हेलो दोस्तो मेरा नाम उत्तम सिंह हैं। मै लखनऊ, उत्तरप्रदेश के एक गांव में रहता हूँ। ये बात काफी समय पहले की है। मेरी पढ़ने में ज्यादा कुछ रुचि नहीं थी तो अपने पापा के साथ खेतों में ही काम किया करता था। हमारे पास काफी सारी जमीनें थी। खेत मे काम करने और अच्छा खान-पान की वजह से मेरी बॉडी काफी अच्छी बन गई थी। फिर मै अपनी बॉडी का और भी ज्यादा ख्याल रखने लगा। मै एक्सरसाइज करता और खूब खाना खाता। मेरी जिंदगी बहुत अच्छे से चल रही थी। मेरे परिवार में तब मै, मेरी एक बड़ी बहन सीमा जिसकी शादी हो चुकी थी और पापा मम्मी थे।
फिर जब मै 17 साल का हुआ तब ही पापा ने मेरी शादी अपने दोस्त की बेटी से करवा दी। उसका नाम मेनका है और प्यार से उसे सब मीनू बुलाते है। तब मीनू 15 की थी। मीनू के परिवार में उसका छोटा भाई कमल, माँ संगीता और पिताजी हैं। पहले छोटी उम्र में ही शादी कर दिया करते थे। फिर शादी के बाद मुझे चुदाई के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था तो फिर हम दोनो बस साथ मे सोते थे और खूब बातें किया करते थे। उधर मेरी माँ ने भी मुझे बातों ही बातों में समझा दिया था के अभी मै मीनू से कुछ भी ना करूँ। फिर हम सब हंसी खुशी से रहते। मै और पापा तो खेतो में काम करते और मम्मी और मीनू घर का काम संभालती। पापा के साथ काम करते करते मुझे अब काफी अनुभव हो चुका था तो फिर अब खेतो का लगभग काम मे ही करने लगा था।
फिर एक दिन पापा और मम्मी ने मथुरा जाकर श्री कृष्ण जी के दर्शन करने का मन बनाया तो फिर गांव के कुछ और लोग भी वहीं जा रहे थे तो वो दोनो उनके साथ चले गए। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। मथुरा से आते टाइम एक्सीडेंट में उन दोनों की मौत हो गई। इससे मुझे काफी दुख हुआ। फिर कुछ दिन मातम बनाने के बाद हम सब फिर से अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए। लेकिन फिर मेरी सास हमारे पास आकर रहने लगी। वो काफी समझदार थी और मुझे और मीनू को सब बातें समझाती रहती थी। फिर मै और मीनू एक दूसरे के नजदीक आने लगे। हम दोनो एक दूसरे के सामने नंगे हो जाते थे तो मै मीनू के बदन को सहलाने लगा था और उधर मीनू भी मेरे लण्ड को सहला देती थी। तब हम दोनो को काफी मजा आता था।
फिर मुझे अपने दोस्तों से चुदाई के बारे में पता चला और उधर मीनू को उसकी मां ने समझाया के आदमी का लण्ड कहाँ लिया जाता है तो फिर एक रात मैंने मीनू की चुत में लण्ड डाल दिया तो मेरे बड़े लण्ड के कारण मीनू की चुत फट गई और उसे काफी दर्द हुआ। खून भी काफी निकलने लगा तो फिर मैंने इसके बारे में सास को बताया तो फिर सास मीनू के पास गई और फिर उन्होंने मीनू की चुत की मरहम पट्टी की।
तब मै काफी घबरा गया था तो फिर मेरी सास ने मुझे समझाया के घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा हो जाता है पहली बार। फिर मीनू कुछ दिनों बाद ठीक हो गई तो फिर हमने एक बार और चुदाई की तो हम दोनो को बहुत मजा आया। फिर इसके बाद तो हमे जब मौका मिलता तब हम चुदाई कर लेते। फिर कई बार तो सास ने हमे देख भी लिया लेकिन फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा। फिर तो मै कभी कभी सास के सामने ही मीनू से शरारत कर लेता तब सास हम दोनो को देखकर मुस्कुरा देती। फिर एक दिन मीनू को उल्टियां होने लगी तो ये देखकर सास तो सब समझ गई। फिर सास ने हमे बताया के मीनू गर्भवती हो गई है। ये सुनकर मै और मीनू बहुत खुश हुए। लेकिन फिर भी मै और मीनू चुदाई करते रहे। फिर मीनू ने मुझे बताया के उसकी मां ने उससे कहा है के अब चुदाई आराम से किया करो। मेरी सास अब मीनू को काफी बातें बताती और वो बातें मीनू मुझे बताती। इस तरह जब मुझे कोई बात पूछनी होती तो मै मीनू के द्वारा सास से पूछ लेता। हालांकि अब सास हमारे साथ काफी घुलमिल गई थी तो अब हम सब खुशी से रहते थे।
फिर एक दिन रात को अंधेरे में मै सास को मीनू समझकर अपनी बाहों में ले लेता हूँ तो फिर सास पहले तो मुझे धीरे से छोड़ने के लिए कहती है। इससे पहले की मै समझ पाता तब तक मेरे हाथ सास के बोबो पर जा चुके थे। फिर सास के बड़े बोबे महसूस हुये तब जाकर मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ तो मैने सास को छोड़ दिया। तब मै काफी शर्मिंदा हुआ। फिर सुबह हुई तो मै सास से नजर भी नहीं मिला पा रहा था। ये देखकर तब सास ने ये बात मीनू को बताई तो वो दोनो हँसने लगे। तब मै वहीं पर बैठा था तो फिर मुझे भी हंसी आ गई। फिर सास ने मुझे बहुत प्यार से समझाया और कहा के आपकी गलती नहीं थी। सास मेरा काफी ख्याल रखती थी।
मुझे भी सास पर फिर काफी प्यार आ रहा था तो फिर एक दिन शाम को जब मीनू नहीं थी तो जाकर मै सास के गले लग गया और मै रोने लगा। फिर सास ने मुझे चुप कराया और मुझे प्यार से समझाया। फिर तो जब भी मै उदास होता तो जाकर सास से गले लग जाता और फिर सास भी मुझे प्यार करती। फिर जब खेती की या घर की कोई चिंता की बात होती तो वो सब मै जाकर सास को बता देता और फिर सास मुझे अच्छे से समझाती तो मेरा मन हल्का हो जाता। फिर तो रोज रात को मै सास के पास चला जाता और उनसे काफी बातें करता। हालांकि तब तक मेरे मन मे सास के प्रति कोई गलत विचार नहीं था। उधर सास के मन मे क्या चल रहा था वो मुझे नहीं पता था। हम दोनो फिर मीनू से छिपकर मिलने लगे थे। जिसमें हम दोनो को मजा आने लगा था।
फिर तो सास भी मुझे कसकर अपने गले से लगा लेती और मेरी पीठ को सहलाती। फिर एक दिन मैंने सास की गाल पर किस कर दिया तो फिर सास ने भी मेरी गाल पर किस कर दिया। मेरे लिए तो बस ये सिर्फ किस ही था। फिर एक दिन सास से गले लगते टाइम सास ने मेरे सिर को अपनी छाती में दबा लिया तो फिर सास के बोबो का एहसास पाकर मै काफी खुश हुआ। अब मेरी सास से शर्म दूर हो गई थी तो फिर एक दिन रात को मै सास के पास ऊपर से नंगा ही चला गया तो सास ने मेरी बॉडी की काफी तारीफ की और मेरी छाती को सहलाने लगी। तब मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। फिर एक दिन सास ने मुझे रात को अपने साथ लेटने के लिए कहा तो मै सास के साथ लेट गया। फिर सास ने मेरा सिर अपनी छाती में लगा लिया तो फिर मै वैसे ही सो गया। फिर सुबह मुझे सास ने जगाया तो मुझे पता चला के मै तो रात सास के साथ ही सो गया था।
मेरे और सास के एक नए रिश्ते की शुरुआत हो चुकी थी। फिर तो सास भी मुझे अपने नजदीक आने से नहीं रोक पा रही थी। उधर मीनू 4-5 महीने की गर्भवती हो चुकी थी तो हमारी चुदाई लगभग बंद ही हो चुकी थी। जिससे में चुदाई के लिए तड़प रहा था तो फिर मीनू मेरा लण्ड अपने हाथ से सहला देती थी और फिर मै अपना लण्ड बस उसकी चुत में डाल देता और धक्के वगैरह नहीं मारता और बस उसकी चुत की गर्मी से ही झड़ जाता था। तब गर्मियों के दिन चल रहे थे और मीनू का पेट आगे की और निकल गया था। फिर मीनू के लिए नए सूट वगैरह भी सिलवाये पर मीनू को उनमें गर्मी लगती थी तो फिर तो मीनू बस एक कपड़ा लेकर ही रहने लगी। वो मेरे और सास के सामने वो कपड़ा अपने शरीर पर लपेट लेती और जब अकेली हमारे साथ होती तो नंगी ही रहती।
फिर तो मीनू हमारे सामने नंग धड़ंग ही रहने लगी। तब मीनू का वजन काफी बढ़ चुका था और वो मोटी हो चुकी थी। मीनू को नंगी देखकर तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। फिर मै तो सास के सामने ही मीनू के बोबो को सहलाने और दबाने लग जाता और मीनू की गाँड भी सहलाने लगा। ये देखकर सास हँसने लग जाती। फिर तो मीनू के सामने ही मै और सास एक दूसरे से चिपकने। हम दोनो एक दूसरे की कमर में हाथ डाल लेते और फिर हम दोनो साथ ही सोने लगे। मीनू अलग चारपाई पर सोने लगी थी। जब मै सास के साथ होता तो मेरा हाथ सास के बोबो और सास की गाँड पर लग जाता तो भी सास अब कुछ नहीं कहती। उल्टा सास खुद मेरी बॉडी को सहलाने लगती। सास और हम अब आपस मे काफी खुल चुके थे। गर्मी होने के कारण सास ऐसे कपड़े पहनती जिसमे से सास के बोबो के उभार दिखते रहते और सास जब पसीने से भीग जाती तो सास का बदन दिखने लग जाता था। फिर एक दिन हम सब बैठकर बातें कर रहे थे तो फिर सास अपने पति यानी मेरे ससुर के बारे में बताने लगी के वो शादी के बाद से ही बीमार रहने लगे थे और उन्होंने सास का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा। फिर सास ने खुलकर कहा के वो तो बच्चे जैसे तैसे हो गए वरना वो तो ये भी नहीं कर पाते। सास की ये बातें सुनकर कोई भी समझ सकता था के सास चुदाई की प्यासी थी। उधर मै भी चुदाई के लिए तड़प रहा था और ये मीनू से देखा नहीं जा रहा था तो वो बेचारी जैसे तैसे मेरे लण्ड का पानी निकालकर मुझे शांत कर देती थी।
मै घर पर बस एक लुंगी में रहता था और मेरा खड़ा लण्ड लुंगी में साफ दिखता रहता था। रात को जब मै सास के साथ सोता तो मेरा लण्ड पीछे से सास की गाँड में लग जाता था। फिर कई बार मेरी लुंगी खुल जाती थी तो सुबह मेरा लण्ड एकदम खड़ा रहता। फिर एक सुबह मेरी लुंगी खुल चुकी थी और मेरा लण्ड खड़ा था। तब सास मेरे पास बैठी थी और उनका हाथ मेरे लण्ड पर था। फिर जब मेरी आँख खुली तो देखा के सास मेरा लण्ड सहला रही थी। तब सास काफी गर्म हो चुकी थी। फिर मुझे जगा हुआ देखकर सास शर्माकर उठकर चली गई। फिर मै सोचने लगा के पता नहीं सास कब से नींद में मेरा लण्ड सहला रही है। फिर उस दिन इस हरकत के बाद भी सास मुझसे ज्यादा शरमाई नहीं और बस हमेशा की तरह ही रहने लगी। फिर एक दिन मै खेत से आया तो तब मैंने देखा के मीनू तो सो रही है और सास अपनी सलवार में हाथ डालकर अपनी चुत सहला रही है। फिर मुझे देखकर सास ने अपना हाथ सलवार से निकाल लिया और फिर करवट लेकर सो गई।
अब मेरी और सास की जो भी बची कुची शर्म थी वो भी खत्म हो रही थी धीरे धीरे। उधर फिर मीनू भी कई बार सास के सामने मेरा खड़ा लण्ड मेरी लुंगी के ऊपर से ही पकड़ लेती और मै भी फिर मीनू की चुत सहला देता। मीनू को भी अपनी मां के बारे में पता था के वो चुदाई के लिए तड़प रही है। फिर एक दिन दोपहर के समय मीनू सो रही थी और सास बेड पर लेटी थी तो मै खेत से आकर सीधा सास के पास लेट गया और वो भी नंगा। फिर जब सास ने मुझे नंगा देखा तो वो शर्माने लगी। फिर मैंने हिम्मत करके सास की सलवार का नाड़ा खोलकर सास की चुत सहलाने लगा तो फिर सास को बहुत मजा आने लगा। फिर मैंने सास की सलवार पूरी नीचे खिसका दी और सास को नीचे से नंगी कर दिया। फिर मै सास के ऊपर आ गया तो हम दोनो एक दूसरे को आंखों में आंखें डालकर देखने लगे। फिर मै सास से लिप किस करने लगा और फिर मै सास के कुर्ते को ऊपर उठाकर सास के बोबो को चुसने लगा। तब मै और सास फुल गर्म हो चुके थे।
फिर मैंने जैसे ही अपना लण्ड सास की चुत में डाला तो सास चिल्लाने लगी। सास की चुत टाइट थी। सास की चीख सुनकर मीनू जाग गई और फिर वो भी हमे देखने लगी। फिर कुछ देर बाद मेरे धक्कों से सास को मजा आने लगा तो वो सिस्कारियाँ लेने लगी। फिर कुछ देर की चुदाई के बाद मै सास की चुत में ही झड़ गया तो सास अपनी चुत में मेरे लण्ड के गर्म पानी का एहसास पाकर बहुत खुश हो गई। फिर चुदाई के बाद वो तो बिना शर्म किये मुझसे चिपक गई। उधर मीनू भी खुश हुई। फिर मैंने सास का कुर्ता पूरा उतार दिया तो फिर सास बिल्कुल नंगी हो गई। फिर सास नंगी ही जाकर मीनू के पास लेट गई। तब सास बहुत खुश थी और फिर सास को खुश देखकर मीनू भी बहुत खुश हुई। फिर मीनू फिर से सो गई तो सास मेरे पास आ गई तो फिर हम बातें करने लगे और साथ मे एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे। सास का फिगर काफी अच्छा था। सास की जल्दी शादी हो गई थी तो सास जल्दी ही मां बन गई थी और सास केवल 35 साल की ही थी।
फिर तो मै और सास एक दूसरे से चिपक कर ही रहने लगे। मै सास के पीछे पीछे ही रहने लगा। सास और मै अब नंगे ही रहने लगे थे। फिर सास के साथ साथ मै मीनू के बदन को भी सहलाकर खूब मजे लेता। उधर मीनू को भी हमारी चुदाई से कोई दिक्कत नहीं थी। फिर तो मै उन दोनों मां बेटी के बीच लेटकर उनके बोबो को चूसता और बदन को सहलाता। फिर वो दोनो भी एक साथ पकड़कर मेरा लण्ड सहलाती। फिर तो दिन रात मै और सास काफी चुदाई करते। फिर कुछ महीनों के बाद मीनू के लड़का हुआ तो हम सब काफी खुश हुए। फिर बच्चा होने के बाद सास ने मीनू का काफी ध्यान रखा जिसके कारण मीनू जल्दी ही ठीक हो गई। तब दोनो ही मां बेटी एक जैसी हो गई थी। तब तो वो दोनो बहने लगती थी। मुझसे चुदवाकर सास का बदन भी खिल गया था। फिर तो मै उन दोनों मां बेटी की एक साथ चुदाई करने लगा। जिसमे हम तीनों को बहुत मजा आता। मीनू के बच्चा होने के बाद भी सास वापिस नहीं गई। फिर जब ससुर सास को लेमे आये तो सास ने उन्हें खुलकर सब कुछ बता दिया तो वो वापिस चले गए। उधर ससुर के घर उनकी एक विधवा बहन आकर रहने लगी थी जो कि घर का सब काम वगैरह कर लेती थी। उनके एक लड़का और एक लड़की दो बच्चे थे और वो फिर सास के लड़के कमल का भी ध्यान रहने लगी थी। उसे दूसरी शादी नहीं करनी थी तो वो ससुर के साथ ही रहने लगी। उसे भी ससुर के बारे में सब कुछ पता था तो फिर उसने भी सास को मेरे साथ रहने के लिए नहीं रोका। उधर मेरी बड़ी बहन को भी जब सास के बारे में पता चला तो उसने भी कुछ नहीं कहा। फिर मै भी सास को अब मेरी बीवी की तरह ही रखने लगा था। उधर जब मेरी बहन आई हुई होती तो वो मीनू और सास को भाभी कहकर ही बुलाती थी।
फिर मेरी बहन सीमा ने मुझे सास से शादी करने के लिए कहा। तो फिर मैंने उसकी बात मान ली। फिर तब सीमा तो थी ही और फिर मैंने ससुर और उनकी बहन को भी बुला लिया। फिर मैंने एक पंडित को भी बुला लिया और फिर इतने लोगो के बीच मैंने घर पर ही सास के साथ शादी कर ली। तब कन्यादान करने की बारी आई तो मेरे ससुर ने ही सास का कन्यादान कर दिया। फिर तो शादी के बाद मेरी बहन सीमा ने हमारे लिए सुहागरात का कमरा सजाया और फिर मैंने उस रात सास की काफी चुदाई की। फिर अगले दिन सुबह सुबह ही मीनू और सीमा हमारे कमरे में आ गई। तब मै और सास नंगे ही कम्बल ओढ़कर लेटे थे। फिर मै तो कमरे से बाहर आ गया और फिर ससुर की बहन ने मुझे चाय दी। तभी वहां आंगन में ससुर भी बैठे तो मै उनके पास बैठकर चाय पीने लगा। तब मुझे ससुर से कुछ खास शर्म नहीं आ रही थी। फिर मै और ससुर खेतो की तरफ चले गए। फिर वहां हमे लैट्रिन आने लगी तो फिर मै तो ससुर के सामने ही अपना पायजामा खोलकर बैठ गया और हल्का होने लगा। तब ससुर तो मेरे लण्ड को देखते ही रह गए। फिर ससुर भी अपना पायजामा खोलकर मेरे सामने बैठ गए। उनका लण्ड छोटा सा था और वो काफी पतले से थे।
फिर मै तो अपने सब कपड़े खोलकर अपनी बॉडी ससुर को दिखाने लगा तो फिर ससुर मेरी बॉडी देखकर काफी खुश हुए। फिर मै नंगा ही नहाया और फिर कपड़े पहनकर हम दोनो घर चले गए। फिर घर गए तो देखा के सास ने टाइट सूट पहना था जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी। सास को देखकर तो मै देखता ही रह गया। फिर दोपहर को सास, मीनू और सीमा एक ही कमरे में बैठकर बातें कर रही थी तो फिर मै भी वहां चला गया। फिर मेरी बहन सीमा मुझसे हंसी मजाक करने लगी तो फिर मै भी सास के पास बैठकर मस्ती करने लगा। फिर मै तो मीनू के बदन को सहलाकर भी मस्ती करने लगा। तब हम सब काफी मस्ती मजाक कर रहे थे और खूब हंस रहे थे। फिर मै सास का हाथ पकड़कर सास को दूसरे कमरे में ले गया और फिर हम चुदाई करने लगे। चुदाई के बाद फिर हम वापिस आये तो देखा के मीनू और सीमा तो सो चुकी थी। तब ससुर बाहर वाले कमरे में थे। खेत मे जो कुछ हुआ वो मै सास को पहले ही बता चुका था तो फिर सास मुझे लेकर ससुर के पास चली गई। फिर सास ने ससुर से बातें की और फिर सास तो ससुर के सामने ही मेरे साथ बेड पर लेट गई। फिर सास मुझसे चिपक कर लेट गई तो फिर मै भी सास की कमर में हाथ डालकर लेट गया। फिर सास मुझे फिर से ससुर की कमजोरी के बारे में बातें करने लगी और ससुर भी चुपचाप सुनते रहे। तब गर्मी बहुत थी तो फिर सास ने पहले तो मुझे कपड़े खोलने के लिए कहा तो मै सब कपड़े खोलकर सिर्फ अंडरवियर में रह गया। फिर तो सास ने भी अपना सलवार सूट खोल दिया और सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गई। फिर मैंने सोचा के सास तो ससुर के सामने भी नंगी रह चुकी है और मेरे सामने भी तो उन्हें हमारे सामने ब्रा पैंटी में रहने में क्या दिक्कत हो सकती थी।
फिर मै ससुर के सामने ही सास के बोबो को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा और पैंटी के ऊपर से ही चुत सहलाने लगा। तब मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। फिर सास तो मेरा अंडरवियर नीचे करके मेरा लण्ड सहलाने लगी और फिर खुद भी अपनी ब्रा पैंटी खोलकर नंगी हो गई। फिर ये देखकर ससुर भी देखते ही रह गए। फिर मै सास के बोबो को चुसने लगा। ससुर हमे ही देख रहे थे तो फिर सास ने ससुर भी हमारे पास बुला लिया और फिर वो भी सास के दूसरे बोबे को चुसने लगे। फिर इतना ही नहीं मै ससुर के सामने ही सास की चुत में लण्ड डालकर करने लगा। फिर चुदाई के बाद मेरी ससुर से सब शर्म दूर हो गई। फिर मैंने सास एक बार और चुदाई की। फिर हम दोनो कपड़े पहनकर वहां से आ गए। फिर शाम को खाना वगैरह खाने के बाद ससुर तो बाहर ही सो गए। फिर सीमा ससुर की बहन के साथ आंगन में सोने वाली थी। फिर सास और मीनू दोनो थोड़ा तैयार होकर आई और फिर वो मेरे साथ दूसरे कमरे में चली गई। तब ये ससुर की बहन देखती ही रह गई। फिर उस रात मैंने उन दोनों माँ बेटियों की जमकर चुदाई की। फिर अगले दिन सुबह मै जल्दी उठकर कमरे से बाहर आ गया और फिर सीमा ससुर की बहन के साथ कमरे में गई तो तब दोनो मां बेटियों को नंगी देखकर देखती ही रह गई।
फिर ये देखकर सीमा उन दोनों से पूछने लगी के उन्होंने कितनी कितनी बार चुदाई की तो फिर सास ने कहा के मेरी दो बार और इसकी एक बार। सास के मुंह से ये सुनकर सीमा हँसने लगी और ससुर की बहन तो बेचारी शर्मा ही गई। ससुर की बहन भोली भाली सी थी। तब बच्चे साथ नहीं आये थे तो सीमा सबके साथ खुलकर मजाक कर रही थी। सीमा कुछ ज्यादा ही नटखट है। वो मस्ती मजाक करने का जरा भी मौका नहीं छोड़ती थी। फिर उस दिन दोपहर को जब मै और सास ससुर के पास गए तो हमारे साथ मीनू भी चली गई। फिर हमने आपस मे खूब बातें की। फिर तो उनके सामने ही सास मेरे गले लग गई और फिर मीनू भी मेरे गले लग गई। फिर उन दोनों के साथ मै बेड पर लेट गया। फिर मीनू को नींद आ गई तो फिर मै तो कपड़े खोलकर नंगा हो गया और फिर मैंने सास से नंगी होने के लिए कहा तो पहले तो सास ने कुछ सोचा और मीनू की तरफ देखा लेकिन वो सो रही थी तो फिर सास भी नंगी हो गई और फिर मै और सास चुदाई करने लगे। फिर चुदाई के बाद हम दोनो नंगे ही लेटे रहे। फिर सास ने कपड़े पहन लिए और मैंने सिर्फ अंडरवियर पहन लिया और फिर मै मीनू के बोबो में मुंह डालकर सो गया। फिर हम थोड़ी देर के बाद उठे और फिर सास अंदर से हमारे बच्चे को लेकर आ गई। वो रो रहा था तो फिर मीनू तो वहीं ससुर के सामने ही अपना एक बोबा बाहर निकालकर उसे दूध पिलाने लगी। ये एकदम नॉर्मल था। लेकिन मीनू भी अब पापा से ज्यादा कुछ शर्म नहीं करती थी तो फिर वो अपना पहला बोबा बिना अंदर डाले ही दूसरा बोबा निकालकर बच्चे को दूध पिलाने लगी। तब मीनू के दोनो बोबो बाहर थे। फिर इतना ही नहीं दूध पीने के बाद ससुर बच्चे के साथ खेलने लगे और मीनू वैसे ही बैठी रही।
फिर मै मीनू के बोबो को चुसने लगा तो ये देखकर सब हँसने लगे। फिर तो सास ने भी अपने बोबे बाहर निकाल लिए और फिर मैंने सास के बोबे भी चूसे। इस तरह फिर तो ये रोज की ही बात हो गई। सास और मीनू बिना शरमाये ससुर के सामने अपने दोनो बोबो बाहर निकाल कर बैठ जाती थी। फिर एक दिन तो सास ने अपना कुर्ता और ब्रा निकालकर ऊपर से नंगी होकर बैठ गई। तब मै सास के बोबो को सहलाने और दबाने लगा। मीनू भी अब अपने पापा के सामने खुल चुकी थी तो फिर वो भी अब खुलकर मस्ती करने लगी थी। वो सास के बोबो को सहलाती और फिर मौका देखकर मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरा लण्ड भी सहला देती थी। हालांकि उसे ऐसा करते हुए ससुर ने देख भी लिया था। पर ससुर क्या कर सकते थे। इस तरह फिर कुछ दिन रहने के बाद ससुर और उनकी बहन चले गए। हालांकि ससुर हमसे मिलने के लिए आते रहते थे।
फिर उनके जाने के बाद मै दिन में लगभग खेत मे ही रहता था। जिस कारण उधर घर पर सास, मीनू और सीमा तीनो बहुत मस्ती करती। सास और मीनू के साथ साथ अब सीमा भी नंगी रहने लगी थी। फिर जब शाम को मै घर जाता तो तब सीमा तो पूरे कपड़े पहन लेती और सास और मीनू ब्रा पैंटी में ही रहती। उन्हें देखकर मै गर्म हो जाता तो फिर तो मै सीमा के सामने ही उनके बदन को सहलाने लग जाता। ये देखकर सीमा हँसने लगती। फिर तो मै उन दोनों की ब्रा खोलकर उन्हें ऊपर से नंगी कर देता और उनके बोबो को चुसने लग जाता। फिर तो सास या मीनू सीमा के पास जाकर मेरे सामने ही उसके बदन को सहलाने लग जाती और फिर सीमा गर्म हो जाती तो फिर वो बैगन लेकर दूसरे कमरे में चली जाती। फिर थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आती तो वो काफी शांत होती और हमे देखकर मुस्कुराने लग जाती। फिर एक बार मैंने उन तीनों की बातें सुनी तो मै सुनता ही रह गया। तब वो तीनो चुदाई की बिल्कुल खुलकर बातें कर रही थी। तब सीमा अपनी चुदाई की बातें बता रही थी। उसके मुंह से ऐसी बातें सुनकर तो मै सुनता ही रह गया। हम चारो रात को सोने से पहले काफी बाते करते थे। फिर बाते करते करते ही मै सास या मीनू को ऊपर से नंगी कर लेता और फिर वो अपने कम्बल ले लेती तो मै उनकी पैंटी और अपना अंडरवियर भी निकाल देता और फिर पीछे से मै उनकी चुत में करने लग जाता।
तब सीमा को भी पता चल जाता था पर मै बिना किसी शर्म के सास और मीनू की चुदाई करता रहता। उधर फिर शायद सीमा भी नीचे से नंगी होकर अपने ऊपर कम्बल लेकर अपनी चुत में बैगन डाल कर कर लेती थी। फिर एक दिन तो मीनू ने सीमा का ऊपर से कुर्ता निकाल दिया तो फिर अब सीमा सिर्फ ब्रा में थी। लेकिन तब उसे ऐसे देखकर मुझे और सीमा को एक दूसरे से बिल्कुल भी शर्म नहीं आई। फिर एक बार तो मीनू ने सीमा को नीचे से भी नंगी कर दिया था और फिर वो कम्बल ओढ़कर ऐसे ही सो गई थी। फिर सुबह मैंने देखा के सीमा करवट लेकर सो रही थी तो पीछे से वो पूरी नंगी दिख रही थी। फिर तो रात को मीनू और सास तो पूरी नंगी होकर ही रहने लगी और फिर सीमा भी अब ऊपर ब्रा में होती नीचे से नंगी कम्बल लेकर बैठी रहती। फिर मै तो सीमा के सामने ही मीनू और सास की चुत को सहलाता रहता। फिर ये देखकर सीमा भी अपनी चुत सहलाती रहती। तब नंगा तो मै भी होता था पर मेरे आगे सास या मीनू लेटी रहती थी तो सीमा को मेरा लण्ड नहीं दिखता था। उधर एक दिन तो फिर सीमा ने ब्रा भी खोल दी थी तो वो बस कम्बल ओढ़कर नंगी ही सोई हुई थी। फिर जब सुबह मै उठा तो फिर तब सीमा के बोबे दिख रहे थे। लेकिन ये देखकर मुझे ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ा था। फिर उस दिन दोपहर बाद जब मै घर आया तो देखा के तब सीमा एकदम नंगी आंगन में खड़ी थी। फिर मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगी वहीं खड़ी खड़ी। वो वहां से कहीं नहीं गई। फिर तभी वहां सास भी आ गई और फिर उन्होंने मुझसे कहा के सीमा आज से नंगी ही रहेगी। फिर मैंने कहा के मैंने कब रोका है तो। ये सुनकर सीमा हँसने लगी।
फिर सीमा मेरे पास आकर मेरे गले लग गई। तब अपनी नंगी बड़ी बहन ओ अपनी बाहों में पाकर मुझे यकीन नहीं हो रहा था। फिर मैंने भी कह दिया के मै भी नंगा रहूंगा फिर तो। ये सुनकर फिर हम सब हँसने लगे। फिर मै नंगा होकर आंगन में ही नहाने लगा। तब वो तीनो नंगी वहीं घूम रही थी। सीमा को नंगी घूमता देखकर मुझे काफी मजा आ रहा था। फिर तब मेरा लण्ड खड़ा था तो फिर मेरे लण्ड को देखकर सीमा बोली के आज पता चला के आप इन दोनों को इतना खुश कैसे रख पाते हो। फिर मैंने सीमा से पूछा के तुम खुश तो रहती हो ना। फिर सीमा कहने लगी के मेरे पति ज्यादा हंसते बोलते नहीं है पर चुदाई अच्छी कर लेते है। फिर ये सुनकर मै सीमा के गुदगुदी करने लगता हूँ तो फिर सीमा मेरी बाहों में आ जाती है फिर आदत के अनुसार मेरे हाथ सीमा की गाँड पर चले जाते है तो फिर सीमा कुछ नहीं कहती है। फिर सीमा बोली के मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ तो तुम भी मुझसे ज्यादा शर्माना मत। ये सुनकर तो मै सीमा की गाँड दोनो हाथों से पकड़कर दबाने लगता हूँ और हम सब हँसने लगते है।
फिर खाना खाने के बाद मै सीमा के साथ लेटकर उसके बोबो को सहलाने लग जाता हूँ और फिर चुसने लगता हूँ तो फिर सीमा भी अपने बोबे मुझे चुस्वाने लगती है। फिर इतना ही नहीं मै सीमा की चुत भी सहलाने लगता हूँ तो सीमा गर्म हो जाती है। फिर सीमा के सामने ही मै सास और मीनू की चुदाई शुरू कर देता हूँ और फिर सीमा भी अपनी चुत में एक बड़ा बैगन डालकर करने लगती है। फिर तब सास कहती है के सीमा को लण्ड की जरूरत है। फिर वो मेरी तरफ देखती है तो फिर मै सीमा के ऊपर जाकर उसकी चुत में लण्ड डाल देता हूँ तो तब सीमा को काफी मजा आता है और वो मुझे चुदाई के लिए कहती है तो मै फिर सीमा की जमकर चुदाई करता हूँ। चुदाई के बाद सीमा काफी खुश हो जाती है। फिर तो मै रोज ही उसकी चुदाई करने लगता हूँ। फिर तो वो तीनो मेरे लण्ड को बारी बारी से चुस्ती है और फिर चुदवाती है। फिर तो हम दिन रात चुदाई करने लगे।
सीमा को आये हुए काफी दिन हो चुके थे तो सीमा को अब अपने ससुराल जाना था पर सीमा का जाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था। उधर मीनू भी सीमा को रुकने के लिए काफी कह रही थी। पर फिर सास ने उन दोनों को समझाया तो तब जाकर सीमा तैयार हुई। फिर रक्षाबंधन आने वाला था तो मैंने अपनी जीजाजी को उसी दिन बुला लिया। फिर सास ने ससुर और अपने बेटे कमल को भी उसी दिन बुला लिया। फिर वो लोग आ गए और शाम को फिर खाना वगैरह खाने के बाद जीजाजी और मेरे ससुर तो बाहर लेटकर आराम करने लगे और फिर अंदर हम सब नंगे हो गए। फिर सीमा ने मेरे लण्ड पर राखी बांधी और फिर राखी बांधने के बाद मैंने सीमा की चुदाई की। उधर फिर मीनू ने भी अपने भाई के लण्ड पर राखी बांधी। मीनू का भाई कमल तब 11 साल का था। क्योंकि वो मीनू से करीब 7-8 साल बाद में हुआ था। मीनू तब लगभग 20 साल की हो चुकी थी। फिर उस रात मैंने सीमा की काफी चुदाई की। यहाँ तक कि जाने से पहले उसकी चुत में मेरा ही लण्ड था। फिर जीजाजी सीमा को लेकर चले गए तो फिर घर पर हम ही रह गए। फिर सास तो ऊपर से नंगी ही रहने लगी और मीनू ब्रा में रहने लगी। लेकिन बच्चे को दूध पिलाते टाइम तो मीनू अपने दोनो बोबो को बाहर निकाल लेती थी। फिर बातों ही बातों में सास ने ससुर मेरी और सीमा की चुदाई के बारे में भी बता दिया तो ससुर थोड़ा हैरान हो गए। लेकिन अब सब शर्म जा चुकी थी। उधर सास ने कमल को भी नंगा रखा था। फिर तो सास सिर्फ पैंटी में ही रहने लगी। उधर मीनू भी बच्चे को दूध पिलाने के बाद भी अपने बोबे ब्रा से बाहर रखकर ही घूमती रहती थी तो फिर सास ने उसे ब्रा खोलने के लिए कहा तो फिर मीनू ऊपर से बिल्कुल नंगी ही रहने लगी। फिर एक दिन दोपहर को ससुर और मीनू बेड पर लेटे थे और मै और सास चारपाई पर। तब मीनु बच्चे को दूध पिलाकर ससुर की तरफ करवट लेकर लेटी थी तो फिर ससुर मीनू के बोबे चुसने लगे। फिर मीनू भी अपने पापा को दूध पिलाने लगी। ये देखकर मै और सास मुस्कुराने लगे।
फिर मैंने सास की पैंटी और अपना अंडरवियर खोलकर वहीं सास की चुदाई करने लगा। तब फिर मीनू सीधी होकर लेट गए तो ससुर फिर उठकर मीनू के ऊपर आकर उसके बोबो को चुसने लगे। इसी बीच ससुर लुंगी में थे तो उनकी लुंगी खुल गई और फिर मीनू ने धीरे से उनकी लूंगी खींचकर बेड के नीचे गिरा दी। अब ससुर बिल्कुल नंगे मीनू के बोबो को चूस रहे थे। फिर ये देखकर मै, सास और मीनू मुस्कुराने लगे। तब तक ससुर को पता नहीं चला था तो वो मीनू के बोबो को चुसने में ही व्यस्त थे। फिर मीनू ने ससुर को अपने ऊपर से हटाया तो वो दोनो बैठ गए। फिर ससुर अपनी लुंगी ढूंढने लगे तो फिर मीनू अपने पापा के पैर चौड़े करके उनके लण्ड को देखने लगी। उधर सामने मै और सास नंगे बैठे थे। फिर ससुर अपनी लुंगी उठाने का प्रयास करने लगे तो फिर मीनू ने कहा के रहने दीजिए अभी ऐसे ही सो जाइये तो फिर ससुर वैसे ही सो गए। फिर मीनू अपने पापा की तरफ करवट लेकर लेट गई और उनके सिर को अपने बोबो में दबा लिया। फिर सास भी मेरा सिर अपने बोबो में दबाकर लेट गई। फिर हम उठे तो फिर मै और सास नंगे ही रहे। फिर सास नंगी ही चाय वगैरह बनाकर लाई। फिर शाम हुई तो मै और ससुर आंगन में चारपाई पर बैठ गए। तब हम दोनो नंगे थे और ससुर बच्चे को खिला रहे थे और कमल भी वहीं बैठा था। तब सास तो नंगी ही थी और फिर मीनू ने अपनी सलवार खोल दी और सिर्फ पैंटी में ही रहकर घूमने लगी।
फिर उस दिन रात को सास कमल के साथ लेट गई और फिर मीनू ससुर के साथ लेटकर ससुर और अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी। फिर वो उठकर मेरे पास आ गई तो मैंने उसकी पैंटी खोल दी और फिर मै उसकी चुदाई करने लगा। तब वहां लाइट थी तो सब हमे आराम से देख सकते थे। फिर सुबह हुई तो फिर ससुर उठ चुके थे। तब बच्चा रो रहा था तो फिर वो उसे चुप करवा रहे थे। तब फिर उन्होंने मीनू को आवाज लगाई तो फिर मीनू नंगी ही उठकर ससुर से बच्चा लेकर उसे दूध पिलाने लगी। फिर दूध पिलाने के बाद वो ससुर को बच्चा देने गई तो फिर वो ससुर के साथ ही बैठ गई और फिर वो दोनो बच्चे से खेलने लगे। तब मीनू एकदम नंगी थी। फिर तभी सास भी उठ गई। फिर सास और मीनू नंगी ही घर का काम करने लगी। फिर सब काम करने के बाद मीनू अपने पापा को नहलाने लगी और नहलाते टाइम उसने अपने पापा के लण्ड को अच्छी तरह साफ किया। फिर मीनू ने कमल को भी नहलाया। फिर खाना वगैरह खाने के बाद मीनू अपने पापा और बच्चे के साथ बेड पर लेट गई और सास मेरे और कमल के साथ। फिर मीनू तो अपने पापा से चिपक कर लेट गई और ससुर का हाथ मीनू के बोबो पर था। इतना ही नहीं फिर मीनू अपने पापा के ऊपर जाकर उन्हें बोबे चुस्वाने लगी। फिर ससुर मीनू के ऊपर चले गए और मीनू के बोबो को चुसने लगे। तब मीनू पैर खोलकर लेटी थी तो तब ससुर का लण्ड उसकी चुत से लग रहा था। तभी बच्चा रोने लगा तो फिर सास उठकर बच्चे को ले आई और उसे चुप करवाने लगी। फिर मै उठकर ससुर और मीनू के पास जाकर लेट गया। फिर थोड़ी देर बाद जब ससुर मीनू के ऊपर से उतर गए तो फिर मै मीनू की चुदाई करने लगा।
ससुर तब गौर से हमारी चुदाई देख रहे थे और अपने लण्ड को सहला रहे थे। हालांकि तब ससुर का लण्ड खड़ा नहीं था। ये देखकर मीनू हँसने लगी। फिर चुदाई के बाद मीनू हम दोनो से चिपक कर सो गई। फिर इसके बाद तो मै खुलकर मीनू और सास की चुदाई करने लगा ससुर के सामने ही। फिर एक दिन ससुर मेरा लण्ड पकड़कर सहलाने लगे और मेरे लण्ड और बॉडी की काफी तारीफ की। इसके बाद तो कई बार मैंने सास और मीनू की एक साथ भी चुदाई की। फिर चुदाई के टाइम ससुर भी सास और मीनू के बोबो को सहलाने लग जाते और उनकी चुत चूसते रहते। फिर तो ससुर भी नंगे रहने लगे और वो जब चाहे तब सास और मीनू के बदन को सहलाने लग जाते। इससे वो गर्म हो जाती तो फिर मै उनकी चुदाई कर देता। इतना ही नहीं फिर तो ससुर मेरा लण्ड भी चुसने लगे और चूसकर खड़ा कर देते थे।
ससुर मेरे नजदीक के गांव के ही थे तो वो कभी भी हमारे घर आ जाते थे। मेरे पास काफी जमीन थी तो फिर वो जमीन को संभालने में भी मेरी मदद करने लगे थे। उधर सास घर पर रहकर सारे घर को संभालती थी और वो भी मुझे बाहर के कामो में काफी अच्छी राय देती थी। इस कारण मेरी जिंदगी अब बहुत अच्छे से चल रही थी। सास और मीनू अब साथ मे मां बेटी कम और मेरी बीवी बनकर ज्यादा रहती थी। वो वैसे तो सब काम साथ साथ ही करती थी पर मीनू अपने से पहले अपनी मां को ही मुझसे चुदवाती थी और रात को लगभग मै और सास ही एक साथ सोते थे। हमने सब रिश्तेदारों और लोगो को बता रखा था के मीनू की तबियत ठीक नहीं रहती है तब सास मेरे पास रहती है पर असली कहानी भी सबको पता थी पर कोई कुछ कहता नहीं था।
फिर एक बार सास का भाई और सास की मां सास से मिलने आये तो मैंने सास के भाई को अपने खेत वगैरह दिखाए तो वो काफी खुश हो गया। उधर सास अपनी मां के सामने भी पूरी सजधजकर रहती और मीनू के साथ मेरे कमरे में ही रहती। हालांकि सास की मां और भाई को भी ससुर के बारे में पता था तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। वैसे तो सास और मीनू घर पर नंगी ही रहती थी पर उन्होंने अपने लिए टाइट सूट सिल्वा रखे थे और उनका गला भी बड़ा था। जिसके कारण उनके बोबे दिखते रहते थे और वो काफी सेक्सी लगती थी। फिर सास तो अपनी मां और भाई के सामने ही ऐसे सूट पहनकर ही रहती। फिर तब ससुर भी आये हुए थे। अब सास को ना ही किसी से शर्म थी और ना ही डर। फिर मैंने सास के भाई को अपनी बॉडी दिखाई और उसे एहसास दिलाया के उसकी बहन के लिए मै ही सबसे अच्छा हूँ। उधर फिर रात को सास का भाई और ससुर तो बाहर सो रहे थे तो फिर अंदर आंगन में मै सिर्फ लुंगी में ही चला गया। तब सास और उनकी मां और मीनू बैठी थी। फिर मुझे देखकर सास खड़ी होकर मुझसे चिपक गई और फिर मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी। ये देखकर सास की मां हँसने लगी। फिर मै भी सा की कमर में हाथ डालकर खड़ा हो गया। सास को मेरे साथ खुश देखकर सास की मां भी खुश थी। फिर तभी मीनू भी मेरी दूसरी साइड में आकर खड़ी हो गई। फिर मैंने उसकी कमर में भी हाथ डाल लिया।
उन दोनों मां बेटी को मेरे साथ ऐसे देखकर सास की मां तो देखती ही रह गई। फिर सास की मां कहने लगी के जब औरत को ऐसा वैसा पति मिल जाता है तो उसकी जिंदगी खराब हो जाती है। फिर सास बोली के अब मुझे अच्छा पति मिल गया है। फिर मै मीनू और सास को लेकर कमरे में चला गया। उस कमरे के बिल्कुल आगे ही सास की मां चारपाई पर मेरे और मीनू के बच्चे को लेकर सोई थी। फिर अंदर जाते ही हम तीनों चुदाई करने लगे। तब सास और मीनू की सिसकारियों की आवाजें बाहर तक सुनाई दे रही थी। हमने कमरे का गेट भी पूरा बंद नहीं किया था। फिर सुबह सास जल्दी उठ गई थी और मै और मीनू नंगे ही लेटे हुए थे। फिर मेरी आँख खुली तो मैंने देखा के सास अपनी मां के सामने बिल्कुल नंगी ही घूम रही है। उधर फिर मीनू को जाग आई तो फिर वो भी बस एक कपड़ा लपेटकर कमरे से बाहर चली गई। फिर मैंने सास को आवाज दी तो फिर वो नंगी ही मेरे लिए चाय लेकर आ गई। फिर तब एक बार और मैंने सास की चुदाई की।
फिर दिन थोड़ा और चढ़ा तो फिर सास और मीनू ने कपड़े पहन लिए। फिर मै सिर्फ अंडरवियर में ही सास की मां के पास जाकर बैठ गया तो फिर वो मेरे बदन को गौर से देखने लगी। फिर उन्होंने मेरी बॉडी को छूकर भी देखा। मेरे अंडरवियर में मेरा लण्ड खड़ा हो गया था तो वो ये देखकर देखती ही रह गई। फिर सास मेरे नजदीक खड़ी थी तो फिर मैंने सास का हाथ पकड़कर उन्हें अपनी गोद मे बैठा लिया। फिर वो मेरी गोद मे बैठी रही और हम ऐसे ही बातें करने लगे। ये सब देखकर तो सास की मां देखती ही रह गई। फिर मै गर्म हो गया तो मैंने धीरे से सास को कमरे में चलने के लिए कहा तो सास कमरे में चली गई और फिर पीछे पीछे मै भी चला गया। फिर कमरे का गेट बंद किये बिना ही मै और सास एक दूसरे से चिपक गए। तब सामने सास की मां बैठकर देख रही थी। फिर मै उनके सामने ही सास के बोबो को दबाने लगा और सास को बेड पर लेटाकर किस करने लगा।
तब फिर मैंने सास को नंगी कर दिया और फिर सास की चुत मारने लगा। तब सास की मां को सास के कमर के ऊपर का हिस्सा ही दिख रहा था। लेकिन सास की मां को ये पता चल गया था के मै सास की चुदाई कर रहा हूँ। जब वहां मीनू भी बैठी थी तो फिर वो भी ये सब देख रही थी। तब सास जोर जोर से सिस्कारियाँ भी ले रही थी। फिर मै झड़ने लगा तो फिर मै अपना पानी सास के बदन पर डालने लगा तो सास हँसने लगी। तब शायद सास की मां को भी मेरा लण्ड दिख गया था। फिर चुदाई के बाद सास नंगी ही खड़ी हुई तो सास के बोबो और सास के मुंह पर मेरा पानी लगा था। फिर चुदाई के बाद कपड़े पहनकर मै कमरे से बाहर चला गया।
फिर मै सास के भाई और ससुर को लेकर खेत चला गया। फिर बाद में आकर मैंने सास से पूछा के उनकी मां ने कुछ कहा क्या। तो फिर वो बोली के कुछ नहीं कहा। फिर सास की मां मेरे साथ भी पहले के जैसे ही बातें कर रही थी। फिर तभी मीनू सास से अपने कपड़ों के बारे में कुछ पूछने के लिए नंगी ही कमरे से बाहर आ गई। तब फिर मुझे बैठा देखकर वो हँसने लगी और फिर से अंदर चली गई। फिर मै भी कमरे में चले गया और फिर सास की तरह मीनू की भी चुदाई करने लगा। फिर चुदाई के बाद मै तो नहाने चला गया और फिर मीनू ब्रा पैंटी पहनकर घूमने लगी। उधर सास और उनकी मां खाना बनाने लगी। तब सास को काफी गर्मी लग रही थी तो फिर सास ने भी सब कपड़े खोल दिये और ब्रा पैंटी में रह गई। फिर तभी किसी काम से ससुर अंदर आये तो फिर सास वैसे ही ससुर के पास चली गई। इतना ही नहीं मीनू भी तब ससुर के सामने ब्रा पैंटी में घूम रही थी तो ये देखकर सास की मां को झटका लगा।
फिर जब सास की मां ने सास से इस बारे में पूछा तो सास ने उन्हें सब कुछ बता दिया। यहां तक कि सास ने मेरी और सीमा की चुदाई के बारे में भी बता दिया तो सास सुनकर हैरान हो गई। फिर सास ने अपनी ब्रा पैंटी भी खोल दी और नंगी ही घूमने लगी। फिर सास और मै एक साथ नहाने चले गए। फिर नहाने के बाद मैंने तो टॉवल बांध लिया पर सास नंगी ही कमरे में चली गई। फिर सास की मां नहाने चली गई तो फिर सास तैयार होने लगी। फिर सास और मीनू दोनो कपड़े पहनकर तैयार हो गई। फिर सास के भाई और ससुर को खाना खिलाने के बाद वो तो सो गए और मै अंदर आ गया। फिर मै अंडरवियर में आ गया और फिर सास और मीनू ब्रा पैंटी में। फिर हम सब बातें करने लगे। फिर सास की मां ने सास से मेरा मेरा बच्चा पैदा करने के लिए कह दिया तो ये सुनकर सास काफी खुश हो गई। फिर सास की मां ने सास से मेरे साथ नई जिंदगी शुरू करने के लिए कहा। फिर सास ने अपनी मां को हमारी शादी के बारे में बताया तो वो सुनकर काफी खुश हुई लेकिन फिर वो बोली के मैं तुम दोनो की फिर से शादी करवाउंगी। फिर मैंने और सास ने सास की मां के पैर छुए तो उन्होंने हमें अपने गले लगा लिया।
फिर सास की मां और मीनू बच्चे को लेकर बेड पर ही लेट गई और मै और सास चारपाई पर लेट गए। फिर सास की ब्रा उतारकर मै सास के बोबो को चुसने लगा। फिर मै सास की पैंटी में हाथ डालकर सास की चुत सहलाने लगा तो ये देखकर सास की मां मुस्कुराने लगी। फिर सास ने हमारे ऊपर एक कम्बल ले लिया और फिर कम्बल के नीचे से सास ने अपनी पैंटी और मेरा अंडरवियर उतार दिया। फिर सास करवट लेकर लेट गई तो फिर पीछे से मै सास की चुत मारने लगा और सास के बोबो को सहलाने लगा। तब सास की मां ने हमसे कहा के अभी बच्चा मत करना शादी के बाद ही करना। तो फिर मै झड़ने वाला हुआ तो फिर सास मेरा लण्ड चुसने लगी और सारा पानी पी गई। फिर मै और सास पेशाब करने के लिए खड़े हुए तो फिर मै भी नंगा ही खड़ा हो गया और फिर अंगड़ाई लेते हुए अपनी बॉडी सास की मां को दिखाने लगा। फिर मुझे देखकर सास की मां मुस्कुराती हुई खड़ी हुई और आकर मेरे गले लगकर बोली के हर औरत चाहती है के उसके तुम्हारे जैसा मर्द बेटा और पति हो। फिर मैंने भी सास की मां को अपनी बाहों में भर लिया। फिर सास की मां बोली के आज से मै तेरी मां और तू मेरा बेटा है। फिर ये सुनकर मै बोला के ठीक है। फिर सास भी मेरे गले लग जाती है तो फिर मै पीछे से उसकी गाँड सहलाने लगता हूँ। फिर उधर मै मेरी माँ यानी सास की मां के बोबो को पकड़ लेता हूँ तो ये देखकर सास की मां हँसकर कहती है के हां हां दूध पिला दूंगी पहले तुम पेशाब करके आ जाओ। तो फिर मै और सास एक दूसरे की कमर में हाथ डालकर पेशाब करने चले जाते है।
फिर हम वापिस आते है तो फिर मै देखता हूँ कि स की मां अपने दोनो बोबे बाहर निकालकर लेटी होती है तो फिर मै उनके पास लेटकर उनके बोबो को चुसने लगता हूँ और फिर सो जाता हूँ। फिर थोड़ी देर सोने के बाद हम उठ जाते है और सास हमारे लिए चाय बनाकर ले आती है तो हम सब चाय पीने लगते है। फिर मै सास की मां के कुर्ते को खोलकर उन्हें ऊपर से नंगी कर देता हूँ और फिर उनके बोबो को खूब दबाता और चूसता हूँ। फिर मै सास की मां की गाँड भी सहलाने लगता हूँ तो वो कुछ नहीं कहती है। फिर मै सास की गालों और होंठो पर भी किस कर देता हूँ। फिर मेरा हाथ उनकी चुत पर चला जाता है तो वो सोचती है मै उनकी चुत देखना चाहता हूँ तो फिर वो खुद ही अपनी सलवार खोलकर नंगी हो जाती है। फिर मै सास की मां की चुत को सहलाता हूँ और फिर किस भी कर देता हूँ। फिर वो मुझसे कहती है के अब हम मां बेटे है तो हमे एक दूसरे से शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। फिर मै लेटकर सास के बोबे चुसने लगता हूँ और साथ मे गाँड सहलाने लग जाता हूँ। तब मेरा लण्ड एकदम टाइट हो जाता है तो फिर सास की मां से और मीनू को अपने पास बुलाती है और फिर हम तीनों को मजे करने के लिए कहती है। फिर मै उन दोनों की जमकर चुदाई करता हूँ। चुदाई देखकर सास की मां बहुत खुश होती है। फिर वो मुझे कहती है के मै तुम्हारी और मेरी बेटी यानी मेरी सास की फिर से शादी करवाउंगी। इसके बारे में अभी मै अपने बेटे को भी बता देती हूँ।
मेरी सास का भाई यानी सास की मां का बेटा सास से बड़ा था और उसकी उम्र 40 के लगभग थी। उनसे मेरी दोस्ती हो गई थी और उन्हें भी ससुर की कमजोरी के बारे में पता था। फिर सास की मां ने शाम को अपने बेटे और मेरे ससुर को घर के अंदर बुलाया। तब मेरी सास ने एक टाइट सूट पहना था और उनके बोबो के उभार काफी सेक्सी लग रहे थे। फिर सास की मां ने मेरी और अपनी बेटी की शादी की बात उन्हें बताई तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। ससुर तो क्या ही कहते और सास का भाई अपनी मां की बात को नहीं टाल सकता था और वैसे भी वो सब जानता था। फिर उस दिन शाम को मै, ससुर और सास का भाई खेत देखने गए तो फिर वहां किसी बहाने से मै उनके सामने नंगा हो गया। तो मुझे नंगा देखकर सास का भाई तो देखता ही रह गया। फिर वो मुझसे बॉडी बनाने के बारे में पूछने लगा तो मैंने उन्हें सब कुछ बताया। फिर शाम को हम घर वापिस आ गए। मेरी सास का भाई जो कि मेरा साला बनने वाला था उसका नाम सुरेंद्र था। सुरेंद्र सास से बड़ा था और वो दो ही भाई बहन थे।
फिर शाम को खाना वगैरह खाने के बाद मै सुरेंद्र को लेकर घर की छत पर चला गया और फिर वहां सास जिनका नाम संगीता था वो भी आ गई। फिर हम बातें करने लगे और फिर सुरेंदर ने हम दोनो की जोड़ी को अच्छी बताया और हमे सदा खुश रहने का आशीर्वाद दिया। फिर मैंने सुरेंदर के सामने ही संगीता की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपका लिया तो फिर संगीता भी बिना शर्म किये मेरे साथ खड़ी हो गई। तब संगीता काफी सेक्सी लग रही थी। मेरा लण्ड देखकर सुरेंदर को भी यकीन हो गया था के संगीता को मै ही खुश रख सकता हूँ। फिर इसके बाद तो संगीता मेरे ससुर यानी अपने पहले पति के सामने भी खुलकर बातें करने लगी थी और फिर उनके सामने मै संगीता की कमर में हाथ भी डाल लेता था। फिर तो सुरेंदर कई बार हम दोनो को चूमा चाटि करते हुए भी देख चुका था। पर फिर हमें कहा कुछ भी नहीं।
फिर जब मै, सुरेंदर और ससुर के साथ खेत जाता तो फिर एक दिन मै संगीता को भी अपने साथ खेत ले गया। फिर खेत मे जाकर मै सिर्फ अंडरवियर में रहकर ही घूमने लगा तो तब संगीता मेरी बॉडी को देखकर मुस्कुराने लगी। फिर इतना ही नहीं तब संगीता के भाई और मेरे ससुर के सामने मैं संगीता की कमर में हाथ डालकर खड़ा हो गया तो फिर संगीता भी मेरी बॉडी को सहलाने लगी। तब मेरे अंडरवियर में मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो चुका था। तब संगीता मेरे लण्ड को देखकर मुस्कुराने लगी। फिर हमने नहाने का प्रोग्राम बनाया तो संगीता हमसे थोड़ा दूर जाकर वहां बने छपरे के पीछे जाकर नहाने लगी और उधर मै नंगा हो गया और फिर मैंने सुरेंदर और मेरे ससुर को भी नंगा कर लिया और फिर हम तीनों नहाने लगे। लेकिन तभी संगीता छपरे के पीछे से भागकर निकली और सांप सांप चिल्लाने लगी। तब संगीता नंगी थी। संगीता को देखकर तो सुरेंदर तो देखता ही रह गया। फिर हम तीनों पानी से बाहर निकले तो हमे देखकर संगीता मुस्कुराने लगी। तभी मै भागकर संगीता के पास चला गया और फिर उसे वापिस छपरे के पीछे ले गया।
तब संगीता ने मुझसे कहा के कोई सांप नहीं हैं मै तो बस नाटक कर रही थी। फिर ये सुनकर मै संगीता के बदन को सहलाने लगता हूँ और फिर हम चुदाई करने लगते है। तब संगीता की सिसकारियों की आवाजें सुरेंदर और मेरे ससुर को भी सुन रही थी। फिर चुदाई के बाद मै और संगीता छपरे के पीछे से बाहर आते है तो तब मै तो नंगा था पर संगीता ने कपड़े पहन रखे थे। उधर तब सुरेंदर और मेरे ससुर ने भी कपड़े पहन लिए थे। फिर मैं भी कपड़े पहन लेता हूँ और फिर हम वापिस घर आ जाते है। फिर उस दिन के बाद तो सुरेंदर मेरे ससुर को भी संगीता के बोबो को सहलाते हुए कई बार देख चुका था। फिर रात को मै और संगीता सुरेंदर और मेरे ससुर के पास बैठकर काफी देर तक बातें करते रहते। तब संगीता कई बार मेरे साथ और कई बार मेरे ससुर यानी अपने पहले पति के पास बैठी होती तो फिर मेरे ससुर तो हमारे सामने ही संगीता के बोबो को सहलाने लग जाते तो कई बार संगीता उनका हाथ अपने बोबो से हटा देती पर कई बार नहीं हटाती। तब ये देखकर सुरेंदर भी उन्हें क्या कहता। क्योंकि ससुर संगीता का पति था। फिर इसी बात का फायदा उठाकर मै भी संगीता के बोबो को सहलाने लगा। फिर इतना ही नहीं एक बार संगीता और मै रात को वहीं चारपाई पर एक साथ सो गए। तब रात को संगीता सिर्फ ब्रा पैंटी पहनकर मेरे साथ सो गई और ऊपर हमने कम्बल ले रखा था। फिर सुबह सुरेंदर को हमसे पहले जाग आ गई तो फिर जब हम उठे तो फिर संगीता उसके सामने ही सिर्फ ब्रा पैंटी में खड़ी होकर वहां से चली गई। तब सुरेंदर तो उसे देखता ही रह गया। फिर इसके बाद एक बार खाना खाने के बाद रात को मैंने सुरेंदर को छत पर बुलाया तो तब सुरेंदर से पहले वहां संगीता आ गई और फिर संगीता ब्रा पैंटी में रहकर मेरे साथ मजे करने लगी। लेकिन तभी वहां सुरेंदर भी आ गया तो फिर सुरेंदर हमे देखकर नीचे जाने लगा तो फिर संगीता ने आवाज लगाकर उन्हें रोक लिया। फिर मैंने भी सुरेंदर से रूकने के लिए कहा। तो फिर संगीता मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई और फिर मै और सुरेंदर बातें करने लगे। तब मै नंगा था तो फिर संगीता ने पीछे से मुझे अंडरवियर देने लगी तो फिर मैंने नहीं लिया और कहा के अब सुरेंदर से क्या शर्माना ये तो मेरा भाई है।
फिर तब सुरेंदर ने कपड़े पहन रखे थे तो फिर मेरे कहने पर वो अंडरवियर में आ गया। फिर मै उसे अंडरवियर भी खोलने के लिए कहने लगा तो वो मना करने लगा। तब हमारी मस्ती मजाक देखकर संगीता सिर्फ ब्रा पैंटी में खड़ी खड़ी ही हँसने लगी। फिर मैंने जबरदस्ती सुरेंदर का अंडरवियर खींचकर खोल दिया और संगीता को दे दिया तो फिर संगीता ये सब देखकर हँसने लगी। तब सुरेंदर संगीता से अपना अंडरवियर नहीं मांग सकता था तो फिर वो नंगा ही खड़ा रहा। फिर हम तीनों बातें करने लगे। तब अंधेरा था तो फिर ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा था। फिर मैंने संगीता को अपने पास खड़ा कर लिया और फिर उसकी कमर में हाथ डाल लिया। फिर कुछ देर बाद मै संगीता को अपने सामने खड़ा करके उसे अपनी बाहों में भर लिया। फिर तो मैंने संगीता को हमारे बीच खड़ा कर लिया। तब सुरेंदर थोड़ा शर्मा रहा था पर संगीता को कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा था। फिर मुझे शरारत सूझी तो मैंने संगीता को धक्का दिया तो फिर वो सीधे जाकर सुरेंदर से चिपक गई और तब सुरेंदर के हाथ संगीता की कमर पर थे। फिर संगीता भी अपने भाई से चिपक कर खड़ी हो गई कुछ देर के लिए।
फिर संगीता वापिस हमारे बीच आकर खड़ी हो गई। तब हम तीनों हँसने लगे। फिर मै संगीता को अपनी बाहों में लेकर खड़ा हो गया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिये। फिर तब सुरेंदर अपना लण्ड सहलाने लगा। फिर मैंने सुरेंदर से कहा के भाभी की याद आ रही है क्या तो सुरेंदर ने कहा के हां। फिर संगीता सुरेंदर से सुरेंदर की बीवी के बारे में बातें करने लगी। फिर मै सुरेंदर से पूछने लगा के उन्हें अपनी बीवी में क्या पसंद है तो फिर तब सुरेंदर भी गर्म हो चुका था और आंख बंद करके खड़ा था। फिर सुरेंदर कहने लगा के उसके बोबे उसे बहुत पसंद है। ये सुनकर संगीता हँसने लगी। फिर तब तक मै संगीता की ब्रा निकालकर उसके बोबो को सहलाने लगा था। फिर मैंने सुरेंदर से पूछा के उसे और क्या पसंद है तो फिर तो सुरेंदर अपनी बीवी के पूरे बदन की तारीफ करने लगा। अपने भाई के मुंह से ये सब सुनकर संगीता भी गर्म हो गई। फिर मैंने संगीता की पैंटी उतारकर उसे पूरी नंगी कर दिया। फिर संगीता आपमे भाई को लण्ड हिलाते हुए देखकर फिर मेरा लण्ड भी हिलाने लगी। फिर मै संगीता की चुत में उंगली करने लगा तो फिर संगीता भी गर्म होकर सिस्कारियाँ लेने लगी। फिर मै संगीता को लेकर सुरेंदर के एक दम पास में खड़ा हो गया। तब अंधेरा तो था पर हम एक दूसरे को आराम से देख सकते थे। फिर कुछ देर बाद ही सुरेंदर के लण्ड से पानी निकलने लगा तो सुरेंदर अपना लण्ड जोर जोर से हिलाने लगा और फिर झड़ गया। झड़ने के बाद मैंने सुरेंदर को लण्ड पोंछने के लिए संगीता की ब्रा दे दी तो वो अपना लण्ड पोंछने लगा। तब संगीता अपनी गर्दन नीची करके खड़ी थी और मै उसकी चुत सहला रहा था तो वो सिस्कारियाँ ले रही थी। तब सुरेंदर संगीता को और मुझे देखने लगा। फिर उसने संगीता से अपने कपड़े लाने के लिए कहा ताकि वो नीचे जा सके। फिर मैंने सुरेंदर से रुकने के लिए कहा। लेकिन वो नहीं माना। फिर मैंने संगीता को कपड़े लाने के लिए कहा तो फिर वो नंगी ही कपड़े लेकर आने लगी।
फिर अंधेरे में मैंने संगीता के पैर के आगे मेरा पैर लगा दिया तो फिर वो सीधे सुरेंदर की बाहों में चली गई। फिर संगीता को पता था के ये मेरी शरारत है पर वो कुछ नहीं बोली। उधर संगीता के बोबे सीधे जाकर सुरेंदर की छाती में लगे। फिर संगीता भी ऐसे नाटक करने लगी जैसे उसका पैर किसी चीज के लग गया हो। फिर वो कुछ देर तो अपने भाई के साथ चिपक कर खड़ी रही और फिर दूर हो गई। फिर सुरेंदर संगीता से एक एक कपड़ा लेकर पहनने लगा। फिर मैंने सुरेंदर से कहा के रात को कौन देखने वाला है ऐसे ही चले जाओ ना तो फिर सुरेंदर आकर मेरे गले लग गया और बोला के तुम मेरे सच्चे दोस्त हो तो फिर मै उसकी पीठ सहलाने लगा। फिर वो सिर्फ अंडरवियर में ही नीचे जाने लगा। तो फिर मै और संगीता भी उसके पीछे पीछे नीचे आने लगे। तब आधी रात हो चुकी थी। तब संगीता की मां और मीनू कमरे में सोए थे। फिर हम तीनों आंगन में आकर खड़े हो गए और तब आंगन में लाइट जल रही थी तो तब संगीता एकदम नंगी साफ दिख रही थी। फिर मैंने सुरेंदर से एक एक कप चाय पीने के लिए कहा और साथ मे बातें करने के लिए कहा तो फिर सुरेंदर मान गया। तब फिर मै सुरेंदर को लेकर कमरे में जाने लगा। फिर संगीता को नंगी देखकर मैंने उससे कहा के ऐसे ही रहना है क्या कुछ पहन लो तो फिर वो हँसने लगी। तो फिर मैंने सुरेंदर से कहा के तुम ही फिर से नंगे हो जाओ ना। तो फिर मैंने उसका अंडरवियर फिर से खींचकर निकाल दिया। तो संगीता हँसने लगी और फिर वो चाय बनाने चली गई और फिर मै और सुरेंदर कमरे में जाकर बेड पर लेट गए।
फिर मै और सुरेंदर एक दूसरे के लण्ड को हिलाने लगे तो हमारे लण्ड खड़े हो गए। फिर तब संगीता चाय बनाकर लेकर आई तो वो हमें देखकर हँसने लगी। तब हम दोनो के लण्ड खड़े थे। फिर तब हम चाय पीने लगे और बातें करने लगे। तब संगीता तो कमरे में हमारे सामने घूमने लगी। कभी वो अपने बाल बनाती तो कभी मेकअप करती। फिर मैंने संगीता को अपनी एक साइड में बैठा लिया। तब हम तीनों ऐसे बातें कर रहे थे जैसे तीनो पति पत्नी हो। फिर सुरेंदर ने अपनी बीवी की काफी सेक्सी बातें की और फिर हम दोनो चुदाई की बातें करने लगे। जिससे सुरेंदर अपना लण्ड हिलाने लगा। तब उनके बीच मे था तो फिर मैंने संगीता को बैठा लिया। फिर संगीता भी अपनी चुत में उंगली करने लगी और मै भी अपना लण्ड हिलाने लगा। फिर जब सुरेंदर झड़ गया तो फिर उसने अपनी आंखें खोली तो फिर संगीता ने उसे एक कपड़ा दिया। जिससे वो अपना लण्ड साफ कर सके। फिर वो अपना लण्ड साफ करके सो गया। तो फिर संगीता बेड के पास रखे टेबल से सामान उठाने लगी तो तब संगीता के बोबे सुरेंदर के मुंह के पास लटक रहे थे तो फिर संगीता अपने बोबो से सुरेंदर का मुंह सहलाने लगी। फिर सुरेंदर ने अपने हाथ से संगीता को साइड करने लगा तो उसके हाथ संगीता के बोबो को लगे तो फिर उसने आंखे खोली तो फिर उसने संगीता को देखा तो फिर संगीता ने उसे कहा के मै कुछ सामान ले रही थी। इतना सुनकर फिर सुरेंदर दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।
फिर मै और संगीता एक दूसरे की तरफ देखकर हँसने लगे। फिर संगीता मेरा लण्ड चुसने लगी और फिर मै संगीता की चुदाई करने लगा और फिर हम भी सो गए। फिर सुबह मै उठा तो देखा के संगीता सुरेंदर से चिपक कर सो रही थी और संगीता का हाथ सुरेंदर के लण्ड पर था। फिर मैंने संगीता को उठाया तो फिर संगीता जानबूझकर सुरेंदर से चिपक कर उसका लण्ड पकड़कर लेट गई। फिर कुछ देर बाद जब सुरेंदर को जाग आई तो संगीता ने उसके लण्ड से हाथ हटा लिया और फिर हम तीनों उठकर बैठ गए और अंगड़ाई लेने लगे। तब संगीता तो अपनी छाती पूरी आगे की तरफ निकालकर बैठी थी। फिर सुरेंदर ने संगीता से चाय बनाकर लाने के लिए कहा तो तब फिर संगीता जानबूझकर घोड़ी बनकर बेड से उतरी और फिर नंगी ही कमरे से बाहर चली गई। फिर संगीता को नंगी जाते देख सुरेंदर ने जब इसके बारे में पूछा तो मैंने सुरेंदर से कहा के आपकी मां तो इस टाइम मंदिर चली जाती है और मीनू क्या कहेगी। हालांकि ये झूठ था। फिर कुछ देर बाद संगीता नंगी ही कमरे में हमारे लिए चाय पानी लेकर आती है। फिर चाय पानी वगैरह पीकर सुरेंदर तो कमरे से बाहर चला जाता है। उधर संगीता अपनी मां को सब बात पहले ही बता चुकी थी। फिर वो जब ये सब सुनती है तो हैरान हो जाती है। फिर मै उनसे कहता हूँ के आगे आगे देखो क्या होता है। फिर मै और सास की मां एक कमरे में छुप जाते है तब हम नंगे होते है और मै उनके बोबे दबाने लग जाता हूँ। फिर पहले मीनू अपने पापा यानी मेरे ससुर को नहाने के लिए बुलाकर लाती है तो फिर वो नंगी हो जाती है और फिर ससुर उसके बोबो को दबाने लगता है। फिर वो अपने पापा के साथ ही नहाने के लिए बाथरूम में चली जाती है। ये देखकर सास की मां तो देखती ही रह जाती है। लेकिन अभी तो असली फ़िल्म बाकी थी।
फिर संगीता सुरेंदर को बुलाकर लाती है और फिर वो दोनो बाथरूम के बाहर ही नंगे हो जाते है। तब ये देखकर तो सास की मां हैरान हो जाती है। फिर संगीता भी सुरेंदर के साथ बाथरूम में चली जाती है और फिर वो उसकी पीठ वगैरह पर साबुन लगाती है। फिर सुरेंदर नहाकर चला जाता है तो फिर संगीता नहाकर हमारे पास आ जाती है। ये सब देखकर तो सास की मां का दिमाग घूम जाता है। फिर मै सास की मां को बेड पर लेटाकर उनके ऊपर जाकर उनके बोबो को चुसने लगता हूँ। फिर मै मीनू और संगीता की चुदाई करता हूँ। फिर चुदाई के बाद मै तो सुरेंदर और मेरे ससुर के पास चला जाता हूँ। फिर पीछे से संगीता हमारे लिए खाना लेकर आती है। तब संगीता ब्रा पैंटी में थी और वो बहुत सेक्सी लग रही थी। फिर खाना खाने के बाद संगीता कमरे में आ जाती है। तब हम तीनों नंगे ही होते है तो फिर मै सबके सामने पहले संगीता की ब्रा खोलता हूँ और फिर पैंटी। फिर ये देखकर ससुर तो एक बार के लिए हैरान रह जाते है। फिर हम सब चुदाई की बाते करने लगते है तो फिर पहले तो संगीता ससुर के पास जाकर लेट जाती है तो फिर ससुर तो संगीता के बदन को सहलाने लग जाते है। उधर सुरेंदर अपनी आंखें बंद करके लण्ड हिलाने लग जाता है। तब सुरेंदर बेड पर लेटा होता है। फिर संगीता उठकर बेड पर अपने भाई के पास जाकर लेट जाती है। तब ये सब सास की मां और मीनू बाहर खड़ी होकर देख रही थी।
फिर तभी सुरेंदर झड़ जाता है तो फिर संगीता कपड़े से उसके लण्ड के पानी को साफ करती है और फिर वो उससे चिपक कर वहीं लेट जाती है। फिर मै संगीता के पास जाकर लेट जाता हूँ और फिर संगीता की चुदाई करता हूँ और फिर संगीता मेरे और सुरेंदर से चिपक कर लेट जाती है। तब सुरेंदर तो सो जाता है तो फिर मै मीनू को कमरे में बुला लेता हूँ तो फिर वो आकर ससुर के पास लेट जाती है और फिर ससुर मीनू के ऊपर आकर उसके बोबो को चूसते है और चुत भी चाटते है। ये सब देखकर तो सास की मां देखती ही रह जाती है। फिर ससुर भी मीनू से चिपक कर सो जाता है तो फिर मै खड़ा होकर सास की मां को कमरे के अंदर ले आता हूँ और चारपाई पर सो लेट जाता हूँ। तब सास की मां को पहले तो डर लगता है लेकिन फिर वो आराम से मेरे पास लेटी रहती है। फिर मै सास के बोबो को खूब सहलाता हूँ और फिर खूब मजे करता हूँ। उधर संगीता और मीनू भी हमे देख रही होती है।
फिर कुछ देर के बाद मीनू और सास की मां तो अंदर चली जाती है और फिर मै और संगीता भी अंदर चले जाते है। फिर ये सब देखकर तो सास की मां भी खुल जाती है। फिर वो मुझे प्यार करते हुए अपने बेटे के सामने मुझे अपने बोबो को चुस्वाने लग जाती है। ये देखकर सुरेंदर को तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। फिर तो सास की मां अपने दोनो बोबे बाहर निकालकर मुझे और सुरेंदर को तो कभी संगीता को चुस्वाने लग जाती है। फिर तो सास की मां अपने दामाद यानी मेरे ससुर की भी शर्म नहीं करती है। फिर तो सास की मां मेरे ससुर के सामने भी अपने बोबो को बाहर रखती है। इतना ही नहीं फिर एक बार तो सास की मां को मै मेरे ससुर के सामने नंगी कर देता हूँ तो फिर वो नंगी ही रहने लग जाती है और फिर ससुर भी उनके सामने ही मीनू से मस्ती कर लेते है। फिर तो सास की मां ऊपर से नंगी रहने लगे जाती है और संगीता सिर्फ ब्रा पैंटी में रहने लगती है। ये देखकर तो घर का माहौल बहुत अच्छा हो जाता है। एक बार मै और सुरेंदर कमरे में नंगे लेटे थे और तभी कमरे में सास की मां आ जाती है। फिर वो आकर हमारे बीच लेटकर हमे अपने बोबे चुस्वाने लग जाती और फिर मै चुपके से सास की मां की सलवार का नाड़ा ढीला कर देता हूँ तो उनकी सलवार नीचे सरक जाती है और फिर सास की मां खुद अपनी सलवार पैरों से पूरी निकाल देती हैं और बिल्कुल नंगी हो जाती हैं।
फिर ये देखकर सुरेंदर को कोई फर्क नहीं पड़ता है। फिर सुरेंदर के सामने ही मै सास की मां की गाँड सहलाता हूँ और फिर चुत के बालो पर भी हाथ फेरता हूँ। फिर सास की मां हम दोनो के बीच से उठकर चली जाती है और फिर वो नंगी ही रहने लगती है। फिर तो संगीता भी नंगी ही रहने लगती है। फिर तो हम सब नंगे ही रहने लगते है। फिर एक दिन जब मै और सुरेंदर कमरे में बेड पर नंगे लेटे थे तो फिर तब सास की मां और संगीता दोनो कमरे में नंगी ही आ जाती है। फिर सास की मां तो मेरे साथ और संगीता सुरेंदर के पास बैठ जाती है। तब संगीता इतनी सेक्सी लग रही थी कोई भी मर्द उसे देखकर चोद ही डाले। फिर मै तो सास की मां के बोबो को और चुत को सहलाने लगता हूँ और उधर संगीता सुरेंदर का एक हाथ पकड़कर अपने बोबे पर और दूसरा हाथ अपनी चिकनी चुत पर रख देती है। तब ये देखकर तो सास की मां भी देखती ही रह जाती है। फिर संगीता सुरेंदर से चिपक जाती है। तब सुरेंदर अपने आप कुछ नहीं कर रहा था। संगीता उससे सब करवा रही थी। फिर संगीता सुरेंदर के ऊपर चढ़कर उससे अपने बोबे चुस्वाने लगती है। उधर मै सास की मां के ऊपर आकर उनके बदन को चूमने लग जाता हूँ। फिर संगीता अपने तेल की बोतल लेकर आती है और फिर सुरेंदर से अपने बोबो की मालिश करवाने लग जाती है। फिर संगीता उल्टी लेट जाती है और फिर अपनी गाँड की मालिश करवाती है।
उधर सास की मां मेरे लण्ड को सहलाने लग जाती है। फिर संगीता सुरेंदर के मुंह को अपने बोबो में डालकर लेट जाती है और फिर वो अपने हाथ से सुरेंदर के लण्ड को हिलाकर उसका पानी निकाल देती है। फिर संगीता सुरेंदर के नीचे लेटा जाती है और फिर संगीता सुरेंदर के मुंह को अपने बोबो में रख लेती है। फिर सुरेंदर संगीता के बोबो को चुसने लगता हैं। उधर फिर मै सास की मां को उल्टा लेटाकर अपना लण्ड उसकी गाँड पर रख देता हूँ और फिर गाँड की दरार में डालकर रगड़ने लगता हूँ। ये देखकर तो सुरेंदर देखता ही रह जाता है। फिर सास सीधी हो जाती है तो फिर मेरा लण्ड सास की मां की चुत पर टिक जाता है और फिर एकदम से अंदर चला जाता है। मेरा लण्ड अपनी चुत में देखकर सास की मां मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगती है और उधर संगीता भी ये देखकर हँसने लग जाती है। फिर मै अपना लण्ड बाहर निकालता हूँ और फिर से सास की मां की चुत में डाल देता हूँ। तब अपनी मां की चुत में मेरा लण्ड देखकर सुरेंदर भी देखता ही रह जाता है। पर कहता कुछ नहीं है। उधर फिर सास की मां को मजा आने लगता है तो फिर मै लण्ड अंदर बाहर करने लगता हूँ और वो सिस्कारियाँ लेने लगती है और कहती है के इतना मोटा लण्ड तो चुत में लेकर मुझे बहुत मजा आ रहा है।
फिर चुदाई के बाद मैं सास की मां की चुत पर अपना पानी निकाल देता हूँ जो कि सास की मां की चुत के बालों में लग जाता है। फिर सास की मां अपनी चुत पर हाथ फेरकर मेरा पानी चाटने लगती है। फिर सास की मां अपने पति के साथ चुदाई की बातें बताने लगती है। वो संगीता और सुरेंदर से कहती है के तुम्हारे पापा तो शादी के बाद से ही मेरी दिन रात चुदाई करने लगे थे और अब भी वो बस वैसे ही चुदाई कर रहे है। फिर मै पीछे से सास की मां की गाँड में उंगली डालता हूं तो उनकी गाँड का छेद भी मुझे बड़ा लगा तो फिर मै दो तीन उंगली और डाल देता हूँ। फिर सास की मां कहती है उन्होंने मेरी गाँड की भी बहुत चुदाई की है। तब सास की मां मेरी तरफ मुँह करके करवट ले लेती है और फिर एक हाथ से अपनी गाँड चौड़ी करके संगीता और सुरेंदर को दिखाने लगती है। फिर संगीता सुरेंदर का हाथ पकड़कर अपनी मां की गाँड पर रख देती है तो फिर सुरेंदर अपनी मां के गाँड के छेद को देखने लगता है। फिर संगीता अपने भाई सुरेंदर के लिए कहती है के ये भी पापा पर ही गया है और भाभी की चुदाई करता ही रहता है। फिर ये सुनकर सास की मां कहती के और नहीं तो क्या। फिर तो सास और सास की मां दोनो मां बेटी जमकर चुदाई की बातें करती है। फिर हम एक दूसरे से चिपक कर सो जाते है।
फिर इसके बाद तो सास और सास की मां सुरेंदर से चिपक कर खड़ी हो जाती है और फिर वो उनके बोबो को खूब दबाता है और चूसता है। उधर मेरे ससुर भी हम सबके सामने ही मीनू के बोबो को दबाने और चुसने लग जाते है। फिर तो मै सबके सामने ही मीनू और संगीता की चुदाई भी करने लगता हूँ। फिर एक दिन संगीता अपनी मां की चुत के बाल साफ कर देती है तो उनकी चुत एकदम चिकनी हो जाती है। फिर तो सास की मां बार बार अपनी चिकनी चुत सहलाकर देखती है और बहुत खुश रहती है। फिर उस दिन वो दोनो मां बेटी अच्छे से अपने शरीर को साफ करती है। वो पूरा दिन बस अपने बदन की साफ सफाई में ही लगी रहती है। ये देखकर मुझे और सुरेंदर को कुछ समझ नहीं आ रहा था। सास की मां की उम्र 55 साल के लगभग थी तो उनके बाल थोड़े थोड़े सफेद थे तो फिर वो अपने बालों को काला कर लेती है तो वो एकदम जवान लगने लग जाती है। फिर वो कमरे में बेड पर नई चादर और नई रजाइयां और बिस्तर लगाती है। तब सर्दी का मौसम शुरू हो चुका था। फिर उस दिन शाम को जल्दी खाना वगैरह खाने के बाद वो मेरे ससुर और मीनू को तो बाहर वाले कमरे में सोने के लिए भेज देती है और फिर मुझे और सुरेंदर को कुछ देर बाद कमरे में आने के लिए कहती है। फिर मै और सुरेंदर सोचने लगते है आखिर क्या प्रोग्राम है आज।
फिर हम बातें ही कर रहे होते है तो संगीता आवाज देकर हम सबको कमरे में बुला लेती है तो फिर हम कमरे में जाते है तो देखते है के सास और उसकी मां एकदम नंगी थी। उन्होंने मेकअप कर रखा था और गले और कमर में ज्वैलरी वगैरह पहन रखी थी। तब वो दोनो काफी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। फिर वो दोनो हमारे पास आकर खड़ी हो जाती और फिर संगीता अपने भाई से चिपक जाती है और वो अपने आप ही उसके बोबो पर हाथ रखकर उन्हें सहलाने लग जाता है और फिर वो भी उसके लण्ड को सहलाने लग जाती है। फिर उधर मै भी सास की मां के बड्डन को सहलाने लगता हूँ और उनकी चिकनी चुत को सहलाकर तो मजा ही आ जाता है। फिर काफी देर तक हम खड़े खड़े ही एक दूसरे के बदन को सहलाते रहते है। फिर संगीता मेरे पास आ जाती है और उसकी मां सुरेंदर के पास चली जाती है। तब वो दोनो हमसे चिपकी हुई होती है और हमारे हाथ उनकी कमर और गाँड पर होते है। तब सुरेंदर तो अपनी मां की चुत और बोबो को मस्ती से सहला रहा था। फिर सास की मां कब सुरेंदर की तरफ पीठ करके खड़ी होती है तब सुरेंदर का लण्ड अपनी मां की गाँड की दरार में होता है और फिर वो झड़ जाता है तो फिर सास की मां अपनी गाँड चौड़ी करके खड़ी हो जाती है और फिर सुरेंदर उनकी गाँड पोंछने लगता है। उधर फिर सास की मां सुरेंदर को और संगीता मुझे लेकर बेड पर चली जाती है और वो हमसे चिपक कर लेट जाती है।
तब सास की मां सुरेंदर के ऊपर आकर सुरेंदर को।अपने बोबे चुस्वाने लग जाती है। उधर मै गर्म हो जाता हूँ तो फिर मै संगीता की चुदाई करने लगता हूँ। चुदाई के बाद संगीता अपने भाई के पास जाकर लेट जाती है और उसकी मां मेरे पास आ जाती है। तब फिर हम सेक्सी चुदाई की बातें करने लगती है। फिर संगीता अपनी मां से पूछती है के आप कितने मर्दो से चुद चुकी हो तो फिर उसकी मां कहती है के तुम्हारे पापा ने ही मुझे बहुत चोदा है। कभी किसी और से चुदाई का मौका ही नहीं मिला। फिर संगीता हँसकर कहती है के आज मौका है जमकर चुदवा लेना। ये सुनकर फिर हम सब हँसने लगते है। फिर संगीता अपने भाई से पूछती है के अगर आपको मुझे किसी से चुदवाना पड़े तो आप मुझे किस से चुदवाओगे। अपने दोस्तों से या हमारे रिश्तेदार में से किसी से। तब सुरेंदर अपनी बहन के बोबे सहलाते हुए बोला के दोस्तो से। तो ये सुनकर संगीता बोली के आपके दोस्त तो आपकी नंगी जवान बहन का चोद चोद कर बुरा हाल कर देंगे। फिर संगीता सुरेंदर के एक एक दोस्त के साथ अपनी चुदाई की कल्पना करके बातें करने लगती है। तब वो साथ मे उसका लण्ड भी हिला रही होती है। फिर वो अपने भाई से कहती है के अगर मै और मम्मी आज की तरह तैयार होकर नंगी ही घर से बाहर चली जाए तो क्या होगा। फिर वो कहती है के लोग तो हमे देखकर ही लण्ड हिलाने लगे और हो सके तो वहीं चोदना भी शुरू कर दे। फिर ये सब सुनकर सुरेंदर का पानी निकल जाता है और फिर उसका पानी अपने हाथ पर महसूस करके संगीता हँसने लग जाती है।
पर बात फिर यहीं खत्म नहीं हुई। फिर सुरेंदर के झड़ जाने के बाद संगीता सुरेंदर को अपनी मां पर चढ़ा देती है और फिर संगीता के कहने पर सुरेंदर अपनी मां के बोबो को चूमते हुए पेट पर चला जाता है और फिर वो अपनी मां की चुत चुसने लगता है और उसकी मां अपने पैर ऊपर की तरफ खोलकर उससे चुत चुस्वाने लगती है। ये नजारा देखने वाला होता है। फिर संगीता सुरेंदर को अपने ऊपर लेटा लेती है फिर उससे अपने बोबो और चुत को चुस्वाने लगती है। जिससे सुरेंदर का लण्ड खड़ा हो जाता है। उधर फिर मै सास की माँ के ऊपर आकर सास के बोबो और चुत को चूसकर उनकी चुत में अपना लण्ड डाल देता हूँ। तब सास की मां की चिकनी चुत चोदकर मुझे बहुत मजा आ रहा होता है। फिर इतना ही नहीं फिर सास मुझे तेल की बोतल देकर अपने पैर पूरे पीछे की तरफ कर लेती है और फिर मै अपने लण्ड पर तेल लगाकर उनकी गाँड में लण्ड डालने लगता हूँ तो मेरे मोटे लण्ड से उन्हें दर्द होने लगता है और वो थोड़ी चिल्लाने लगती है पर मै पूरा लण्ड उनकी गाँड में डाल देता हूँ। तब ये सब संगीता और सुरेंदर भी देखने लगते है। फिर थोड़ी देर ऐसे करने के बाद सास की मां पैर खोलकर घोड़ी बन जाती है और तब फिर पीछे से मै उनकी चुत और गाँड की काफी चुदाई करता हूँ। फिर मै झड़ने वाला होता हूँ तो फिर वो मेरा लण्ड अपने मुंह मे ले लेती है और फिर पूरा पानी पी जाती है। उधर फिर संगीता सुरेंदर से चुत चुसवाते हुए झड़ जाती है और फिर वो अपने भाई का लण्ड हिलाकर उसका पानी निकाल देती है और फिर हम एक दूसरे से चिपक कर और रजाई लेकर सो जाते है। तब रात को ठंड बढ़ गई थी।
फिर सुबह जब मुझे जाग आती हैं तो तब सास की मां मेरा लण्ड हिला रही थी और फिर वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। उधर संगीता सुरेंदर से चिपक कर सो रही थी। फिर सास की मां संगीता को उठाती है तो फिर संगीता अपने ऊपर से रजाई हटाकर हमे दिखाती है। तब सुरेंदर का हाथ संगीता की चुत पर था। ये देखकर मै और सास की मां मुस्कुराने लगते है। फिर तभी मीनू आती है और वो हम सबको चाय पानी देकर चली जाती है। फिर सुरेंदर भी उठ जाता है और फिर हम सब चाय पीने लगते है और साथ मे बातें करने लगते है। फिर सुरेंदर कहता के रात को बहुत मजा आया। फिर सास की मां अपनी चुत सहलाते हुए बोली के हाँ कल रात मोटा लण्ड लेकर मुझे भी बहुत मजा आया। फिर संगीता कहती के रजाई में ऐसे नंगे होकर सोने में अलग ही मजा है। फिर चाय पीने के बाद सुरेंदर संगीता के बोबो को सहलाने लगता है और फिर मै भी सास की मां के बदन को सहलाने लगता हूँ। फिर संगीता अपनी मां से कहती है के सर्दियां शुरू हो गई है मेरी शादी करवादो जल्दी से। फिर ये सुनकर हम सब मेरी और संगीता की शादी के बारे में बातें करने लगते है। तब दिन काफी निकल चुका था तो फिर हम सब नंगे ही कमरे से बाहर निकलकर आंगन में चले जाते है। तब काफी धूप निकल चुकी थी। मुझसे चुदकर सास की मां काफी खुश लग रही थी। फिर वो अब बार बार अपनी चुत सहला रही थी। उधर सुरेंदर भी अब खुलकर अपनी मां और बहन के बदन को सहलाकर मजे ले रहा था। फिर वहां रखी चारपाई पर पहले सास की मां लेट जाती है और फिर उनके साथ संगीता भी लेट जाती है और फिर वो अपनी मां की चुत सहलाने लग जाती है। फिर संगीता अपनी मां के ऊपर आकर पहले उनके बोबो को चुस्ती है और फिर पेट को चूमते हुए चुत को चुसने लगती है। फिर दोनो आपस मे ऐसे ही मस्ती करने लगती है। फिर सास की मां संगीता से पूछती है के तुम अपनी शादी पर पहनोगी क्या तो फिर संगीता मुस्कुराने लगती है और फिर कहती है के कुछ नहीं। तो ये सुनकर सास की मां कहती है पर फिर तो शादी हमे घर पर ही बिना पंडित के करनी पड़ेगी।
फिर मैंने सास की मां को बताया के गांव में एक शराबी पंडित है। अगर उसे हम किसी तरह मना ले तो बात बन जाएगी। ये सुनकर फिर सास की मां खुश होकर बोली के उसे मै देख लुंगी। अगर वो तैयार हो जाये तो फिर मै भी नंगी ही रहूंगी शादी में। फिर सास की मां ने मुझसे कहा के मै खुद जाकर उससे बात करूंगी। मैंने कहा के ठीक है। तब मै और सुरेंदर दूसरी चारपाई पर बैठे होते है तो फिर संगीता उठकर सुरेंदर की गोद मे बैठ जाती है और मै सास की मां के पास चला जाता हूँ। फिर संगीता चारपाई पर पैर फैलाकर लेट जाती है और अपनी चुत सहलाने लग जाती है तो फिर सुरेंदर उसकी चुत चुसने लग जाता है। फिर उधर मै भी सास की मां के बदन को चूमने लगता हूँ। फिर सास संगीता घोड़ी बन जाती है तो फिर सुरेंदर उसकी गाँड में मुंह डालकर संगीता की चुत और गाँड चुसने लगता है। फिर उधर सास की मां भी घोड़ी बन जाती है तो फिर मै भी उनकी चुत और गाँड चूसता हूँ। फिर संगीता सुरेंदर से चिपक कर खड़ी हो जाती है और फिर अपनी गाँड से सुरेंदर के लण्ड को रगड़कर झाड़ देती है। फिर सुरेंदर संगीता की गाँड पर लगा पानी चाटकर साफ कर देता है। उधर फिर मै सास की मां की चुत और गाँड की चुदाई करने लगता हूँ और ये देखकर संगीता और सुरेंदर एक दूसरे की चुत और लण्ड सहलाने लगते है तो फिर वो दोनो एक बार और झड़ जाते है। फिर मै झड़ने लगता हूँ तो मै कुछ पानी चुत में और कुछ गाँड में डाल देता हूँ। फिर जब मै लण्ड बाहर निकालता हूँ तो सास की मां की चुत और गाँड दोनो से पानी बाहर निकलता रहता है। फिर संगीता और सुरेंदर खड़े होकर अपनी मां की चुत और गाँड देखते है तो संगीता अपने भाई सुरेंदर का सिर पकड़कर अपनी मां की गाँड में घुसा देती है तो फिर वो अपनी मां की चुत और गाँड चाटने लगता है। इसमे सुरेंदर को काफी मजा आता है। फिर संगीता भी अपनी मां की गाँड और चुत चाटती है। फिर सास की मां चारपाई पर लेटकर आराम करने लगती है।
फिर इतने में मीनू खाना बना लेती है और फिर वो हम सबको नहाकर खाना खाने के लिए कहती है तो फिर हम चारो आंगन में ही एक कोने में नहाने लगते है और नहाते टाइम हम सब एक दूसरे के बदन पर खूब साबुन लगाते है और फिर अच्छे से नहाते है। फिर नहाने के बाद संगीता और उसकी मां तैयार होने लगती है। वो दोनो अपने बालों का जुड़ा कर लेती है और मेकअप वगैरह करके कुछ ज्वेलरी भी पहन लेती है। फिर हम सब नंगे ही बैठकर खाना खाते है। खाना खाने के बाद मेरी सास की मां जिन्हें की अब मै भी मां ही बुलाता था वो चारपाई पर जाकर धूप में लेट जाती है। तब मां का बदन और उनके बड़े बड़े बोबे देखकर तो किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था। उधर फिर संगीता भी दूसरी चारपाई पर जाकर लेट जाती है और फिर वो अपने भाई सुरेंदर से अपने बदन की मालिश करवाने लगती है। सुरेंदर संगीता के हर अंग की तेल लगाकर अच्छे से मालिश करता है। फिर उधर मां भी अपने बेटे सुरेंदर से अपने बदन की मालिश करवाती है। जिसके कारण उन दोनों को काफी आराम मिलता है और उन दोनों के बदन चमकने लगते है। फिर संगीता सुरेंदर के लण्ड पर तेल लगाकर सहलाने लगती है तो वो झड़ जाता है। फिर संगीता सुरेंदर को लेकर कमरे में चली जाती है और फिर वो सुरेंदर से अपनी चुत चटवाने लगती है। फिर जब संगीता झड़ जाती है तो फिर वो दोनो एक दूसरे से चिपक कर सो जाते है। उधर फिर मां और मै भी उनके पास जाकर लेट जाते है। तब मै पीछे से अपना लण्ड मां की गाँड में डालकर लेट जाता हूँ और धीरे धीरे करने लगता हूँ। फिर जब मै झड़ जाता हूँ तो फिर मै और मां वैसे ही सो जाते है।
फिर थोड़ी देर सोने के बाद हम उठ जाते है और संगीता हमारे लिए चाय बनाकर लाती है। फिर चाय पीकर हम पंडित के पास जाने की तैयारी करने लगते है। तब मां नीचे सिर्फ सलवार पहनती है और ऊपर सिर्फ एक चुन्नी जो कि एक जालीदार दुपट्टा होता है वो ले लेती है। जिसमें से मां के बोबे साफ दिख रहे होते है। फिर मां को ऐसे देखकर संगीता कहती है के आप ऐसे जाओगे। फिर मां मुस्कुराकर कहती है के पंडित का नशा भी तो उतारना है। फिर हम तब जीप में बैठकर जाते है तो माँ पीछे बैठ जाती है। फिर मै जीप चलाकर हम पंडित के घर चले जाते है। पंडित का घर गांव से थोड़ा बाहर था। फिर हम पंडित के घर पहुंचते है तो फिर मै और सुरेंदर जीप से उतरकर पंडित के घर के अंदर जाकर देखते है तो पंडित का घर का सामान बिखरा होता है और घर भी काफी पुराना हो चुका था। तब घर पर सिर्फ पंडित ही था, उसके बीवी और बच्चे उसे छोड़कर चले गए थे। पंडित की उम्र तब 45 साल के लगभग थी। फिर सुरेंदर मां को बुलाकर ले आता है तो फिर मां आकर उसके सामने बैठ जाती है। तो तब पंडित शराब पी रहा होता है तो फिर मां उससे मेरी और संगीता की शादी की बात करने लगती है तो वो पंडित ढंग से बात नहीं करता है। फिर मां उसके सामने चुन्नी निकालकर ऊपर से नंगी होकर बैठ जाती है तो फिर पंडित मां को देखता ही रह जाता है।
फिर वो कुछ ढंग से बात करने लगता है। फिर इतना ही नहीं मां फिर सलवार भी खोल देती है तो फिर पंडित तो देखता ही रह जाता है। उसके तो होश उड़ जाते है। उसका सब नशा उतर जाता है और फिर मां के कहने पर पंडित शादी का मुहूर्त कुछ दिनों के बाद का निकाल देता है। तब शादी गांव से दूर बने एक पुराने मंदिर में करने की बात तय होती है। फिर मां उसे शराब नहीं पीने के लिए कहती हैतो फिर पंडित मान जाता है। फिर मां उसे कल घर पर आने के लिए कहती है तो फिर वो मान जाता है। फिर मां नंगी ही खड़ी होकर उसके घर से बाहर निकलकर जीप में बैठ जाती है। हालांकि तब वहां देखने वाला कोई नहीं होता है। फिर हम घर पर जाकर तब ये सब बात संगीता को बताते है तो वो सुनती ही रह जाती है। फिर संगीता अपनी मां से पूछती है के वो और किस किस के सामने नंगी हो चुकी है तो फिर ये सुनकर उसकी मां उससे कहती है के तुम्हारे पापा ने मुझे कई लोगो के सामने नंगी किया है। जिनमे उनके कुछ दोस्त और खेत मे काम करने वाले मजदूर और मेरा भाई। तुम्हारे पापा तो फिर मेरी चुदाई भी कर देते थे। फिर संगीता बोली के तो आपने चुदवाया नहीं किसी से तो ये सुनकर माँ कहती है के नहीं। तुम्हारे पापा ये मौका किसी को नहीं देते थे।
फिर ये सब सुनकर सुरेंदर तो सुनता ही रह गया के उसकी मां इतने लोगो के सामने नंगी हो चुकी है। पर इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि उसके सामने भी कई बार उसके पापा उसकी मां को चोद चुके थे। फिर सुरेंदर भी अपने माँ पापा की आंखों देखी चुदाई की बातें हमे बताने लगा। फिर इसी तरह बाते करते करते शाम हो चुकी थी थी तो फिर खाना खाकर हम सब कमरे में चले गए। उधर मेरे ससुर भी मीनू के साथ दूसरे कमरे में सोते थे और वो भी खूब मजे लेते थे। फिर कमरे में जाते ही संगीता और उसकी मां अपनी टाँगे उठाकर लेट जाती है तो फिर सुरेंदर अपनी मां और बहन की चुत को चाटने लगता है। जिससे वो दोनो गर्म हो जाती है। फिर माँ मेरा लण्ड पकड़कर संगीता की चुत में डाल देती है और वो खुद सुरेंदर का लण्ड हिलाने लग जाती हैं। फिर मां उल्टी होकर लेट जाती हैं और फिर सुरेंदर अपना लण्ड हिलाकर अपनी ही मां की गाँड पर झड़ जाता हैं। उधर फिर संगीता भी झड़ जाती हैं तो फिर मै नहीं झड़ता हूँ तो फिर मैं अपना खड़ा लण्ड संगीता की चुत से बाहर निकाल लेता हूँ तो ये देखकर वो दोनो मां बेटी मुस्कुराने लगती है। फिर संगीता खड़ी हो जाती है और मां मेरे सामने आकर घोड़ी बन जाती है तो फिर संगीता मेरा लण्ड पकड़कर पहले अपनी मां की चुत में और फिर गाँड में डाल देती है। इस प्रकार वो अपनी मां की चुदाई करवाने लगती है। फिर सुरेंदर पहले तो संगीता के बदन को सहलाने लगता है और फिर अपनी मां के नीचे लेटकर उनके लटकते हुए बोबो को सहलाने लगता है और चुसने लगता है। फिर थोड़ी देर बाद मै झड़ जाता हूँ और फिर अपने पानी से मां की चुत और गाँड दोनो भर देता हूँ। चुदाई के बाद मां काफी खुश होती है। फिर मां घूमकर सुरेंदर के मुंह पर बैठ जाती है और फिर उसे अपनी चुत और गाँड चटवाने लगती है। फिर मां उल्टी होकर लेट जाती है तो सुरेंदर तो अपनी मां की बड़ी गाँड में मुंह डालकर सो जाता है और उधर फिर संगीता मेरे साथ सो जाती है।
फिर अगले दिन सुबह ही पंडित आ जाता है तो फिर मां जाकर उससे शादी की सब बातें कर लेती है और उसे बता देती है के हम सब शादी में नंगे ही रहेंगे तो पंडित फिर कुछ दिन बाद पुराने मंदिर में शादी करवाने के लिए कहता है। तब माँ ने नंगी जाकर ही पंडित से बात की। पंडित तो अब माँ का दीवाना हो चुका था। फिर पंडित से बात करके मां ने मुझे और संगीता को चुदाई करने के लिए मना कर दिया। मां ने मुझे खुद की और मीनू के साथ चुदाई करने से भी रोक दिया। इस पर मां बोली के इससे हमें सुहागरात पर बहुत मजा आएगा। फिर मैंने और संगीता ने भी मां की बात मान ली। फिर मै और संगीता अलग अलग चारपाई पर सोने लगे और बस अपने हाथ से ही अपने लण्ड और चुत को सहलाने लगे। फिर मै और संगीता बस एक दूसरे से बातें करने लगे। मै और संगीता चुदाई नहीं कर सकते थे हम बस दिन रात बातें करते रहते। हम दोनो को एकदूसरे से बातें करके बहुत मजा आने लगा था। हम दोनो ने एक दूसरे के बारे में काफी बातें जानी। जिससे हम दोनो एक दूसरे के प्यार में और डूब गए। हम पहले से ज्यादा एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। हम दोनो रात को छत पर जाकर बैठ जाते और खूब बाते करते।
फिर मां ने मेरे ससुर की बहन और उसके दोनो बच्चों और साथ मे संगीता के बेटे कमल को भी बुला लिया तो फिर वो आये तो वो सब भी हमे देखकर देखता ही रह गए। इतना ही नहीं मान चाहती थी के घर शादी वाला लगे तो उन्होंने फिर सुरेंदर की बीवी को भी बुला लिया। सुरेंदर की बीवी का नाम आशा था। फिर सुरेंदर ने मुझे आशा से मिलवाया। फिर सुरेंदर तो मेरे सामने ही आशा की चुदाई करने लगा और फिर आशा मुझे नंगा देखकर देखती ही रह गई। उधर फिर मैंने अपनी बहन सीमा को भी बुला लिया। फिर सीमा भी जल्दी ही सबसे घुलमिल गई। फिर वो भी नंगी ही रहने लगी। फिर उसने पहले मीनू के साथ मिलकर मेरे ससुर के साथ मस्ती की और फिर सुरेंदर से भी अपनी चुत चटाई। इस तरह अब घर पर करीब 15 लोग हो चुके थे। सब बच्चे मिलकर खेलते रहते और हम सब बड़े बस मस्ती करते रहते। फिर मेरे कहने पर सीमा सुरेंदर से चिपकी रहने लगी और उधर मै आशा से चिपका रहता और उसके बदन को सहलाता रहता। उधर मेरे ससुर की बहन भी नंगी रहने लगी तो फिर वो भी ससुर से अपनी चुत चटवाने लगी। रात को हम सब आंगन में इकट्ठा होकर डांस करते। फिर सीमा तो सुरेंदर का लण्ड सबके सामने ही हिलाने लग जाती और फिर सुरेंदर आशा की चुदाई सबके सामने ही करने लग जाता। फिर शादी का दिन आया तो सब औरतों ने मिलकर मेरे शरीर पर उबटन लगाकर मुझे अच्छे से नहलाया और उधर संगीता के बदन पर उबटन संगीता के पति यानी मेरे ससुर, सुरेंदर और संगीता के बेटे ने भी संगीता के बदन पर उबटन लगाई और उसे नहलाया। फिर संगीता तैयार हुई तो वो काफी सेक्सी लग रही थी। उसने बस ज्वेलरी ही पहनी थी। उधर सीमा, मीनू और मां यानी संगीता की मां तीनो नंगी ही रही और उन्होंने भी बस ज्वैलरी ही पहनी। उधर आशा और मेरे ससुर की बहन ने कपड़े पहने थे। फिर सुरेंदर जीप लेकर पहले बच्चों, आशा, मेंरे ससुर और उनकी बहन को छोड़ आया और फिर वो हम सबको ले गया।
फिर हम जब मंदिर पहुंचे तो देखा के आसपास का इलाका पूरा सुनसान था और पंडित में मंदिर में मंडप वगैरह बना रखा था। फिर पंडित तो हमे नंगा देखकर देखता ही रह गया। संगीता अपनी मां, भाई, भाभी और बेटे के सामने नंगी रहकर मुझसे शादी करने वाली थी। संगीता का कसा हुआ बदन बहुत सेक्सी लग रहा था। तब पंडित का लण्ड खड़ा हो चुका था तो वो बार बार अपना लण्ड सहला रहा था। ये देखकर सीमा, मीनू और बाकी सब औरतें हंस रही थी। फिर पंडित ने मुझे और संगीता को बैठाया और फिर हमारी शादी करवाने लगा। हमने फेरे लिए और फिर मैंने सबके सामने संगीता की मांग भरी और फिर मां के कहने पर संगीता ने अपने पैर खोल लिए तो फिर मैंने संगीता की चुत में भी सिंदूर लगाकर मांग के साथ साथ चुत भर दी। फिर मैंने संगीता के गले मे मंगलसूत्र डाल दिया। फिर शादी के बाद हमने मां के पैर छुए। फिर मै और संगीता एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गए। तब मेरा लंड खड़ा था तो फिर संगीता सबके सामने ही मेरा लण्ड सहलाने लगी। ये देखकर मां बोली के बस शाम तक का इंतजार कर लो। फिर हम सब वापिस घर आ गए। फिर घर आने के बाद हम सब खाना खाने लगे और बातें करने लगे। फिर शाम हो गई तो सीमा, मीनू और आशा ने मिलकर सुहागरात के लिए एक कमरा तैयार किया। फिर शाम को सब खाना खाकर सोने चले गए। फिर उधर सीमा, मीनू और आशा संगीता को सुहागरात वाले कमरे में लेकर चली गई और फिर मै भी कमरे में चला गया। तब हम सब कमरे में नंगे थे। फिर हम सब बातें करने लगे। हम तब चुदाई की गंदी बातें कर रहे थे। जिससे कि हम सब गर्म हो गए। फिर मै सीमा के होंठो को चुसने लगा और उसकी चुत में उंगली करने लगा। उधर मीनू और आशा भी एक दूसरे की चुत में उंगली करने लगी और एक दूसरे के बदन को चाटने लगी। तब संगीता हमे देखकर अपनी चुत सहला रही थी।
कहानी आगे जारी रहेगी...
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