिए, और धीरे धीरे अनु की गांड के छेद को सहलाने लगा। अब अनु से भी रुकना मुश्किल हो रहा था, तो उसने मुझसे कहा, “अब जल्दी से अपना मूसल मेरे अंदर डालकर चुदाई शुरू कर दो।”
मै आज कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था, पता नही ऐसे खुले में करने का मौका फिर कभी मिले या नही। मै इस मौके का सही तरीके से फायदा उठाना चाहता था।
मैने अनु को वहां दीवार के सहारे खडी कर दिया और फिर उसको उठाकर नीचे से अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया। दीवार ज्यादा मजबूत नही थी, तो मै दीवार का अधिक सहारा नही ले सकता था।
अनु की चुत ने लंड जाते ही उसने मेरे लंड पर उछलना शुरू कर दिया। आज अनु सिसकारिया लेते हुए अपने मुंह से कामुक आवाजें भी निकाल रही थी। अब अनु खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी। अनु मुझसे कहने लगी, “कम आह ऑन अनिल, आह और जोर आ से। चोदो ओ मुझे। आह आ”
अनु की कामुक सिसकियों की वजह से मै और भी जोश में उसकी चुदाई कर रहा था। कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मैने वहीं एक साफ जगह देखकर अनु को नीचे लिटाया। और फिर चुदाई जारी रखी।
अनु भी मस्त होकर चुदवा रही थी। अनु मेरी पीठ में अपने नाखून गाडने लगी थी, लेकिन उस दर्द में भी आज एक मिठास थी। अब मैने भी ताबडतोड तरीके से चुदाई करना शुरू कर दिया था। मेरे तेज धक्कों की वजह से अनु अब झडने के करीब थी। तो उसने मुझसे कहा, “जल्दी करो अनिल, और अंदर डालो। मै आनेवाली हूं।”
मैने भी उसकी बात सुनकर उसको और अपने करीब लेकर धक्कों की गती को बढा दिया। अगले दस-बारा धक्कों के बाद ही अनु के साथ ही मैने भी अपना माल उसकी चुत के अंदर ही छोड दिया। हम दोनों ही एक साथ झड चुके थे, और झडने के बाद भी हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही एक-दूसरे की बाहों में पडे रहे। थोडी ही देर में अनु ने मुझे उठाते हुए कहा, “नीचे जमीन चुभ रही है, उठो जल्दी से।”
फिर हम दोनों उठ गए, उठते ही अनु मेरे गले लग गई और बोलने लगी, “आज के लिए थैंक्स। मैने कभी नही सोचा था कि, हम इस तरह खुले में कभी सेक्स कर पाएंगे।”
इतना कहकर उसने मेरे गालों पर एक चुम्मी दे दी। और फिर हम दोनों ने ही अपने अपने कपडे पहनना शुरू कर दिया। कपडे पहनते ही हम एक बार फिर से गले लगे और फिर गाडी में बैठकर घर की तरफ चल दिए। घर पहुंचकर हमने समय देखा तो ग्यारह बज चुके थे। सबसे पहले तो हम दोनों ही फ्रेश हो गए, और फिर चेंज करके बेडरूम में आ गए।
बेडरूम में आते ही मैने अब अनु को छेडने के लिए कहा, “अब मैने तो तुम्हारी इच्छा पूरी कर दी, अब तुम्हारी बारी है, मेरी इच्छा पूरी करने की।”
इतना कहकर मैने उसकी तरफ देखते हुए आंख मार दी। तो उसने भी बडी अदा के साथ शरमाते हुए मुझसे कहा, “आप खुद ही अपनी इच्छा पूरी कर लो, आपको रोका किसने है?”
अनु ने चेंज करके एक झीनी सी नाइटी पहन ली थी, और अंदर से सिर्फ पैंटी थी। मैने गंजी और लुंगी पहनी हुई थी। अनु की बात सुनने के बाद, मैंने अनु को पकडकर अपने पास लिया। फिर उसके पीछे से होकर मै उससे चिपक कर खडा हो गया। जिस वजह से अब मेरे लंड महाशय अनु की गांड की दरार में दस्तक दे रहे थे।
अनु की गांड में जाने के खयाल मात्र से ही मेरा लौडा शायद थोडा ज्यादा ही फूल गया था। अनु ने अपने हाथ पीछे लाकर मेरे लंड पर रखते हुए कहा, “जो भी करोगे, थोडा आराम से करना। सुना है गांड मरवाने में बहुत दर्द है।”
मैने उसे समझाते हुए कहा, “थोडा दर्द तो होगा ही शुरू में, लेकिन एक बार करने के बाद फिर तो मजे ही मजे है।”
इतना कहते हुए मैने उसकी नाइटी को ऊपर उठा दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा। फिर मैने अनु को बिस्तर पर बैठने को कहा, और मै किचन में चला गया। किचन में जाकर मैने फ्रिज से आइसक्रीम उठा ली, और उसे बिस्तर के बगल वाले टेबल पर रख दिया।
अनु के पास जाकर मैने सबसे पहले अनु की नाइटी को निकालकर साइड कर दिया। अनु को अपने शरीर पर बाल रखना बिल्कुल पसंद नही है, तो वो हमेशा क्लीन शेव ही रहती है। मैने अनु को पीठ के बल लिटा दिया और आइसक्रीम को लेकर उसकी चुचियों पर डाल दिया। ठंड आइसक्रीम चुचियों पर लगने से उसके निप्पल तन गए थे। फिर मैने अपने मुंह से उसके चुचियों पर लगी आइसक्रीम को साफ करना शुरू किया। मैने महसूस किया कि, यह सब अनु को बहुत उत्तेजित कर रहा है।
मैंने अब थोडा नीचे होकर उसकी नाभी में और चुत के ऊपर भी आइस क्रीम डाल दी। अब अनु अपनी कमर हिलाने लगी थी, मै अनु के बगल में बैठा था। अनु की टांगे चौडी करके अब मै उनके बीच आ गया। अनु की टांगो को उठाकर अपने कंधे पर ले लिया, जिस वजह से उसकी गुलाबी चुत बिल्कुल मेरे मुंह के पास आ गई।
अब मैने आइस क्रीम साफ करना शुरू कर दिया। अनु खुद अपनी कमर हिला-हिलाकर मुझसे अपनी चुत चटवा रही थी। थोडी देर बाद, मैने अनु को उल्टी करके लिटा दिया, और उसकी चुत के नीचे दो तकिए लगा दिए, जिससे उसकी गांड थोडी ऊपर को उठ जाए और उसकी गांड का छेद मेरे सामने खुलकर आए।
अब मैने बची हुई पूरी आइस क्रीम को अनु के चुटडों पर गिरा दिया और मै नीचे झुककर वहां से आइसक्रीम चाटने लगा। अनु की चुत अब तक गीली जो चुकी थी, और पानी बहा रही थी। तो मैने अपनी उंगली को अनु की चुत घुसा दिया और फिर उसे बाहर निकालकर अनु की गांड में डालने लगा। जिससे अनु के चुतरस से उसकी गांड को थोडी चिकनाहट मिले और उसे ज्यादा दर्द न हो। ऐसा बहुत देर तक करने के बाद मैने अपना थोडा थूक लेकर भी अनु की गांड के छेद में मल दिया। अब अनु की गांड में जाने का रास्ता भी पूरी तरह चिकना हो गया था।
मेरे इतना देर कोशिश करने के बावजूद मै अनु की गांड में सिर्फ एक उंगली ही घुसा पा रहा था। तो मैने धीरे धीरे करके एकसाथ उसकी गांड में दो उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। अनु की गांड बहुत कसी हुई थी, तो मुझे बहुत मुश्किल होने लगी। लेकिन कुछ देर तक प्रयास करने के बाद मै अपनी कोशिश में कामयाब हुआ। मैने कुछ देर अपनी दोनों उंगलियां उसकी गांड के छेद में अंदर बाहर की जिससे छेद थोडा खुल जाए।
अब समय आ चुका था मेरी बीवी की गांड के उदघाटन का, उससे पहले मैने उसे लंड चिकना करने के लिए कहा। तो उसने तुरंत उठकर मेरे लंड को अपने मुंह मे भर लिया और अगले ही पल मेरा लंड उसके थूक से सना हुआ था। अब मैने उसको पहले की तरह लिटाया और अपना लंड अनु की गांड के छेद पर रखकर अनु से कहा, “जान, मेरे लिए थोडा सा दर्द सहन कर लेना।”
इतना कहते ही मैने एक तेज धक्के के साथ अपने लंड को उसकी गांड में पेल दिया। पहले धक्के के साथ मेरे लंड का टोपा उसकी गांड में चला गया था। लेकिन इतने से ही अनु को बहुत दर्द होने लगा, वो चिल्लाने लगी। मुझे लंड निकालने के लिए विनती करने लगी।
मैने कुछ देर वैसे ही शांत रहकर उसको गर्म करने की कोशिश शुरू कर दी। उसके चूचों को मसलते हुए मै उसकी घुंडीयो को भी भींच रहा था। अनु भी बीच बीच मे सिसकारियां ले रही थी। कुछ देर रुकने के बाद मैने अपने लंड का दबाव बढाना शुरू किया, तो लंड उसकी गांड में अपनी जगह बनाता हुआ अंदर की ओर जा रहा था। अब मेरा आधा लंड उसकी गांड में गायब हो चुका था, तो अनु बोलने लगी, “आज के लिए इतना काफी है, बाकी बाद में करते है। अभी मुझे बहुत तेज जलन हो रही है, उसे बाहर निकाल लो।”
मुझे पता था कि, अगर आज यह मौका हाथ से छूटा तो फिर कभी नही मिलनेवाला। तो मैने उसे प्यार से समझाते हुए एक और धक्के के साथ अपना पूरा लंड ही उसकी गांड में उतार दिया। मैने अनु के मुंह पर अपना हाथ रखा और अपने धक्के जारी रखे। उसकी गांड कसी हुई होने से मुझे लंड को अंदर बाहर करने में बहुत तकलीफ हो रही थी। और अनु का भी दर्द से बुरा हाल था। लेकिन फिर भी वो मेरे लिए सब सहन कर रही थी।
कुछ देर बाद मेरे लंड ने उसकी गांड में अपनी जगह बना ली और अब अनु भी अपनी कमर हिलाने लगी थी। इसका मतलब अनु का दर्द भी चला गया था। अब अनु भी मजे से अपनी गांड मरवा रही थी।, मैने अपने हाथ बढाकर उसकी चुचियां पकड ली, और उन्हें दबाते हुए अनु की गांड को चोदने लगा। मै कुछ देर में ही झडने के करीब था, और तेज धक्के मारने के बाद मैने अपने वीर्य को अनु की गांड में ही भर दिया। फिर उस दिन के बाद मैं अनु की गाँड लगभग रोज ही मारने लगा और अनु भी खूब उछल उछल कर अपनी गाँड मरवाती और मजे लेती।
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5 महीने पहले
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