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स्कूल से छुट्टी होते ही नेहा और उसकी बचपन की सहेली मंजू लगभग दौड़ते हुए बाहर निकले,
दोनो में हमेशा इसी बात की दौड़ लगती थी की कौन पहले बाहर निकले और विक्की की बाइक पर पहले बैठे...
और इस दौड़ में लगभग हर बार नेहा ही जीतती थी..
आख़िर वो चुस्त दरुस्त थी, एकदम छरहरा सा बदन था उसका, भागने में भी तेज थी और सबसे बड़ी बात विक्की उसका सगा भाई था इसलिए उसके पीछे बैठना वो अपना हक़ समझती थी
वहीं दूसरी और मंजू भी कम नही थी
हालाँकि वो नेहा के मुक़ाबले थोड़ी मोटी थी और शायद इसलिए वो अक्सर पीछे रह जाती थी पर उसने भी कई बार बाजी मारकर विक्की के पीछे बैठने का लुत्फ़ उठाया था..
और ये दोनो 12 वी कक्षा में जाने के बावजूद ऐसी बचकानी हरकतें इसलिए भी किया करती थी क्योंकि उनमें आजकल की लड़कियो वाली चालाकियाँ नही थी
यानी दोनो सूरत और सीरत से एकदम भोली थी.
और दूसरा उन्हे ऐसा करने के लिए विकी ही उकसाता था क्योंकि उन्हे स्कूल से घर ले जाने के बहाने वो उनके गुदाज और उभर रहे मुम्मो का दबाव अपनी पीठ पर महसूस करता था...
और साथ ही साथ उन्हे दूर से भागते हुए देखकर उनके हिलते हुए नन्हे स्तनों में किसके कितने बड़े है इसकी तुलना भी करता था...
भले ही नेहा और विक्की सगे भाई बहन थे पर जब से विक्की के लंड ने हरकत करनी शुरू की थी उसे नेहा के सिवा कोई और दिखाई ही नही देता था...
और ये सिलसिला आज से नही बल्कि पिछले 1-2 सालो से था जब से नेहा के नन्हे नींबुओं ने सेब का आकार लेना शुरू कर दिया था...
अपने पिता और माँ के डर से विक्की घर पर तो कोई हरकत कर नही सकता था इसलिए अपनी बहन को स्कूल से लाने के बहाने वो अपनी इच्छा की थोड़ी बहुत पूर्ति कर लेता था..
बहन के साथ-2 उसे उसकी सहेली मंजू का स्पर्श भी मिल जाया करता था...
कुल मिलाकर अभी के लिए उसका जुगाड़ सही से काम कर रहा था...
पर अब वो इस खेल को और आगे ले जाना चाहता था और इसलिए उसके दिमाग़ में पिछले कई दिनों से खिचड़ी पक रही थी.
आज नेहा को पछाड़ते हुए मंजू आगे निकल आई और उछल कर विक्की की बाइक पर बैठ गयी...
नेहा बेचारी मन मसोस कर रह गयी और बुझे मन से वो भी पीछे बैठ गयी और बाइक चल पड़ी..
कुछ दूर चलकर हमेशा की तरह विक्की ने बाइक एक आइस्क्रीम वाले के पास रोकी और आज की विजेता यानी मंजू को एक चोकोबार लेकर दी और नेहा को मिली आइस कैंडी..
यही लालच था दोनो को जो उन्हे भागने के लिए प्रेरित किया करता था.
और आइस्क्रीम लेकर वो फिर से घर की तरफ चल दिये.
एक हाथ से आइस्क्रीम और दूसरे से विकी की कमर को पकड़कर अपना बेलेंस बनाने की कोशिश में मंजू के मुम्मे ना जाने कितनी बार विक्की की कमर से घिस्से खा गये.
पहले तो उसे कोई फ़र्क नही पड़ा पर जब उसके निप्पल्स ने अकड़ना शुरू कर दिया तो उसे एहसास हुआ की ये हो क्या रहा है...
आज से पहले भी उसने ये बात कई बार नोट की थी पर इसमें जो मज़ा मिलता था उसे सोचकर वो हर बार इसे नजरअंदाज कर दिया करती थी...
ना तो उसे और ना ही नेहा को आज तक इन बातो से कोई फ़र्क पड़ा था...
पर जैसे-2 उनमें शारीरिक बदलाव आ रहा था उनके शरीर ने अपनी तरफ से संकेत देने शुरू कर दिए थे...
और ना चाहते हुए भी हमेशा की तरह आज भी मंजू को उस घर्षद में एक अजीब से आनंद की प्राप्ति हो रही थी....
शरीर में एक अजीब सा कंपन और रह-रहकर स्तनों से लेकर नीचे चूत तक जो एक लहर उठकर जाती थी उसकी वजह से वो अपनी आइस्क्रीम खाना छोड़कर आँखे मूंदे उस आनंद की अनुभूति करने में लगी थी..
और उसके पीछे बैठी हुई नेहा उसे आँखे बंद किए बैठे देखकर बोली : "अररी पागल...तेरी आइस्क्रीम गिर रही है और तुझे नींद आ रही है चलती बाइक पर...''
उसकी बात सुनकर उसने आँखे खोली तो पाया की थोड़ी आइसक्रीम पिघलकर उसके दाँये स्तन पर गिर गयी है...
वो बोली : "ओोहह ...मुझे ध्यान ही नही रहा...प्लीज़ यार, मेरी छाती से आइस्क्रीम सॉफ कर दे...वरना दाग पड़ जाएगा...''
नेहा ने बड़े ही केजुअल तरीके से अपना हाथ आगे किया और उसके मुम्मे पर अपनी उंगलिया फेरते हुए उसपर गिरी आइस्क्रीम सॉफ कर दी..
पर ऐसा करते हुए उसने महसूस किया की आज उसके निप्पल्स कुछ ज़्यादा ही उभरकर खड़े है...
इसलिए उसने एक बार फिर से उनपर हाथ फेरते हुए उन्हे सहलाने लगी...
वो तो उसे शरारत के तौर पर छेड़ रही थी पर मंजू पर उसका असर किसी और ही तरीके से हो रहा था..
एक तो विक्की की पीठ से घिसाई के बाद उसके निप्पल्स पहले से ही खड़े थे, नेहा की इस हरकत से वो और भी कड़क होने लगे...
उसने बड़ी मुश्किल से , ना चाहते हुए उसके हाथ को अपनी छाती से हटाया और बाकी के रास्ते आराम से बैठकर गयी..नेहा भी खिलखिलाकर हंस दी अपनी सहेली की इस हालत पर..
इन सब बातो को आगे बैठा विक्की बड़ी चालाकी से नोट कर रहा था...
और उसकी कुटिल मुस्कान बता रही थी की उसने अगले कदम की प्लानिंग कर ली है अब।
मंजू का घर पहले आता था , इसलिए उसे रास्ते मे उतारने के बाद दोनो भाई बहन अपने घर की तरफ चल दिए...
अब अपने भाई से चिपकने की बारी नेहा की थी...
और शायद इसी बात का विक्की को भी इन्तजार था.
जैसे ही नेहा ने अपनी बाहे विक्की की कमर से बाँधी, उसने बाइक की स्पीड तेज कर दी और नेहा ने गिरने से बचने के लिए विक्की को और ज़ोर से जकड़ लिया...
और इस प्रक्रिया मे उसके नन्हे चूजे विक्की की कमर में धंसते चले गये...
विक्की को लगा जैसे रुई के दो गोले उसके कमर की मसाज कर रहे है.
विक्की को पकड़े-2 नेहा ने उसके कान के पास अपनी गर्म साँसे छोड़ते हुए कहा : "भैय्या , मैं आपसे बहुत नाराज़ हूँ , आपने आज फिर से मंजू को चोकोबार लेकर दी और मुझे वो सड़ी हुई सी बर्फ वाली आइस्क्रीम...''
विक्की जानता था की वो ऐसा बोलने वाली है, इनफॅक्ट हारने के बाद वो हर बार ऐसे ही अपनी शिकायत किया करती थी..शायद हार बर्दाश्त नही थी उसे...
विक्की : "नेहा, तुझे तो पता है ना, मैने पहले ही बोल रखा है की जो जीतेगा उसे ही चोकोबार मिलेगी...अब तू आज हार गयी तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ ...''
बेचारी अपने भाई की बात सुनकर मायूस सी हो गयी,
उसकी पकड़ भी ढीली पड़ गयी...
ये देखते ही विक्की ने अपना पासा फेंका
वो बोला : "वैसे तुझे चोकोबार खानी है तो वो मैं तुझे अलग से भी खिला सकता हूँ ....''
ये सुनते ही नेहा के शरीर में जैसे एक बार फिर से जान आ गयी...
उसकी पकड़ भी तेज हो गयी और मुम्मो को और ज़ोर से उसकी कमर में धँसाते हुए वो बोली : "ओ वाउ....तो खिलाओ ना...''
विक्की तो पहले से ही प्लानिंग करके बैठा था..
वो बोला : "ऐसे नही...इसके बदले तुझे भी मेरा एक काम करना होगा..''
नेहा : "वो क्या....? ''
विक्की : "आज रात को जब माँ पिताजी सो जाए तो मेरे रूम में आ जाना, आइस्क्रीम भी मिल जाएगी और काम भी वहीं बता दूँगा...''
उसने बड़ी मासूमियत से पूछा : "आ तो जाउंगी ..पर...माँ पिताजी के सोने के बाद ही क्यूँ ..पहले क्यों नही...''
विक्की ने थोड़े कड़क लहजे में कहा : "आइस्क्रीम खानी है ना....फिर ये बेकार के सवाल क्यों पूछ रही है''
वो सकपका सी गयी....
और एकदम से चुप हो गयी...
शायद इस डर से की कहीं उसके भाई का मन ना बदल जाए आइस्क्रीम खिलाने का..
विक्की उसकी हालत देखकर बोला : "अर्रे पगली, डरती क्यों है...वो मैं इसलिए बोल रहा हूँ की माँ पिताजी हमेशा गुस्सा करते है ना रात को आइस्क्रीम खाने के लिए...की दाँत खराब हो जाएगे...ये हो जाएगा...वो हो जाएगा...इसलिए बोल रहा हूँ ...वरना मुझे क्या, उनकी डांट खानी है तो पहले ही आ जाइयो...''
नेहा :"ओह्ह .....इसलिए आप बाद में आने के लिए कह रहे थे....मुझे डांट से बचाने के लिए...थॅंक्स भैय्या ....उम्म्म्मममाआअ''
इतना कहते हुए उसने बाइक पर बैठे-2 ही उसके गालो के पास एक गीला सा चुंबन दे दिया...
उसके नर्म होंठो की किस्स वो कई बार महसूस कर चुका था...
पर आजकल वो थोड़ा और सेनुसुअल फील करवाती थी.
घर पहुँचकर वो सीधा बाथरूम में घुस गयी और विक्की अपने रूम में , जो फर्स्ट फ्लोर पर था....
वहां पहुँचते ही उसने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और अपने 7 इंच के लंड को पकड़कर उपर नीचे करने लगा...
ऐसा करते हुए उसकी आँखे बंद थी और बंद आँखो से वो उन्ही पलों को फिर से याद कर रहा था जो कुछ देर पहले घटे थे...
मंजू के नर्म मुम्मे और उसकी पकड़ को महसूस करके उसने 8-10 घिस्से ज़ोर से मारे...
और फिर जब नेहा के बारे में सोचना शुरू किया तो उसके हाथों की गति बढ़ती चली गयी...
उसके नर्म मुम्मे के स्पर्श से लेकर उसकी किस्स तक और घर पहुँचने के बाद उसका बाथरूम में जाकर कपड़े उतारकर नंगे होने तक को भी उसने इमेजीन कर लिया
और जब उसे बंद आँखो मे अपनी नंगी बहन दिखाई दी तो उसके लंड की पिचकारियां पूरे कमरे में तितर बितर होकर फैल गयी
''आआआआआआआआआआाअगगगगगगगगगगगगघह..... साली हरामजादीया...........''
अपने लॅंड की आख़िरी बूँद तक को अपनी बहन और उसकी सहेली के नाम कुर्बान करने के बाद वो उठा और अपनी टी शर्ट से नीचे के फर्श को सॉफ किया और उसे बास्केट में डाल दिया धोने के लिए...
और कपड़े पहन कर वो बाहर निकल गया अपने दोस्त से मिलने।
रात को घर आते हुए वो चोकोबार लेकर ही आया, और वो उसने सबकी नज़रों से छुपाकर फ्रीजर में पीछे की तरफ रख दी.
खाना खाते हुए हमेशा की तरह माँ पिताजी ने उन दोनो से दिन भर का हिसाब किताब लिया...
विक्की का तो कॉलेज ख़त्म हो चुका था और वो MBA के एंट्रेन्स की तैयारी कर रहा था,
इसलिए उसके पास तो बताने लायक कुछ था नही, पर नेहा तो एक बार शुरू हुई तो उसने सुबह 7 बजे से लेकर 1 बजे तक की सारी बाते अपने पिताजी को बोल डाली....
खाना खाने के बाद माँ पिताजी उन्हे सोने को कहकर अपने कमरे में चले गये...
नेहा का अलग से कोई कमरा नही था, वो बाहर के ड्रॉयिंग रूम में पड़े एक बड़े से तख्त पर ही सोती थी, जो माँ पिताजी के रूम के बाहर ही था....
विक्की बड़ा था तो उसके लिए उपर वाला कमरा दिया हुआ था उसको..
रात के करीब 11 बज चुके थे, नेहा ने जब देखा की अंदर से माँ पिताजी के ख़र्राटों की आवाज़ें आ रही है तो वो चुपके से उठी और नंगे पैर उपर अपने भाई के कमरे की तरफ चल दी, उसने इस वक़्त एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी, जिसके अंदर ब्रा और पेंटी थी.
विक्की तो कब से उसके आने का इंतजार कर रहा था, जैसे ही वो आई उसने उसे गले से लगा लिया.
नेहा के लिए ये थोड़ा अजीब था, क्योंकि आज से पहले उसके भाई ने ऐसा कभी नही किया था.
पर आज पहली बार अपने भाई के चौड़े सीने से लगकर उसे काफ़ी अच्छा लगा....
ख़ासकर उसकी चुचियो को जो छाती से रगड़ खाकर अकड़ सी गयी थी...
एहसास तो काफ़ी सुखद था पर बेचारी को पता नही था की ऐसे एहसास का करना क्या है....
खैर, उसे अंदर बिठाकर उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया.
नेहा : "भाई....अब तो दे दो ना आइस्क्रीम...इतनी देर से मेरा मन ललचा रहा है उसे खाने को...''
विक्की ने उसके नन्हे मुम्मो को देखकर सोचा 'मन तो मेरा भी ललचा रहा है छुटकी , तेरे इन कबूतरों को पकड़कर निचोड़ डालने का...' पर बेचारा ये बोल नही पाया..
विक्की : "अच्छा , तुझे अपनी आइस्क्रीम की चिंता है, पर मेरे काम की नही...''
नेहा : "ओोह ...मैं तो भूल ही गयी थी.....बोलो ना भाई....क्या काम करना है आपका...''
विक्की उसके घुटनो के पास बैठा और उसकी आँखों में देखते हुए बोला : 'देख नेहा, ये बात सिर्फ़ हमारे बीच ही रहनी चाहिए, माँ पिताजी को ज़रा भी भनक लगी तो मेरी बहुत मार पड़ने वाली है...''
नेहा ने विक्की के हाथ पर हाथ रखा और बोली : "तुम फ़िक्र ना करो भाई, आई प्रॉमिस, ये बात हम दोनो के बीच ही रहेगी''
विक्की को जब लगा की उसने नेहा को अपने कॉन्फिडेंस में ले लिया है तो उसने अपनी अलमारी से एक DSLR कैमरा निकाला....
इतना महँगा कैमरा देखते ही नेहा की आँखे फटी की फटी रह गयी...
विक्की : "आँखे फाड़ कर मत देख, ये मेरा नही है, मेरे एक दोस्त का है, बस कुछ दिनों के लिए लाया हूँ उस से.....''
नेहा : "पर किसलिए भाई...?''
विक्की : "क्योंकि मुझे अपना पोर्टफोलियो बनवाना है मॉडलिंग के लिए ....''
विक्की की इस धमाकेदार बात सुनकर उसकी आँखे फिर से फैल गयी...
''मॉडलिंग ???? पर क्यों ''
विक्की : "क्योंकि मुझे टीवी या मूवीज लाइन में जाना है.....मैने अपने एक दोस्त से बात भी कर ली है...बस एक अच्छा सा पोर्टफोलीयो बना कर देना है उसे...बाकी का काम वो संभाल लेगा..''
नेहा (आशचर्यचकित होकर बोली) " मूवीज में ....यानी बॉलीवुड में ....वॉव ''
और ये था विक्की का प्लान...नेहा को अपनी इन बातों में फंसाकर उस से मजे लेने का.
पर यहाँ विक्की झूठ भी नही बोल रहा था,
उसका रुझान सच में बॉलीवुड की तरफ था...
स्मार्ट तो वो था ही, कद काठी भी अच्छी थी, हेयर स्टाइल भी बड़िया था, स्कूल कॉलेज की ड्रामा टीम में उसने कई नाटकों में हिस्सा भी लिया था..
इसलिए उसके दोस्त हमेशा उसे मूवीज में जाने के लिए प्रेरित करते रहते थे..
पर ये बात उसने अपने तक ही रखी हुई थी, घर में इस बारे मे किसी को नही पता था...
क्योंकि उसके पिताजी चाहते थे की वो MBA करके एक अच्छी सी कंपनी में जॉब करे जो उसके बस की बात थी नही.
नेहा तो शुरू से ही मूवीस की फैन थी, अक्सर घर में तेज गाने चलाकर वो नाचती गाती रहती थी, पूरे घर की लाडली थी इसलिए उसे कोई कुछ कहता भी नही था....
नेहा के इसी रुझान का फायदा विक्की उठा लेना चाहता था...
वो एक तीर से दो शिकार कर रहा था, जिससे उसका काम भी बन जाए और नेहा भी उसे मिल जाए..
नेहा का उत्साह देखकर विक्की समझ गया की उसे बोतल में उतारने में ज़्यादा परेशानी नही आएगी...
पर वो हर काम बड़े प्यार और आराम से करना चाहता था...
आख़िर उसकी बहन थी वो, उसकी खिल रही जवानी को वो अपने हिसाब से इस्तेमाल करना चाहता था.
अब तो खेल शुरू करने का इंतजार था बस।
विक्की ने नेहा को केमरे के सारे फंक्शन्स समझा दिए ताकि वो उसकी फोटो सही से ले सके...
विक्की ने उसे ये भी बताया की कुछ पिक्चर्स लेने के लिए उन्हे बाहर की लोकेशन्स में भी जाना पड़ेगा, जैसे माल्स, शहर की बौंड्री पर बने खेत और पुराने किले में भी क्योंकि ऐसी जगह का बेकग्रौंड अच्छा आता है पिक्चर्स में..
नेहा केमरे को हाथ में लेकर बड़ी उत्साहित लग रही थी...
उसने एक-2 करके विक्की की फोटो लेनी शुरू कर दी और विक्की भी बड़े स्टाइल के साथ अलग-2 पोज़ में फोटो खिंचवाने लगा..
करीब 10 मिनट बाद नेहा के अंदर की कुलबुली बाहर आ ही गयी और वो बोली : "भैय्या, प्लीज़ मेरी भी फोटो खीँचो ना....''
विक्की : "तेरी फोटो किसलिए...क्या तुझे भी मॉडलींग का शॉंक है...''
नेहा ने शरमाते हुए कहा : "मॉडलींग का तो नही पर हेरोइन बनने का बहुत शॉंक है...''
विक्की (हंसते हुए) : "हा हा....मैं यहाँ हीरो बनने की तैयारी में हूँ और तू हेरोइन बनने की...वाह....पिताजी को बोलकर फिल्म घर पर ही बनवा लेते है....''
नेहा ने भी हंसते हुए उसका साथ दिया और बोली : "हां ..ये सही रहेगा...और माँ से डायरेक्ट करवा लेंगे....पूरा परिवार एक शानदार फिल्म बनाएगा मिलकर....''
उसकी बात सुनकर विक्की हंस दिया और उसके हाथ से कैमरा लेकर उसकी पिक्स लेने लगा...
अब उसके अंदर का कमीनापन जागने लगा था...
वो बोला : "यार....तेरा चेहरा तो काफ़ी सैक्सी है....पर ये कपड़े सूट नही कर रहे...तू चेंज कर ले ना...''
नेहा : "कैसे करू चेंज....मेरी अलमारी तो नीचे है...''
विक्की : "तो इसमें क्या प्रॉब्लम है....मेरी टी शर्ट पहन ले..वो थोड़ी लंबी होगी इसलिए नीचे कुछ पहनने की ज़रूरत भी नही है....फोटो भी एकदम सैक्सी आएगी...''
नेहा बेचारी एकदम भोली थी, उसे क्या पता था की उसका भाई उसकी नंगी टांगे देखने के लिए ये सब बोल रहा है..
वो झट से मान गयी और विक्की की टी शर्ट लेकर बाथरूम में जाने लगी
विक्की : "यही चेंज कर ले ना...मुझसे भला क्या शरमाना...''
वो कुछ देर तक असमंजस में खड़ी रही और धीरे से बोली : "पर भैय्या ....वो माँ कहती है की मैं अब बड़ी हो रही हूँ ...तो मुझे छुप कर ही कपड़े बदलने चाहिए....ख़ास कर तुम्हारे और पिताजी के सामने...''
विक्की को पता था की उसकी बहन को इन बातो की कुछ ज़्यादा समझ नही है...
पिछले साल तक तो वो घर में छोटी सी निक्कर और बिना ब्रा के टी शर्ट पहने घुमा करती थी, जिसमें से उसकी छाती पर चमक रही बूँदिया सॉफ दिखा करती थी और कई बार तो उसने बड़ी ही बेबाकी से उसे कपड़े बदलते हुए भी देखा था...हालाँकि वो उसे सामने से कभी नही देख पाया पर पीछे से उसकी नंगी पीठ को देखकर उसकी चिकनाहट का अंदाज़ा उसने अच्छे से लगा लिया था...
उन दिनों के बाद से तो अपनी बहन के लिए उसमे और भी ज़्यादा ठरक बढ़ गयी थी...
और आज जो भी हो रहा था ये सब उसी ठरक का परिणाम था.
विक्की : "माँ की बातें तो मेरे भी सिर के उपर से निकल जाती है...भला हम दोनो भाई बहन में कैसी शर्म और वैसे भी तुम्हे या मुझे मॉडलिंग करनी है तो ये शरमाना तो छोड़ना पड़ेगा हमें...कई एड्स में तो नाम मात्र के कपड़े पहनने होते है, उस वक़्त तो पूरी दुनिया देखेगी ना, इसलिए बोल रहा हूँ , मुझसे क्या शरमाना....यहीं चेंज कर लो...''
बेचारी कुछ बोल नही पाई....
उसे इस वक़्त इस बात की चिंता नही थी की वो अपने भाई के सामने कपड़े उतारने जा रही है,
उसे तो बस अपनी माँ का डर था जिन्होने उसे ऐसा करने से मना कर रखा था.
विक्की : "तू माँ की फ़िक्र ना कर, वो नीचे सो रही है...और जो भी हमारे बीच है वो मैं किसी को नही बताऊंगा ..प्रॉमिस.''
विक्की का आश्वासन सुनकर उसे थोड़ी राहत मिली और उसने दूसरी तरफ मुँह करके एक ही झटके में अपनी मैक्सी उतार दी...
विक्की तो अपनी कमसिन बहन का कसावट से भरा बदन देखकर हैरान ही रह गया....
एकदम छरहरा सा बदन था...
जैसे कोई एथलीट का हो, कहीं पर भी एक्स्ट्रा फैट नही था....
उसकी गांड सबसे ज़्यादा दिलकश थी, जैसे तरबूज के दो टुकड़े करके पीछे बाँध दिए हो...
कमर एकदम चिकनी थी और हल्का सा कर्व लिए हुए थी...
वो ब्रा लेने के लिए जब पलटी तो ब्रा में क़ैद उसके नन्हे बूब्स देखकर विक्की के मुँह से आह सी निकल गयी...
नेहा : "क्या हुआ भैय्या ..... ।।।.''
विक्की : "कू...कुछ नही....वो बस तुझे देखकर आज पता चला की तू कितनी बड़ी हो गयी है....''
नेहा ने विक्की की नजर का पीछा करते हुए अपने मुम्मे देखे और हंस दी...
फिर बोली : "भैय्या , एक बात सच-2 बताना...क्या सभी लड़के सबसे पहले लड़की में यही चीज़ नोट करते है की उसके बूब्स कितने बड़े है...''
ऐसा करते हुए वो अपने बूब्स को टटोल कर देख रही थी...
उन्हे हाथ लगा कर उपर उभार कर देख रही थी की कितने बड़े हुए है अब तक...
विक्की बेचारे की हालत खराब हो गयी उसका मासूम सा सवाल सुनकर और उसे अपने बूब्स से खिलवाड़ करता देखकर..
विक्की : "तुझे ये किसने बोला...''
नेहा : "वो है ना मेरी क्लास में एक लड़की सुरभि....वो बोल रही थी...''
विक्की : "ओह्ह ....मुझे लगा की मंजू ने बताया है तुझे ये...''
नेहा : "मंजू से भी पूछा था मैने, पर उसे भी पता नही था...''
विक्की ने मन में सोचा की उसे भी कैसे पता होता, है तो वो भी तेरी तरह बौड़म ही ना...
उसे चुप देखकर नेहा फिर से बोली : "बोलो ना भैय्या , ऐसा होता है क्या...''
उसने कुछ देर तक मन में सोचा और कुटिल मुस्कान के साथ बोला
"हां ...होता तो है....लड़को को अक्सर बड़े बूब्स वाली लड़कियां ही पसंद आती है...मूवीस और एडवर्टिसमेंट में भी ऐसी ही लड़कियो को ज़्यादा चांस मिलता है जिनके मुम्मे बड़े होते हैं ...''
उसने जान बूझकर मुम्मा वर्ड इस्तेमाल किया था, क्योंकि ऐसा बोलने में लड़को को एक अलग ही रोमांच का एहसास मिलता है
पर नेहा का चेहरा मुरझा सा गया...शायद उसे अपने नन्हे बूब्स होने का एहसास था..
पर वो नही जानती थी की आजकल के लड़को को ये नन्हे बूब्स वाली लड़किया ही ज़्यादा पसंद है....
ताकि उनके पूरे बूब को एक ही बार में मुँह में लेकर चूसा जा सके...
छाती की गहराई तक.
विक्की : "पर तू इतना क्यों सोच रही है....तेरे भी अच्छे है...और 1-2 सालो में ये और बड़े हो जाएँगे...''
नेहा का चेहरा दमक उठा ये सुनते ही....
वो बोली : " सच्ची ......हो जाएँगे ना.....अभी तो सिर्फ़ 32 ही है इनका साइज़....कम से कम 36 हो जाए तो मुझे चैन आएगा....''
विक्की को यहाँ एक मौका मिलता हुआ सा महसूस हुआ
वो बोला : "तो एक काम करा कर ना...इनकी मालिश किया कर सुबह शाम तेल से...इन्हे दबाने से ही ये बड़े होंगे...इनके अंदर ब्लड सर्कुलेशन होगा तो अपने आप बड़े हो जाएँगे ये...''
नेहा : "ओह्ह ....ऐसा है क्या.....फिर तो मैं कल से ही ये काम शुरू कर दूँगी...''
विक्की कहना तो चाहता था की कल का वेट क्यों करती है पगली...
अभी से ही कर दे ना..
मेरे ही सामने...और अगर चाहे तो मैं तेरी मदद कर सकता हूँ
पर ये सब करना शायद कुछ ज़्यादा ही जल्दी हो जाता....और अपनी बहन के केस में विक्की कोई भी जल्दबाजी नहीं चाहता था, वो चाहता था की सब नेचुरल सा लगे, ताकि उसकी बहन को पता न चल सके की वो उसकी चाल का शिकार बन गयी है.
पहले ही दिन वो उसके सामने अंडरगार्मेंट्स में खड़ी थी उसके लिए यही बहुत था..
खैर, उसने जल्दी से टी शर्ट पहनी और अपनी कमर मटका-2 कर सैक्सी से पोज़ देने लगी...
कहानी आगे जारी रहेगी...
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