कॉलेज का मेरा पहला दिन था मैं काफी घबराया हुआ था मैं जब कॉलेज के गेट से अंदर गया तो वहां पर काफी लड़के खड़े थे मैं नजरें छुपाते हुए वहां से अपनी क्लास रूम की तरफ बढ़ा लेकिन मुझे मेरी क्लास नहीं मिल रही थी। मैं लाइब्रेरी के पास खड़ा था कि तभी मुझे वहां पर एक लड़का दिखा मैंने उससे अपनी क्लास के बारे में
पता किया तो मुझे मालूम पड़ा कि वह भी कॉलेज में पहली बार ही आया है। वह मेरी क्लास में ही था हम दोनों वहां से क्लास ढूंढने के लिए आगे बढ़े और हम लोगों को हमारी क्लास मिल गई तो हम लोग क्लास रूम में बैठ गए। जब हम लोग क्लास रूम में बैठे हुए थे तो मेरे बिल्कुल सामने वाली सीट में एक लड़की बैठी हुई थी जो कि बहुत ज्यादा नर्वस नजर आ रही थी। मैंने उसकी तरफ देखा लेकिन उसने मेरी तरफ एक बार भी नहीं देखा। क्लास में प्रोफ़ेसर आ चुके थे क्योंकि क्लास का पहला दिन था इसलिए सब लोगो ने अपना इंट्रोडक्शन दिया और उसके बाद क्लास खत्म हो गई। कॉलेज का पहला दिन अच्छा रहा और मुझे पहले दिन ही राकेश के रूप में एक अच्छा दोस्त मिला राकेश से मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी।
उस दिन काव्या बहुत घबराई हुई सी थी काफी समय से काव्या से मैंने बात नहीं की थी। हम लोगों को एक महीना हो चुका था एक महीने में मैंने काव्या से कभी भी बात नहीं की परंतु एक दिन मैंने काव्या से बात कर ली। मैंने उससे पहली बार बात की तो मुझे उससे बात करके अच्छा लगा और वह भी काफी खुश थी। मैं और काव्या एक दूसरे से बातें कर रहे थे क्योंकि काव्या अभी नई नई थी इसलिए वह मुझसे ज्यादा बात तो नहीं करती थी परंतु मुझे उसके साथ में अच्छा लगता। हम लोग ज्यादातर समय कॉलेज की कैंटीन में बिताया करते हैं। मुझे काव्या की फैमिली के बारे में ज्यादा पता नहीं था लेकिन काव्या को भी मुझ पर भरोसा हो चुका था शायद यही वजह थी कि वह मुझसे अपनी फैमिली के बारे में बात करने लगी थी। काव्या के पापा और मम्मी के बीच में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था जिस वजह से काव्या बहुत ज्यादा परेशान रहती। उस दिन काव्या ने मुझे अपने पापा और मम्मी के बारे में बताया तो मैंने काव्या को कहा कि तुम भरोसा रखो सब कुछ ठीक हो जाएगा। काव्या कहने लगी कि कहां सब कुछ ठीक हो जाएगा, काव्या ने मुझे कहा सोहन कुछ भी ठीक होने वाला नहीं है। मैं और काव्या काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे और हम लोग साथ में कभी मूवी देखने के लिए और कभी घूमने के लिए भी चले जाया करते मुझे काव्या का साथ पाकर बहुत अच्छा लगा। हम लोगों के कॉलेज का एक वर्ष पूरा हो चुका था पता ही नहीं चला कि कब हम लोगों के कॉलेज का एक वर्ष पूरा हो गया और हम लोग कॉलेज के दूसरे वर्ष में आ चुके थे। मैं काफी ज्यादा खुश था कि मेरे कॉलेज का एक वर्ष पूरा हो चुका है और देखते ही देखते कब हम लोगों का ग्रेजुएशन पूरा हो गया कुछ पता ही नहीं चला। हम लोगों का ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था। समय के साथ काव्या और मेरी नज़दीकियां भी काफी बढ़ चुकी थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मैं काव्या से प्यार करने लगा हूं और काव्या भी मुझे पसंद करती है। यह बात राकेश को अच्छे से मालूम थी राकेश भी मुझे कई बार कहता कि तुम्हें अपने दिल की बात काव्या को कह देनी चाहिए लेकिन मैं घबराता था।
मैंने काव्या को अपने दिल की बात नहीं कही थी परंतु अब समय आ चुका था कि मुझे काव्या को अपने दिल की बात कह देनी चाहिए। हम लोगों के पोस्ट ग्रेजुएशन का पहला वर्ष था और अब हम लोग एक दूसरे से अपने दिल की बात कह चुके थे। काव्या भी मुझे पहले से ही पसंद करती थी इसलिए उसने भी मेरे प्रपोज को स्वीकार कर लिया और हम दोनों का रिलेशन अब एक दूसरे से चलने लगा। हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे। हालांकि मुझे ऐसा कुछ भी नहीं लगा कि मेरी जिंदगी में कुछ नया हो रहा है क्योंकि पहले भी मैं काव्या को मिलता ही था और अभी भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते ही थे। काव्या मुझ पर बहुत ज्यादा भरोसा करने लगी क्योंकि वह अपने पापा मम्मी से ज्यादा बात नहीं करती थी इसलिए वह हर एक बात मुझसे शेयर किया करती। मुझे भी बहुत अच्छा लगता है जब काव्या और मैं एक दूसरे से बातें किया करते है काव्या मुझे अपना सब कुछ मान चुकी थी और मेरे लिए भी यह अच्छा था क्योंकि मैं भी काव्या को बहुत ज्यादा प्यार करता था। अब हम लोगों की पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी हो गई और हम लोग नौकरी की तलाश में थे। मैं अपने करियर को लेकर चिंतित था और काव्या मुझे हमेशा ही कहती थी कि सोहन तुम अपनी जिंदगी में जरूर कुछ अच्छा करोगे और जब हम लोगों के कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी तो उसके बाद मेरी जॉब एक अच्छी कंपनी में लग गई और मैं वहां पर जॉब करने लगा। काव्या ने भी कंपनी ज्वाइन कर ली थी और वह भी जॉब करने लगी थी हम लोगों को जब भी समय मिलता तो हम दोनों एक दूसरे को मिल लिया करते और हम दोनों एक दूसरे से फोन पर भी काफी बातें किया करते।
समय बीतने के साथ साथ हम दोनों का प्यार भी बहुत ज्यादा गहरा होता जा रहा था और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता है जब भी हम दोनों साथ में होते। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था काव्य मेरी जिंदगी में है। मुझे कभी भी कोई परेशानी होती तो मैं काव्या से अपनी बातों को शेयर कर लिया करता। मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब भी मैं काव्या से अपनी बातों को शेयर किया करता। एक दिन मैं परेशान था उस दिन मैंने काव्या को फोन किया और कहा आज हम लोगों को कहीं साथ में चलना चाहिए। काव्या ने कहा ठीक है क्योकि अगले दिन रविवार था और काव्य की ऑफिस की छुट्टी थी और मेरी भी ऑफिस की छुट्टी थी इसलिए हम दोनों ने उस दिन साथ में डिनर किया। रात काफी हो चुकी थी तो काव्या और मैंने फैसला किया हम दोनों कहीं बाहर ही रुक जाते हैं। हम दोनों ने एक होटल में रूम ले लिया और हम दोनों साथ में रुके। हम दोनों एक ही रूम में थे क्योंकि काव्या को मुझ पर भरोसा था। वह मुझसे बहुत प्यार करती थी इसलिए उसे मेरे साथ रुकने में कोई भी एतराज नहीं था। हम दोनों ने उस दिन एक दूसरे के होंठों को चूमना शुरू किया। अब हम दोनों अपनी गर्मी इतनी बढ चुकी थी हम दोनों ही अपने आपको रोक ना सके। मैं काव्या के स्तनों को दबाने लगा था। काव्या के स्तनों को दबाकर मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था और वह भी बहुत ज्यादा गर्म होती जा रही थी। यह पहली बार ही था जब काव्या और मैं एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा लेना चाहते थे। हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स करना चाहते थे इसलिए मैंने काव्या के कपड़े उतार दिए।
काव्या का नंगा बदन देखती ही मेरी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि वह इतनी ज्यादा गोरी थी कि वह मुझे अपनी और खींच रही थी। मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता जब मैं और काव्या एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लेना चाहते थे। मैंने अपने कपड़े उतार दिया और काव्या ने जब मेरे लंड को अपने हाथों में लिया तो वह उसे हिलाने लगी मुझे मजा आने लगा था और काव्या को भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। हम दोनों बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे। हम दोनो एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था और ना ही काव्या अपने आपको रोक पर ही थी। मेरा काव्या को अपने लंड को सकिंग करने के लिए कहा तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और वह उसे सकिंग करने लगी। उसे बड़ा मजा आने लगा था जिस तरीके से वह मेरे लंड को चूस रही थी और मेरी गर्मी को बढ़ा रही थी। हम दोनों बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे और अब मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने काव्या को कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा। काव्या ने मुझे कहा मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है। मैंने काव्या की योनि को चाटना शुरू किया और जिस तरीके से मैं काव्या की चूत को चाट रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था और काव्या की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था जो मुझे अपनी और खींच रहा था। मैंने उसकी योनि को चाटना को शुरू किया। काव्य की चिकनी चूत पर मेरा लंड लगा तो उसकी योनि से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा। अब मैंने उसकी योनि में अपने लंड को प्रवेश करवाया। मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था और काव्या को बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। मैं उसको जमकर चोद रहा था और वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी।
मैंने देखा काव्या की चूत से खून बाहर की तरफ को निकाल रहा है और उसकी सिसकारियां बहुत ज्यादा बढ गई है। वह मुझे कहती तुम मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था और मेरे धक्के इतने तेज हो चुके थे मेरा वीर्य बाहर की तरफ को निकलने के लिए तैयार था। मैंने अपने माल को काव्या कि चूत में गिराया तो वह बहुत खुश हो गई और बोली सोहन मुझे आज तुमने अपना बना लिया है। मैं बहुत खुश था वह मेरी बाहों में थी। हम दोनों एक दूसरे के साथ एक ही बिस्तर पर लेटे हुए थे काव्या की सील पैक चूत मार कर मैंने उसे अपना बना लिया था और वह बड़ी खुश थी। उसके बाद हम दोनों के रिश्तो में और भी ज्यादा मजबूती आ गई और हम दोनों एक दूसरे से और भी ज्यादा प्यार करने लगे थे
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