घर है या रंडीखाना - 6 अब आगे...
रसदार होठों का चुंबन ले कर, जीभ में जीभ घुसकर जीभ से जीभ मिलाकर और दिल की धड़कनों को एक साथ करें फकत उसके होठों को अपने दांतो में गड़ा कर मैं मदहोश हो रहा था….
निशा की जवानी में डूब कर उसके गद्देदार पिछवाड़े अपने हाथों से सहलाते हुए उसके गीले गीले होठों पर मैं और थूक ,मिला रहा था,
जीवन का यह सुख शायद सभी को नसीब होता है लेकिन मेरे जैसा नहीं, क्योंकि नीचे पड़ी वह लड़की कोई और नहीं थी वह मेरी बहन थी मेरी अपनी बहन जिस की जवानी के उठान को हम अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए उपयोग में ला रहा थे.. “भैया भैया भैया भैया भैया थोड़ा धीरे धीरे कीजिए ना इतना क्यो उतावले हो रहे हो, इतने क्यों मतवाले हो रहे हो आपकी ही हु , आपकी ही रहूंगी इतने उतावले मत हो “
निशा कहे जा रही थी लेकिन उसकी बातो का मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा था, मैं तो बस उस में डूबना चाहता था उस गहराई तक जहां तक आज तक मैंने डूबा नही था, हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे और मेरे हाथ उसके गद्देदार पिछवाड़े को सहलाते हुए उसे अपनी ओर खींच रहे थे..
दो नंगे जिस्म एक दूसरे से सटे हुए एक दूसरे में गुथे जा रहे थे सांसे तेज थी धड़कन मध्यम थी, जितना हो सके एक दूसरे से मिलने की ख्वाहिश थी ,दीवानगी सर पर चढ़ी हुई थी मेरा लिंग अकड़ कर अपनी प्यास बुझाने को बेताब था , वही निशा की योनि रस से भरी हुई छलक रही थी ,मेरे लिंग की चमड़ी थोड़ी पीछे हुई और वह धीरे-धीरे निशा की योनि में समाते गई.. एहसास ..वह एहसास इतना सुखदाई था कि हम दोनों के ही मुंह से सिसकी निकल गई निशा ने मेरे बालों को जोरों से पकड़ा और अपनी और खींचा मैंने भी उसके टांगों को हल्का सा फैलाया और अपने लिंग को और भी अंदर दबाने लगा जब तक कि वह अपनी पूरी गहराई में नहीं चला गया..
निशा ने मेरे होठों को अपने दांतो से काटा शायद मुझे दर्द होना चाहिए था लेकिन वह दर्द इतना मीठा था कि मैं बार-बार लेना चाहता था, रात के अंधेरे में हल्की रोशनी से कमरे में फैली दूधिया रोशनी में दो जिस्म एक हो रहे थे ,कमर हल्की-हल्की चल रही थी निशा के यौवन से भरपूर उसके स्तन मेरे हाथों में थे ,कभी उसके फूलों को अपने होठों से चूमता और उसमें रस के भंडार को और निचोड़कर पीने की कोशिश करता..
दोनों डूबे थे मस्ती अपने चरम में थी मैं निशा के ऊपर उछले जा रहा था और वह अपने कमर को मेरे कमर से मिलाने की पूरी कोशिश कर रही थी, निशा ने मुझे नीचे पटक दिया और मेरे ऊपर आकर अपने कमर को हिलाने लगी..
“ भैया मैं मर जाऊंगी ...आह आह ..मुझे अपना बना लो ...आह आह ..सिर्फ अपना बना लो ...आह आह ..बस मेरे हो जाओ ओह भईया ...आह आह ..आह आह .. और मुझे कुछ नहीं चाहिए,जोरो से भइया आह मुझे अपने प्यार में डूबा लो भइया जोरो से आह भइया .. मैं और कुछ नहीं चाहती आई लव यू भैया ,आई लव यू ,आई लव यू भैया, आई लव यू,...आह आह .....आह आह आह आह आह आह .”
अब वह मेरे ऊपर थी और पूरा कंट्रोल उसके ही हाथों में था मैं शांत पड़ा हुआ उसके चेहरे को देख रहा था वह मेरे ऊपर आ गिरी थी और उसके बाल मेरे चहरे के चारों तरफ फैल गए, निशा की सांसे बहुत जोरों से चल रही थी जो मेरे गालों से टकरा रही थी उसकी आंखें अधमुंदी थी जैसे कोई नशे में हूं थोड़ी देर बाद जैसे तूफान हल्का सा शांत हुआ और कमर धीरे धीरे चलने लगे हवस की गहराई प्यार की गहराई में बदलने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे के जिस्म का पूरा एहसास कर पा रहे थे और वो प्यार जिस्म से लेकर मन तक पहुंच रहे थे हम एक दूसरे की रूह को छूने में कामयाब हो पा रहे थे, मैं उसके बालो को सहला रहा था और वह मेरे ऊपर गिरी हुई अपने जिस्म को सिर्फ मेरे लिए छोड़ दी थी उसके नाज़ुक शरीर का एहसास मेरे त्वचा से होता हुआ मेरे मन की गहराइयों में उतर रहा था..
मैं उसे बहुत प्यार करने लगा था, पहले भी करता था लेकिन अब प्यार का स्वरूप भी बदल चुका था, मैंने उसके बालों को अपने चेहरे से हटाया और उसको अपनी बाहों में जोरों से खींचा वह कसमसाई हुई मेरे बाहों में समा गई वह अपनी कमर को हल्के हल्के हिला रही थी और मेरे जिस्म को सहला रही थी वह किसी समर्पण की प्रतिमा सी थी अपने आप को मेरे लिए समर्पित कर चुकी थी, मैंने आंखें खोली एक हल्का सा प्रकाश दरवाजे के माध्यम से कमरे में आता हुआ दिखाई दिया ..
देखा तो दो आंखें देखते ही समझने में देर नहीं लगी कि वह और कोई नहीं बल्कि पूर्वी है ,पूर्वी का मासूम चेहरा मेरे सामने खिलकर आ गया था..
हम दोनों की नजरें मिली वह जाने को हुई लेकिन अचानक से फिर रुक गई उसकी आंखों में आंसू थे एक अजीब सा दर्द शायद छलकने को था, शायद मैं उस दर्द को समझ पाता वह अपने आंखों से कैसे देख पा रही थी कि उसका खुद का भाई अपनी सगी बहन के साथ नंगा सोया है.. किसी के लिए भी यह सोच पाना मुश्किल है लेकिन मेरी प्यारी सी छोटी सी बहन इतने बड़े दर्द को किस प्रकार झेल पा रही होगी. उसके आंखों का आंसू मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया मैंने अपने हाथ उठाया है और उसे अपने पास बुलाया, उसने अपना सिर ना में हिलाया लेकिन मैंने उसे फिर से आंखों ही आंखों में इशारा किया आजा शायद मुझे तेरी जरूरत है उसने एक बार निशा की और देखा मैंने आंखों से कहा कि इसकी फिक्र मत कर, वह हल्के कदमों से कमरे में आई मैंने उसका हाथ थामा और अपनी ओर खींच लिया वह सकुचाई सी धीरे से बिस्तर में बैठी निशा ने अचानक अपना सिर उठाया कभी वह पूर्वी को देखती तो कभी मुझे मैंने प्यार से निशा के चेहरे को सहलाया
“क्या यह मेरी बहन नहीं है, मैं जानता हूं कि तुम दोनों को ही पता है कि क्या हो रहा है लेकिन मैं किसी से छुपाना भी नहीं चाहता, निशा मैं उससे बहुत प्यार करता हूं और इस प्यार में कोई बंटवारा नहीं है कभी यह मत सोचना कि मेरे लिए पूर्वी और तू दो अलग हैं तुम दोनों ही मेरे लिए एक ही हो.. हां यह जिस्म का रिश्ता जो तेरे साथ मेरा बन गया है वह शायद एक भाई बहन के रिश्ते में नहीं होना चाहिए था लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं पूर्वी को भूल जाऊं या तेरे ऊपर मेरा कोई विशेष अधिकार हो गया तुम दोनों आज भी मेरे लिए मेरी जान हो ,मेरी बहने हो ,आज भी मेरी कलाई में राखी तुम्हारे नाम की बंधती है…..”
“ निशा मेरी बात को समझना जितना अधिकार तुम्हारा मेरे ऊपर है उतना ही पूर्वी का भी है ..यह जिस्मानी रिश्ता केवल मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगा ,लेकिन मुझे पूर्वी को भी प्यार करने दे “
निशा बहुत भावुक हो चुकी थी उसकी आंखों में आंसू था साथ में पूर्वी के भी शायद इन दिनों जब उसके मन से सभी के लिए नफरत निकल चुका था और वह मेरे ही दुनिया में खोई हुई थी इस समय में और इस खुशी में उसे सोचने पर मजबूर किया था की सच में हम दोनों भाई बहन हैं हमारा जो रिश्ता बन चुका है उसे भुलाया नहीं जा सकता उसे बदला नहीं जा सकता लेकिन निशा का मेरे ऊपर एकाधिकार चाहना शायद निशा को यह बात समझ आ गई थी कि प्यार में अधिकार नहीं होता ,या समझ नहीं आई थी..??
मैंने फिर से निशा की आंखों में देखा
“बहन... मेरी जान... प्यार में कोई एकाधिकार नहीं होता असला प्यार में तो अधिकार ही नहीं होता प्यार में होता है तो सिर्फ और सिर्फ समर्पण जो तूने किया है मेरे लिए, लेकिन अगर तू यह चाहती है कि कि तेरा मेरे ऊपर अधिकार हो तेरे प्यार नहीं बस जिस्म की हवस होगी यह वासना होगी, अधिकार की चाह करना ही वासना है”
निशा ने मेरी आंखों की गहराइयों में झांका और मेरे होठों पर हल्का सा चुंबन दिया,
“ भैया मैं जानती हु कि आप क्या कहना चाहते हो लेकिन क्या करूं ..जब आपको किसी दूसरे को प्यार करते देखती हु तो दिल जल जाता है सांसे रुक जाती हैं लगता है कि कोई आपको मुझसे छीन लेगा मैं इस बात से परेशान हो जाती हु कि कैसे आपके प्यार का बटवारा करूँगी ,भैया मैं मानती हूं कि मुझसे गलती हुई लेकिन क्या आप मुझे माफ नहीं करोगे..”
मेरे होठों पर मुस्कान आ गई मैंने पूर्वी का हाथ पकड़ा और उसे अपने ऊपर खींचा मेरी एक बाह में निशा थी वहीं दूसरी बाह में पूर्वी..
निशा के जिस्म में एक भी कपड़ा नहीं था उसकी योनि में अभी भी मेरा लिंग पूरी तरह से समाया हुआ था लेकिन पूर्वी?? पूर्वी मासूम निश्चल सी मेरे बाहों में खुद को सामने की कोशिश कर रही थी वह अचानक से रो पड़ी
“भैया यह क्या हो रहा है मैंने कभी ऐसा तो नहीं सोचा था मैंने आपका प्यार चाहा है , मैं दीदी का प्यार चाहा है , मैं चाहती थी कि आप दोनों मिलो ,मैं आपके और दीदी के बीच नहीं आना चाहती थी ..लेकिन ??
यह क्या हो रहा है क्या प्यार करना इसी को कहते हैं क्या प्यार करने के लिए दो जिस्म का मिलना जरूरी है???
क्या जिस्मों के बाहर प्यार नहीं होता??
अगर दीदी आप से प्यार करती थी क्या जरूरी था कि उनका जिस्म आपके जिस्म से मिले क्या जरूरी था वह करना जो दुनिया की नजर में गलत है????”
मेरी मासूम बहन ने मुझसे ऐसा सवाल पूछ लिया था जिसका जवाब मेरे पास नहीं था शायद उसने मुझे आइना दिखा दिया था लेकिन अब देर हो चुकी थी बहुत देर मैं प्यार से उसके बालों को सहला रहा था इधर निशा मेरे गालों को चूमते हुए अपनी कमर को हल्के हल्के हिला रही थी बड़ी अजीब सी कंडीशन थी ...एक तरफ मेरी वह बहन थी जिसके साथ मेरी जिस्मानी संबंध है और एक तरफ मेरी वह बहन थी जिसे बेहद प्यार करता था जिसके बारे में मैं गलत सोच भी नहीं सकता था ..
मासूमियत हवस और प्यार तीनों एक साथ हैं थे जज्बात मोहब्बत और भावनाओं का उफान सब कुछ एक साथ थे.. जिस्म की आग ,प्यार की ठंडकता सब कुछ एक साथ थे, निशा रो रही थी पूर्वी भी रो रही थी और मेरे आंखों में पानी था.. दो जिस्म नंगे पड़े थे लेकिन आंखों में पानी लिए, मेरा लिंग मेरी बहन की योनि की गहराइयों में था उसमें अकड़ भी थी और वह योनि के रस से भीगा हुआ भी था लेकिन मन में हवस का एक कतरा भी नहीं बचा था, निशा भी रोते हुए अपने कमर को हल्के हल्के हिलाए जा रही थी और मेरा अभी भी उसके मांसल चूतड़ों को सहलाया जा रहा था.. मेरी दोनों बहनें मेरे साथ थी, उस रूप में जो दोनों चाहती थी एक को बस प्यार चाहिए था और दूसरे को मुझ पर अधिकार मेरे जिस्म पर अधिकार.. दोनों को वो मिला था जो वह चाहते थे और मुझे???
मुझे मिली थी जन्नत, मेरे साथ दोनों थे दोनों का प्यार मेरे साथ था , मेरा मन शांत था मैं खुश था मानो पूरे दुनिया की जन्नत मेरे कदमों में हो, पूरी दुनिया की खुशियां मेरे कदमों में है अपने दोनों बहनों को प्यार करना चाहता था उस तरह से जिस तरह से वह चाहती थी.. एक से जिस्मानी होकर तथा दूसरे से रूहानी होकर .....
जीवन की सभी करामातों ने मुझे और भी अधिक मजबूत बना दिया था,अभी अभी मैं छुट्टी से वापस आया था और आके अपने कमरे में बैठा हुआ सोच रहा था की आगे क्या करना चाहिए कि मेरे मोबाइल की बत्ती जल उठी ,,
“हैल्लो “
“आ गए जान “
दूसरी ओर से काजल ने कहा
“कहा हो तुम देखने को दिल कर रहा है “
वो हँसी ..
“होटल आयी थी यार ,और कहा शाम को मिलते है ,तुम भी जाओ मेडम रश्मि तुम्हारा इंतजार कर रही होगी “
मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई क्योकि काजल ने मेडम रश्मि बोला ही कुछ इस तरह जैसे वो इस बात को लेकर जलती हो …
मुझे काजल से मिलने का बहुत ही मन कर रहा था मैं उसके सामने मलीना की बात करना चाहता था और उसके चहरे का एक्सप्रेशन देखना चाहता था की आखिर वो फिर मुझसे कैसे छिपाती है ,
मैं जल्दी से तैयर हुआ और उसके होटल की तरफ भागा ..
पहली बात तो मैं उसे सरप्राइज देना चाहता था ,
मैं सोच में पड़ गया की आखिर कैसे पता करू की वो कहा होगी ,सीधे उसके पास जाने से पहले मैं सोच रहा था मेरे दिमाग में एक आईडिया आया मैंने शबनम को फोन लगाया ,
“अरे कहा हो मेरी जान “शबनम की नशीली आवाज मेरे कानो में आयी
“बस छुट्टियां खत्म हो गई है अभी अभी पहुचा हु “
“ओह तो इस कनीज को कैसे याद कर लिया “
वो फिर से अपनी मादक आवाज में बोली
“तुम मेरी कनीज नही तुम तो मेरी मलिका हो “मैं मुस्कुरा उठा
“ओहो ऐसी बात है ..”वो जोरो से हँसी
“लगता है साहब को कोई जरूरी काम आ गया है “
उसने मेरी चपलिसी की वजह समझने में ज्यादा देर नही की
“बस मैं चाहता हु की तुम पता करो को काजल कहा है ,असल में मैं उसे सरप्राइज देना चाहता हु “
शबनम थोड़ी देर सोचने लगी
“अरे क्या हुआ “
“सोच लो कही तुम्हारा सरप्राइज देना तुम्हारे लिए मुश्किल ना पैदा कर दे “
वो जोरो से हँसने लगी ,हा मैं कैसे भूल गया था की काजल क्या क्या करती है ,शबनम की बातो में तो दम था लेकिन फिर भी मुझे तो काजल से मिलना ही था
“तुम पता तो करो वो होटल में है तो आखिर है कहा और ये भी बताने की जरूरत नही है की उसे पता नही चलना चाहिए की मैं आ रहा हु “
वो शायद मुस्कुराई होगी
“ओके जैसा आप कहे मेरे आका “वो फिर से खिलखिलाई
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होटल के बाहर ही मुझे हर्ष मिल गया शायद उसने मुझे पहचान लिया था …
“हैल्लो सर “
मैं हड़बड़ाया ,मैं कैसे भूल गया था की यंहा पर मुझे बहुत से लोग जानते है ,
“ओह हैल्लो “
“आप तो काजल मेडम के फ्रेंड है ना “
“हम्म “
“कहा है तुम्हारी मेडम “
“वो तो ……..”
वो चुप हो गया जैसे सोच रहा हो ,
“क्या हुआ “
“कुछ नही सर वो तो असल में खान साहब के फॉर्म हाउस में है “
मेरे दिल में एक जोर का धक्का लगा
“ओह और फार्महाउस कहा पर है “
“मुझे नही पता सर बस इतना ही बताया था मेडम ने ,वो दोनो किसी डील के कारण वँहा गए है ,आप एक बार फोन करके कन्फर्म कर लीजिए “
वो थोड़ा झेप गया क्योकि उसके मुह से शायद कुछ गलत निकल गया था ,
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मुझे शबनम काल कर रही थी
“हैल्लो “
“मजनू जी के लिए बुरी खबर है “
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ी देर तक कुछ भी नही बोला
“काजल मेडम तो होटल में नही है “
“तो कहा है ???”
“वो तो उसने नही बताया है बस इतना ही कहा की वो अभी 2 घण्टे बाद ही होटल पहचेगी “
“ओक्के “
“मुझे तुमसे एक बात पूछनी थी “
मैंने थोड़ा जोर दिया
“हा पूछो ना “
“खान का फार्महाउस कहा पर है “
मेरी बात से शबनम थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गई
“ओ तो काजल वँहा गई है ,यार देव क्यो आग से खेलना चाहते हो ,छोड़ो काजल को मैं हु ,यंहा आ जाओ तुम्हे जन्नत दिखाउंगी “
वो बहुत ही कमीनी सी आवाज में बोली
“जो पूछा है वो तो बताओ “
उसने मुझे पूरा पता बताया लेकिन साथ ही हिदायतें भी दे डाली ,लेकिन मैं उसकी हिदायतें कहा मानने वाला था …
मैंने गाड़ी घुमा दी ..
मैं कर में ही था की काजल का फोन आ गया
“तुम होटल आये थे,हर्ष ने बलताय “
लग रहा था की मेरा होटल आना उसे पसंद नही आया ,या हर्ष का मुझे बतलाना
“हा सोचा था की सरप्राइज दूंगा ,लेकिन अब वापस जा रहा हु ,तुम तो अपने खान को खुस करने में बिजी हो “
थोड़ी देर तक उधर से कोई भी जवाब नही आया
“देव प्लीज् …….”
उसकी आवाज में एक निराशा थी
“अगर मुझे कुछ पता नही होता तो बात और थी ,जबकि मुझे सब पता है तो भी तुम मुझसे ये सब छिपाने की कोशिस कर रही हो “
मैं उसे समझते हुए कहा
“हा क्योकि असलियत तुम्हे जला देगी और मैं नही चाहती की तुम जलो ,तुम्हे दुख हो ..माना की तुम्हे सब कुछ पता है लेकिन फिर भी मेरी बात सुनकर तुम्हे जलन होगी मैं वो बिल्कुल नही करना चाहती ,मैं तो इसे बस जल्द से जल्द खत्म करके तुम्हारे साथ ही अपना पूरा जीवन बिताना चाहती हु ……..अब प्लीज् देव ऐसे मजाक भी मत किया करो क्योकि इससे मुझे लगने लगता है की मैं तुम्हारे साथ धोखा कर रही हु ..
हाँ अगर तुम भी वैसे होते तो अलग बात थी “
मैं उसकी बात सुनकर चौका
“कैसा ???”
वो थोड़ी देर तक चुप थी
“अरे बताओ भी क्या हूं “
“cuckoldry का नाम सुना है “
वो धीरे से बोली ...मैं उसकी बात सुनकर सन्न रह गया और फोन काट दिया ,मुझे इसके बारे में ज्यादा तो नही पता था लेकिन मैं कुछ तो जानता ही था …………..
“तुम्हें मलिनी कैसी लगी”
काजल ने मुझसे लिपटकर कहा.
“ बहुत अच्छी,लगा ही नहीं जैसे किसी अनजान से बोल रहा हूं”
काजल का चेहरा चमक उठा, वह किसी बच्चे की तरह उछल पड़ी ,
” काश मैं उन्हें देख पाती”
“ तो चलो कभी चलते हैं”
उसका चेहरा थोड़ा सा उदास हो गया
“और क्या-क्या किए” उसने बात को पलटा
“और कुछ नहीं बस घूमे फिरे और हां डॉक्टर से भी मिला”
काजल चौकी, वह मेरी बाहों से अलग हो गई
“क्या तुम डॉक्टर साहब से मिले”
“ हां क्यों यहां हमारी पहचान तो हो ही चुकी थी वह मुझे वहां दिख गए थे”
काजल का चेहरा गंभीर होता गया..
“ क्या हुआ डॉक्टर का नाम सुनते ही तुम्हारे चेहरे में क्या हो गया”
मैंने उसे परखने के अंदाज में कहा उसने अपने आप को तुरंत संभाला
“कुछ भी तो नहीं “
थोड़ी देर सोचती रही
“ अच्छा मैंने जो तुम्हें कहा था उसके बारे में क्या सोचा”
उसने थोड़ी नजाकत के साथ और थोड़ी शरारत के साथ मुझसे पूछा
“ किस बारे में???”
“ अरे वही जो मैंने तुम्हें कहा था cuckoldry के बारे में”उसके होठो में मुस्कान थी
“ तुम पागल हो गई हो क्या”
मैं अपनी भावनाओं को छुपाते हुए कहा
“ ऐसी कोई बात नहीं लेकिन फिर भी मुझे लगता है की तुम्हे कितना दुख होता होगा , उससे अच्छा है कि दर्द का मजा लिया जाए”
मैंने अपना सिर झटका
“दर्द का मजा “वह मेरे ऊपर आ चुकी थी उसने मेरे होठों पर अपने तपते हुए होठ रखें वह चुंबन कुछ देर तक चलता रहा..
मैं उसके जिस्म को सहलाता रहा और वह मादक सिसकियां लेते रही
“क्यों दर्द में मजा नहीं है क्या???
“दर्द में शायद मजा हो सकता हैं लेकिन तड़प में नहीं ,जलन में नहीं, उस पीड़ा में नहीं जब भी मैं सोचता हूं कि तुम किसी और के साथ हो तुम्हें नहीं पता कि मेरे अंदर क्या बीतती है ऐसा लगता है कि मार डालो तुम्हें भी और उसे भी जो तुम्हारे साथ हैं….”
काजल को देर तक गंभीरता से मुझे देख तेरे फिर अचानक से हलके से मुस्कुराई
“ यही तो तड़प है जो तुम्हें मजा देगा “
उसकी बातें मुझे समझ नहीं आ रही थी मैं उसे गौर से देखता रहा उसका प्यारा सा चेहरा खिला हुआ था,वो मन में कुछ सोच कर मुस्कुरा रही थी..
“ ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो क्या तुम्हें सच में लगता है कि मैं वह करूंगा “
उसने अपना सिर ना में हिलाया
“मुझे नहीं लगता कि तुम ऐसा कर पाओगे लेकिन हां अगर तुम ऐसा करोगे तो शायद मुझे बहुत खुशी हो “
मैंने उसे बड़े आश्चर्य से देखा
“ ऐसा क्यों कह रही हो “
“क्योंकि मुझे हमेशा दुख रहता है कि तुम जल रहे हो सिर्फ और सिर्फ मेरे कारण तुम्हें इतनी तकलीफ है झेलनी पड़ रही है सिर्फ मेरे कारण तुम चाहे मानो या ना मानो लेकिन मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं बेबी”
काजल की आंखों में अनायास ही आंसू आ गए,
“ हो सकता है कि यह करने से तुम्हें थोड़ा सुकून मिलेगा”
“ सुकून कैसा सुकून तुम्हें लगता है कि तुम्हें दूसरे के साथ देख कर मुझे सुकून मिलेगा”
मैंने उसके आंसुओं को अपनी उंगलियों से हटाया, वह हलके से मुस्कुराई उसकी प्यार भरी नजरें भी मुझे देख रही थी..
“ मैंने तो सुना है कि कुछ लोगों को इससे सुकून मिलता है मजा मिलता है मुझे लगा शायद तुम भी ऐसा कर पाओगे चलो ठीक है कोशिश कर लेना मैं यह नहीं कहूंगी कि तुम ऐसा करो या ना करो यह तुम्हारे ऊपर है लेकिन अगर तुम इस बात का मजा लेता है तो शायद यह मेरे लिए सबसे अच्छी बात होगी कम से कम मैं उस दर्द से मुक्त हो जाऊंगी कि मैं तुम्हें तकलीफ दे रही हूं,”
“तो तुम ऐसा कर ही क्यो रही हो काजल कि तुम्हें मुझे तकलीफ देनी पड़ रही है”
मैं उसे घूरता रहा वह मेरे आंखों में झांकती रही ….
“देव मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं “
,मैंने उसे फिर से एक बार आश्चर्य से देखा
“क्या “मेरा स्वर ठंडा था
“ अपना अतीत जो सुनना तुम्हारे लिए शायद बहुत जरूरी है”
मैं सोच में पड़ा था कि काजल ने कहना शुरू किया
“जानते हो देव जब मैं एक छोटी बच्ची थी मेरे पापा एक चॉकलेट लेने के लिए भी 10 बार सोचते थे ,”
मैं उसे देखता रहा और वह कहती रही
“ इतनी तकलीफ देखी है, इतने दर्द सहे हैं... मैंने देखा है गरीबी किसे कहते हैं हर तरफ बस लोगों की बुरी नजर रहती है जब मैं 16 साल की थी तब लोगों ने मुझे ऐसे देखा था जैसे मुझे खा जाएंगे, उनकी आंखों में हवस साफ दिखाई देते थे , लेकिन मैंने अपने आप को बचा लिया…”
काजल की बातें मुझे समझ नहीं आ रही थी लेकिन बस मैं सुन रहा था ..
“देव जब मैं बच्ची थी मेरे पापा मुझे एक दुकान ले गए , उन्होंने मुझसे कहा कि कौन सी मिठाई खाएगी,मैं मिठाइयों को घूरते रह गई सामने कई प्रकार की मिठाइयां थी रंग बिरंगी ऐसी ऐसी जो मेरे साथ कभी देखी नहीं थी मैं बस उसे देखते रह गई थोड़ी देर बाद मैंने एक मिठाई के ऊपर हाथ रखा मैंने कहा मुझे इसे खाना है पापा ने दुकानदार से रेट पूछा दुकानदार ने जो कीमत बताई पापा सोच में पड़ गए.. थोड़ी देर इधर उधर की बातें करते रहे मुझे बहला रहे थे , उनके पास इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उस मिठाई को खरीद पाय मैंने उनका चेहरा देखा था ,वह उदास थे दुखी थे सिर्फ मेरी वजह से ,सोची वह उस मिठाई को खरीद नहीं पाया जो मेरी जरूरत थी और वो जरूरत नहीं थी और बस मेरी तमन्ना थी मैं उनके आंखों में झांकती रही थोड़ी देर बाद पापा एक दूसरी मिठाई लेकर वहां से निकल गए,मैं उनके साथ चल रही थी मैं एक बच्ची थी देखो बस एक बच्ची लेकिन मुझे सब समझ आ रहा था..पैसे की कमी ,इतनी कमी की उन्होंने मेरी जरूरत को ठीक नहीं समझा था हम थोड़ी देर तक चलते रहे फिर पापा ने मुझे कहा क्यों बेटा तुम्हें यह मिठाई पसंद है ना मैंने कहा नहीं पापा मुझे तो वही मिठाई पसंद थी जो आपने दिखाई थी..
पापा मेरे चेहरे को देखते रहे बस देखते रहे बिना कुछ बोले मेरा हाथ पकड़ कर वह मुझे फिर से उसी दुकान में ले गए, उन्होंने वही मिठाई ली जिसे मैंने कहा था हां यह अलग बात है उसके बाद मेरे पापा की जेब में थोड़ा भी पैसा नहीं था हम दोनों पैदल ही घर गए क्योंकि हमारे पास ना तो ऑटो ना ही रिक्से का पैसा था,पाप ने अपने लिए वो जूते भी नही लिए जिसे लेने के लिये उन्होंने महीने भर से पैसे जोड़े थे,...
वह दिन था और आज के दिन है मुझे पैसे की अहमियत समझ आ गई “
वह बस इतना ही बोल पाई थी लेकिन मेरे दिल से एक बात निकल गई
“अच्छा तो अगर ऐसा है तो हम दोनो ही कमाते है काजल ,हमारे पास पैसे की क्या कोई इतनी कमी है की तुम्हे अपना जिस्म बेचना पड़े “
काजल के आंखों से आंसू छलक गए थे,साथ ही मेरे भी ..
“बात अभी पूरी नही हुई है देव …”
उसने मेरी बात को फिर से कांटा ..
“मैंने तुम्हे बतलाया था ना की मेरी मा का देहांत बहुत पहले ही हो चुका है …”
काजल की मा ,हा उसने बतलाया तो था लेकिन मैं तो आज भी कन्फ्यूज़ हु की उसकी असली माँ कौन है और उसका असली पिता कौन है ...मैंने हा में सर हिलाया
“असल में उनका देहांत प्राकृतिक रूप से या किसी बीमारी से नही हुआ था ..”
मैं उसकी बात सुनता ही रहा
“उन्हें मारा गया था “
“क्या “इस बार मैं बुरी तरह से चौका
“हा देव उनका बलात्कार किया गया था और उसके कुछ दिनों के बाद हत्या “
मैं उसे बस देखता ही रहा
“मेरे पिता जी जिस होटल में काम करते थे,मेरी मा भी उसी होटल में काम करती थी ,होटल का मालिक एक बहुत ही कामुक इंसान था ,वो तो खुद भी शादीशुदा था लेकिन फिर भी वँहा काम करने वाली सभी औरतों पर उसकी नजर रहती थी ,मेरी मा पर भी उसकी नजर थी ...उसने पहले तो मेरे पिता की गरीबी का फायदा उठाना चाहा लेकिन जब वो नही मानी तो उसने उनका बालात्कार किया,जब मेरे पिता जी और मा पुलिस के पास पहुचे तो उस होटल के मालिक ने अपनी पहुच लगाकर उन्हें ही अंदर करवा दिया ,उस दिन मुझे दूसरी बार पैसे की वेल्यू का पता चला,मेरे पिता जी को छोड़ने के लिए उसने फिर से मेरी मा के साथ बालात्कार किया,इस बार उसका साथ वो इंस्पेक्टर भी दे रहा था ,उन्होंने मेरे ही घर में मेरे ही सामने मेरी मा की इज्जत लूटी थी ,मैं रोती रही अपने भाई को गोद में लिए हुए ...पूरे मोहल्ले को पता था की मेरे घर में क्या हो रहा है लेकिन किसी की इतनी हिम्मत ही नही हुई की वो कुछ कर पाए……”
कमरे में शांति फैल गई थी ,काजल की आंखों में मानो खून उतर आया था उसकी आंखे लाल हो चुकी थी और उसके आंसू सुख चुके थे …
“आज भी मेरे कानो में मेरी मा के हर चीख़ घुंजा करते है देव...मैं उसे नही भुला सकती ,मैं उन लोगो को नही भुला सकती जिन्होंने ये किया है ...वो दरिंदे वँहा भी नही रुके ,मेरे पिता ने जेल से छूटने के बाद उनसे बदला लेने के लिए एक आदमी की मदद ली थी ...जिसे तुम आज डॉ के नाम से जानते हो ,उन्होंने थोड़ा प्रयास किया जिससे इंस्पेक्टर तो सस्पेंड हो गया और होटल का मालिक वँहा से भाग निकला लेकिन जाते जाते उन्होंने मेरी मा को भी मार दिया,बिना उसके बयान के दोनो ही रिहा हो गए ,डॉ भी कुछ नही कर पाए …...मेरे पिता जी के लिए भी वँहा रहना मुश्किल था वो भी वँहा से निकल आये,और छोटी मोटी नॉकरी करके मुझे पढ़ाया ……..डॉ को मैं तब से जानती हु ,वो मेरे लिए मेरे पिता के समान है ,”
काजल की आंखे सुखी हुई थी आंसू की एक बून्द भी उनमे नही थी लेकिन था तो एक दर्द एक गहरा दर्द ,,,
आंखे लाल...सुर्ख लाल हो चुकी थी जैसे की अंगारे हो ,मैं उसे देखकर ही कांप गया ,ऐसे भी मैं कई तरह के कन्फ्यूजन से घिरा हुआ था,
“जानते हो देव वो होटल का मालिक कौन था “
काजल ने फिर से कहा ,मैंने ना में सर हिलाया
“होटल आदित्य इंटरनेशनल का मलिक ,मिस्टर खान ….”
इस बार चौकाने के लिए मेरे पास बहुत से कारण थे
“क्या??????”
मैं बुरी तरह से चिल्लाया
“तुम्हे आज तक यही लगता रहा की अजीम ने मुझे इस धंधे में उतारा और मैं उसके जयजात के लालच में हु इसलिए मैं ये सब कर रही हु ,या ये लगा होगा की तुम्हारी बहन के कहने पर ये सब कर रही हु ,जैसा की मैंने तुम्हे बतलाया था…
लेकिन देव असल बात तो यही है की ना तो निशा ना ही अजीम मुझे इस बिजनेस में लाये है ,मैं यंहा आयी हु बस और बस उन्हें बर्बाद करने ...मैं चाहती तो खान और उस इंस्पेक्टर को एक ही बार में मार सकती थी लेकिन नही देव उन्हें तो पल पल करके मरूँगी ,उन्हें इतना तड़फाउंगी की वो मारने की दुवा मांगे लेकिन मर ना पाए …”
काजल की सांसे तेज हो चुकी थी वो गुस्से से दहक रही थी ,चहरा लाल हो चुका था ,उसके एक एक बात में मुझे सच्चाई दिखाई दे रही थी
“और जानते हो देव मैंने तुम्हे ऐसा प्रस्ताव क्यो दिया था …??क्योकि मैं चाहती हु की अब तुम मेरी मदद करो ...बहुत हो गया देव मैं अकेले ये सब नही कर सकती मैं बस खान की रंडी बनकर रह जाऊंगी ,मुझे उन्हें नंगा करके रास्ते में भीख मांगने पर मजबूर कर देना है ,देव”
काजल ने मेरी बांहो को मजबूती से जकड़ लिया
“तुम्हे मेरा साथ देना होगा देव,सोचो की मैं उन दरिंदो के नीचे खुद को रौंदाती हु फिर भी उफ नही करती ,तो क्या तुम मुझे देख भी नही सकते ????
मेरे लिए देव मेरे लिए “
इस बार वो रो पड़ी ,मैं अपने को इतना मजबूर कभी महसूस नही किया था ,ये क्या हो रहा था मेरे जीवन में
“मैं सब कुछ करूँगा मेरी जान “
मेरे मुह से ये शब्द सीधे मेरे दिल से निकल कर आ रहे थे ,मैं जानता था की काजल मुझसे क्या मांग रही थी लेकिन उसकी कहानी जो की मुझे सच ही लग रही थी उसे सुनने के बाद मैं उसका। साथ ना दु ऐसा तो हो ही नही सकता था …
“देव तुम्हे मेरा साथ देना ही होगा ..मैं जानती हु की तुम्हारे लिये ये कितना मुश्किल होने वाला है लेकिन तुम्हे उस दर्द में मजा भी ढूंढना ही होगा ...मैंने ढूंढा है इसीलिए आज मैं उन लोगो के नीचे आने से थोड़ा भी नही झिझकती जिन्होंने मेरी मा को मारा था और जिन्होंने उनका बलात्कार किया था ,तुम्हे भी वो रास्ता ढूंढना होगा देव...तुहे बहलाने वाले तो यंहा पर बहुत मिलेंगे ,निशा मुझे कभी भी पसंद नही करती थी ,और अब तो अजीम और खान के जयजात पर रश्मि की भी नजरे है ,दोनो ही तुम्हे मेरा साथ देने से रोकेंगे लेकिन तुम्हे फैसला करना होगा देव,ये बहुत ही निर्णायक वक्त है जबकि हम अपना मास्टर स्ट्रोक खेल सकते है ..”
वो जैसे बोल कर चुप हुई और मेरे आंखों में देखते हुए मेरे जवाब का इंतजार करने लगी ..
“मैं तुम्हारे साथ हु काजल “
मैं बस इतना ही बोल पाया था और वो मेरे गले से लग गई …..
जवां रंग ,जवां कालिया ,जवां जवां सी उमंग...ये नजारा दिखाई देता है सुबह सुबह गार्डन में घूमने से ..
उसी जवानी में मैं भी डूबा हुआ गहरी गहरी सांसे ले रहा था ,मेरे साथ साथ मेरी दोनो बहने भी थी ,मैं उनके साथ कुछ ज्यादा समय बिताने के इरादे में था,
एक हँसता मुस्कुराता हुआ हसीन सा चहरा मेरे पास आया ,मैं उसे देखकर पहचान तो गया लेकिन फिर भी मैंने कोई भी प्रतिक्रिया नही की ..
“कैसे हो देव सुना है तुम अपनी बीवी के अतीत को ढूंढने में लगे हुए हो “
उस मदमस्त बाला ने कहा जिसे देखकर गार्डन में उपस्थित सभी लड़के आहे भर रहे थे,उसके शरीर की बनावट की कुछ ऐसी थी लेकिन मेरे लिए वो बिल्कुल भी उत्तेजक नही थी …
“तुम्हे किसने कहा “
मोहनी जोरो से हँस पड़ी ..
“मुझे तुम्हारे एक एक पल की खबर रहती है,और मैंने जो तुमसे काम कहा था तुम उसपर भी ध्यान नही दे रहे हो ,लगता है तुम अपनी बीवी के वर्तमान से ज्यादा उसके अतीत पर धयन दे रहे हो ,खान साहब को ये बिल्कुल भी पसंद नही आएगा “
उसने थोड़ा गुस्से से कहा ,मैंने एक बार अपनी बहनों की ओर देखा जो की मुझसे बहुत दूर थी और अपने आप में ही मस्त थी …
मेरे चहरे में एक कुटिल सी मुस्कान आ गई
“पहले तो मुझे ये समझ आ गया है की तुम खान साहब के लिए काम नही करती ….”
जैसे उसके होश उड़ गए उसके चहरे से ये बात साफ थी की मैंने उसे पकड़ लिया था ,
“और दूसरा तुम्हे मेरे पल पल की कोई खबर नही है वरना तुम यंहा मेरी जासूसी करने या मुझे धमकी देने नही आती “
वो बौखलाई ,लेकिन मैं मंद मंद मुस्कुराता रहा
“अच्छा तो तुम रश्मि के लिए काम करती हो ,तभी मैं भी सोचु की किसी को पता भी नही लगा और तुमने मुझे उस जगह से जंहा से मुझे बंदी बनाकर रखा था वँहा से होटल के कमरे तक कैसे लायी ,फिर तुम्हे जब काजल और मेरे बारे में सब कुछ पता है तो खान साहब कोई एक्शन लेने की बजाय मुझे को किडनैप करवाएंगे...रश्मि ने ये सब क्यो किया और खान साहब का नाम ही क्यो फसाया ये तो मुझे भी समझ में आ गया है ,लेकिन तुम्हारी क्या मजबूरी थी की तुम अजीम और खान को धोखा देकर रश्मि के साथ काम करने लगी …”
मेरे चहरे की मुस्कुराहट और भी गहरी हो गई वंही मोहनी के चहरे में भी एक मुस्कान आ गई
“तुम तो सच में बहुत ही दिमाग वाले निकले ,क्या तुम्हे जरा भी डर नही लगा था जब मैंने तुम्हे किडनैप करवाया था “
“डर तो मैं गया था लेकिन जब मैंने चीजो को ध्यान से सोचा तो मुझे सब कुछ ही समझ आ गया ,खान के पास अभी तो इतना दिमाग नही है की वो काजल के खिलाफ कोई काम करे लेकिन हा रश्मि जरूर काजल के पीछे पड़ी हुई है मुझे बस ये जानना है की तुम क्यो रश्मि की गुलामी कर रही हो”
मैंने गुलामी शब्द में ज्यादा जोर दिया क्योकि मैं उसे थोड़ा सा बहकाना चाहता था और मेरे कहे अनुसार वो थोड़ी बेचैन भी हो गई
“मैं उसकी कोई गुलामी नही करती ,मुझे वो पैसे देती है ये काम करने के लिए पहले वो मुझसे अजीम की जासूसी करवाती थी वही अब वो मुझसे खान की जासूसी करवाती है ,मुझे अपने पैसे से मतलब है ना की मैं कोई जासूसी करती हु ,और अब जब काजल खान को अपने वस में कर रही है तो रश्मि के लिए सबसे बड़ा खतरा तो काजल ही है ,इसलिए वो अब काजल की जासूसी करवाती है लेकिन काजल शायद उसके उम्मीद से ज्यादा ही चालक है इसलिए उसने तुम्हे टारगेट करने की सौची लेकिन उसने गलतियां कर दी और तुम्हे सब कुछ पता चल गया …”उसने एक ही सांस में कह दिया
“तो तुम बस अगर पैसे के लिए काम करती हो तो क्यो ना मेरे साथी काम करो “
उसकी आंखे चौड़ी हो गई
“तुम्हारे पास है ही क्या देने के लिए “
मैं जोरो से हंसा
“शायद तुम्हे पता नही लेकिन अब अजीम से ज्यादा जायदाद मेरे पास है मैं तुम्हे पैसे से नहला सकता हु “
वो हक्की बक्की हो कर मुझे देखने लगी
“अजीम और खान के पास क्या है ???एक होटल केशरगड में ? एक होटल यंहा ?कुछ और बिजनेस जो की अभी पूरी तरह से घाटे में चल रहे है “
उसने हा में सर हिलाया ,वो एक C.A. के साथ काम करती थी तो मुझे यकीन था की उसे पैसे की भाषा अच्छे से समझ आएगी
“अब मेरी बात पहले ध्यान से सुनो फिर कोई फैसला करना ,मैं अभी केशरगड में था तुम्हे तो पता ही है की मैं काजल के बारे में पता करने की कोशिस कर रहा था वँहा मुझे जानती हो क्या पता लगा “
उसने ना में सर हिलाया लेकिन उसके चहरे से उसकी उत्तेजना और बेचैनी साफ साफ झलक रही थी
“मुझे ये पता लगा की काजल असल में होटल आदित्य के मालिक की बेटी है ,”उसके चहरे में कुछ खास प्रतिक्रिया नही आयी
“ये तो मुझे पहले से पता है ,की वो होटल पहले आकाश जी का था जिसकी बेटी काजल है लेकिन उन्होंने IAS ऑफसर बनने के बाद ही उसे बेच दिया और खुद वँहा से दूर चले गए “
इस बार मैं थोड़ा कन्फ्यूज़ हो गया लेकिन मैंने उसे चहरे में लाने नही दिया
“उन्होंने वो होटल बेचा नही था बल्कि खान ने इसपर अपना अधिकार जमाया था ,साथ ही उसने यंहा की सभी प्रॉपर्टी पर भी अपना अधिकार जमाया जो की असल में काजल के पिता के ही नाम की थी ,तो उसकी असली मालिक कौन हुई काजल ही ना ,इसलिये ही काजल अपनी पूरी ताकत से खान को फसने पर तुली हुई है ,और जबकि आज भी उसके पास वो कागज है जिसपर खान ने आकाश जी से धोखे से साइन करवाये थे ,तो पहली चीज की काजल के लिए अब ज्यादा मुश्किल नही है की लीगली वो सब कुछ फिर से अपने नाम में कर सकती है ,और जबकि खान भी उसके झांसे में है अजीम तो उसका कुत्ता ही बना हुआ है वो जंहा बोलती है वो साइन कर देता है ,कुछ ही दिनों में सब कुछ ही काजल के नाम पर होगा वो भी बिल्कुल ही लीगल रूप से …….”
असल में मैंने ये कहानी बनाई थी मुझे भी नही पता था की असल में काजल को कितना सक्सेज मिला है या ये की वो असल में आकाश और मलीना की बेटी है भी की नही लेकिन मैंने जो पासा फेका मोहनी उसमे सच में ही फंस गई .उसका चहरा ही बतला रहा था की वो मेरी बातो पर यकीन कर रही थी …
“तो ..जब कुछ भी खान और अजीम का है ही नही तो कैसे वो रश्मि को मिलेगा ,साथ ही साथ हमारे पास ऐसा भी प्लान है की हम जब चाहे रश्मि और कपूर के पूरे बिजनेस को एक ही बार में तबाह करके यंहा के राजा बन सकते है ,अब तुम्हे सोचना है की तुम किसका साथ देना पसंद करोगी उगते हुई सूरज का या डूबते हुए सूरज का ……..
तुम्हे ये भी पता होगा की काजल के पिता एक IAS अधिकारी थे इसलिए सरकारी अमले भी उसकी बहुत ही पहचान है ,अगर उसके पास पैसा आ गया तो वो अपने हिसाब से सब कुछ चलाने लगेगी ,तब तुम कहा जाकर छुपागी ??”
मेरी बात में ऐसा कांफीडेंस था की मोहनी सच में डर गई..जबकि असलियत ये थी मुझे भी असलियत का कोई पता नही था ,लेकिन मेरा काम हो गया था
“हमारे साथ आ जाओ आज नही तो कल पैसे और पॉवर की कोई कमी मैं तुम्हे होने नही दूंगा ऐसे भी तुमपर तो मेरा दिल आ गया था ,जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा था …..”
पहली बात की मैंने हमारे साथ कहा था मतलब मैं उसे बतलाना चाहता था की मैं और काजल अब एक ही हो गए है ,और काजल के हर एक्शन के बारे में मुझे पता है ,दूसरा मैंने जो दुसरी बात उसे कही उसकी तारीफ में उससे उसे ये जरूर लगता की मैं कुछ तो उस पर फिदा हु ,मैंने ये जानबूझ कर कहा था क्योकि मैं उसे दिखाना चाहता था की मैं भी अमीरों की तरह अय्यास हो सकता हु ,क्योकि अभी तक उसने लोगे के अमीरी और उनके अय्यास होने का ही फायदा उठाया था मैं भी चाहता था की वो मेरा फायदा उठाये...बड़ी अजीब बात थी लेकिन असलियत ये ही थी की अगर वो मेरा फायदा उठाएगी तभी वो मेरे नीचे आ पाएगी ,जिस्म से भी और दिमाग से भी ,मैं उसे अपनी गुलाम की तरह यूज़ करना चाहता था …और इसके लिए सबसे जरूरी था की मैं एक मालिक की तरह पेश आउ…
वो बहुत ही सोच में पड़ गयी थी उसे मेरी मालकियत का तो अहसास होने ही लगा होगा वो मेरे बातो से ही समझ आ रहा हटा की मैं उससे क्या चाहता हु …
“मुझे सोचना पड़ेगा “
“सोच लो लेकिन देर मत करना क्योकि तुम सोचती थी की तुम मेरे ऊपर नजर रखे हो ,जबकि तुम मेरे रेडर में हो ,मैं तुम्हरे हर एक मूवमेंट पर नजर रखे हुए हु ,”
वो चौकी
“तुम्हे क्या लगा थी की तुम्हारा यंहा आना महज इत्तेफाक था,तूम आओगी ये मुझे पहले से पता था इसलिए ही मैं यंहा आया वरना कब तुमने मुझे यंहा आते हुए देखा था,और इसलिए मैंने अपनी बहनों को भी अपने से दूर ही रखा था क्योकि मैं तुमसे अकेले में बात करना चाहता था “
उसका चहरा आश्चर्य से लाल हो गया उसकी आंखे बड़ी हो गई उसे यकीन ही नही आ रहा था की एक साधारण सा दिखाने वाला शखस उसकी जासूसी कर रहा है ,
असली बात ये थी की मुझे इस बारे में बिल्कुल भी पता नही था की वो आ रही है या वो मुझे यंहा मिल जाएगी लेकिन जब वो आ ही गई थी और मेरे हर झूट को मान ही रही थी तो मैंने ये पासा भी फेक दिया उसे सचमे लगा की मैं उसकी जासूसी कर रहा हु और उसके ऊपर नजर रखे हुए हु ,मेरी बहने पता नही क्यो अभी भी हमसे दुर थी और मोहनी को लग रहा था की ये भी प्लान किया हुआ है ताकि हम दोनो आपस में ज्यादा बात कर सके …
मैं अपनी बातो को मोहनी को समझने में सफल हो गया था
“तो तुम्हे जल्दी से ही फैसला लेना पड़ेगा अगर इसके बारे में रश्मि को पता लगा तो पहले तुम्हारा पति जायेगा फिर तुम ...ऐसे भी मुझे कई नेताओ और अधिकारियों को दावत देनी थी ,तुमसे अच्छी रंडी मुझे कहा मिलेगी उसने सामने परोसने के लिए “
मैंने अपने आंखों में बड़ी ही कमिनियत लायी जिससे वो कांप ही गई ,ऐसी बाते कोई साधरण आदमी तो नही कर सकता उसे ये अहसास हो गया की सच में मेरे पास कोई पवार आ गई है वरना उसे मेरे बारे में पता ही था की मैं कितना सीधा साधा आदमी हु ,से लगने लगा की सच में मेरे पास कुछ ऐसा है की ये सब कर भी सकता हु ,मेरा सीधा साधा होना फिर मेरा ये रूप बदलना उसे समझ आ रहा था जो की मेरे लिए अच्छी बात थी ...वो गिड़गिड़ाई
“नही देब ऐसा कुछ भी मत करना मैं रश्मि को कुछ भी नही बतलाऊंगी “
“ह्म्म्म तो सोचकर बताना अगर तुम हमारे साथ हो तो तुम्हे डरने की कोई भी जरूरत नही हम पहले की ही तरह दोस्त रहेंगे और मैं अपने दोस्तो का बहुत ही ख्याल रखता हु ,,,और अगर तुम्हे कोई गलती करने की कोशिस की तो याद रखना की दोनो ही होटलों में कई लोग मेरे ही दया से जॉब कर रहे है और वो अब मेरे साथ है ,और पूरे होटल के कैमरे का एक्सेस भी मेरे ही पास है इसके साथ ही सभी कमरों में रश्मि के कमरों में भी मैंने उसकी बातो को रिकार्ड करने की डिवाइस लगा के रखे है ,तुम मुझसे कभी नही बच पाओगी …….”
मैं हल्के से मुस्कुराया ,माना की ये सभी बाते गलत थी लेकिन मोहनी के चहरे से पता चल गया था की वो मेरी बात को मान चुकी थी ………..
उसके जाने के बाद मैंने एक गहरी सांस ली ,आज मेरी एक्टिंग मेरे काम आ गई अगर ये मेरे साथ आ जाए तो मैं इसे डबल एजेंट की तरह यूज़ करूँगा ,रश्मि को लगेगा की वो मेरे ऊपर नजर रख रही है वही मैं रश्मि के ऊपर नजर रख पाऊंगा ……..
मन कई आशंकाओं से भरा हुआ था, और गाड़ी बहुत ही स्पीड से चल रही थी, वैसे ही मेरे दिल की स्पीड भी बढ़ी हुई थी,वो बहुत ही तेजी से धड़क रहा था, मैंने गाड़ी रोकी और जोरो से गहरी सांस ली,मैं इस समय खान के फार्महाउसमें था,मुझे अजीब सा डर लग रहा था,काजल ने तो मुझे कह दिया था की तू इसके मजे लो लेकिन क्या मैं सच में ऐसा कर सकता हु ये मैं नही जानता था,
मैं गहरी सांसे लेकर उस बंगले नुमा फार्महाउस को देखने लगा ,मैं किसी ने नजर में नही आना चाहता था ,मैं आशंकित था की अंदर क्या हो रहा होगा असल में यू ही इधर आ गया था मुझे सच में नही पता था की अंदर काजल होगी भी या नही …
मैंने थोड़ी दूर में झाड़ियों के अंदर अपनी गाड़ी लगाई और दीवाल फांदने का प्लान बनाया ,मैं आहिस्ता से एक दीवार में चढ़ गया और अंदर खुद गया ,पता नही अंदर क्या हो लेकिन जानने का एक पागल पन मेरे अंदर आ चुका था,मैं काजल को भी नही बतलाना चाहता था की मैं क्या कर रहा हु ,मैं किसी जासूस के तरह कमद रख रहा था और वैसे ही सोचने लगा था,
मैं अंदर आ चुका था और मैंने खुद को सम्हाला,मैं धीरे धीरे अंदर गया,अंदर जाकर मैंने मैं उस बड़े से घर जिसे बंगाल भी बोला जा सकता है के पास पहुचा,मैं विशेष धयन इस बात का रख रहा था की कही मुझे कोई देख ना ले साथ ही की कही कोई कैमरा तो नही लगा हुआ है ,ऐसे तो मुझे कोई भी कैमरा नही दिखाई दिया ,मैं बड़े ही ध्यान से अंदर गया,मैं पहले तो उस बंगले को ध्यान से निहारने लगा ,मुझे कुछ खिड़कियां और बाहर लगी हुई a.c, के डब्बे ही दिख रहे थे,मैं पहले तो मेन गेट के अंदर जाने की सोच रहा था लेकिन फिर मैंने अपना इरादा बदला और मैं उसके चारो ओर घूमने लगा,मुझे वो जगह दिख ही गई जंहा से मैं अंदर जा सकता था ,वो फर्स्ट फ्लोर की ख़िदखि थी ,मैं उसे हल्के से खोला तो समझ आया की ये किचन है ,वँहा से अंदर जाना भी तो खतरे से खाली नही होगा,मैं गंभीर सोच में पड़ा हुआ था की मेरा ध्यान वँहा फले हुए कुछ आमो पर गया,मैं अपनी ही सोच में उन पके हुए आमो को निहारता रहा ,और फिर थोड़ी देर बाद मुझे मेरा प्लान सूझ गया मैं फिर से दीवार फांद कर बाहर चला गया ……..
……..
“कौन है भोसड़ी का जो पत्थर फेके जा रहा है “
एक बुजुर्ग सा व्यक्ति फार्महाउस की मेन गेट को खोलकर बाहर आया ,मैं उसे देखकर रुका लेकिन वँहा सके भागा नही ,वो यंहा का गार्ड लग रहा था ,मैं पिछले 15 मिनट से पत्थर फेक रहा था ,कुछ आम के पेड़ जो की दीवारों से बाहर झांक रहे थे उनमे पके हुए आम दिखाई दे रहे थे मैं उन्हें ही निशाना बनाता लेकिन जानबूझ कर ऐसे पत्थर फेंकता था की उन्हें पड़े ही नही बल्कि सीधे अंदर चले जाए,लेकिन फिर भी बहुत देर तक किसी ने कोई केयर ही नही किया,ऐसे भी ये एक वीरान सी जगह थी यंहा का गार्ड भी घोड़े बेचकर सो रहा होगा,लेकिन मेरी मेहनत सफल हुई और वो उस गार्ड को समझ आ गया की कोई अंदर पत्थर फेक रहा है ,वो मुझे घूरा क्योकि मैं कोई आवारा लड़का तो नही था जो की आम के लालचमे पत्थर फेक रहा हो,
“का हुआ बाबू कहे पत्थर मार रहे हो “
वो गुस्से में था लेकिन फिर भी मेरे कपड़ो के कारण उसने मुझसे थोड़ी तमीज से बात करना ही सही समझा,साथ ही उसने देखा की मेरे बाजू में ही मेरी कार भी खड़ी है ..
“ओ सॉरी बाबा असल में इन्हें देखकर लालच आ गया था साला शहर में ऐसे आम कहा मिलते है ,ताजा ताजा ,और वो भी इतने नेचरल पेड़ में ही पके हुए ,खाने का मन कर गया ,सोचा की एक दो तोड़ लू लेकिन साला निशाना ही सही नही जा रहा ……”
वो थोड़ी देर तक मुझे घूरता रहा फिर जोरो से हँस पड़ा,
“क्या बाबुजी आप तो पढ़े लिखे हुई अमीर आदमी लगते हो बच्चों जैसी हरकत क्यो कर रहे हो “
मैं तुरंत अपने जेब से एक 500 का नोट निकाल कर उसके सामने किया,
“बाबा कुछ आम मिल सकता है क्या,मेरी पत्नी को बहुत पसद है “वो ललचाई निगाहों से उस नोट को देखा और मुझे समझ आ गया कि ये बुड्डा मेरे बहुत काम में आने वाला है…..
“ठिक है मैं कुछ आम आपके लिए तोड़कर लाता हु”उसने पैसे बड़े ही प्यार से स्वीकार कर लिए,वो अंदर जाने लगा साथ ही मैं भी ,लेकिन उसने मुझे रोक दिया
“अरे ये क्या बाबु यही रुको हम आते है “
“अरे बाबा देखने तो दो की गार्डन में और क्या बोया है कुछ पसंद गया तो वो भी ले जाऊंगा,..”
वो मुझे घूरने लगा
“अरे उसके अलग से पैसे ले लेना”
उसके चहरे में मुस्कान आ गई
“अरे बाबू ताजा भी है और ओरजेनिक भी है “
“ऑर्गेनिक ??”
“हा हा वही “
“अरे वाह तब तो सोने में सुहागा होगा,बाबा देखने तो दो गार्डन “
“अरे नही मरवाओगे क्या,गेट में ही कैमरा लगा है ,तुम रुको मैं पहले कैमरा बंद कर दु फिर अंदर आ जाना “
वो अंदर चला गया और मेरे होठो की मुस्कान और भी बढ़ गई साला जिस काम को मैं इतना मुश्किल समझ रहा था वो कितना आसान था,बस मुझे इस बुड्ढे को अपने बस में करना होगा आधी इन्फॉर्मेशन तो यही दे देगा..
मैं इत्मीनान से पूरे गार्डन में घूम रहा था सच पुछु तो बहुत ही अच्छे और ताजे फल थे वँहा सच में एक बार तो मैं भी उन सब्ब्जियो और फ्लो को देखकर भूल गया था की मैं यंहा पर क्यो आया हु ,उस बुड्ढे ने कैमरा मेरे अंदर आने के बाद चालू कर दिया,मैं समझ गया था इंट्री पर ही कैमरा लगा हुआ है,वँहा एक बड़ा सा कुत्ता भी था ,जब मैंने उसे देखा तो मेरे प्राण ही सुख गए थे ,क्योकि अगर पहले मैं इस कुत्ते के संपर्क में आ जाता तो ये मेरा आधा मांस ही खा गया होता,अभी मैं उसे अपने हाथो से सहला रहा था और वो भी मुझे पहचानने लगा था,साथ ही उसने अपने बेटे बहु से भी मुझे मिलाया,वो इतने इत्मीनान में था की मुझे पता चल गया की यंहा खान नही है ,लेकिन मेरे लिए ये अच्छा ही था की मैं इस फार्म हाउस के सभी लोगो से अच्छे से मिल गया ,मैंने उनसे उनकी ही भाषा में बात की औऱ ये भी बलताय की मैं पास ही काम करता हु और इस रॉड से गुजरता रहता हु ,मैं बहुत ही गरीब घर का हु मेहनत करके इतना बड़ा हुआ हु ,मैंने उसके बेटे हो कुछ मूलभूत सपने भी दिखा दिए जैसे की वो अपने बेटे को कैसे पढ़ाये ताकि वो आगे चलकर कुछ बड़ा आदमी बन पाए ,मैंने वँहा पर 1 से 1.5 घंटे बिताये और हालत ये हो गई की उन्होंने मुझसे रिक्वेस्ट किया की आप जब भी इधर से गुजरे तो यंहा जरूर आया करे,उसका बेटा बड़ा ही सुलझा हुआ इंसान लग रहा था जो की अपनी गरीबी से त्रस्त था,मैं उसे शहर लाने और उसे नॉकरी दिलाने की भी बात कर दी ,बुड्डा गार्ड तो मुझे मेरे पैसे भी लौटने लगा लेकिन मैंने जिद करके उसे वो पैसे दे ही दिए ,मेरी सहजता और अच्छाई आज काम आ गई थी मैं उन गरीब लोगो से असांनी से मिल पा रहा था ,आदमी अगर सचमे अच्छा हो तो उसकी अच्छाई उसके व्यव्हार से झलकने लगती है ,
मैं उसके बेटे को कोई गलत सपने नही दिखा रहा था मुझे सच में लगा की मैं इसे कोई काम दिला दु ,मैंने उसे कुछ समय मांगा और वँहा से चला गया ,उसका बेटा सारे फ्लो और सब्जियों के साथ मुझे छोड़ने मेरे कार तक आया…
“साहब आते रहिएगा,”
“बिल्कुल हरिया भाई,लेकिन यार तुम्हारे मालिक को अगर पता लगा तो गजब हो जाएगा “
“अरे आप फिक्र मत कीजिये यंहा का सब कुछ हमारे ही कंट्रोल में रहता है उसे कभी पता नही चलेगा ,आप बस मुझे फोन कर दिया कीजियेगा ...वो साला तो बस अपनी ऐयासी के लिए यंहा आता है सच बोलू तो मुझे ये सब बिल्कुल भी नही पसंद लेकिन क्या करे कोई और काम भी तो नही है,साला रंडियों के साथ यंहा आता है कभी वो तो कभी उसके दोस्त,यंहा मेरी बीवी भी है मेरे बच्चे भी है ,मुझे तो बहुत ही बुरा लगता है भइया …”
उसके आंखों में आंसू आ गए थे ,वो मुझे भइया बुला रहा था मैंने उसे दिलासा दिलाया की मैं उसके लिए जल्द ही कोई नॉकरी ढूंढूंगा ,मैं वँहा से निकल गया..
लेकिन मेरे दिमाग में एक बात बार बार आ रही थी की गरीबी लोगों को क्या क्या नही करने पर मजबूर कर देती ..
कहा ये सुलझा हुआ और समझदार आदमी ,इसकी इतनी अच्छी बीवी और बच्चा है एक परिवार वाला आदमी और कहा वो ऐसी जगह में काम कर रहा है जो खान ने सिर्फ और सिर्फ अपने ऐयासी के लिए ही बनाया था,
ऐसा नही था की उन्हें यंहा किसी भी चीज की कमी थी लेकिन कमी थी तो बस सम्मान की ……….
कहानी आगे जारी रहेगी...
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