घर है या रंडीखाना - 4 अब आगे...
दोस्तो यंहा से कहानी अलग अलग लोगो द्वारा बताई जाएगी..
अभी तक ये कहानी देव बोल रहा था,तो अब से ये कभी राइटर ,कभी निशा,या काजल की ओर से चलेगी…
निशा अभी अपने आंसुओ को रोक नही पा रही थी ,जबकि देव जेल में था,निशा अभी काजल के पास ही हॉस्पिटल में बैठी थी,काजल उसे सांत्वना दे रही थी ,लेकिन निशा का दुख कम नही हो पा रहा था…
“अपने भइया को क्या क्या बताया है भाभी “
निशा की इस बात से काजल थोड़ी सहम गई
“क्या सब कुछ बता दिया अपने “
निशा ने भरे हुए नजरो से काजल को देखा जैसे काजल को फिर से धक्का लगा हो
“मैं अब भइया से कैसे नजर मिला पाऊंगी..और आपको हमे भी तो बतलाना चाहिए था..”
निशा का चहरा परिवर्तित होने लगा था,वो गुस्से में आ रही थी लेकिन ये हॉस्पिटल था ….
“मैने उन्हें कुछ भी नही बताया है निशा “
“उनके बातो से तो ऐसा नई लगा की अपने उन्हें कुछ नही बताया होगा “
वो जोर देने के अंदाज में बोली ..
“मेरे भइया इतने सीधे है की उन्हें तो हमपर शक भी नही हो सकता था,लेकिन आपकी ही गलती से ये सब हुआ है,बाहर से आकर नशे की हालत में ही भइया को सब कुछ बता दिया था अपने ...उन्हें आप अपना कस्टमर समझ रही थी “
काजल उसका चहरा देखने लगी ,उसे यकीन नही हो रहा था की ये बात निशा को कैसे पता ..
शायद निशा को उसकी नजर से कुछ समझ आ गया था..
“मैं उस रात आप लोगे के कमरे के बाहर ही थी ,”
काजल अब घबरा गई ..
“घबराइए नही ना आपको कुछ होगा ना ही आपके इकलौते भाई वरुण को ,...लेकिन आपके पापा ..”
निशा के चहरे में एक अजीब से भाव आये जिसे देखकर काजल डर गई
“नही निशा पापा को कुछ मत करना “उसकी आवाज ही कांप गई थी लेकिन निशा के चहरे में एक कमीनी सी मुस्कान आ गई …….
“अगर आप चाहती है की वो बुड्डा अपनी बाकी की जिंदगी चैन से काटे तो ….”
काजल के आंखों में आंसू की एक धार बहने लगी थी ,उसका रूह भी निशा की बात से काँपने लगा था..
“तो……”
काजल ने कांपते हुए आवाज में निशा से कहा ,
“तो अब भइया को मेरे खेल से दूर ही रखना ,मैंने जीवन में सबसे अधिक प्यार उन्हें ही किया है...अपने एक बड़ी गलती तो कर ही दी और वो तो ठहरे भोले भाले वो मुझे सुधारने के लिए प्राण ले लिए होंगे..अगर मैं उनकी बहन ना होती तो आज वो मेरे होते..तुम्हारे आने से वो मुझसे दूर हो गए लेकिन अब मैं उन्हें अपना बना के ही छोडूंगी ,अगर तुम बीच में आयी तो जानती हो ना……”
काजल ने उसकी आंखे देखी,वो लाल थे ,जैसे किसी जुनूनी के होते है,वो एक जुनून में ही तो थी ,अपने भाई को पाने के जुनून में ना जाने वो इसके लिए क्या कर जाएगी...काजल के प्राण कांप गए वो एक भीगी बिल्ली जैसे सिमट कर रह गयी ,उसके मुख से कोई भी शब्द नही फूटा बस वो हा में सर हिला कर ही रह गई …….
इधर
“भाभी दिदि ने आपको कुछ कहा ,और भइया को क्या जरूरत थी की वो उन लड़को से भिड़ने जाते “
मासूम सी पूर्वी का चहरा देखकर काजल को उसपर बहुत ही प्यार आया ,वो अभी अपने बिस्तर में लेटी हुई थी और नर्सो के द्वारा की जाने वाली बात को सुनकर उसे पूरा माजरा समझ में आ चुका था..
“उन्होंने जो किया वो तो हर भाई करता ,और वो दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार भी तो तुमसे ही करते है …”काजल के चहरे में एक मुस्कान खिली ,वही मुस्कान पूर्वी के चहरे में भी थी ..
“निशा दिदि ने आपको कुछ कहा क्या ,मुझे बताइये मैं बतलाती हु उन्हें ,समझती क्या है वो अपने को “
पूर्वी का गुस्सा भी तो इतना प्यारा था की काजल हँस पड़ी
“पहले जल्दी के ठीक तो हो जाओ ,और निशा को मैं लुंगी , तुम उसकी फिक्र छोड़ो..पहले तो मुझे लगा था की निशा को सम्हालना आसान होगा ,लेकिन आज उसकी आंखे देखकर तो ऐसा नही लग रहा था जैसे वो कयामत ही ला देगी …….”काजल ने थोड़ी देर हुई बातचीत को याद किया
“क्या बोल रही थी वो ..”पूर्वी के चहरे में भी एक गहरे भाव आये ..
“वही पुरानी बात ...लेकिन इस बार उसकी आंखों में जो जनून था वो मैंने पहले कभी नही देखा था..”
पूर्वी ने एक गहरी सांस ली ..
“लगता है अब मुझे ही उतारना होगा “उसने अपने आप से कहा …………….
“वाह मेरे देव तुम तो यार हीरो निकले “
रश्मि का चहरा दमक रहा था,मैं अभी अभी थाने से जमानत में छूट कर आया था और जमानत करवाने वाली रश्मि ही थी ,मैने कुछ लड़को को क्या मार दिया ये लोग मुझे हीरो बनाने में ही तूल गए थे,रश्मि को तो इतना खुस मैंने कभी नही देखा था,आखिर बात क्या थी इतनी खुसी की …
“उसने मेरी बहन को छेड़ा था बस इसलिए “
“ओह लेकिन हर लड़का इतना बहादुर तो नही होता जो इतने लड़को के बीच अकेला पहुच जाय...खैर मैं तुम्हारे इस फैसले से बहुत खुस हुई “
वो इतनी खुस क्यो हो रही थी ,ये प्रोफेशनल लड़की थी इसे खुसी बेवजह तो नही हो सकती ..
मैं उसे यही बात अपनी आंखों से पूछ रहा था…
“असल में अब तुम तैयार हो ..”
वो हल्के से मुस्कुराई ..
“किस लिए ????”
मैं फिर के आश्चर्य से भर गया
“लड़ाई के लिए “
मुझे कुछ भी समझ नही आया की वो क्या बोल रही थी …
“खान से और किससे “उसने अपनी बात पूरी की
“लेकिन भला मैं क्यो उनसे लड़ने लगा “
वो खिलखिलाई
“यंहा एक जंग तो छिड़ी ही हुई है देव ,,ये दिमाग की जंग है और तुम चाहो या ना चाहो तुम इस जंग का हिस्सा हो “
वो खामोश थी लेकिन उसके होठो में एक मुस्कान थी मैं उसकी बातो को समझने की कोशिस कर रहा था ……..
“अगर मैं कहु की पूर्वी पर ये हमला खान ने करवाया था तो “
उसने एक बम फोड़ा
“नही ये नही हो सकता वो तो बस कॉलेज के आवारा लड़के थे “जितना मैं समझ पाया था मैंने कहा
“तुम जानते नही खान को वो साला बहुत ही कमीना है ,अपने बेटे से भी ज्यादा ,और वो साली रंडी काजल “
वो इतना ही बोलकर चुप हो गई ,मुझे पता था की रश्मि को मेरे और काजल के रिलेशन के बारे में पता था लेकिन फिर भी वो बार बार काजल को रंडी क्यो कहती थी……..जब भी वो उसका नाम लेती उसके चहरे में एक घृणा के भाव साफ नजर आ जाते थे ….
“काजल का इससे क्या लेना देना “
मैं थोड़ा सा चिढ़ गया था ..
“हा भई तुम तो उसकी तरफदारी करोगे ही आखिर तुम्हारी दोस्त जो है संस्कारी काजल …..बहुत पसन्द करते हो तुम उसे ?”
रश्मि के चहरे में मुझे जलाने वाली व्यंग वाली मुस्कान थी ,उसने एक एक शब्द बड़े ही सोच कर बोला था ,उसने पसंद कहा था प्यार नही क्योकि उसे लगता था की मुझे नही पता की उसे ये पता है की हम दोनो पति पत्नी है …..
“तुम ऐसे क्यो बोल रही हो “
“कुछ तो कहा होगा तुमसे काजल ने …..”
मैं चौक गया ..
“मैं जानती हु की तुम मुझे नही बताओगे,लेकिन वो काजल जिसकी बात तुम मान रहे हो वो तुम्हे ही फंसा रही है अपना काम निकालने के लिए “
साला सभी यही कहे जा रहे थे ,आखिर ये कौन सा काम है जो मेरे बिना नही हो सकता या जिसके लिए सबको मेरी जरूरत थी …...काजल ने भी कहा था की अब रश्मि तुमने अपने जाल में फसाने की कोशिस करेगी,वही हो रहा था रश्मि ने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया था और मोहरा था मैं ……
“कौन सा काम “
मैंने आखिर पूछ ही लिया
“काम तो पता लग ही जाएगा तुम्हे ...लेकिन सबसे जरूरी चीज ये है की तुम किसकी बात मानते हो ...अपने काजल की ,या अपने बहनों की जिसपर तुम जान छिड़कते हो ,या शबनम की जो की एक पक्की रांड है और पैसों के लिए कुछ भी कर सकती है,या उस मोहनी की जो खान की रंडी है ...या मेरी “
मैं बुरी तरह से चौक गया था ,रश्मि को मोहनी के बारे में कैसे पता था …...वो हल्के से मुस्कुराती हुई अपनी जगह से उठाकर मेरे सामने आकर टेबल पर बैठ गई ,उसके छोटे स्कर्ट से उसकी मांसल और लंबी जाँघे मेरे सामने थी,मेरा चहरा उसके सीने के पास था ,मैं अब उसकी खुसबू सूंघ पा राह था उसने बड़ी ही महंगी और मादक परफ्यूम लगा रखी थी …
उसके उन्नत उरोजों की चोटिया मेरे चहरे के बिल्कुल नजदीक थी ,मुझे लग रहा था की वो मुझे बहकाने के पूरे मूड में है ...उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया …..और अपना चहरा झुकाया ,जिससे हम दोनो के ही चहरे एक दूजे एक कुछ इंच की दूरी में रह गए थे…
“मैं जानती हु देव की तुम इस समय बहुत ही कन्फ्यूजन की स्तिथि से गुजर रहे हो..तुम्हारे सामने वो लोग भी है जिनसे तुम बेपनाह मोहोब्बत करते हो और वो भी जिनसे तुम्हे कोई वास्ता ही नही है...मैं जानती हु की मेरा साथ देना तुम्हारे लिए सबसे कठिन होगा ...तुम मुझे हमेशा ही अपनी बहनों और काजल के बाद ही रखोगे लेकिन ……..”
वो थोड़ी देर के लिए चुप हो गई,उसकी उज्वल आंखों को मैं घूर रहा था हम दोनो की ही आंखे मिली हुई थी लेकिन शब्द किसी के नही फुट रहे थे ……
“लेकिन क्या “
“मैं चाहती हुई की तुम मेरी बातो पर भी गौर करो ..कहने की जरूरत नही की इन बातो को किसी के साथ भी शेयर मत करना...ना ही काजल के साथ ना ही अपनी बहनों के साथ ना ही शबनम और मोहनी के साथ ...एक बार तुम मेरा भी तो भरोषा करके देखो “
एक लड़की जो की इस होटल की मालकिन थी ,जिसे कुछ दिनों पहले तक मैं देखकर ही कांप जाया करता था आज वो मुझसे ऐसे रिक्वेस्ट करेगी मैं सोच भी नही सकता था आखिर क्या करना था मुझे जो सभी मुझे अपने भरोसे में लेना चाह रहे थे ……
“बोलो देव कर पाओगे भरोषा …या इस दीवार को तोड़ने के लिए मुझे कुछ और भी करना होगा “
उसने अपने हाथो से मेरे हाथो को पकड़कर अपने जांघो के बीच तक ला दिया ,मेरी सांसे उखड़ने लगी थी ,ये कैसा तरीका था उसका भरोसा जितने का,मेरी उंगलिया उसके स्कर्ट के अंदर से उसकी योनि के ऊपर के कपड़े को छू गई ,मैने तुरंत ही अपना हाथ बाहर निकाला ,मैं ऐसा करना तो नही चाहता था लेकिन ये एक स्वाभाविक सा रिस्पॉन्स था ….
मैं पसीने से तर हो गया था जबकि ac पूरे जोरो से चल रहा था ..मैं उसकी आंखों में देखा वो हल्के से गीले थे जैसे वो ये करना तो नही चाहती थी लेकिन किसी ताकत ने उससे ये जबरदस्ती करवाया हो ,मेरे हाथो को निकालने से उसे जैसे चैन पड़ा हो …
उसके चहरे में एक मुस्कान आयी ..
“तुम बहुत अच्छे हो देव ,तुम्हे कुछ भी होना चाहिए “
वो मेरे बालो को सहलाने लगी
“अच्छे लोगो की ऐसे भी दुनिया में कमी है ,”
उसकी बात मेरे दिमाग के ऊपर से जा रही थी
“तो बोलो मुझे कुछ और करना होगा ये तुम ऐसे ही मेरा विस्वास कर पाओगे “
मैं बुरी तरह से झुनझुलाया …
“बहुत हुआ ये सब आखिर तुम चाहती क्या हो “
मैं जोरो से बोल गया .वो मुस्कुराई
“कुछ नही बस एक विस्वास ,की तुम मेरी कही बातो को किसी से शेयर नही करोगे …”
मैंने हा में सर हिलाया
“मैं कैसे मान लू की तुम ऐसा करोगे “
वो हल्के से बोली
“तुम्हे भी मेरे ऊपर इतना विस्वास तो रखना ही पड़ेगा “
वो गंभीर हो गई
“हम्म तो ठीक है देव ...अगर तुम्हे लगे की तुम्हे किसी को बताना है तो बता देना लेकिन पहले कम से कम मेरी बातो को समझने की कोशिस जरूर करना ...मेरा साथ देने की कोशिस जरूर करना ,अगर नही दे पाओगे तो भी मैं तुम्हे गलत नही समझूँगी क्योकि तुम भी मजबूरी में बंधे हो प्यार की रिश्तों की मजबूरी में ……”
मैं थोड़े देर शांत ही रहा …
“क्या बोलना चाहती हो …”
“ह्म्म्म देव जब मैं कालेज में थी तभी से मुझे अजीम से प्यार हो गया था ….”
वो बोलना शुरू कर दी ……
“अजीम और मैं बेस्ट कपल की तरह से रखने लगे थे ,वो मुझे बहुत प्यार करता था लेकिन फिर सब कुछ बदलने लगा ,,,अजीम को शराब और शराब का शौक चढ़ने लगा था ,और उसके लिए जिम्मेदार थी एक लड़की ……..”
मैं चुप ही था ,वो भी चुप हो गई
“काजल???”
मैंने कहा था ..
“नही मोहनी “उसका उत्तर था ..
“हम्म तो फिर तुमने अजीम को छोड़ दिया बस इतना ही ना “
मैं झुंझला गया था ….
लेकिन उसके प्यारे से चहरे में उदासी घिरने लगी ………
“अजीम को लड़कियों का शौक था लेकिन वो इतना कमीना नही था,हम दोनो की लड़ाइयां होनी शुरू हो गई थी ,वो उस समय की बात है जब उसके होटल में काजल की एंट्री हुई ,वो एक सीधी साधी से लड़की लगी जिसे मोहनी को कहकर अजीम अपने सांचे में ढालने में लग गया..शुरुवात में मोहनी ने काजल को बिगड़ने में अजीम का भरपूर साथ दिया लेकिन फिर धीरे धीरे काजल ही अजीम के दिमाग में छाने लगी ,काजल के नशे में अजीम ने मोहनी को किसी चाय में पड़े हुए मख्खी की तरह निकाल फेका…….
मोहनी से मुझे प्रॉब्लम तो थी लेकिन फिर भी वो कभी हमारे पर्सनल और प्रोफेशनल मेटर ने टांग नही अड़ाती थी लेकिन काजल में हमारे रिस्तो को बर्बाद नही किया वो प्रोफेशनल चीजो में भी बहुत दखल करने लगी…
खान साहब के पूरे करोबर का इकलौता मालिक अजीम ही है,और उनकी कंपनी के बोर्ड ऑफ डारेक्टर में मुझे भी जगह मिली थी …
लेकिन पता नही काजल ने ऐसा क्या किया की मुझे बोर्ड ऑफ डारेक्टर के लिस्ट से हटा दिया गया,,,मैं तब भी कुछ नही कहती हो सकता था की कंपनी की किसी पॉलिसी के कारण ये किया गया रहा हो लेकिन मुझे झटका तब लगा जब काजल को मेरी जगह बैठा दिया गया..
इस बात को लेकर अजीम से मेरा फाइनल झगड़ा हुआ और आखिर में वो तलाक में तब्दील हो गया……….”
मैं उसकी बातो को ध्यान से सुन रहा था क्योकि ये उस बात के बिल्कुल ही विपरीत थी जो की काजल ने मुझे बताई थी ……
“वो सिर्फ एक रंडी ही नही है देव वो जादूगरनी है ...और उसका साथ देने वाली थी …”
रश्मि अपनी बात को कहते कहते ही रुक गई जैसे सोच रही हो की ये कहु की नही .
“क्या हुआ बोलो .”
“देव प्लीज् मेरी बातो का बुरा मत मानना..मैं जो भी कह रही हु अगर तुम्हे लगे की ये गलत है तो भी तुम पहले उसे परख लेना,,..ये तुम्हारे लिए बड़ी बात हो सकती है और हो सकता है की तुम गुस्से में आ जाओ ...लेकिन मेरी बात को ध्यान से सुनना …”
मैं सकते में आ गया था आखिर रश्मि कहना क्या चाहती थी …
“बोलो मैं सुन रहा हु,वादा करता हु की तुम्हे कुछ भी नही कहूंगा “
मैं उसे शांत करने के उद्देश्य से बोला क्योकि मुझे यंहा एक नई कहानी सुनने को मिल रही थी और मैं इसे जानना चाहता था …
“वो निशा थी ….तुम्हारी बहन “
मेरे चहरे के भाव तेजी से बदलने लगी थे ...अगर काजल ने मुझे निशा के बारे में पहले ही नही बता दिया होता तो शायद मैं रश्मि की जान ही ले लेता …….लेकिन मैं चुप था…
लेकिन रश्मि को शक ना हो इसलिए मैंने ऐसी एक्टिंग की जैसे मैं बहुत ही ज्यादा शॉक में पहुच गया हु ….
“मेरी बात पर यकीन करने की जरूरत नही है देव ,तुम जब तक जान ना लो मत मानो लेकिन अपनी नजर बदलो शायद तुम्हे अपने आस पास बहुत कुछ अजीब सा लगे “
रश्मि के एक एक शब्द में मेरे लिए भरपूर सहानुभूति और प्यार का अहसास किया मैंने…..ये अजीब था क्योकि मैं जानता था की वो मुझे काजल के खिलाफ भड़काने वाली है लेकिन उसकी बाते मुझे इतनी सच्ची क्यो लग रही थी ………
वो मेरे सर को पकड़ कर अपने सीने से लगा ली ,जैसे मुझे सांत्वना दे रही हो …
उसके उजोर के तकिए और खुसबू ने मुझे बड़ा सुकून दिया ,मैंने उसे अपनी बांहो में भर लिया और वो मेरे सर को सहलाने लगी …
एक अजीब सी आत्मीयता का आभास मुझे उसके स्पर्श में हो रहा था…
“लेकिन मैं क्या कर सकता हु इन सबमे ..और तुम मुझे ये सब क्यो बता रही हो “
मैं अपने आखिरी दुविधा को मिटाना चाहता था..
“क्योकि तुम एक अच्छे इंसान हो इस लिए मैंने तुम्हे ये सब बतलाया वरना मैं खुद ही कुछ कर लेती …….और काजल और निशा के करीब भी हो इसलिए तुम ही वो काम आसानी से कर सकते हो ,रही बात की मुझे क्या मिलेगा..मुझे मेरा हक चाहिए जो की खान की प्रोपर्टी पर मेरा है...मुझे अजीम को सही रास्ते में लाना है..अब हमारे रिश्ते पहले जैसे तो नही हो सकते लेकिन फिर भी पहला प्यार तो पहला प्यार ही होता है…..”
मैंने अपना सर उठाया ,आज मैंने रश्मि को पहली बार रोते हुए देखा था …….
“हैल्लो इन्स्पेक्टर ठाकुर कैसे है आप “
डॉ ने इंस्पेक्टर से हाथ मिलाते हुए कहा ,
“आपकी कृपा है सर “
दोनो के ही होठो में मुस्कान आ गई
“हैल्लो देव”ठाकुर ने अब अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया ,
मैं ऐसे भी अभी तक इस बात को लेकर चिंतित था की आखिर डॉ ने मुझे अपने साथ आने को क्यो कहा है,ये वही इंस्पेक्टर था जिसने मुझे अरेस्ट किया था शाम का समय था और मैं होटल से थका हुआ अपने घर जाने को ही निकला था,आज पूर्वी भी हॉस्पिटल से घर शिफ्ट हो गई थी,पिछले 3 दिनों से निशा मुझसे नजरे चुरा रही थी,अब मुझे भी उससे बात करने की इच्छा जागने लगी थी लेकिन फिर भी जब तक पूर्वी हॉस्पिटल में थी हमे ऐसा समय ही नही मिल पा रहा था की हम कुछ बात कर पाए,मैं घर को निकला ही था की काजल का काल आया उसने मुझे जिला सेंटर जेल में बुलाया था,मैं चौका लेकिन फिर भी क्या करता ,वही मुझे डॉ मिलने वाले थे जो की बाहर ही मिल गए,काजल को आने में समय था ,अभी अभी ठाकुर साहब पहुचे थे……
“आखिर बात क्या है सर”
मैंने डॉ की तरफ रुख किया ..
“हम अजीम से मिलने आये है “
सुनकर मैं दंग रह गया ,अगर काजल को ही मिलना था तो मुझे लाने की क्या जरूरत थी ,
शायद डॉ को मेरी नजर समझ आ गई
“असल में वो चाहती थी की अब तुम भी हमारे ही साथ रहो,”मुझे कुछ समझ तो नही आया लेकिन मुझे समझने की कोई जरूरत भी तो नही थी,आखिर जो हो रहा है वो देखना बस तो था मुझे …
मैंने जेल के गेट में काजल की कर रुकते देखी,हम सभी अभी गेट के बाहर ही थे..
वो उतर कर सीधे ठाकुर के पास पहुची
“क्या हुआ है अजीम को “
उसकी आवाज में एक अजीब सी घबराहट थी लगा जैसे वो अजीम के लिए बहुत ही चिंतित है …
“पता नही कुछ अजीब सी हरकते कर रहा है ,अभी तक खान को पता नही चला है उसे कुछ पता चले उससे पहले मैंने डॉ को बताना सही समझा …
अचानक ही काजल के चहरे में आया हुआ चिंता का भाव थोड़ा कम हुआ
“हम्म तो चले “
डॉ ने ठाकुर को निर्देश दिए ..
आज मुझे पता चला की पॉवर का इस्तमाल कैसे किया जाता है,जिस जेल में सामान्य कैदी के परिवार को मिलने के लिए लाइन लगानी पड़ती है ,और एक निश्चित समय दिया जाता है ,अगर आपके पॉवर हो तो लाइन छोड़िए समय की भी कोई पाबंदी नही होती , इंस्पेक्टर हमे सीधे जेलर के कमरे में ले गया,वो भी थोड़ी औपचारिक बातचीत के बाद सीधे हमे एक दूसरे कमरे में ले गया …
वो एक अंधेरा कमरा था जंहा पर एक बड़ा सा कांच लगा था ,देखने से ही समझ में आ रहा था की ये इंवेस्टिगेशन के लये बनाया गया है……
वँहा उस कांच की दीवार से हमे दूसरे कमरे का नजारा साफ दिख रहा था ,जंहा पर अजीम बैठा हुआ था,वो असली इन्वेस्टिगेशन रूम था,मुझे नही पता था की जेलों में भी इस तरह की सुविधा होती है,जेलर के साथ कुछ और भी पुलिस वाले वँहा पहुचे थे..
“आप बात कर लीजिये जब हो जाए तो मुझे बता देना मैं बाहर ही हु “
ये कहते हुए जेलर और ठाकुर दोनो ही बाहर निकल गए ..
काजल ने फिर किसी का इंतजार किये बिना ही अंदर के कमरे की ओर रूख किया ,अजीम के साथ भी एक पोलिस वाला मौजूद था,जो काजल को देखते ही बाहर निकल गया..
“ओह तुम आ गई “पुलिस वाले के जाते ही अजीम ने काजल को गले से लगा लिया,वो अभी कैदी के कपड़ो में था,और जोरो से रो रहा था,मैंने महसूस किया की उसका वजन कुछ कम हो गया है,चहरे का तेज फीका पड़ा हुआ है,ये वही आदमी था जो की गरज कर बाते किया करता था आज उसकी ये हालत देखकर तो मुझे भी उसके ऊपर दया आ गई …….
वो बहुत ही मजबूर और कमजोर लग रहा था..
उसने काजल को ऐसे पकड़ रखा था जैसे की अमरबेल की लताये किसी वृक्ष को ….लेकिन मुझे इस बात से बिल्कुल भी जलन नही हुई क्योकि वो इतना मजबूर दिख रहा था और काजल इतनी मजबूत की मुझे तो अजीम के ऊपर ही तरस आ रहा था,ऐसा लग रहा था जैसे वो सालो से काजल की राह देख रहा हो……….
काजल उसके पीठ को थपथपा रही थी जैसे वो उसे सांत्वना दे रही हो …
“आओ आराम से बैठो “काजल ने उसे पास की ही कुर्सी में बिठा दिया ,हमे उनकी आवाज स्पीकर के जरिये साफ साफ सुनाई दे रही थी वही आईने से ऐसा लग रहा था जैसे की वो हमसे कुछ ही दूरी में बैठे हुए बाते कर रहे हो...
“काजल ..काजल मैं पागल हो जाऊंगा “
उसकी आवाज में एक अजीब सी तडफ थी….
वो फफक कर रो पड़ा ,और उसने बैठे ही बैठे काजल के कमर को जकड़ लिया ,अब उसका सर काजल के पेट पर था,काजल अब भी खड़ी हुई थी ,काजल ने उसके बालो को सहलाना शुरू किया,इससे उसे जरूर ही बहुत शुकुन मिला होगा ,वो किसी बच्चे की तरह काजल से लिपटा हुआ था वही काजल उसे किसी माँ की तरह दुलार कर रही थी,अब मुझे समझ के आया की रश्मि क्यो काजल से इतना जलती है……….
“मैं आ गई हु ना सब ठीक हो जाएगा “
“मैं मरना नही चाहता काजल मरना नही चाहता प्लीज् मुझे यंहा से निकालो “
वो तड़फता रहा ,
काजल के कांच की ओर देखा जिसके दूसरे सिरे में हम उसे देख रहे थे ,उसके चहरे में एक कमीनी मुस्कान खिल गई,
सच पूछो तो मेरा दिल ही धक कर रह गया,..
उसकी मुस्कान ही उसके विजय की गाथा कह रही थी ,ऐसा लगा जैसे काजल को उसे इस हालत में देखकर अपार संतोष हुआ हो…….
मेरी काजल इतनी बेरहम होगी ये तो मैंने भी नही सोचा था...काजल का ये रूप पहली बार मेरे सामने था…
“तुम फिक्र मत करो ...बस अपने पिता और उस रश्मि की बातो में मत आया करो ,नही तो मैं तुमसे रूठ जाऊंगी “
काजल के इतना कहते ही उसने काजल को और भी जोरो से कस लिया ..
“मुझे माफ कर दो काजल ,मैं बहक गया था मुझे लगा की मेरे पिता मुझे छुड़ाना चाहते है लेकिन तुमने मेरी आंखे खोल दी वो तो रश्मि के जिस्म के बहकावे में आकर मुझे ही फांसी पर चढ़वाना चाहते है,दोनो ही मिलकर मेरी जायजाद हड़पना चाहते है,मुझे माफ कर दो काजल ….प्लीज् मुझसे मत रूठना ,तुम रूठ गई थी तो मैं पागल ही हो गया था ”वो और जोरो से रोने लगा और काजल की मुस्कान और भी गहरी हो गई..
मैं समझ गया था की काजल ने उसे किसी तरह से खान साहब और रश्मि के बारे में भड़का दिया है...लेकिन कैसे ?
वो उसके बालो पर हाथ फेरे जा रही थी ,
“तुम फिक्र मत करो मैं अब तुमसे नही दूर नही होने वाली ,और तुमसे मिलने भी आया करूँगी ,ये लो तुम्हारे सभी दुखो की दावा “
उसने हाथो से एक पुड़िया निकाल कर अजीम के आगे कर दी ,जिसे देखकर अजीम का चहरा ही खिल गया ,मुझे समझते देर नही लगी की काजल उसे ड्रग्स दे रही है...मैं अंदर से कांप गया ..
“थैंक्स काजल ,तुम मेरे लिए इसे भी ले आई ,मैं तो इसके बिना पागल ही हो गया था “वो बड़ी ही उतावली से उसे देखने लगा जैसे कोई बच्चा चॉकलेट को देखता है,उसने हाथ बढ़ाया लेकिन काजल ने मुठ्ठी बंद कर ली ..वो बेचैन हो उठा,अब मुझे समझ में आया की काजल ने उसे कैसे अपने वश में आर रखा था...
“पहले प्रोमिश करो की मेरे ऊपर शक नही करोगे और उन दोनो से दूर ही रखोगे “
वो ललचाई निगाहों से उसे देख रहा था,
“प्रोमिश मैं तुम्हारी कसम खाता हु काजल प्लीज् अब मत तड़फ़ाओ “काजल की एक जोरदार हँसी कमरे में गुज गई उसने बड़े ही प्यार से उसके माथे को किस किया और उसके हाथो में वो पुड़िया थमा दी ..
“मैं जेलर से बोलकर तुम्हरे लिए नए कमरे का इंतजाम करवा देती हु “
अजीम काजल को ऐसे देख रहा था जैसे की वो उसके ही अहसानो पर जिंदा हो …
“तुम मेरे लिए कितना करती हो काजल और एक मेरे पिता है जो मुझे यंहा आकर भी लेक्चर ही देते रहते है,खुद तो बाहर मेरी पत्नी के साथ अय्याशी करते है…”उसकी आंखे नम थी
“तुम फिक्र मत करो तुम्हरे बाहर निकलते ही हम उन्हें सबक सिखाएंगे,बस तुम जल्दी से बाहर आ जाओ,मैं पुलिस को खरीदने की पूरी कोशिस कर रही हु,ताकि केस में कोई सबूत ही ना मिल पाय या जो सबूत मीले है वो सभी नष्ट कर दिए जाए ,उसके लिए भले ही मुझे अपना जिस्म भी देना पड़े लेकिन मैं तुम्हे छुड़ाने में पीछे नही हटूंगी ..”काजल की बातो से अजीम और भी भावविभोर हो गया था …
“और मुझे थोड़े पैसे चाहिए …”काजल थोड़े देर के लिए शांत हो गई …..
“ये सब यंहा तक लाने के लिए सभी को खिलाना पड़ता है तुम तो समझते ही हो ...तुम्हारे पिता जी तो देने से रहे और होटल का बिजनेस भी ऐसा नही रहा की तुम्हरे बिना पैसों का इंतजाम हो जाए ,रश्मि ने अपने होटल में वही काम शुरू कर दिया है जो की हम करते थे,और अब वो और भी पॉवर फूल हो गई है ,तुम्हे बर्बाद करने की तो जैसे कसम ही खा के बैठी है वो ,खान साहब भी क्या करे उनके सामने तो जैसे ही वो अपने कपड़े खोलती है वो चुप ही हो जाते है….अब तुम ही बताओ अजीम मैं सबके लिए पैसे कहा से लाऊ …...ये सभी तो तुम्हारे लिये अपना जिस्म बेचकर कर रही हु…”
काजल रोने लगी ….
मुझे पता था की उसका रोना सिर्फ एक एक्टिंग ही है और उसे पैसे की कोई कमी भी नही है ,होटल का पूरा कारोबार ही उसके पास था और होटल इतने भी घाटे में नही चल रहा है ,उसके अलावा उसने होटल को अच्छे से सम्हाल लिया था जिससे पूरे मुनाफे का 10-20 % तो काजल शो ही नही करती थी यानी वो सभी पैसे काजल के पास थे ,इससे खान को लगता था की होटल घाटे में चल रहा है...खान काजल पर आंख मूंदकर विश्वास कर रहा था जैसे की अभी अजीम …..
“तुम फिक्र मत करो काजल कुछ करते है,तुम्हरा जिस्म अब मेरे लिए है और किसी के लिए नही जितना तुम्हे करना था वो तुम कर चुकी हो अब नही “अजीम थोड़ा कॉन्फिडेंट दिख रहा था ,शायद वो अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल करने जा रहा था……
“क्या करोगे तुम ..”काजल ने एक व्यंग सा मार दिया जिससे वो तिलमिला गया ,और खड़े होकर इधर उधर घूमने लगा ..
“मेरे पास एक प्लान है “
काजल ने धीरे से कहा ,अजीम की नजर भी उसपर ही जम गई
“होटल के अधिकतर शेयर तुम्हारे नाम है ,तुम उनमे से कुछ मेरे नाम कर दो ...अब यंहा रहते हुए बस यही किया जा सकता है ...अभी होटल की हालत खस्ता जरूर है लेकिन हमारे होटल का कुछ नाम तो है ,हो सकता है की उन्हें बेचकर हमे कुछ पैसे मिल जाए ..”अजीम की निगाहे काजल पर ही जम गई थी जैसे वो कुछ सोचने लगा हो
लेकिन काजल ने इतने स्वाभाविक तरीके से कहा की कोई भी उसकी बातो में आ जाता,
“मैं जानती हु अजीम की तुम सोच रहे होंगे की उन शेयर की कीमत ही कितनी होगी जो हमारे काम आएगी ,मुझे पता है कि शेयर के भाव हमे ओरिजनल कीमत से कई गुना कम मिलेगा लेकिन इससे हमारी समस्या तो कुछ देर के लिए कम होगी …”काजल ने अपनी आंखों में आंसू ला लिया था ..मैं तो उसकी इस एक्टिंग से ही हैरान था,खान के होटल के शेयर के कम पैसे मिलेंगे,वाह रे काजल …….
ओरिजनल कीमत से कम से कम 20 गुना ज्यादा पैसे उस शेयर के मिलते ,इतना तो उस होटल की हालत देखकर कोई भी जानकर आदमी बता सकता था लेकिन अजीम को ये समझा दिए गया था की होटल की हालत बहुत ही खस्ता है ,साथ ही खान के बाकी के कारोबार भी डप्प हो रहे है ,और इन सबका कारण उसकी गिरफ्तारी है,
अजीम बेचैनी से कमरे में घूमने लगा ,काजल ने उसे अपने पास खिंच लिया ,और उसके गले से हाथ डाल दिया और उसकी आंखों में देखने लगी …
“तुम फिक्र मत करो मैं सब सम्हाल लुंगी ….मैंने तो अपना सब कुछ ही तुम्हारे नाम कर दिया है और तुम हो की थोड़े से शेयर के लिए भी सोच रहे हो ,जबकि तुम्हे पता है की उनसे भी पैसों की समस्या खत्म नही होगी ,लेकिन मैं और पैसों का इंतजाम कर लुंगी …...तुम्हरे लिए सब कुछ “
वो हल्के से मुस्कुराई और उसके होठो में अपने होठो को घुसा दिया ,इस दृश्य की मैंने कल्पना भी नही की थी ,मैं बुरी तरह से झेप गया था ,मेरी बीवी मेरे ही सामने किसी गैर मर्द के होठो को अपने होठो में भरे हुए चूस रही थी ,जैसे की दोनो के होठ ही जम गए हो …..मैंने नजर फेर ली ,मेरी हालत देखकर डॉ के चहरे में मुस्कान आ गई,
“ठिक है तुम बताओ की मुझे क्या करना है “
मुझे अजीम की आवाज सुनाई दी ,
“बस दो मिनट रुको तब तक तुम एक शॉट मार लो ,और कम ही यूज़ करना इसे बहुत कीमती है और बड़ी मुश्किल लगती है यंहा लाने में “काजल उसे देखकर मुस्कुराई और उसके होठो में फिर से एक किस देकर बाहर निकल आयी ,
जैसे ही हम दोनो की नजर मिली उसकी नजर नीचे हो गई थी वही हाल मेरा भी था,डॉ ने कुछ पेपर काजल के सामने कर दिए ,,
“पूरे रेडी है,बस एक साइन और 60% तुम्हरे नाम हो जाएगा “
मैं बुरी तरह से चौक गया ,
“क्या 60% वो इतना पागल नही है की 60% में सिग्नेचर कर देगा “मैं चीखा
दोनो ही मुस्कुराने लगे ,
“वो तो नही करेगा लेकिन जो वो अभी अपनी नाक में डाल रहा है वो ये जरूर करवा देगा “
मैं कांच से देख रहा था ,अजीम पुड़िया खोलकर उसे सूंघने लगा था..उसका चहरा लाल पड़ने लगा जैसे की वो किसी अलग ही दुनिया में पहुच गया हो ….
“काजल एक बार फिर से सोच लो हम इस पैसे के बिना भी खुस रह सकते है ,और किसी को ऐसे नशे में धोखा देना ???”
मेरी आंखों में चिंता साफ थी लेकिन काजल की आंखे कुछ और ही कहानी कह रही थी …
“जो इसने मेरे साथ इस नशे में किया है उसके सामने शायद ये कुछ भी नही “काजल की आवाज भारी हो गई थी लगा जैसे वो रोने वाली हो …
मैं उसे देखता ही रहा जब वो अंदर गई और अजीम ने हंसते हंसते उसे बांहो में भरकर काजल में साइन कर दिए,..........
काजल ने कांच की दीवार को देखा उसके चहरे में विजय की मुस्कान थी …………..
“रुको “मेरी आवाज से निशा रुक गई जिसने अभी अभी मेरे लिए दरवाजा खोला था,
जेल से आने के समय काजल फिर के होटल चले गई थी ,निशा ने दरवाजा खोला और सर झुकाए जाने लगी ,मुझे ये बात बहुत ही तकलीफदेह लग रही थी की मेरी ही बहन मुझसे ऐसे पेश आ रही थी ,शायद वो उस दिन की मेरी बातो को अब भी अपने दिमाग में बसा कर रखे थी…
“तुम ऐसे मुझसे भाग क्यो रही हो “निशा पलट भी नही रही थी और सर झुकाए खड़ी थी …
“कुछ भी तो नही भइया “
“पूर्वी कैसी है “
“ठिक है अपने कमरे में है “मैंने निशा से अभी बात करना उचित नही समझा ,मैं सीधे ही उनके कमरे की ओर बढ़ा,आज उसने मुझे नही रोका ,मैं कमरे में था और मेरे सामने मेरी प्यारी बहन पूर्वी लेटी हुई थी,मुझे देखते ही वो खुसी से उछाल पड़ी,वो आज ही घर आयी थी और मैं उससे अभी मिल रहा था…
“कैसी है मेरी जान “मैं उसके पास ही बिस्तर में जाकर बैठ गया ,वो उठाने को हुई लेकिन मैंने उसे लिटा दिया ..
“अरे मुझे कोई उठाने क्यो नही देता है “
उसकी मासूमियत में तो दुनिया कुर्बान थी ..
मैं हंसा
“मैं पूरी तरह से ठीक हु भइया अब तो मैं कालेज भी जा सकती हु “
कालेज ?????
मैंने तो ये सोचा ही नही था,अब क्या मेरी बहनों का कालेज जाना ठीक होगा क्योकि जो मैंने किया था उससे पूरे कालेज में इन्ही की चर्चा हो रही होगी,और उनको खतरा भी होगा …
मेरे मनोभाव शायद पूर्वी की समझ में आ गए थे..
“अरे जिसका आपके जैसा भाई हो उन्हें अब कोई कुछ नही बोलेगा आप क्यो फिक्र कर रहे हो “
पूर्वी ने मेरे मन की बात सुन ली थी ,
“कुछ दिन रेस्ट कर ले फिर मैं ही तुझे कालेज छोड़कर आ जाऊंगा “मैंने उसके बालो को सहलाते हुए कहा ,
“क्या भइया आप भी ….कितना रेस्ट करूँगी मैं ,बोर होई जाती हु यंहा लेटे लेटे ..और आप फिक्र मत करो मेरी अब मुझे कुछ भी नही होगा “
“ह्म्म्म “
मैं भी चुप हो गया और उसके जख्मो को देखने लगा ,ज्यादा गहरा घाव नही बना था,लेकिन जलने वाली जगह में निशान बच गया था,घाव पूरी तरह से ठीक था और उसकी चमड़ी से उसके नस दिख रहे थे,ऊपर की त्वचा जल गई थी ,मुझे उसे देखकर फिर से बड़ा दुखी हुआ ,
“देखो ना भइया सब तो ठीक हो गया है और मुझे कोई कमजोरी भी नही है अब “
वो उठकर मेरे गले में झूल गई ,मुझे मेरी पुरानी पूर्वी वापस मिल गई थी ,मैं उसे अपने गले से लगा कर रखा रहा,मेरी नजर उस कमरे में पड़ी…..
यही वो कमरा था जंहा मेरे आने से मेरी बहनों को परेशानी थी ,आज उन्हें कोई परेशानी नही हो रही थी इसका मतलब था की उन्होंने वो चीज हटा दी होगी ,मैं ध्यान से देखने लगा सभी कुछ तो ठीक था बस एक चीज के ,एक दीवाल जो की बिस्तर के बाजू ने ही था,मुझे लगा की उसपर कोई पोस्टर चिपका हुआ रहा होगा जिसे अभी अभी निकाला गया था,क्योकि पोस्टर तो निकल गया था लेकिन उस जगह का कलर बाकी दीवाल के कलर से अलग था,मैं फिर से नजर दौड़ाया और मुझे वो पोस्टर भी दिख गया,जो की निशा के स्टडी टेबल के नीचे में मोड़कर रखा गया था,क्या था उस पोस्टर में जिसे मेरी बहने मुझसे छिपा रही थी ,???
मैं ज्यादा खुफिया गिरी नही करना चाहता था …
मुझे निशा का आभास हुआ जो की मेरे पीछे ही खड़ी थी ,मैं जब पलटा तो उसने फिर से नजर झुका लिया,मैंने पूर्वी को देखा और आंखों ही आंखों में पूछा कि क्या हुआ ..
उसने उसने अपनी नजर बड़ी करके मुझे बताया की आपके ही कारण हुआ है ये अब मनाओ ...उसका चहरा और एक्प्रेशन देखकर मुझे हँसी आ गई लेकिन मैं बस मुस्कुराया …
मैंने निशा का हाथ पकड़ा और बिस्तर में बिठा दिया ,वो अब भी नजर गड़ाए हुए बैठी थी ,
“मुझसे नाराज हो ???”
मैंने कहा ही था की वो वँहा से उठ कर चली गई ,मैंने देखा था की उसके आंखों में आंसू थे ...हम दोनो ही उसे जाते हुए देखते रहे लेकिन कोई कुछ भी नही बोल पाया ,वो कमरे से बाहर चली गई शायद किचन में …
“इसे क्या हो गया है “मैं पूर्वी की तरफ मुड़ा जो की उदास दिख रही थी ..
“भईया ……..”वो भी चुप हो गई और उसने उस पोस्टर की तरह उंगली की जो की गोल मोड़कर रखा गया था,मुझे पता था की यही वो पोस्टर है जोकि कभी इस दीवार मके लगा रहा होगा ..
“उसे देखो “
पूर्वी ने उदास स्वर में ही कहा ..
मैं उठकर उस तक पहुचा और उसे खोला …
मेरी नजर फ़टी की फ़टी रह गई थी ,ये था जिसे मेरी बहने मुझसे छिपा रही थी ……
मैं चौक कर फिर से पूर्वी को देखने लगा
“हम नही चाहते थे की आपको इसका पता चले लेकिन …..दीद आपसे बहुत प्यार करती है भइया और ये इसका सबूत है ,”
मेरी बहन मुझसे प्यार करती है तो इसमें छिपाने वाली क्या बात थी ???
ये उस पोस्टर से पता लग रहा था,जिसके बीच में एक दिल बना हुआ था जिसपर मेरी फ़ोटो लगी थी ,उसके चारो ओर सिर्फ मेरी ही फ़ोटो थी,ऐसा लग रहा था की किसी नवजवान लड़की को प्यार हो गया हो और वो अपने महबूब की तस्वीरों से दीवाल को सजाने के लिए इसे बनाया हो ,निशा की मेहनत इसमें साफ नजर आ रही थी ,मेरी कुछ चुनिंदा तस्वीरों से उसने एक आदमकद का पोस्टर बनाया था...मेरी आंखे भर गई ..
“मैं भी आपसे प्यार करती हु भइया लेकिन दिदि का प्यार कुछ अलग ही है ...वो आपके लिए पागल है ,यहां तक की जब आपकी शादी हुई थी तब सबसे ज्यादा वही रोइ थी ...मैं जानती हु की ये गलत है लेकिन ………..”
पूर्वी थोड़ी चुप हो गई ,मुझे काजल ने कुछ तो बता दिया था लेकिन आज मैं इसे फील भी कर सकता था …
“दिदि ने तो भाभी को भी धमका दिया था ,वो तो भाभी को भी ……..”जैसे पूर्वी को होशं आया हो की वो क्या बोल रही है ,वो चुप हो गई जैसे कोई सदमा लगा हो ,मैं उसके पास जा बैठा
“भाभी को भी क्या “
पूर्वी के चहरे में एक डर आ गया था मैं जानता था की वो क्या बोलना चाहती थी ..
“कुछ नही भइया “
“मुझसे कब तक तुम लोग झूट बोलकर निशा को बचाने की कोशिस करोगे ..मैं जानता हु की उसने काजल को मारने की कोशिस की थी और तुझे भी …..”कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा पसर गया था …
“मैं ये भी जानता हु की जो एसिड अटैक तेरे ऊपर हुआ वो उसी ने करवाया था…”
अब पूर्वी रोने लगी थी ,
मैंने उसे अपने सीने से जकड़ लिया ,
“मैं जानता हु मेरी जान की तुम निशा को कितना प्यार करती हो ,उसकी हर गलतियों के बावजूद और मैं ये भी जानता हु की निशा के लिए ये सहना बहुत ही मुश्किल होता है की मैं उसके अलावा किसी और को प्यार दिखाऊ,मैं जानता हु की वो बीमार है और उसे अगर कुछ ठीक कर सकता है तो मेरा प्यार ..लेकिन इसका ये तो मतलब नही हुआ की मैं तुझे प्यार करना बंद कर दूंगा ……….अब तो निशा भी जानती है की मुझे उसके बारे में पता चल गया है शायद इसी लिए वो मुझसे इतनी दूर भाग रही है,लेकिन वो दिल की अच्छी है ,वरना अभी तक वो काजल और तुझपर और भी हमले करवा सकती थी ,उसे अपनी गलती का अहसास है लेकिन वो बीमार है ,जब उसे उत्तेजना होती है तब उसमें कुछ भी सोचने समझने की शक्ति नही बच पाती,और जब गलती हो जाए तो फिर पछताने के सिवा और कोई चारा नही बचता “
पूर्वी मेरे सीने से लगी हुई सिसक रही थी ..
“भइया सच में दिदि अच्छी है ,मेरे ऊपर हमला तो करवा दिया लेकिन फिर वो इतना रोइ है ,,,,,,,वो तो ठीक से खाना भी नही खा पा रही है प्लीज् उसे मनाओ शायद जब आप उसे समझाओगे तभी तो ठीक हो पाएगी...सच में हमशे बहुत बड़ी गलती हो गई,हमे आपको सब कुछ पहले ही बता देना था ,अगर हम आपको पहले ही बता देते तो शायद मुझेपर ये अटैक ना होता और ना ही भाभी मुसीबतों में फंसती “वो रोती रही ..
“फिक्र मत कर मेरी जान मैं सब कुछ सम्हाल लूंगा अब उसे सम्हालना मेरे ऊपर है …”
मैं थोड़े देर और पूर्वी के साथ ही बैठा रहा और फिर बाहर जाकर निशा की ओर रुख किया ,वो अभी किचन में ही थी………
“ये क्या कर रही हो “
मैं निशा को देखकर चौक गया था,उसके बाल बिखरे हुए थे और वो किचन में जमीन में बैठी थी ,ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत ही रोई हो ,उसने मुझे देखा उसकी आंखे बता रही थी की उसकी हालत क्या थी ,आंखों का काजल आंसुओ की वजह से फैल गया था,कपड़े अस्त व्यस्त थे जैसे उसने उसे जोरो से खिंचा हो ,वो एक बहुत ही दर्दनाक मानसिक द्वंद से गुजर रही थी …
लेकिन मेरे लिए डर का कारण था वो धारदार चाकू जो उसने अपने हाथो में पकड़ रखा था...मुझे देखते ही वो ऐसे चौकी जैसे कोई चोर चौक जाता है,
उसके इरादे समझ कर मेरे दिल की धड़कने ही रुक गई ..
“नही निशा …”मैं जोरो से बोल गया और दौड़कर उसके पास पहुचा ,वो मुझसे बचने लगी जैसे मैं उसका बलात्कार करने वाला हु …
वो मुझे खुद को छूने भी नही देना चाहती थी
“नही भइया मत छुओ मुझे ..मैंने पाप किया है भइया ...मैंने पाप किया है…”
मैंने हाथ बढ़ाया लेकिन वो फिर से पीछे हट गई ..
‘मेरी बहन मेरी बात सुन मैं तुझसे बहुत प्यार करता हु ,निशा मेरी जान सुन मेरी बात “
मेरे आंखों में पानी आने लगा,ऐसा लगा जैसे उसकी इस हालत का जिम्मेदार मैं ही था,दिल तडफ गया और आंखों से वो पानी टूटकर गिर पड़ा ,
“नही भइया ,मैंने पाप किया है भइया मुझे मत छूना आप भी गंदे हो जाओगे भइया,मुझे मर जाना चाहिए मुझे मर जाने दो ..”
मैं जैसे रो ही पड़ा लेकिन निशा को जैसे कुछ फर्क ही नही पड़ रहा था,वो अभी भी सिमटी हुई बैठी थी मेरे रोने से उसे कोई फर्क नही पड़ रहा था,वो अपने ही धुन में थी लेकिन उसकी इस हालत को देखकर मैं बुरी तरह से टूट गया था ,
लेकिन ये समय टूटने का नही था,अगर मैं टूटा तो हो सकता था की मैं अपनी बहन को हमेशा के खो दु,क्या मैं इतना भी मजबूत नही था जितनी मेरी छोटी बहन और मेरी बीवी थी जिन्होंने इतने दिनों तक मुझसे ये बात छुपाए रखी थी ...और निशा को पूरी तरह से सम्हाल कर रखा था…
लेकिन आज निशा की हालत सबसे खराब थी ,कारण था मेरे द्वारा उसे बोले गए वो शब्द जो उसे अंदर ही अंदर से खोखला कर रहे थे,अगर मुझे पता होता की इसकी हालत ऐसी हो जाएगी तो मैं उस पर कभी ये जाहिर ही नही होने देता की मुझे सब कुछ पता है ,मैं इसे साधारण ऑब्सेशन समझ रहा था लेकिन आज मुझे पता चला की काजल ने मुझे जल्दी कुछ करने को क्यो कहा था,
निशा बहुत ही बेचैन और डरी हुई लग रही थी ,जैसे किसी लड़की के साथ जबरदस्ती की जा रही हो और वो एक कोने में सिमट कर बैठी हो ,वही हालत इस समय निशा की थी वो एक कोने में सिमट कर बैठी हुई थी ...और मुझे दूर रखने को कह रही थी ,
मेरे सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी वो चाकू जिसे उसने कस कर पकड़ रखा था ,मैंने उसका ध्यान भटकना ही ठीक समझा ..
“निशा ,,,मेरी बहन मेरी आंखों में देख ,क्या तुझे लगता है की मैं तुझसे नाराज हु ….”
वो थोड़ी देर को शांत हुई
“देख मेरी आंखों में मैं तो दुनिया में सबसे ज्यादा तुझसे ही प्यार करता हु ..फिर ये गलत कैसे हुआ मेरी बहन ...क्या तू भूल गई उस दिन को अगर काजल नही आती तो हम एक ही हो जाते ….है ना “
मेरी बात से वो बहुत ही शांत हो गई थी लेकिन अब भी उसके हाथ चाकू पर मजबूती से बंधे हुए थे ..
वो एक सोच में पड़ गई थी जिसने मुझे एक मौका दिया ..
“अगर तुझे मेरी बात पर यकीन नही तो मेरे कमरे में चल ,मैं तुझे पूर्वी और काजल से भी ज्यादा प्यार करता हु ,मैं तुझे सब से ज्यादा प्यार करता हु “
मैं एक उमंग में बोल गया ,मैंने अपने बात में पूरी तरह से फिलिंग भरी क्योकि मैं नही चाहता था की उसे मेरे झूट का पता चले ,
“सच्ची ..”उसकी आवाज में एक अद्भुत भोलापन था
“आप झूट तो नही बोल रहे हो “
वो धीरे से बोली
“पागल मेरी बात तुझे झूट लग रही है ..मेरे गले से लग के देख ..आ मेरे पास आ “
वो अब भी झिझक रही थी ,मैं उसके पास नही जा रहा था क्योकि वो हड़बड़ाहट में कोई गलत कदम भी उठा सकती थी ..
“आना ...अपने भाई पर तुझे भरोषा नही है ,मैं तो सोचता था की तुम मुझे बहुत प्यार करती हो लेकिन तुम्हे तो मुझपर भरोषा ही नही है …”मैंने रूठने की एक्टिंग की
“और जब भरोषा ही नही है तो छोड़ो मैं जा रहा हु “
ये बोलते हुए मेरे दिल की धड़कने भी रुक गई थी क्योकि मैं वँहा से नही जाना चाहता था लेकिन निशा को ये बोलना पड़ा ,अगर वो कोई प्रतिक्रिया नही करती तो मेरे लिए सचमे एक मुसीबत खड़ी हो जाती ..मैं थोड़ा मुड़ने को हुआ
“नही …”
निशा की आवाज ने मुझे हिम्मत दी मैं झट से उसकी ओर हुआ
“नही मैं आपके ऊपर भरोषा करती हु भइया “
उसके आंसू सुख चुके थे वो अभी अभी नार्मल कंडीसन में नही आयी थी और मुझे अभी उसे नार्मल नही करना था अभी तो मुझे उसके हाथ से वो चाकू छुड़वाना था
“तो आ मेरे गले लग जा ,वरना मैं चला “
वो मेरे आंखों में देखने लगी जैसे मुझे नाप रही हो …
“सच में तू मुझसे प्यार वयार नही करती ,सब दिखावा है तेरा “
मैं हल्के गुस्से में बोला ताकि उसके दिल में बात लगे और वो तुरंत कुछ ऐसा करे जिससे मुझे मौका मिल जाए ,
“नही भइया मैं आपसे बहुत प्यार करती हु “
वो मेरी ओर बड़ी और मैने उसे खीचकर अपने सीने के लगा लिया ,जैसे एक ज्वालामुखी फटा हो वो जोरो से रोने लगी ,मुझसे लिपटे हुए उसके आंसुओ से मेरे कपड़े भीगने लगे थे मैंने उसे अपने सीने से ऐसे कसा था जैसे मैं उसे अपने अंदर समाना चाहता था ,मैं जानता था की उसके लिए रोना कितना जरूरी था,,,मैंने उसके हाथो से वो चाकू निकाल कर दूर रख दिया और उसे जकड़कर बस वही बैठ गया ,उसका रोना बंद नही हुआ लेकिन उसने मेरे गालो में चुम्बनों की बरसात ही कर दी ,उसके थूक से मेरा पूरा चहरा गीला हो गया था,वो मुझे पागलो की तरह चूम रही थी ..
“I LOVE YOU BHAIYA ...I LOVE YOU BHAIYA..I LOVE YOU BHAIYA,....I LOVE YOU BHAIYA...I LOVE YOU BHAIYA...I LOVE YOU BHAIYA ...I LOVE YOU BHAIYA..I LOVE YOU BHAIYA,....I LOVE YOU BHAIYA...I LOVE YOU BHAIYA “
वो बोलते हुए थक भी नही रही थी और मुझे चूमे जा रही थी उसके मुह से बस एक ही बात निकल रही थी ,मैंने तो जैसे उसके सामने खुद को सिलेंडर ही कर दिया था ,जब वो रुकी तो मैंने फिर से उसे जोरो से जकड़ा ,मैं उसे उठाकर अपने कमरे में ले गया और बिस्तर में डाल दिया ,उसके आंखों में अब भी आंसू थे ,मैं उसके बाजू में सोया और उसे जकड़ लिया ,वो फिर से मुझे चूमने लगी ..
“भइया क्या आप सच कह रहे हो सबसे ज्यादा मुझे प्यार करते हो …”
मैं मुस्कुराया
“कैसे साबित करू ,इतना भी यकीन नही है अपने भइया पर “
वो मुझसे लिपट गई
“नही भइया मैं बस आपको खोना नही चाहती “
“दुनिया की कोई ऐसी ताकत है क्या जो मुझे मेरी बहन से जुदा कर दे ...और तुझे काजल और पूर्वी से क्या डर है ,क्या तुझे लगता है की उनके कारण मैं तुझसे अलग हो जाऊंगा ,अरे पागल तू मेरी है और मैं तेरा हु,तूने ऐसा सोच भी कैसे लिया की काजल और पूर्वी तुझे मुझसे अलग कर देंगे ,,,क्या तुझे मेरे प्यार में विस्वास ही नही है “
ना जाने कब मैं एक्टिंग करते करते सच बोलने लगा था,मेरी हर बात मानो मेरे दिल से आ रही थी और मेरे आंखों का वो आंसू भी झूठा नही था जो अभी अभी मेरे आंखों से गिरा था …
“मुझे माफ कर दो भइया मैं आपको समझ ही नही पाई “
मैंने उसे फिर से जकड़ लिया ,वो सुबकते हुए ही मेरे सीने में समाई हुई सोने लगी थी ,वो मानसिक थकान उसके ऊपर हावी हो गया था और वो धीरे धीरे नींद के आगोश में जा रही थी ...मेरे दिल में आया की मैं उसके होठो को चूम लू लेकिन आज वो सही समय नही था ,मुझे अपनी बहन की बेहद ही फिक्र हो रही थी ,जिस तरह की मानसिक स्थिति उसकी थी वो प्यार से ज्यादा पागलपन बन चुका था ,मुझे पहले अपने प्यार के बल में ही उसे सही करना था और मैं इसके लिए कुछ भी करने को तैयार था……...
“हद हुई है, अब हुई है, जीने मरने दीजिये,..
.छोड़कर दुनिया मुझे वैरागी बनने दीजिए,
घूम आया हुआ फ़क़त दुनिया की सारी भीड़ में ,भीड़ ही मैं बन न जाऊ , कुछ अपना सा करने दीजिये ………”
दिल से निकली एक शायरी जो ना जाने क्यो दिल के किसी कोने से निकल आयी ,
निधि अब भी मेरी बात को ध्यान से सुन रही थी ,उसने हाथ से अपना चहरा ठिका रखा था और उसकी निगाहे मुझे ही देख रही थी ,हम टेबल में बैठे हुए थे मेरे सामने नाश्ता लगा हुआ था लेकिन मेरे अंदर के कुछ निकलने को बेताब हो रहा था,पूर्वी और निशा दिनों ही मेरी बातो को ध्यान से सुन रहे थे…
“भइया आप क्यो बैरागी बनोगे ?/”
पूर्वी का स्वाभाविक सा प्रश्न था,
“बस कुछ अब सो जाना चाहता हु ,सब कुछ छोड़कर ..”
“ऐसा क्यो बोल रहे हो “निशा चौकी
“क्या बोल रहा हु”
“क्या छोड़ना चाहते हो आप ,अपनी जिम्मेदारियां ??
या हमे ..”
उससे पहले की निशा की आंखों में आंसू आ जाए मैं हँस पड़ा ..
“पागल हो तुम लोग तुम्हे क्यो छोड़ने लगा मैं ,मैं तो सोच रहा था की काम बहुत हो गया,क्यो ना कही छुट्टी मनाने चले ..”
देखते ही देखते मेरी दोनो परियों के चहरे खिल गए ,
“वाओ भइया यकीन नही होता की आप ऐसा बोल रहे हो “पूर्वी बोल पड़ी
“क्यो ?? क्यो यकीन नही होता “मैं चौका
“अरे आप तो वर्कोहोलिक(जिसे काम का नशा हो ) हो,मुझे लगा था की आप कभी छुट्टी नही लेते “पूर्वी फिर से बोल पड़ी लेकिन इस बार उसके होठो में मुस्कान थी ,
“तो डिसाइड करो की कहा जाना है मैं शाम को मिलता हु “
दोनो ही खुस हो गए …
“जगह तो अच्छी है लेकिन तुम जानते हो की मैं नही जा पाऊंगी “
काजल ने फोन में ही अपनी मजबूरी जाता दी ,मैं जानता था की वो नही जा पाएगी ...इसीलिए तो ये प्लान किया था ..
“ओके जान लेकिन मैं बहनों को प्रोमिश कर चुका हु “
“ठीक है जानू ,आप सब चले जाओ 3 दिनों की ही तो बात है,ऐसे भी अभी मेरे पास बहुत सा काम है”
काजल ने एक गहरी सांस छोड़ी जैसे सच में काम से बहुत थक गई हो……
“तो तुम तैयार हो क्या सोचा तुमने “
मैं रश्मि के केबिन में बैठा था ,
“मेरा जवाब हा है ,”
मेरे जवाब से वो सुबह के फूलो की तरह से खिल गई
“थैंक्स देव “वो उठी और मेरे गले से लग गई ,पहली बात मैं उसके इतने पास था ,उसके बदन से आते हुए खुसबू ने मुझे बहुत शुकुन पहुचाया और मैं उसे एक अपनत्व का अहसास दिलाने हल्के से जकड़ लिया,ऐसा लग ही नही रहा था की वो मेरी बॉस है बल्कि ये लग रहा था की वो मेरी दोस्त है ,
“तो पेकिंग करना शुरू करो “
वो उछलते हुए बोली जैसे की बच्ची हो
“डोंट वरी वो आज ही हो जाएगा और कल से 3 दिनों के लिए मैं केशरगढ़ में “
वो बहुत ही खुस लग रही थी ,
“जानते हो ना तुम्हे किससे मिलना है …तुम उनसे मिल चुके हो “
उसने मुझे याद दिलाया
“हा जानता हु,डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवादवाले ...उर्फ डॉ चुतिया से……. “
रश्मि का चहरा खिल चुका था ………...
कार अपने रफ्तार में चल रहा था,पीछे पूर्वी बैठे बैठे ही सो गई थी ,मेरे मन में कई सवाल मचल रहे थे वही उसके साथ ही एक उत्सुकता भी मेरे मन में थी ,
मेरे बाजू में बैठी हुई निशा जैसे पूर्वी के सोने का ही इंतजार कर रही थी वो बार बार मेरे हाथो से अपने हाथो को टच करती और ऐसे दिखाती जैसे की वो बिल्कुल ही अनजाने में हो गया हो ,मैं गाड़ी चला रहा था और वो मेरे बाजू की सीट पर ही बैठी थी ,उसके इस हरकत से मेरे होठो में एक मुस्कान सी खिल जाती थी ,
ऐसे लग रहा था जैसे कोई जोड़ा अभी अभी बंधन में बंधा हो और एक दूसरे को लुभाने का प्रयास कर रहा हो ,मुझे काजल के साथ बिताये कालेज के समय की याद आ गई जब हमारे जिस्म नही मिले थे लेकिन मन मिल चुके थे,छोटी छोटी बातो पर शर्माना फिर हल्के से मुस्कुराना,छोटी छोटी सी वो शरारते,वो जवानी के सबसे अच्छे दिन होते है ,हल्की छेड़छाड़ और बहुत सारा प्यार ….
मैं वो सब सोच कर एक गहरी सांस ली ,और निशा की तरफ देखा ,काजल इसी उम्र की थी जब हम दोनो प्यार में पड़ गए थे,ये उम्र होती ही ऐसी है …..
मैं निशा को देखकर मुस्कुराया और वो बिल्कुल ही स्वाभाविक रूप से शर्मा गई …
मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनो हनीमून में जा रहे हो ,वही एक अजीब सा डर और उत्साह दोनो ही एक साथ होता है…
शायद निशा मुझसे एक प्रेमी सा वर्ताव चाहती थी ,शायद वो चाहती थी की मैं ही आगे बढूं लेकिन क्या मैं ये कर पाऊंगा ,वो मेरी प्रेमिका नही थी वो मेरी बहन थी ,मेरी सगी छोटी बहन …..ये सब सोच कर मेरे शरीर में एक झुनझुनी सी भर गई ,बड़ी अजीब सी दशा थी मेरी ,मेरी बहन चाहती थी की मैं उसके साथ प्रेमियों जैसा वर्ताव करू,और मेरे दिल में भी उसके लिए एक आग उठने लगी थी ,बस डर यही थी की कही उस आग में हमारी मर्यादा ही ना जल जाए ,उस आग में रिश्तों की महीन डोर ही ना जल जाए ,हवस की आग बड़ी ही जालिम होती है वो कभी भी नही देखती की सामने कौन है …
मैं इस सोच में जैसे डूब ही गया ,मेरा शरीर हल्के से कांप गया था,लेकिन मेरे नजरो के सामने उस दिन का नजारा भी घूम गया जब मैं और निशा आगे बढ़ चुके थे ,उसके जिस्म का हर कटाव मेरे आंखों के सामने से होकर गुजर गया,मैं बुरी तरह से घबराया और तुरंत ही निशा की ओर देखा ..
वो मुझे ही घूर रही थी लेकिन उसकी आंखे कुछ और ही कह रही थी ,
क्या वो भी वही सोच रही थी जो की मैं सोच रहा था ,जैसे वो एक नशे में थी ,आंखे हल्की सी बोझील थी,क्या वो हवस के नशे में थी ????
इससे पहले मैं कुछ भी समझ पाता वो इठलाकर मेरे पास आ गई और मेरे बांहो को अपने हाथो से जकड़ कर अपना सर मेरे कंधे में ठिका दिया,उसने अपनी आंखे बंद कर ली और मुझे बहुत ही सुकून का आभास हुआ,
मैं आराम से गाड़ी चला रहा था जबकि वो मुझे किसी प्रेमिका की तरह जकड़े हुए थी ,वो एक हल्के गुलाबी से कसे हुए सलवार कमीज में थी,भगवान ने उसे बहुत ही सुंदर बनाया था ना सिर्फ सुंदर चहरा दिया था जबकि कसे हुए शरीर से भी नवाजा था,उसकी छातिया जैसे किसी पहाड़ सी उसके कमीज से बाहर झांक रही थी ,ना जाने उसने ये जानबूझ कर किए था या ये किसी और कारण से हुआ था लेकिन उसका दुपट्टा उसके सीने से गिरकर उसके गोद में आ गया था और उसके वो पहाड़ मुझे अपने तराइयों को दिखा रहे थे,उसने जो काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी उसकी इलास्टिक तक मुझे दिखने लगी थी ,मैं तो कुछ देर के लिए नजर जमा नही बैठा था जैसे पहली बार किसी महिला के यौवन को देख रहा हु ,
मैंने अपना सर झटका ,’ये मेरी बहन है ‘
मरे दिमाग ने मुझसे कहा ,लेकिन अगर ये मेरी बहन ना भी होती तो भी इसे देखने का कोई कारण मेरे पास नही था क्योकि मैंने कभी किसी पराई लड़कियों की तरह नजर नही गड़ाई थी ,मैं बहुत शर्मिला लड़का रहा हु ,हा ये बात अलग थी की कुछ लड़कियों के साथ मेरे संबंध बन गए है लेकिन वो सिर्फ एक इत्तफाक ही था और साथ ही साथ वो अभी किसी अलग तरह की लडकिया थी ,लेकिन मैंने कभी किसी अच्छी लड़की के लिए बुरा नही सोचा था ,मैं तो उन लड़कियों के लिए भी बुरा नही सोचा था ,लेकिन किस्मत ही ऐसी थी की लड़कियों की फ़ौज मेरे सामने आ गई ,और अब उनमे मेरी खुद की बहन भी शामिल हो गई थी ……
करीब 4 घण्टो के सफर के बाद हम केशरगढ़ के उस गेस्टहाउस में पहुच गए जंहा हमे रुकना था,कोई खास बड़ी जगह नही थी वो ,किसी कस्बे जैसा था लेकिन बहुत ही उन्नत लग रहा था ,हरियाली और साफ सफाई मेरी बहनों को ये जगह पसन्द आने वाली थी ,पास ही एक किला भी था और ऊंचे ऊंचे पहाड़ भी गेस्टहाउस से दिख रहे थे ,शहर से ऐसी जगह आने पर कुछ नही बस हरियाली ही दिख जाए तो काम हो जाता है ,मुझे बहनों को थोड़ा घूमना था और डॉ से मिलकर कुछ पता करना था ,वो भी मुझे यही मिलने वाले थे,
मैंने निशा को सीट में ही लिटा दिया था वो बैठे बैठे सो गई थी ,पूर्वी तो पहले से ही सोई हुई थी ,गेस्टहाउस पहुचते ही मैंने उन्हें उठाया …
“आइये साहब हम आपकी बहुत ही देर से प्रतीक्षा कर रहे थे ,”एक अधेड़ सा आदमी भागते हुए हमारे पास आया,ये सरकारी गेस्ट हाउस था,कुछ पुलिस के लोग भी दिख रहे थे ,सभी मुझे इतनी इज्जत दे रहे थे जैसे मैं कोई ऑफिसर हु ,शायद डॉ ने ही ये अरेंजमेंट किया था,पता नही डॉ मुझे क्या दिखाने वाला था और क्या समझने वाला था लेकिन इसके लिए मैं बहुत ही उत्साहित था साथ ही रश्मि भी ,उसने जल्दी से जल्दी मुझे डॉ से मिलने का आदेश दिया था,पता नही केशरगढ़ क्या क्या खेल खेलने वाला था,एक तरफ मेरी बहन थी जो मुझे अपना प्रेमी या शायद पति मान बैठी थी और दूसरी तरफ डॉ के द्वारा बताया जाने वाला रहस्य था ...मैं एक गहरी सांस लेकर छोड़ा और गेस्टहाउस के अंदर जाने लगा ………..
कमरे की बत्तियां हल्के प्रकाश फैला रही थी और मैं बेचैन सा लेटा हुआ छत को निहार रहा था,आज पूर्वी और निशा दोनो ही बाजू के कमरे में सो चुकी थी ,मुझे तो लगा था की वो मेरे साथ सोने की जिद करेंगी लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ था…
अचानक दरवाजा खुला ,जैसा मुझे यकीन था निशा अंदर आयी वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी ,उस हल्के रोशनी में भी उसके जिस्म का हर कटाव मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था,वो मेरे पास आकर लेट गई थी ,उसने एक बहुत ही पतली सी नाइटी डाल रखी थी ,उसे देखकर मैं थोड़ा घबराया क्योकि मुझे पता था की आज हमे रोकने वाला कोई भी नही है ,लेकिन मैंने खुद को वक्त के हाथो में सौपने की ही ठान ली ,
उसके आंखों में एक अजीब सा नशा था जो आजतक मैंने किसी भी दूसरी लड़की के आंखों में नही देखा था,एक अजीब सी चाहत और जुनून उसकी आंखों में दिख रहा था,
अगर वो मेरी बहन ना होकर मेरी बीवी होती तो शायद मैं उसे देखकर खुस हो जाता लेकिन ये नशा ना जाने क्यो मुझे डरा रहा था…
“नींद नही आ रही है क्या “
मैंने उससे पूछ लिया ,वो मेरे बांहो में आके सो गई थी,
“कैसे आएगी भइया जब आप मेरे पास नही हो “
उसकी आवाज थोड़ी भारी थी जैसे उसने अभी अभी गहरी सांस ली हो शायद उसकी सांसे भी तेज हो रही थी ,वो मेरे पास आने से पहले ही उत्तेजना के शिखर में थी …
“क्या चाहती हो “मैं अनायास ही बोल गया ...
“भइया अब मैं कुछ भी नहीं करना चाहती ,मैं बस आपकी होना चाहती हु ,पूरी तरह से आपकी ,मुझे नहीं पता मैं क्या करूँगी पर मुझे इतना पता है ,जो भी होगा वो मेरा प्यार होगा,'
मैंने सजल नैनों से उसके मस्तक पर एक चुम्बन का तिलक किया ,और अपने होठो से उसके होठो को मिला दिया और हमारे बीच की सभी दूरिय उसी क्षण से ख़तम हो गयी ,हम अब एक ही थे और कोई दूजा ना था ,हम बस अपने को एक दूजे में समेटने की पूरी कोसिस कर रहे थे,,, ना जाने कितने समय तक हम एक दुसरे के होठो को चूसते रहे थे हमारी सांसे थी पर मेरे लिंग में कोई भी अकडन नहीं थी और ना ही इसका भान ही रह गया,समय जैसे रुक सा गया हो ,हम एक दूजे को अपनी बांहों में भरे बस खो जाना चाहते थे ,मुझे तब थोडा होश आया तब मेरा हाथ निशा के स्कर्ट के अंदर घुस आया था, और उसकी पीठ को सहला रहा था ,उसकी नंगी पीठ पर अपने हाथो को चलते हुए मैंने उसके स्कर्ट को निकल फेका मेरा सीना पहले से ही नग्न था ,निशा के नर्म स्तनों के आभास ने मुझे फिर से किस के खुमार से बहार निकला मैंने अपने हाथो से उसे दबाना शुरू किया पर होठो को नहीं छोड़ा निशा ने अपने हाथो को मेरे सर पर कस लिए थे और पूरी शिद्दत से मेरे होठो को अपने में समां रही थी ,उसे शायद मेरे हाथो के हलचल तक का आभास नहीं हो रहा था ,पर जब मैंने पूरी ताकत से एक वक्ष को दबाया ,
'आहह भइया थोडा धीरे ,'निशा साँस लेती हुई बोल पायी उनकी सांसे उखड़ी हुई थी ,वो साँस ले पाती इससे पहले ही मैंने फिर से अपना मुह उसके मुह में घुसा दिया ,मैंने उसे पीठ के सहारे लिटाया और उसके ऊपर छा सा गया,मैंने दोनों हाथो से उसका चहरा पकड़ा और उसके होठो को छोड़ा फिर ,फिर उसके गाल ,उनकी आँखे उनकी नाक ,उसका माथा ,आँखों की पुतलिया,गरदन ,कन्धा ,छाती ,उजोर ,पेट ,नाभि ,...मैं बस चूसता गया मुझे नहीं पता था की मैं क्या कर रहा हु ,ना निशा को ही पता था,हम बस खो से गए थे मैंने फिर उसके उजोरो को पकड़ा और उसके उन्नत निपलो को अपने होठो में समां लिया ,निशा बस छटपटा रही थी ,
'आः आःह भइया,आः आः आआअह्ह्ह्ह भाआआआआआई ,'मैंने अपने मन भर उसे चूसा जब तक की वो लाल नहीं हो चुके थे, नीचे मुझे उसकी पेंटी के ऊपर से जन्घो के बीच का गीलापन मुझे दिखाई दिया,मुझे अपने जांघो के बीच एक विशाल खम्भे सा दिखाई दिया ,जिसकी अकडन से अब मुझे दर्द होने लगा था,मैंने उसे आजाद कर दिया ,मैंने पेंटी के छोरो को अपने दोनों हाथो से पकड़ा,मैंने निशा की और देखा निशा काप रही थी ,वो एक दिवार थी जो मुझे हमेशा के लिए गिरानी थी ,जिसे गिराकर ही मैं निशा को अपना बना सकता था,
“इजाजत है “
मैंने निशा को छेड़ा
“अब भी इजाजत लोगे क्या “
मुस्काते हुए उसने पूछा और मुझे अपने ऊपर खीच लिया मेरे होठो को फिर अपने होठो में भर लिया ,
“मेरे भइया ,”
निशा ने मेरे हाथो को पेंटी के ओर ले गयी वो मेरे आँखों में ही देख रही थी उसके चहरे पर अब भी वो मुस्कान थी और आँखों में वही प्यार ,मेरे हाथो में दबाव बनाते वो पेंटी को निकल दी और अपने पैरो से निकाल निचे फेक दिया ,वो अब मेरे सामने नंगी थी ,पर मुझे इसकी फिकर ही नहीं थी ना ही मैंने ये देखने की जहमत की ,मैं तो फिर निशा के होठो को चूसने लगा ,हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे मैं उसके ऊपर लेटा था ,और निशा अपनी आँखे बंद किये बस खोयी हुई थी ,मेरा अकड़ा लिंग निशा के गिले योनी में हलके हलके घिस रहा था,थोडा गीलापन से भीग कर लिंग भी फिसलने लगा मैंने एक दबाव दिया पर वो जन्घो से जा टकराया ,ऐसा कई बार होता रहा पर मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ,क्योकि ये बिलकुल स्वाभाविक तौर से हो रहा था ,मैं कोई मेहनत नहीं कर रहा था,मैंने तो निशा को किस करने में डूबा हुआ था,पर निशा ने मेरे लिंग को पकड़ा जैसा की उसका पहला मौका नहीं था उसने उसे सही जगह लगाया ,वहा पहुचकर वो चिपिचिपा गिलापण मेरे लिंग को फिर से घेर लिया ,मैंने स्वभावतः फिर झटका मारा लेकिन ये क्या मेरे मुह से एक चीख सी निकली जो निशा के होठो में खो सी गयी ,मेरी लिंग की चमड़ी ने इस घर्षण का आभास किया था लेकिन उस अतिरेक आनद से बढकर मेरे लिए कुछ भी नही रह गया था,मैंने फिर एक जोरदार झटका मारा और ,
'आआह्ह्ह्ह भा ईई या भा ईईईईईईई या '
'निशा आआआआ आह्ह्ह्ह 'हमारा मिलन हो चूका था पर अभी तो उफान की शुरुवात भर थी ,
मैंने और निशा ने आँखे खोलकर एक दूजे को देखा ,हम एक रहत की साँस ले रहे थे ,हमारी आँखे मिली दोनों के चहरे पर एक मुस्कान फैली और मैंने फिर एक जोरदार धक्का मार दिया ,
'अआह्ह्ह 'दोनों के मुह से निकला और दोनों एक दूजे को देख हस पड़े ,,,मैंने धीरे धीरे अंदर बहार करने लगा ,मेरा लिंग निशा के योनी रस से पूरी तरह से गिला हो चूका था और हम फिर एक गहन तन्द्रा में प्रवेश कर रहे थे जहा बस प्यार था और दुनिया की कोई शय नहीं..
हमारी आँखे फिर बंद होने लगी... मैं तो किसी भी तरह से आंखे खोल भी पा रहा था पर निशा की आँखे इतनी बोझिल हो चुकी थी वो अपनी आँखे खोल ही नहीं पा रही थी ,मेरे धक्के एक लय पकड़ चुके थे और हमारी सांसे और आंहे ,उसी लय में चल रहे थे ,समय खो चूका था ,और सारा जहा भी खो चूका था ,हम एक दुसरे को काट रहे थे ,चूस रहे थे चूम रहे थे ,पर हमें नहीं पता था की हम क्या कर रहे है ,कोई कण्ट्रोल हमरे ऊपर नहीं था ,ना हमारा ना और किसी का ,पहले धीरे धीरे आःह आह्ह से लेकर तेज तेज सांसे और आह उह ओह तक पहुच जाते फिर धीरे- मध्यम- तेज ये सिलसिला ना जाने कब तक चलता रहा ,हमें आँखे खोल एक दूजे को देखने की फुर्सत नहीं थी ,जैसे किसी ने कहा है ,’
बिना किसी के परवाह के ,बिना किसी मांग के ,बिना किसी तलाश के ,बिना किसी चाह के ,हम थे और बस हम थे,,,...एक दूजे में ऐसे घुल रहे थे की पता लगाना भी मुस्किल था की मैं और तू अलग भी है ,बस मेरा मुझमे ना रहा जो होवत सो तोर ,तेरा तुझको सोपते क्या लागत है मोर...
सांसो में अपनी अंतिम गहराई तक हमें डूबा दिया ,जब लक्ष्य करीब आने को थी तो बस थोड़ी देर के लिए सांसे रुक गयी मेरे अंदर से एक विस्फोट हुए ना जाने कितनी ताकत से मैं धक्के लगाये जा रहा था लेकिन उस विस्फोट ने मुझे शांत कर दिया एक गढ़ा सफ़ेद ,चिपचिपा सा द्रव्य ,मेरे अंदर से निकल निशा की योनी को भिगो दिया वही निशा की योनी से ना जाने कितनी बार फुहारे निकल चुकी थी ,लडकियों की एक खासियत होती है की अगर वो प्यार की गहराई का आभास कर पायी और उससे सेक्स करे जिसे वो प्यार करती है तो वो एक नहीं कई चरम सुख (ओर्गोस्म )का अनुभव आसानी से कर पाती है ,एक सम्भोग में लगभग 7 तालो का ओर्गोस्म संभव है ,ऐसा शोधो ने पता लगाया है ...निशा ने भी आज किसी गहरे तालो पर इसका अनुभव किया था ,और मैंने भी ,तूफ़ान तो शांत हो चूका था पर जैसे हम जम ही चुके थे ,हमारे शरीर एक दूजे से अलग ही नहीं हो रहे थे ,हम पसीने से भीगे थे हमारी सांसे उखड़ी थी ,पर हमारे चहरे में एक परम शांति का आभास था,सबकुछ शून्य हो चूका था ,खो चूका था ,इतनी शांति का आभास मैंने कभी नहीं किया था,ऐसा लग रहा था जैसे मैं खाली हो चूका हु ,बिलकुल हल्का ....हम एक दूजे के चुमते रहे हमारे होठ जैसे कभी एक दूजे से ना बिछड़ेंगे वैसे ही चिपके रहे ,हमारे शरीर इक दूजे के पसीने से सने थे ,चहरा और होठ एक दूजे की लार से सने थे और निशा की योनी से मेरा वीर्य अब बहार आने लगा था ,मेरे कमर अब भी हलके हलके चल रह थे…….
कहानी आगे जारी रहेगी...
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