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कमसीन बहन की चुदाई - 5  अब आगे...

 

विक्की भी इस एडवेंचर भरे सफ़र में काफ़ी खुश लग रहा था...

आज से पहले उसने जब भी नेहा या पिंकी को किस्स किया था, ऐसा रोमांच उसे आज तक नही मिला था....

वो अंजान बनकर अपनी ही बहन से लंड चुसवाना,

उसके बूब्स चूसना

और

उसके होंठो का रस पीना...

उफ़फ्फ़,

कयामत था वो सब...

मन तो उसका कर रहा था की इसी सुनसान रास्ते में बाइक को किनारे लगाकर वो उसकी चूत मार ले,

एक के बाद दूसरा रोमांचक एनकाउंटर हो जाता वहाँ,

ऐसी चुदाई में मज़ा भी बहुत मिलता,

पर पहली चुदाई का सवाल था, जिसे वो ढंग से ही करना चाहता था...

मन तो उसका बहुत कर रहा था आज ही नेहा को चोदने का पर उसे डर था की पता नही वो मानेगी या नही..

 

काश वो दोनो भाई बहन इस वक़्त खुल कर अपने दिल की बातें बयां कर लेते तो उन्हे पता चल जाता की चुदाई का आज से अच्छा मौका हो ही नही सकता..

 

खैर, एक दूसरे को अपने शरीर की गर्मी प्रदान करते-2 वो दोनो घर पहुँच गये,

रात काफ़ी हो चुकी थी, माँ ने ऊंघते हुए दरवाजा खोला और बंद आँखो से ही ऊँघते हुए अपने कमरे में वापिस चली गयी...

 

जैसे ही विक्की उपर अपने रूम में जाने लगा, नेहा ने बड़ी ही शराबी आवाज़ में कहा : "रूको ना भाई, मैं कपड़े बदल लूँ , फिर एकसाथ ही उपर चलते है...''

 

उसका कहने का अंदाज ही इतना नशीला था की विक्की को बिना पिए ही शराब सी चढ़ गयी.

 

वो सम्मोहन में बँधा हुआ सा उसके पीछे-2 उसके रूम तक आ गया,

नेहा ने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर बिठाया और खुद अपनी अलमारी से कपड़े निकालने लगी..

 

फिर मुस्कुराते हुए वो उसकी तरफ पलटी और बिल्कुल उसके करीब आकर खड़ी हो गयी...

इतना करीब की उन दोनो के घुटने आपस में टकरा रहे थे..

 

फिर उसने अपनी कुरती को नीचे से पकड़ा और उसे धीरे-2 उपर करके अपने गले से निकाल फेंका...

नीचे कसी हुई ब्रा में उसके नन्हे बूब्स दिल की धड़कन के साथ-2 उपर नीचे हो रहे थे...

फिर उसने विक्की के हाथ को पकड़कर अपनी पायजामी के नाड़े पर रखा और उसे खोलने के लिए कहा,

विक्की ने एक झटका दिया और वो दोहरी गाँठ वाला नाड़ा खुलते ही उसकी कमर से पायज़ामी की पकड़ भी ढीली पड़ गयी और वो नीचे सरकने लगी, नेहा ने उसे भी पकड़कर नीचे किया और उसे अपनी टाँगो से निकाल फेंका..

 

एक अजीब सी खामोशी थी कमरे में ...

बगल के कमरे में दोनो के माँ -बाप सो रहे थे और यहाँ इन दोनो के जवान जिस्म एक अलग ही आग में जल रहे थे..

 

नेहा ने हाथ पीछे करते हुए अपनी ब्रा के हुक्स खोले और वो भी एक झटके से छिटककर आगे की तरफ़ लटक गयी...

नेहा ने उसे निकाल कर विक्की के गले से लटका दिया...

अब वो टॉपलेस होकर अपने भाई के सामने खड़ी थी...

 

उसके नन्हे बूब्स अलग ही चमक रहे थे...

उनपर लगे लाल निशान थोड़ी देर पहले हुई गुत्थम गुत्था को बयान कर रहे थे,

विक्की ने उसके बारे मे कुछ नही पूछा, बस उन्हे निहारता रहा..

पर जैसे ही वो उन्हे पकड़ने लगा तो नेहा ने उसका हाथ हवा में ही रोक दिया और बोली : "अभी नही....उपर जाकर ...''

 

फिर मुस्कुराते हुए उसने अपनी कच्छी भी उतार दी...

अब वो उपर से नीचे तक पूरी नंगी उसके सामने थी.

 

 

 

फिर उसने एक शॉर्ट्स और टी शर्ट पहनी और अपने कपड़े उठा कर अलमारी में रख दिए...

और विक्की को उपर चलने का बोलकर खुद आगे चल दी...

 

विक्की से आगे चलते हुए वो कुछ ज़्यादा ही अपने चूतड़ मटका कर चल रही थी और बेचारा विक्की उसके पीछे-2 अपना खड़ा लंड एडजस्ट करता हुआ चला आ रहा था..

 

उपर जाते ही नेहा ने सबसे पहले दरवाजा बंद किया और बिना कुछ कहे वो विक्की पर टूट पड़ी...

 

विक्की बेचारा तो सोच रहा था की पहले वो भी नेहा की तरह अपने कपड़े चेंज कर ले पर उसने इसका मौका ही नही दिया..

 

नेहा ने ताबड़ तोड़ अंदाज में उसके सारे कपड़े निकालने शुरू कर दिए और कुछ ही पल में उसे पूरा नंगा करके ही दम लिया उसने...

उसके खुद के कपड़े तो वैसे भी नाम मात्र के थे, उन्हे भी उसने एक पल में निकाल फेंका...

आज दोनो भाई बहन पूरी तरह से जोश में थे...

विक्की का खड़ा हुआ लंड उसके हुस्न की तारीफ़ों में सलामी ठोंक रहा था उपर नीचे होकर.

 

फिर एक झटके से दोनो आगे आए और एक दूसरे को बाहों में भरकर अपने-2 होंठ आपस में सटा दिए...

 

''ओह भाई.....मुउउउउउउउचचह.....आज सब्र नही हो रहा मुझसे....आग सी लगी है मेरे अंदर ...प्लीज़ भाई....आज मना मत करना.....बुझा दो ये आग अपने इस मोटे लंड से.....बना दो मुझे कली से फूल....डाल दो इसे मेरी चूत में भाई......चोद डालो मुझे....''

 

जो उसके मुँह में आया वो बकती चली गयी और अनगिनत चुम्मिया उसने अपने भाई के चेहरे और होंठो पर दे डाली.....

 

नेहा को किस्स करते -2 विक्की ने उसकी गर्दन को चूमा, नीचे आते हुए उसके दोनो बूब्स को एक-2 करके निचोड़कर अच्छे से पिया और फिर उसे अपनी बाहों में गुड़िया की तरह उठा कर उसकी नाभि को अपनी जीभ से चाटा ...

 

ये एक ऐसा पल था जिसमें नेहा की चूत से निकलकर ढेर सारी मलाई विक्की के पैरों पर जा गिरी,

और वो मलाई और निकलकर ऐसे व्यर्थ ना जाए, इससे पहले ही विक्की ने उसे अपने बेड पर पटका और सीधा अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत पर कूद पड़ा और उसे जोरों से चाटने लगा..

अपनी करामाती जीभ से वो उसकी चूत की परतों की गहराइयाँ नाप रहा था..

शायद आज का ये आख़िरी दिन था जब वो इस कुँवारी चूत का स्वाद ले पा रहा था,

आज के बाद तो इसका स्वाद भी बदलने वाला था.

इसलिए वो जितना ज़्यादा हो सकता था उतना अंदर तक अपनी जीभ को पेलकर उसका रस पीने में लगा था..

 

नेहा पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी, अब वो पल आ भी चुका था जिसका दोनो भाई बहन को बेसब्री से इंतजार था....

वो उसकी आँखो मे देखता हुआ उपर उठा और अपने लंड को मसलने लगा...

नेहा ने भी मुस्कुराते हुए उसके लंड को अपने मुँह में लेकर कुछ देर तक चूसा और उसे अच्छी तरह से गीला करके चूत में भेजने लायक बना दिया...

फिर वो उसी अवस्था में पीछे होकर बेड पर टांगे फेला कर लेट गयी, और अपनी बाहें उपर करके विक्की को अपने अंदर आने का न्योता दिया...

 

विक्की ने अपने खड़े लंड को उसकी रसीली चूत के होंठो पर रखकर होले से दबाया तो उसके लंड का टोपा अंदर खिसक गया..थोड़ा और ज़ोर लगाया तो वो लंड अंदर सरकने लगा...

धीरे-2 उसने करीब आधा लंड नेहा की चूत में उतार दिया और अंत में उसकी सील पर जाकर वो अटक गया...

आगे जाने के दो ही रास्ते थे, झटका और हलाल,

झटका वो देना नही चाहता था, इसलिए उसने धीरे-2 उसे हलाल करना शुरू किया..

 

अपने लंड को उसने धीरे से पीछे किया और फिर पिछली बार से ज़्यादा आगे की तरफ खिसका दिया, ऐसा करते-2 वो इंच इंच करके उसकी सुरंग में दाखिल हो रहा था....एक पल वो भी आया जब नेहा की सील पर वो फिर से टकराया, इस बार वो रुका नहीं और धीरे से दबाव बनाकर उसे अंदर धकेलता रहा और विक्की का लंड नेहा की चूत के किले को भेदता हुआ अंदर तक जा बैठा...

 

''आआआआआआआअहह......उम्म्म्ममममममममममममममममममम...... मजाआाअ आआआआआआआ गय्ाआआआअ भाई................उफफफफफफफफफफफफ्फ़...... दर्द भी हो रहा है.......मीठा सा एहसास भी.......अहह....मन तो कर रहा है इस लॅंड को पूरी जिंदगी अपने अंदर लेकर लेटि रहूं .......अहह........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... भाई........... अब तोड़ा ज़ोर से करो ना.......अहह.... मुझे झटके मारो......जैसा ब्लू फ़िल्मो मे होता है.............''

 

उसका इतना कहना था की उसने अपनी स्पीड बड़ा दी...

अब वो हुमच-2 कर अपनी प्यारी बहन को चोदने लगा..

 

और ज़ोर-2 से झटके देकर चुदाई करते हुए बड़बड़ाने की बारी इस बार विक्की की थी..

 

''आआअहह..... ले साली...भेंन की लोड़ी .......ले मेरा लंड .....बड़ी गर्मी भरी है ने तेरे अंदर.....अब रोज रात को पेला करूँगा तुझे...इसी कमरे में ......अहह...... मेरे लंड की गुलाम बनकर रहेगी अब तू साली.....रोज मेरे लंड को चूसेगी.....इसे अपनी चूत में लेकर मज़े लेगी......बोल....लेगी ना.....''

 

वो चिहुंक कर बोली : "हाँ भाई....लूँगी.....दिन रात लूँगी....जब भी मौका मिलेगा, इस मोटे लंड से चुदवाउंगी ......आहहह....इतने सालो बाद पहली बार अपनी जिंदगी का असली मज़ा मिल रहा है...आआआअहह....मैं पहले ही जवान क्यों नही हो गयी रे..........जल्दी से चोद मुझे.....''

 

फिर तो दोनो एक अलग ही फॉर्म में आ गये.....

विक्की ने उसके दोनो हाथ दबोच कर उसकी चूत में अपने लंड की रेल दौड़ा दी....

हर झटके से उसके नन्हे बूब्स उछलकर उपर तक जाते और नीचे आते,

विक्की उन्हे अपने मुँह से पकड़कर चूस भी रहा था बीच-2 में

 

और जल्द ही उन दोनो के अंदर चरम सुख का निर्माण होने लगा और वो ओर्गास्म उनके विशेष अंगो के मध्यम से बाहर आने को आतुर हो गया..

 

विक्की : "आआआआअहह नेहा...........मैं झड़ने वाला हूँ बस......अहह......''

 

नेहा ने चिल्लाते हुए अपनी टांगे उसके इर्द गिर्द बाँध दी और बोली : "मेरे अंदर भाई....मेरे अंदर निकालो अपना रस.....मैं तुम्हे अंदर तक महसूस करना चाहती हूँ ......''

 

विक्की : "पर ???''

 

नेहा : "पर वर कुछ नही...तुम करो...मैं गोली ले लूँगी....पर पहली बार मैं इसे महसूस करना चाहती हूँ ......डालो मेरे अंदर ही सारा रस भाई......''

 

विक्की के पास भी कुछ सोचने समझने का वक़्त नही था,

उसने एक लंबी साँस ली और अपनी गति बड़ा दी,

कुछ ही पलों में उसके लंड का गाड़ा रस निकलकर उसकी बहन की चूत में जाने लगा....

 

''आआआआआआआआआआआअहह.......सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... मैं तो गया रे........मैं तो गया..............''

 

नेहा भी अपने भाई के गर्म वीर्य को महसूस करके तुरंत झड़ गयी.....

दोनो एक दूसरे के जिस्मों को रगड़ते हुए और एक दूसरे के चेहरों को चूमते हुए अंत तक हल्के-2 झटके देते रहे...

 

फिर जैसे ही विक्की ने अपना लंड बाहर खींचा, गुलाबी रंग लिए ढेर सारा वीर्य चूत के रास्ते बाहर आ गया....

दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे की तरफ देखा और फिर से एक बार एक दूसरे के होंठों को चूम लिया.

 

उसके बाद दोनो ने रूम की हालत ठीक की और बेड पर गिरे माल को सॉफ किया...

फिर फ्रेश होकर दोनो फिर से एक बार बेड पर आकर नंगे लेटे और काफ़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में लिपटकर लेटे रहे...

नींद दोनो की आँखो में नही थी, मन तो और भी चुदाई करने का कर रहा था पर पहली चुदाई से नेहा की चूत सूज गयी थी, इसलिए सिर्फ़ मुम्मा चुसाई और होंठो की क़िस्सियो से काम चलाया उन्होने...

 

सुबह होने से पहले नेहा अपने कपड़े पहन कर नीचे अपने रूम में चली गयी और विक्की अपना अंडरवेयर पहन कर आराम से लंबी तानकर सो गया....

आज काफ़ी थक गया था वो , उसे जबरदस्त नींद आने वाली थी.

 

पर अगले दिन उसकी डबल शिफ्ट होने वाली थी, ये वो नहीं जानता था

 

अगली सुबह जब विक्की की नींद खुली तो उसे अपने लंड पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ

उसने नीचे देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी

नेहा उसके लंड को चूस रही थी और वो भी स्कूल ड्रेस में ...

 

उसने घड़ी देखी तो सुबह के 7:30 बज रहे थे...

बड़ी मुश्किल से उसने अपनी आंहों पर काबू करते हुए नेहा से कहा : "आअहहह....नेहा की बच्ची .....उम्म्म्मममममम.... ये ये.... क्या कर री है ...सुबह -2 ...... माँ आ गयी तो....''

 

नेहा ने पूकक्च की आवाज़ से उसके लंड को मुँह से बाहर निकाला और बोली : "माँ मेरे लिए लंच बना रही है....और पिताजी की तबीयत ठीक नही है, इसलिए आज तुम्हे मुझे स्कूल छोड़ने जाना है...इसलिए तुम्हे उठाने आई हूँ ....''

 

इतना कहते हुए एक कुटिल मुस्कान के साथ उसने फिर से अपने रसीले होंठ उसके लंड पर लगा दिए और उसे जोरों से चूसने लगी....

 

विक्की : ''आअहहह.......साली.....ऐसे रोज उठाएगी ना तो चुदाई करवाके ही स्कूल जाया करेगी .....'

 

नेहा : "तो मैं कब मना कर रही हूँ, मैं रोज इसी तरह उठाने आ जाया करुँगी ''

 

इतना कहते हुए उसने फिर से विक्की के सुपाडे को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया

 

अब विक्की की हालत नही रह गयी थी कुछ बोलने की

क्योंकि सुबह के इरेक्शन और नेहा के सैक्सी होंठों ने उसके लंड को जल्दी झड़ने पर मजबूर कर दिया और वैसे भी नेहा को स्कूल भी जाना था, इसलिए भी उसका मुँह कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से चल रहा था...

 

एक मिनट भी नही लगा विक्की को झड़ने में..

और झड़ते हुए वो बड़ी ही बेदर्दी से उसकी गर्दन और बालों को पकड़कर अपने लंड को उसके मुँह में ढूस रहा था...

 

''आआआआआआआआआहह ...... नेहााआआआआआ.... मेरी ज़ाआआअनन् उम्म्म्मममममममममममममम....''

उसने नेहा की चोटी पकड़ कर उसके मुँह में पूरा लोढ़ा घुसेड डाला....

इतनी बेदर्दी से वो अपने लंड को उसके मुँह में रगड़ रहा था की बेचारी की आँखो में आँसू आ गये...

पर मज़ा भी दुगना मिला उसे...

विक्की ने उसके खुले मुंह में अपने लंड का सारा डिपोसिट डाउनलोड कर दिया

 

नेहा को तो पसंद आया विक्की का ये वहशिपन, इसे विस्तार से महसूस करेगी रात को, ये सोचकर वो अपनी सैक्सी हँसी में मुस्कुरा दी...

 

फिर जल्दी से अपना मुँह सॉफ करके, शीशे में देखकर अपने बाल ठीक करके वो नीचे भाग गयी...

कुछ ही देर में विक्की भी अनमने मन से उंघता हुआ सा नीचे आया और नेहा को अपनी बाइक पर बिठाकर स्कूल की तरफ चल दिया...

 

स्कूल जाते हुए वो पूरे रास्ते उसके लंड को सहलाती रही, और अपनी नन्ही बूबियाँ उसकी पीठ पर रगड़ती रही..

 

उसे स्कूल छोड़कर जब वो वापिस जा रहा था तो उसे दूर से मंजू भी एक रिक्शे पर स्कूल की तरफ आती हुई दिखाई दी...विक्की को देखकर उसने रिक्शा वहीं रुकवा लिया और उसे पैसे देकर रिक्शे से उतर गयी....

 

जैसे ही विक्की उसके करीब पहुंचा वो बोली

 

"कुछ थेंक्स वेंक्स भी कहना होता है किसी को, कल रात कितनी अच्छे से खातिरदारी करवाई तुम्हारी....''

 

विक्की : "तुम्हे तो स्पेशल थेंक्स कहना पड़ेगा..पर उसके लिए एकांत की ज़रूरत पड़ेगी मुझे...''

 

उसकी बात का मतलब समझकर मंजू का चेहरा लाल पड़ गया...और उसने आँखे नीचे कर ली..

 

विक्की : "देख मंजू, अब मुझसे सब्र नही हो रहा है, मुझे जल्दी से जल्दी वो करना है बस...''

 

उसकी बात सुनकर मंजू मुस्कुरा दी और इतराते हुए अपनी कमर मटका कर आगे चलने लगी...

और बोली : "क्या करना है विक्की भैय्या ...ज़रा विस्तार से समझाइये मुझे...''

 

विक्की ने भी अपनी बाइक वहीँ खड़ी की और उसके पीछे-2 चलने लगा,

वो समझ गया था की वो मज़े लेने के मूड में है...

पर सामने ही उसका स्कूल था, वो ज़्यादा देर तक रुक भी नही सकती थी, गेट बंद होने का टाइम हो गया था..

 

पर फिर भी उसकी चूत गीला करने का पूरा इंतज़ाम कर दिया विक्की ने अपनी एक ही लाइन में ..

 

वो बोला : "वही...तेरे साथ सैक्स करने का मेरी जान....तेरे ये मोटे मुम्मे चूसने का...तेरी चूत चाटने का, अपना मोटा लंड तेरी गीली चूत में घुसाने का....तेरी चूत मारने का......''

 

एक के बाद एक ऐसी बाते सुनकर मंजू की साँसे धोंकनी की तरह तेज चलने लगी...

उसकी आँखो में लाल डोरे तैर गये...

उसकी छाती तेज़ी से उपर नीचे होने लगी....

बिना ब्रा की छातियों पर निप्पल उभर कर उजागर हो गये और सफेद शर्ट के उपर दूर से ही चमकने लगे...

एक गीलेपन का एहसास उसे चूत में भी होता महसूस हुआ, और एक हल्का सा गाड़े पानी का झरना उसकी नन्ही चूत में से निकलकर कलकल करता हुआ नीचे की तरफ गिरने लगा...

 

अब उसकी आँखे बोझल और पैर भारी से हो गये थे...

उसकी हालत देखकर लग नही रहा था की वो स्कूल तक चलकर सही ढंग से जा पाएगी....

विक्की भी अपने हरामीपन पर काफ़ी खुश था, उसकी हालत देखकर वो भागकर अपनी बाइक उठा लाया और उसे उसपर बैठने को कहा...

मंजू भी धड़कते दिल से उसके पीछे बैठ गयी..

 

विक्की : "चल अब, आज स्कूल की छुट्टी मार, और अपनी इस हालत पर तरस खा और मुझपर भी...''

 

मंजू मुस्कुरा दी, पर कुछ बोली नही..

 

विक्की ने बाइक घुमाई और चल दिया...

अब उसके दिमाग़ में कमरे के जुगाड़ का आइडिया गूँज रहा था...

किसी दोस्त से बोले या किसी होटल में जाए ...

 

पर उसकी परेशानी को मंजू ने एक ही पल में सुलझा दिया.

 

वो बोली : "एक काम करो, मेरे घर ही चलो...आज माँ पिताजी नही है घर पे...''

 

ये सुनते ही विक्की का मन किया की बाइक पर खड़ा होकर नाचने लगे...

भला इतना अच्छा मौका था तो वो पहले क्यों नहीं बोली

 

विक्की : "अरे वाह, इस से अच्छी बात तो हो ही नही सकती...कहाँ गये वो दोनो इतनी सुबह ..''

 

मंजू : "जहाँ शादी थी, उनके घर पर नयी बहू के लिए कुछ रस्में होती है, रात भर उन लोगो से वहां रुका नही जाता, इसलिए रात को आराम किया और सुबह -2 फिर से उनके घर की तरफ निकल गये....तुम्हे बताने का मौका नही मिला, दिन में नेहा और मुझे लेने आते तब शायद बता पाती, पर अच्छा हुआ की तुम सुबह ही मिल गये....अब शाम तक का टाइम हमारा है...''

 

इतना कहते हुए वो उस से बुरी तरह से लिपट गयी..

 

विक्की ने तो अपनी बाइक की स्पीड फुल कर दी, लंड उसका खंबे की तरह अकड़ कर खड़ा हो चुका था, जिसे अब मंजू ही ठंडा कर सकती थी...

 

कुछ ही मिनट में विक्की की बाइक उसके घर के सामने पहुँच गयी...

उस से इतना भी सब्र नही हो रहा था की मंजू अपनी कमर मटकाते हुए दरवाजे तक जाए और ताला खोले,

उसने झट से उसके हाथ से चाबी छीनी और एक सेकेंड में ताला खोलकर उसे अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया...

 

मंजू उसके इस उतावलेपन पर हँसती रह गयी...

पर उसकी हँसी उसी पल गायब हो गयी जब विक्की उसकी तरफ पलटा और उसके होंठो पर होंठ लगाकर उसे जोरों से किस्स करने लगा...

 

मंजू के कंधे से उसने स्कूल बेग लेकर एक कोने में रख दिया और उसके पूरे जिस्म पर हाथ फिराते हुए उसे सहलाने लगा और उसके रसीले होंठों का रसपान करता हुआ उसके मुम्मो को शर्ट के उपर से ही मसलने लगा..

 

किस्स करते-2 दोनो नीचे बने बेडरूम में आ गये, जो मंजू के माँ पिताजी का था..

 

वो तो इतना आतुर था की वो खींच कर उसकी शर्ट फाड़ने पर आ गया, वो तो मंजू ने बड़ी मुश्किल से उसके हाथो को पीछे किया और खुद ही अपनी शर्ट के बटन खोलकर अपने मुम्मे उसके आगे परोस दिए, वरना उसकी स्कूल की शर्ट की धज्जियाँ उड़ जानी थी...

 

मुम्मे बाहर निकलते ही कमरे में जैसे 100 वॉट के 2 बल्ब जल गये,

उनकी दूधिया रोशनी से पूरा कमरा जगमगा उठा..

उसने गोर से उसके मोटे मुम्मो को देखा और फिर धीरे से अपनी जीभ निकाल कर उसके निप्पल को गीला कर दिया...

कड़क निप्पल उसकी थूक में नहा कर और ज्यादा अकड़ गये..

 

और फिर उसने अपना पूरा मुँह खोलकर उसके दाँये मुम्मे को मुँह में लिया और उसे जोरों से चूसने लगा...

 

''म्‍म्म्ममममममममममममम...... अहह.......... मजाअ आआआआआआअ गया विक्कीईईईईईईईईई''

 

आज शायद पहली बार था जब उसने भैय्या ना बोलकर सिर्फ़ उसे विक्की नाम से बुलाया था...

और ये उसे पसंद भी आया.

 

और उसे डबल मज़ा देने के लिए उसने दूसरे मुम्मे को भी अपने मुँह में लेकर उसी अंदाज में चूसा, चुभलाया.....

 

विक्की के पैने दाँत अपने मुम्मो पर महसूस करते हुए वो उसके सिर को पकड़ कर बुरी तरह से कराह रही थी....

और साथ ही साथ वो अपनी चूत वाला हिस्सा उठाकर उसके खड़े लंड पर भी मार रही थी,

शायद उसे नीचे कुछ ज़्यादा तकलीफ़ थी जिसका इलाज इस वक़्त सिर्फ़ विक्की के पास ही था...

 

विक्की भी उसका इशारा समझ कर उसके मुम्मो को छोड़कर नीचे की तरफ हो लिया,

कमर पर बँधी उसकी स्कर्ट को उसने खोलकर नीचे खिसका दिया,

कच्छी तो दोनो सहेलियाँ ही नही पहनती थी, इसलिए अगले ही पल उसकी चूत पूरी नंगी होकर उसके सामने आ गयी

 

अपने ही रस में नहाई हुई उसकी कच्ची चूत अलग ही लिश्कारे मार रही थी..

 

विक्की को उसे एकटक निहारते देखकर मंजू ने खुद ही पहल करते हुए उसके सिर को पकड़ा और उसे नीचे करते हुए अपनी कमर उठा कर अपनी चूत उसके मुँह से लगा दी....

 

''आआआआआआआआआआआआआहह.................. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... विक्ककीईईईईईईईईईईईईईईई........ प्लीईईईईईईईस....... ख़ाआ जाओ मुझे...................... सक्ककककक मिईईईई हाआररर्र्र्र्र्द्द्द्द्दद्ड''

 

वो विक्की को ये बाते ना भी बोलती तब भी शायद वो यही करता.....

 

अपनी नुकीली जीभ से वो उसकी चूत के होंठों को कुरेदता हुआ उसे एक अलग ही दुनिया में ले गया...

और अंदर से निकल रही चाशनी को जीभ से इकट्ठा करते हुए निगलने लगा...

 

सच में दोस्तो, कच्ची चूत की चाशनी का स्वाद अलग ही होता है....

जिसने ये मज़ा ले लिया उसे दुनिया का हर दूसरा स्वाद फीका लगेगा इसके सामने..

 

मंजू उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर उपर से नीचे तक रगड़ रही थी....

ऐसा करते हुए वो बुरी तरह से बड़बड़ा भी रही थी...

 

''आआआअहह विक्की......चूस इसे.......आआआआहह......खा जा मेरी चूत को.....पी ले इसका रस.....आआआअहह......जीभ घुसेड नाआआआअ...अंदर तक...........आआआहह.......और अंदर नही जाएगी ये.......लंड निकाल लंड ......वो डाल इसके अंदर विक्की.....लॅंड डाआआआाालल्ल्ल इसके अंदर....''

 

उसकी अधीरता देखते ही बनती थी.....

एक लड़की इतने साल तक जिस चूत का कुँवारापन संभाल कर रखती है, उसके चुदने का समय जब आता है तो वो समय से आगे निकल कर , सारे बंधन तोड़ कर उस पल को जी लेना चाहती है जो उसे इस दुनिया का सर्वश्रेष्ठ आनंद दे सके...

और वही इस वक़्त मंजू महसूस कर रही थी.....

 

विक्की जल्दी से खड़ा हुआ और आनन फानन में उसने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके...

और जल्द ही वो उसके सामने उसी की तरह पूरा नंगा खड़ा था....

 

उसके लंड को देखते ही वो भूखी बिल्ली की तरह उसके उपर झपट पड़ी और अपना मुँह खोलकर उसके लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी..

 

विक्की बेड के किनारे खड़ा हुआ उसके सिर को पकडे हुए अपना लंड उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा....

और जब वो पूरी तरह से गीला हो गया तो उसने मंजू को धक्का देकर बेड पर फिर से लिटा दिया....

 

अब वो पल आ चुका था जिसके लिए मंजू की चूत ना जाने कितने दिनों से कुलबुला रही थी...

 

विक्की ने अपना गीला लंड उसकी गीली चूत पर रखा और उसके रास में डुबो कर उसे चूत के मुहाने पर रगड़ने लगा

 

फिर वो उसके उपर धीरे-2 झुकने लगा...

 

लंड अपनी जगह बनाता हुआ उसकी चूत की पतली सी गली में फिसलता हुआ आगे बढ़ने लगा...

 

जैसे-2 लंड अंदर जा रहा था, मंजू की आँखे फैलती जा रही थी....

इतने मोटे लंड का छोटे से छेद में जाना सच में किसी करिश्मे से कम नही होता,

पर वो इस वक़्त उसे अंदर जाता हुआ देखकर, अंदर से महसूस करते हुए , सिर्फ़ मुँह फाड़े उसे देखने के सिवा कुछ और कर ही नही सकती थी...

 

और जल्द ही उसकी चूत की चुंगी आ गयी,

यानी उसकी कमसिन चूत की सील....

दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और फिर एक जोरदार प्रहार करते हुए विक्की ने अपना लंड उसकी चूत में पूरा उतार दिया...

मोटा लंड उसकी चूत की सीमाओं को तोड़ता हुआ, अंदर तक जा धंसा...

 

''आआआआआआआआआआआहह......... विक्कककक्कीईईईईईईईईई........ उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़........... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रीईईईईईईई..... अहह.... निकालो इसे......बहुत मोटा है ये तो.......दर्द हो रहा है मुझे...............''

 

विक्की को लगा था की शायद नेहा की तरह इसे भी ज़्यादा दर्द नही होगा,

पर वो ग़लत था, हर चूत एक जैसी नही होती, ये बात उसे आज समझ में आ गयी थी.

 

उसने उसे हॉंसला देते हुए, उसके होंठो को चूमा और नीचे जाकर उसके स्तनो को भी अपने मुँह में लेकर चुभलाया ....

थोड़ी देर में जब उसे लगा की अब वो शांत है तो उसने फिर से अपना लंड खींच कर अंदर डाल दिया....

कुछ झटको तक तो वो चिल्लाती रही पर कुछ ही देर बाद वो चीखे लंबी सिसकारियों में बदल गयी...

 

''उम्म्म्ममममममममममममममममममम.....ओह विक्कक्कीईईई......आख़िर चोद ही दिया तुमने मुझे.............आआआआअहह ........................ लव योउ विक्की................. आआआआअहहई लव योउ........''

 

उसके बाद तो उसने खुद ही अपनी कमर उठा -2 कर उसके लंड को पूरा अंदर लेने में कोई कसर नही छोड़ी..

 

और कुछ देर बाद जब वो उस पोज़िशन में थक गयी तो उसने विक्की को धक्का देकर अपनी जगह पर लिटाया और खुद उसके उपर सवार हो गयी ....

 

इस पोज़िशन में उसे ज़्यादा मज़ा आ रहा था....

नीचे से कुतुब मीनार की तरह खड़े लंड पर डांस करते हुए वो उसके मोटे लंड के मज़े लेने लगी...

विक्की भी अब उसके झूल रहे मुम्मो को सही ढंग से पकड़ कर मज़े ले पा रहा था...

 

और बीच-2 में उठकर वो उसके मुम्मो को चूम भी रहा था और उन्हे चूस भी रहा था...

कुछ ही देर में मंजू ने आनंदमयी चीखो के साथ अपने झड़ने का एलान कर दिया..

 

''आआआआआआआअहह विक्ककीईईईईईईईईईईईईईई....... आई एम् कमिंग.................अहह''

 

ऐसा कहते हुए वो उसके उपर झूल सी गयी और अपना सिर उसके कंधे पर रखकर जोरों से साँसे लेने लगी.....

कुछ देर तक तो विक्की ने उसे उसी पोज़िशन में उसे नीचे से चोदा पर फिर अपना लंड निकाल कर वो फिर से बेड के किनारे खड़ा हुआ और उसे घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर उसकी चुदाई करने लगा...

 

ऐसा करते हुए वो उसके मखमली चूतड़ों को अच्छे से दबा पा रहा था, उन्हे जोरों से दबाते हुए जल्द ही वो झड़ने के करीब पहुँच गया.....

 

''आआआआआआआआहह..............मंजू..................मैं झड़ने वाला हूँ .............आआआआआआअहह''

 

उसके इतना कहते ही मंजू ने उसके लंड को अपनी चूत से बाहर निकाला और पलट कर उसके सामने बैठ गयी.....

नेहा की तरह उसने रिस्क लेना सही नही समझा शायद....

या फिर वो उसके माल को चखना चाहती थी....

जो भी था, विक्की के लिए दोनो ही सूरत में झड़ना ही लिखा था....

 

अपने हाथ से लंड को रगड़ते हुए वो जल्द ही अपना रस उसके चेहरे पर फेंकने लगा.....

और वो भी अपना मुँह खोलकर जितना हो सकता था उसे सीधा अपने मुँह में लेकर उसे पीने लगी....

 

और पूरा झड़ने के बाद वो उसी बेड पर गहरी साँसे लेता हुआ गिर पड़ा....

और उसके साथ ही मंजू भी वहीँ गिर गयी...

अपने चेहरे से उसने सारा माल सॉफ करके चाट लिया और विक्की से लिपट कर आँखे बंद कर ली....

 

विक्की अपनी किस्मत पर इतरा रहा था....2 दिन मे उसने 2 कुँवारी चूतों का उद्घाटन कर दिया था...

 

ये सोचते-2 वो मुस्कुरा रहा था....

पर उसकी मुस्कुराहट पर उसी वक़्त ब्रेक लग गया जब मंजू ने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा

 

''विक्की......आज स्कूल के बाद नेहा को भी यहीं ले आना....''

 

विक्की हैरानी भरी आँखों से उसे देखने लगा , जैसे पूछ रहा हो की आखिर चाहती क्या हो तुम

पर वो सिर्फ मुस्करा रही थी

शायद कुछ स्पेशल चल रहा था उसके दिमाग में

 

 

 

कहानी आगे जारी रहेगी...

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