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दो भाइयों ने अपनी बहनों की अदला बदली करके चोदा 
@Kamvasna 04 मई, 2023 133818

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 मेरे घर पर मैं, मेरी बहन, मेरे मम्मी और पापा हम चार लोग रहते हैं। मेरे मम्मी और पापा दोनों सुबह काम पर चले जाते हैं और मैं और मेरी बहन कॉलेज और स्कूल चले जाते है। ओह ! मैं बताना भूल गया कि मैं बी ए फर्स्ट ईयर में हूँ और मेरी बहन नौवीं क्लास मैं पढ़ती है। मेरी बहन का नाम श्रुति  है। वो 16 साल की है। उसकी हाईट 5 फुट 1 इंच है। वो एकदम दूध की तरह गोरी और बहुत चिकनी है।

 

श्रुति 

 

मेरा रंग भी गोरा चिट्टा है। मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और मेरे लंड का साईज़ 6 इंच का है। जैसा की हर कहानी में होता है, मेरा भी अपनी बहन के बारे में कोई बुरा ख़याल नहीं था। पर एक दिन जैसे मेरी दुनिया ही बदल गयी। हुआ यूँ की मैं एक बार कॉलेज से जल्दी आ गया। मेरे पास घर की एक एक्स्ट्रा चाबी थी। मैं ताला खोल कर अंदर आ गया और देखा की घर पर कोई नहीं था। मेरे घर के पीछे एक लोन था। वहां पर मैंने देखा की मेरी बहन श्रुति  और उसकी सहेली ईशा  हँस हँस कर खेल रही थीं। लोन की दीवारें ऊँची थीं और बाहर से कोई अंदर देख नहीं सकता था। ईशा  के हाथ मैं पानी का पाईप था। वो श्रुति  पर पानी डाल रही थी। मेरी बहन बचने की कोशिश कर रही थी।

 

दोनों के बदन भीगे हुए थे और उन दोनों के मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे। ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं छुप कर उन लोगों का खेल देखने लगा। कुछ देर के बाद वो एक दूसरे को किस करने लगीं और मुम्मे दबाने लगीं। थोड़ी देर के बाद श्रुति  ने ईशा  के कपडे उतार दिए और उसके ऊपर चढ़ गयी। ईशा  का रेशमी बदन देख कर मेरी सांस जहाँ की तहाँ अटक गई। मैंने जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था। उसका दूधिया बदन धूप में चमक रहा था। उसके मुम्मे बहुत कसे हुए थे और चूत पर एक भी बाल नहीं था। श्रुति  ईशा  को लिप्स पर किस कर रही थी। उसका एक हाथ उसके मुम्मों पर था और दूसरे हाथ से वो उसकी चूत को मसल रही थी। 

 

ईशा 

 

अब ईशा  नें मेरी बहन श्रुति  के कपडे उतारने शुरू किये। मैंने सोचा कि अब मुझे और नहीं देखना चाहिए पर वासना की आग में मैं ये भूल गया की वो मेरी छोटी बहन है और वो भी सगी। जैसे जैसे श्रुति  के कपडे उतरने शुरू हुए मेरा लंड और तन्नाता गया। पहले ईशा  ने उसकी स्कर्ट उतारी और फिर उसकी टी शर्ट। मेरी बहना ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। हाय ! उसके छोटे छोटे दूध देख कर में जैसे पागल सा हो गया। ईशा  बेतहाशा उसके लिप्स को किस कर रही थी और उसके मम्मे दबा रही थी। अब ईशा का हाथ उसकी कछी की और बढ़ा।

 

मेरी बहन नें अपनी टाँगे सिकोड़ लीं। ईशा  हँसते हुए बोली अरे यार मुझसे क्यों शर्माती है, चल नंगी हो जा। एक साथ मजे करेंगे। फिर मेरी बहन नें टांगें खोल दीं और  ईशा नें श्रुति  की कछी उतार दी। मैं अपनी छोटी बहन को देख कर दंग रह गया। वो बला की खूबसूरत थी। मैं ईशा  को छोड़ श्रुति  की और बड़े ध्यान से देखने लगा की आगे वो क्या करती है। अब दोनों लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी थीं। मैं उन्हें देख कर मदमस्त हुआ जा रहा था। मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड पर चला गया और मैं अपनी बहन श्रुति  को देख कर मुठ मारने लगा। श्रुति  ईशा  के ऊपर चढ़ी हुई थी और उसे किस कर रही थी। दोनों एक दूसरे के मुम्मों को दबा रही थीं। मेरी बहन के चूतड़ एकदम गोल और टाईट थे। श्रुति  की चूत पर छोटे छोटे बाल थे। उसकी गुलाबी चूत देख कर मेरा मन हुआ की अभी जाऊँ और उसे कस के चोद डालूँ। ऐसा सोचते ही मेरे लंड का पानी निकल गया और मैं बुरी तरह से झड़ गया।

 

उधर दोनों लड़कियां भी उत्तेजित हो चुकी थीं। उनकी हरकतें और सेक्सी होती चली गयीं। श्रुति अपनी चूत से ईशा  की चूत रगड़ रही थी। दोनों के चेहरे एकदम लाल हो चुके थे और दोनों बुरी तरह से हाँफ रही थीं। कुछ देर के बाद उन लोगों के कपडे पहने (जो की धूप होने की वजह से सूख गए थे) और घर की तरफ आने लगीं। मैं तुरंत घर से बाहर चला गया और दोनों को पता नहीं चला की मैं वहाँ पर था। थोड़ी देर के बाद मैं फिर वापस आया। ईशा  और श्रुति  ड्रॉईंग रूम में बैठी थीं। मैंने आते ही ईशा  को हेलो किया और उसे ऊपर से नीचे तक गौर से देखा।

 

मेरा लंड उसे देखते ही सलामी देने लगा। ईशा  ने भी मेरा पेंट के ऊपर उभार महसूस किया और वो भी बड़े गौर से मेरे लंड को देखने लगी। ईशा  की गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं। उसकी स्कर्ट थोड़ी सी ऊपर उठी हुई थी या उसने जान बूझ कर ऐसा किया था। श्रुति  बोली आप लोग बैठो मैं चाय बना कर लाती हूँ। श्रुति  के किचन में जाते ही ईशा  नें एक मदमस्त अंगडाई ली। मेरा दिल बेकाबू हो गया और मैंने उसके सामने ही अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल लिया। वो मुझको भईया कह के बुलाती थी। वो मुस्कुरा पड़ी और बोली, क्या बात है भईया, बड़े बेचैन लग रहे हो? मैंने कहा आजकल बहुत मन करता हैऔर ऐसा कहते हुए मैंने फिर से अपने लंड को मसल दिया। वो खिलखिला कर हँस पड़ी, क्या मन करता है? मैं बोला, इतनी भोली मत बनो, मैं जानता हूँ तुम लोग थोड़ी देर पहले क्या कर रहे थे। ये सुनते ही वो सकपका गई और कुछ बोल ही नहीं पाई।

 

मैं फुसफुसा कर बोला, मुझे अपना राजदार बना लो वरना तुम लोगों की पोल-पट्टी खोल दूंगा वो घबरा गई और बोली, नहीं प्लीज यार, ऐसा मत करना। हम लोग तो सिर्फ मज़े कर रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद उसने हैरानी से पुछा, तुम्हें कैसे पता चला? मैंने कहा, मैं पहले से ही घर मैं था जब तुम लोग लान मैं एक दूसरे के साथ मज़े कर रहे थे। ये सुनकर ईशा  का चेहरा शर्म से लाल हो गया। मैंने मौका देख कर ईशा की चूची दबा दी। ईशा  कुछ बोल पाती, तभी मेरी बहन श्रुति चाय लेकर आ गयी। 

 

ईशा  के चेहरे का रंग उड़ा हुआ देख कर उसने हैरानी से पूछा, अरे तुझे क्या हुआ? मैंने जवाब दिया, कुछ नहीं ये हमारे आपस की बात है, वो तुझे कुछ नहीं बताएगी। ऐसा कह कर मैंने ईशा  की तरफ इशारा किया कि वो मेरी बहन को कुछ ना बताये। जब ईशा  कुछ नहीं बोली तो श्रुति  ने लापरवाही से अपने कंधे उचकाए और चाय सर्व करने लगी। मैं चाय की चुस्कियों के साथ मुस्कुराता हुआ ईशा  के बदन को निहारता रहा। ईशा  ने जल्दी से अपनी चाय खत्म की और चलने लगी। मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने आया और एक बार फिर फुसफुसाता हुआ बोला, किसी से मत कहना, और मुझे कल शाम को इंदिरा पार्क में मिलो। ईशा  बिना कुछ कहे वहाँ से भाग गई। अब मेरे पूरा ध्यान अपनी प्यारी बहन श्रुति  पर गया। मेरा लंड पहले से ही गरम था। जब श्रुति कप और प्लेट उठा रही थी तो उसके थोड़े से मम्मे दिखाई दे रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बाथरूम में जाकर श्रुति  के नाम की मुठ मारी।

 

अब मैंने सोच लिया की चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपनी बहन को चोद कर रहूँगा। रात को हम लोग खाना खा कर सोने चले गए। ममी पापा एक कमरे में सोते थे और मैं और श्रुति एक कमरे में पर हमारे बेड अलग अलग थे। रात को जब श्रुति  सो गयी तो मैं उठा। मेरे लंड को शांती नहीं मिल रही थी। मैं चुपके से श्रुति  के बेड के पास गया। श्रुति  गाउन पहन कर बेसुध सोयी हुई थी। मैंने डरते डरते उसका गाउन को  ऊपर की और खिसकाना शुरू किया। उसकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगीं। मेरे लंड का आकार और बढ़ गया और पजामे में मचलने लगा।

 

मैंने अपनी प्यारी बहन श्रुति  का गाउन पेट तक उपर कर दिया जिस से उसकी पैंटी साफ़ दिखाई देने लगी। मैंने वासना से भर कर अपनी लाडली बहना को देखा और उसे चोदने के लिए ललचाने लगा। मैंने फिर जी भर कर उसकी टांगों को सहलाया और उसकी पैंटी पर भी हाथ फेरा। श्रुति  का गाउन उपर से काफी खुला हुआ था। मैंने उसके गाउन के दो तीन बटन खोल दिए उफ़…उसने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिसके कारण उसकी छोटी छोटी दोनों चुचियाँ दिखाई देने लगीं

 

मैंने डरते डरते श्रुति  की एक चूची पर हाथ रख दिया। अह्हह्ह……मज़ा आ गया……बहुत नरम थी…इतनी सौफ्ट कि क्या बतायूं। अब मैं धीरे धीरे उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी से दबाने लगा।

 

सच में बहुत मज़ा आ रहा था। एक हाथ से मैंने अपना लंड निकाला और श्रुति  का हाथ में दे कर उसकी मुठी में बंद कर दिया। अब श्रुति  का हाथ पकड कर मैं मुठ मारने लगा। इन सब के बावजूद श्रुति  गहरी नींद में सोयी हुई थी क्योंक उसके हल्के हल्के खर्राटे की आवाज से कमरा गूँज रहा था। मुठ मारते हुए मैं एक हाथ से उसकी चूची सहला रहा था। थोड़ी देर में ही मेरा लंड अपनी प्यारी बहन के हाथ में झड़ गया। मेरा वीर्य उसके गाउन और हाथ पर गिर गया। अपनी बहन को इसी हालत में अधनंगी छोड़ कर मैं अपने बेड पर आ गया। दिन में कई बार मुठ मार कर और इस बार श्रुति  के नाज़ुक हाथों से मुठ मरवा कर मैं बहुत थक चुका था। थोड़ी देर में मैं भी गहरी नींद में सो गया।

 

सुबह श्रुति  सो कर उठी उसी वक्त मेरी नींद भी खुल गयी। पर मैं सोने का नाटक करता रहा और देखने लगा कि श्रुति  की क्या रिएक्शन है। श्रुति  अपने गाउन को अस्त व्यस्त देख कर हडबडा गई और तेज़ी से अपने गाउन के बटन बंद करने लगी। वो हैरानी से अपना हाथ देख रही थी जिस पर मेरा माल सूख कर चिपका हुआ था। वो साथ साथ में मुझे भी देख रही थी कि मैं जाग रहा हूँ या सोया हुआ। मैं आँख बंद करके सोने का नाटक करता रहा। गाउन बंद करके श्रुति  उठ कर ब्रश करके चाय पीने चली गयी। इसके बाद मैं भी उठा। हम लोग एक साथ चाय पी रहे थे। सुबह का टाइम हडबडी वाला होता है। पापा ममी ऑफिस के लिए, श्रुति  स्कूल के लिए और मैं कोलेज जाने के लिए तैयार होने लगे। सुबह आठ बजे हम लोग अपने अपने गंतव्य की और निकल पड़ते थे। क्योंकी श्रुति  का स्कूल रस्ते में पड़ता था, मैं बाईक पर श्रुति  को छोड़ कर कॉलेज चला जाता था। बाईक पर बैठने के बाद जब हम घर से निकल गए तो मैंने श्रुति  से पूछा,

 

मैं: यार श्रुति , एक बात सच सच बताएगी?

 

श्रुति : क्या भईया?

 

मैं: तेरा कोई बोयफ़्रेंड है?

 

श्रुति  (घबरा कर): नहीं तो? आप ऐसा क्यों पूछ रहे हो?

 

मैं (हँसते हुए): कुछ नहीं यार। बस ऐसे ही पूछ रहा हूँ।

 

श्रुति : कुछ तो बात जरुर है, वरना आप अचानक आज ही क्यों पूछ रहे हो।

मैं: अरे यार बस यूँ ही मन में आया कि मेरी बहना बड़ी हो गयी है। उसका भी मन करता होगा बोयफ़्रेंड बनाने को।

श्रुति : क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?

 

मैं (मन मसोस कर): नहीं यार। कोई पटती ही नहीं।

 

श्रुति  खिलखिलाकर हंस पडी और बोली: अरे भईया आप इतने स्मार्ट और हैण्डसम हो। मैं होती तो आप को ही अपना बोयफ़्रेंड बना लेती।

 

मैं: तो बना ले यार।

 

श्रुति : ओके आज से आप मेरे बोयफ़्रेंड हो।

 

तब तक स्कूल आ गया। मैंने श्रुति  को छोड़ते समय उसकी आँखों में झांककर कहा: बोयफ़्रेंड और गर्लफ्रेंड बहुत से ऐसे काम करते हैं जो हम भाई बहन नहीं कर सकते।

 

श्रुति : कोई बात नहीं।

 

श्रुति  चली गयी। मैं उसे जाते हुए देखता रहा। उसके मस्त गोल गोल चूतड़ उपर नीचे हो रहे थे। मेरा लौड़ा पेंट में बुरी तरह तन गया। तभी श्रुति  पीछे मुड़ी। मैंने उसे देख कर फ्लाईंग किस मारा। वो मुस्कुरा कर टाटा करते हुए हँसते हुए चली गयी।

 

मैं भी कोलेज के लिए चल दिया। शाम को मैंने ईशा  को इंदिरा पार्क में आने के लिए कह रखा था। हमारे इलाके में इंदिरा पार्क बहुत मशहूर था। वहाँ पर लड़के लड़कयों के जोड़े ही आते थे। पार्क में घने पेड़ और झाड़ियाँ थी जिनके पीछे छिप कर लड़के लडकियां मज़े करते थे। पार्क के केयरटेकर को सिर्फ पचास रूपए दे कर दो से तीन घंटे के लिए मज़ा लिया जा सकता था। मैं पार्क में गेट के पास ईशा  का इंतज़ार करने लगा। कुछ देर बाद ईशा  आ गयी। उसने स्कूल की ड्रेस पहनी हुए थी और हाथ में भी स्कूल बैग था। वो बहुत घबराई हुई थी।

 

आते ही बोली, ईशा : भईया यहाँ पर क्यों बुलाया? मैं: पहले अंदर चल। ईशा : ये जगह ठीक नहीं है। मैं: अरे यार तू चिंता मत कर। ये कह के मैंने ईशा  का हाथ पकड़ कर उसे पार्क में ले गया। केयरटेकर को रूपए दे कर समझा दिया कि उस पेड़ के पीछे कोई न आये। मैं ईशा  को पेड़ के पीछे ले गया। ईशा  वहाँ पर बैठ गयी। मैं भी ईशा  के साथ सट के बैठ गया। ईशा  सकुचा रही थी। मैं धीरे धीरे ईशा  की पीठ सहलाने लगा। ईशा  कुछ नहीं बोली। अब मैं उसकी गर्दन पर अपनी उंगलियां फेरने लगा। ईशा : भईया प्लीज़, गुदगुदी हो रही है। मैं: तेरा तो पूरा बदन ही गुदगुदाने का मन करता है। एक पप्पी दे दे यार। ईशा : नहीं।

 

मैंने ईशा  को अपनी बाहों में खींच कर अपने होंठ उसके होंठों पर सटा दिए। वो ना ना करती रही पर मैंने उसकी एक ना मानी। किस करते हुए मेरे हाथ उसके बूब्स पर पहुँच गए। अब मैं मस्ती से उसके बूब्स दबाने लगा। फिर मैंने ईशा  को जमीन पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। ईशा  लगातार विरोध कर रही थी पर मैं नहीं रुका। मैंने उसकी स्कर्ट ऊपर तक उठा दी और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाने लगा। मैं लगातार उसे किस कर रहा था। अब ईशा  भी गरम होने लगी। मैंने देखा कि उसकी पैंटी गीली हो चुकी है।

 

फिर मैंने ईशा  की कमीज़ के बटन खोल दिए और उसकी ब्रा ऊपर कर के उसके बूब्स नंगे कर दिए। ओह माई गाड, क्या मस्त बूब्स थे। मैं मस्ती से ईशा  के बूब्स चूसने लगा। मैंने पैंट से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और ईशा  के हाथ में दे दिया। ईशा  को कोई अनुभव नहीं था। मैंने उसे सिखाया कि लौडे के सुपाड़े को खोलो और बंद करो। ईशा  मस्ती में मेरा लंड हिलाने लगी। मैंने ईशा  की पैंटी में अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली डाल कर अंदर बाहर करके लगा। ईशा  कसमसा उठी और जोर जोर से मेरा लंड हिलाने लगी। वो सिसकारियाँ लेने लगी।

 

कुछ देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने जेब से रुमाल निकाला और अपने लंड पर लपेट के वापस ईशा  के हाथों में दे दिया। मैंने ईशा  से पूछा, मैं: पहले किसी लड़के से किया है? ईशा : नहीं। मैं खुशी से झूम उठा। एक कुंवारी लड़की की चूत में मेरी उंगली थी और उसके नन्हे कोमल हाथ मेरा लंड सहला रहे थे। मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया। मैं अब ईशा  के बूब्स चूसने लगा। थोड़ी देर में मैं झड़ गया। मेरा माल रुमाल में भर गया। मैंने रुमाल से अपना लंड साफ़ किया और ईशा  से पूछा, मैं: अच्छा लगा? ईशा : हाँ। पर इस से आगे कुछ नहीं।

 

मैं (हँसते हुए): अरे मेरी जान इसके आगे ही तो मजा है। मैं तो तुझे चोद के छोडूंगा। ईशा : नहीं। मुझे डर लगता है मैं: डर मत आराम से करूँगा। ईशा : यहाँ? नहीं। ये जगह ठीक नहीं है। मैं (उसे बाँहों में भरते हुए): अरे मेरी जान तुझे तो मैं अपने घर में चोदुंगा। ईशा  (शरारत से मेरा लंड मसलते हुए): घर में अपने बहन को चोद लेना श्रुति  का जिक्र आते ही मैं वासना के सागर में डूबने लगा। पर ऊपर से बोला, मैं: नहीं यार, वो तो मेरी बहन है ईशा  (मुस्कुरा कर): तो बहनचोद बन जाओ। चोद दो उसको। बेचारी वो भी तो तड़प रही है एक लंड के लिए मैं: मैं उसका सगा भाई हूँ, मैं ऐसा नहीं कर सकता मैंने ऐसा बोल तो दिया पर मैं श्रुति  के बारे में सोचकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया।

 

मेरा लंड जिससे ईशा  अब तक खेल रही थी वो भी तन कर खड़ा हो गया। ईशा  समझ गयी कि मैं अपनी बहन को चोदना चाहता हूँ और उपर उपर से मना कर रहा हूँ। ईशा : आपका लंड कुछ और बोल रहा है, और आप कुछ और मैं चुप रहा। ईशा  मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे पास आयी और बोली, हम दोनों में से किसके बूब्स आपको अच्छे लगते हैं? मैं: दोनों के ईशा : तो वादा करो कि श्रुति  को पहले चोदोगे, फिर मैं भी आप से चुदवाउंगी। ईशा  मुझे मना लेती है। और वादा करती है कि श्रुति  को भी मना लेगी। ईशा  हमारे अफेयर के बारे में श्रुति  को बता देती है और ये भी बताती है कि मैं श्रुति  को चोदना चाहता हूँ। पर श्रुति  यह बात नहीं मानती। ईशा  उसे तरह तरह से मेरे साथ सेक्स करने के लिए उकसाती है।

 

इस पर श्रुति  एक शर्त रख देती है कि वो पहले अपने भाई से चुदवाए। ईशा  का भाई अमन एक शरीफ लड़का है और मेरा पक्का दोस्त है। ईशा  ये बात मुझे बताती है। मैं और ईशा  एक प्लान बनाते हैं। जब मम्मी पापा घर पर नहीं थे और श्रुति  स्कूल गयी थी तब ईशा बंक मार कर मेरे घर आ जाती है। मैं उसके चेहरे पर मास्क लगा देता हूँ। फिर उसे एक कमरे में छुपा देता हूँ। उस कमरे में कैमरा फिट कर देता हूँ। मैं प्लान के मुताबिक़ अमन को बुला कर उसे बीयर पीला देता हूँ और इसे लड़की चोदने के लिए उत्तेजित कर देता हूँ। अमन अपने लंड को मसलने लगता है और बोलता है यार किसी लड़की की चूत मिल जाए तो मज़ा आ जाए। फिर मैं उसे बताता हूँ कि एक लड़की है पर अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती।

 

अमन बोलता है कि यार चेहरे का क्या करना है, बस चूची दबाने को और चूत चुदाई के लिए मिल जाये तो मज़ा आ जाए। अमन को मैं उस कमरे में ले कर आता हूँ जिस में ईशा  छुपी हुई थी। ईशा  पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। अमन उसे देखते ही उतेजित हो जाता है और उस पर टूट पड़ता है। इस तरह से वो अपनी बहन को अनजाने में ही चोद डालता है। ईशा  कैमरे की वीडियो श्रुति  को दिखा देती है। ईशा  हैरान हो जाती है और फिर मुझसे चुदने के लिए मान जाती है। अब मैं श्रुति  को चोदने का प्लान बनाने लगा। हम दोनों मन ही मन एक दुसरे को पसंद करते थे और एक दूसरे से प्यार करते थे, पर घर पर मौका नहीं मिल पा रहा था। मैंने नोट किया कि आजकल श्रुति  घर पर कपड़ों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। बहुत बार वो ऐसे बैठती थी की उसकी कछी तक नज़र आ जाती थी जिसे देख कर मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो जाता था। मैं उसे देख कर कई बार बाथ रूम में मुठ मार लेता था। अक्सर खेल खेल में में उसकी चुची को छू लेता था या चूतड़ दबा देता था। मेरी इच्छा उसको चोदने के लिए बढ़ती ही जा रही थी। एक बार मेरे मम्मी पापा मामा के घर गए हुए थे और हम दोनों घर पर अकेले थे।

 

मैंने अपनी हरकतें फिर से शुरू कर दीं जैसे कि उसके बूब्स को हाथ लगाना और बात बात पर उसके चूतड़ सहला देना। श्रुति  जानबूझकर भी अनजान बनने का नाटक करती रही। उस शाम को मैंने एक बहुत ही हॉट पिक्चर देखी और मैं बहुत गरम हो गया। घर आकर मैंने सारे कपड़े उतार दिए और एक पजामा पहन लिया। मैंने देखा कि मेरी प्यारी बहना स्कर्ट और टॉप पहन कर सोई हुई है। क्योंकी मम्मी पापा मामा के घर दो दिन के लिए गए हुए थे, घर पर हम दोनों के अलावा कोई नहीं था। मैंने मौके का पूरा फायदा उठाने की सोची। मैं धीरे से उसके पास गया और उसको पुकारा श्रुति …उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो शायद गहरी नींद में सोई हुई थी। उसके हलके खर्राटे की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था। मैं चुपचाप उसके पास आ कर बैठ गया और उसके शरीर को देखता रहा। उसकी स्कर्ट थोड़ा उपर की ओर हो गयी थी और उसकी गोरी गोरी टाँगें और जाँघें चमक रही थीं। मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया। मुझसे रहा नहीं गया। मैं धीरे धीरे उसकी टाँगें सहलाने लगा। फिर मेरा हाथ उसकी जाँघों पर रेंगने लगा। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। डरते डरते मैंने श्रुति  के बूब्स भी सहला दिए। इन सबसे बेखबर मेरी प्यारी सेक्सी बहना गहरी नींद में सोई हुई थी। फिर मैंने श्रुति  की स्कर्ट पूरी ऊपर तक उठा दी। उसने वाईट रंग की पैंटी पहन रखी थी। मैं उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।

 

मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उस वक्त मैंने सिर्फ पजामा पहना हुआ था और उसके नीचे अंडर वीयर भी नहीं पहना हुआ था। मैंने अपना पजामा उतार दिया और पूरा नंगा होकर लंड को हाथ में लेकर मसलने लगा। फिर मैंने उसकी पैंटी के साईड से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा। इससे मेरी बहन जाग गयी। वो घबरा कर बोली, हाय भैया ये आप क्या कर रहे हैं? आपको अपनी बहन के साथ ऐसा करते हुए शर्म नहीं आती? मैं कुछ नहीं बोल पाया। फिर श्रुति  का ध्यान मेरे खड़े हुए लंड पर गया। वो हैरानी से उसे देखने लगी। मेरी घबराहट में लंड सिकुड़ गया और बहुत छोटा सा रह गया। वो बोली अरे भैया ये बड़े से इतना छोटा कैसे हो गया? मेरी बहन के मेरे लंड की तरफ देखने से मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। अब तो श्रुति  की हैरानी की सीमा न रही। मैंने अपना तन्नाता हुआ लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया और कहा लो इससे खेलो। थोड़ा हिचकिचाने के बाद मेरी बहन ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसको हिलाने लगी। वो काँपती आवाज़ में बोली भैय्या कोई आ जाएगा तो?

 

मैं बोला, पगली रात को कौन आएगा? चल मिल कर मज़ा करते हैं। अब वो कुछ नहीं बोली और उसने अपना मुहं मेरी छाती में छुपा लिया। मैं उसके मुम्मे दबाने लगा। श्रुति  के नाज़ुक होंठों को मैं अब चूसने लगा। अब वो सी सी सीत्कार करने लगी और हाय भईया, जरा धीरे से……ओह मज़ा आ रहा है…।।जैसी कामुक आवाजें निकलने लगी। उसे खड़ा करके मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी। उसने नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी। हाय दोस्तों क्या बताऊँ अपनी बहन की नंगी चुची देख कर मैं जैसे पागल सा हो गया। उधर मेरी बहन शर्म से लाल हुई जा रही थी और उसने अपनी चुचियों को दोनों हाथों से ढक रखा था। मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट भी खोल दी। अब वो सिर्फ वाईट रंग की पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी। मैंने उसे अपने साथ चिपटा लिया और उसके लिप्स पर किस करने लगा। मैंने बड़े प्यार से अपनी बहन के दोनों हाथ उसकी चुचियों से हटाये और उनको देखने लगा।

 

कमरे में लाइट नहीं जल रही थी और थोड़ी सी रौशनी बहार के लैम्प से आ रही थी। इस हलकी रौशनी में श्रुति  का सेक्सी बदन दूध की तरह चमक रहा था। मैंने हाथ बढ़ा कर पास में लाइट का स्विच ऑन कर दिया। श्रुति  बुरी तरह से शर्मा कर अपने बदन को सिकोड़ कर बेड पर बैठ गयी और बोली, प्लीज़ भईया, लाइट बंद कर दो, मुझे बहुत शर्म आ रही है। मैं मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ा और बोला, प्यारी बहना शर्माओ मत आज मुझे जी भर के देखने दो। हाय तुम्हारा ये बदन संगमरमर के जैसा है। तुम इतनी सेक्सी हो की कोई भी तुम्हें देख के दीवाना हो जाए। मैं उसकी पीठ सहला रहा था। उसके रेशम जैसे बाल उसकी चेहरे और छाती को ढके हुए थे। मैंने उसकी जुल्फों को चेहरे से हटाया और उसके लिप्स पर किस करने लगा। फिर मैंने दोनों हाथ उसकी चुचियों से हटाये और उनको दबाने लगा। श्रुति  के निप्प्ल तने हुए थे। मैंने एक एक करके उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया। मेरी बहन मस्त हो गयी और मेरे लंड को पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगी। मैं बेड के किनारे पर खड़ा हो गया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुहं के पास ले जा कर मैंने उसके होठों को छुआया। श्रुति  लिपस्टिक की तरह मेरे लंड के सुपाड़े को अपने नाज़ुक होठों पर फेरने लगी।

 

मैंने कहा, इसे मुहं में ले लो और चूसो। मेरी बहन ने बड़े प्यार से मेरे लंड का सुपाड़ा मुहं में ले लिया और चूसने लगी। आह दोस्तों उस वक्त मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया। इतना मज़ा आ रहा था की मैं क्या बतायूं। मेरा लंड मेरी प्यारी सेक्सी बहन के मुहं में अंदर बाहर हो रहा था। उस वक्त मैं उसके संतरे के साईज़ के मुम्मे दबा रहा था। लंड चूसते हुए मेरी सगी बहन श्रुति  क्या मस्त लग रही थी। बार बार उसके चेहरे पर जुल्फें आ जाती थीं जिनको मैं पीछे कर के उसके सुन्दर चेहरे को देख कर अपना लंड उस से चुसवा रहा था और जोश में आकर बोल रहा था हाय चूसो मेरी प्यारी बहना। अंदर तक लो। बड़ा मज़ा आ रहा है आ…आ…आ…आ…ह मैंने फिर उसे खड़ा किया और अपने सीने से चिपटा लिया।

 

उसके मुम्मे मेरी छाती से दबे हुए थे। मैं उसके होंठ चूस रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ों को पैंटी के अंदर हाथ डाल कर दबा रहा था। मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे सरका दी। श्रुति  वासना में बेसुध सी होकर मेरी बाहों में नंगी खड़ी थी पर पैंटी नीचे खिसकते ही जैसे वो होश में आई – नहीं भैय्या नीचे कुछ मत करना। मैंने उसकी न सुनते हुए उसकी पैंटी घुटनों तक नीचे कर दी और साथ ही उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसकी आँखों में आँखें डालकर पूछा – तू मुझे प्यार करती है या नहीं? इस पर मेरी प्यारी बहना बोली – मैं आपकी अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हूँ। मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर बोला – तो मेरी प्यारी बहन, अपनी चूत मुझे दे दे।

 

श्रुति : हाय भैय्या मुझे डर लगता है। सुना है, बहुत दर्द होता है।

 

मैं (प्यार से उसकी चुची मसले हुए): मैं तेरा सगा भाई हूँ, तुझे कोई दर्द नहीं दूँगा।

 

श्रुति  (मेरा लंड पकड़ते हुए): पर भईया ये तो बहुत बड़ा है।

 

मैं: चिंता मत कर, चूत में से तो बच्चा भी निकल आता है, फिर इस लंड की क्या बिसात?

 

श्रुति  (हँसते हुए): तो आप आज बहनचोद बनके ही रहोगे?

 

मैं श्रुति  के मुहं से पहली बार गाली सुनकर और भी उत्तेजित हो गया और बोला: हाँ मेरी प्यारी बहना, तेरी चूत मैं मारूंगा और जी भर के तुझे चोदुंगा।

 

श्रुति  जो थोड़ी देर पहले शर्म से मरी जा रही थी अब खुल कर गन्दी गन्दी बातें करने लगी। उसने मेरा लंड पकड़ा और कमरे से बाहर की ओर जाने लगी। मेरे लंड के साथ मैं भी उसके पीछे पीछे चल पड़ा। वो एक अलमारी के पास गई और मुझे इशारा किया उसको खोलने के लिए। अंदर वोदका की बोतल थी जो मेरे पापा कभी कभी पीते थे। मैंने पीछे से उसके चूतड़ दबाए और पूछा – तो पीने का मन कर रहा है?

 

श्रुति : थोड़ा डर कम हो जाए इसलिए, वर्ना मैंने कसम से भईया कभी नहीं पी।

 

मैं: तू इतना डरती क्यों है?

 

श्रुति : आपसे नहीं डरती, आपके लंड से डरती हूँ। देखो न छोटा होने का नाम ही नहीं ले रहा।

 

श्रुति  की बात सही थी। रात के ग्यारह बज चुके थे और हमें लगभग तीन घंटे एक साथ एक दूसरे के नंगे बदन से खेल रहे थे। अब तक मेरी सगी बहन मेरे से बहुत खुल चुकी थी। हालांकि हमने चुदाई नहीं की थी, लेकिन श्रुति  दो बार झड़ चुकी थी और मैं एक बार अपना सारा वीर्य उसे पिला चुका था। हम दोनों ने वोदका का एक एक पेग ले लिया। श्रुति  अब बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी। मैं उसे बहुत नज़दीक से महसूस कर रहा था। मैंने प्यार से अपनी बहना को बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया। मैंने अपनी जीभ उसके मुहं में डाल दी और किस करने लगा। उसके मुम्मे मेरी छाती में दबे हुए थे। मेरा लंड बार बार उसकी चूत से टकरा रहा था। मैंने उसके दोनों टांगें चौड़ी कर दीं और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका दिया। अआआह क्या मज़ा आ रहा था दोस्तो। मैंने धीरे धीरे श्रुति  की चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया। श्रुति  की चूत काफी गीली थी और मेरा आधा लंड उसमें घुस गया। अब मेरी बहना को थोड़ी तकलीफ होने लगी। पर वोदका का नशा उस पे हावी था। मैंने अपना लंड थोडा सा बाहर निकाला और एक झटके में सारा अंदर डाल दिया। श्रुति  के मुंह से घुटी घुटी सी चीखें निकलने लगीं। पर मेरे लिप्स उसके लिप्स से सटे हुए थे इसलिए कोई आवाज़ बाहर नहीं निकल सकी। मैं दना दन अपनी बहना की कुंवारी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। श्रुति  घुटी घुटी चीखें निकाल रही थी। थोड़ी देर बाद मेरी प्यारी बहना को भी मज़ा आने लगा और वो भी चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे साथ चुदाई का मज़ा लेने लगी।

 

श्रुति : आह भईया मज़ा आ गया और तेज………जोर से ………ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

 

मई (हाँफते हुए): हाय क्या मस्त चूत है यार तेरी…अह्ह्ह श्रुति …मेरी बहन…आज से तू मेरी है…

 

श्रुति : हाँ भईया…आज से मैं आपकी हूँ……मुझे रोज चोदा करोगे?

 

मैं: ये भी कोई पूछने वाली बात है?

 

मेरे धक्के और तेज होते चले गए और कुछ देर में ही हम दोनों भाई बहन झड़ गए। मैं हाँफते हुए श्रुति  के उपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद हम दोनों ने उठकर एक साथ शोवर के नीचे स्नान किया। श्रुति  की चूत से काफी खून निकला था। हमने चादर रात को ही धो दी। और उसके बाद नंगे ही एक दुसरे से लिपट कर सो गए।

 

अगले दिन श्रुति  नें हमारी चुदाई की सारी बात ईशा  को बता दी। मैं अब जब भी मौका मिलता तो श्रुति  को चोद लेता था। पर हम लोगों को घर में चांस बहुत कम मिलता था। मेरी श्रुति  को चोदने की इच्छा बढ़ती जा रही थी पर घर पर सब लोग होने की वजह से हम चुदाई नहीं कर पाते थे। फिर मैंने ईशा  के भाई अमन को भी अपने ग्रुप में लेने का प्लान बनाया। मैंने अमन से कहा कि यार आजकल चुदाई करने का बहुत मन करता है। अमन बोला, उस लड़की को बुला जिस के साथ तुने मेरे साथ चुदाई करवाई थी। मैं हंस कर बहाना बना कर बोला कि वो अपने गाँव चली गयी है। अमन का भी बहुत मन कर रहा था। मैंने उससे कहा कि यार एक काम करते हैं। तू मेरी बहन से सेक्स कर ले और मैं तेरी बहन से सेक्स कर लेता हूँ। ये सुन कर अमन भड़क गया और गुस्से से बोला, साले तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन के बारे में ऐसा बोलने की। दोस्ती इसको कहते हैं? मादरचोद, मेरी बहन पर बुरी नजर डालता है? अमन नें मुझे और भी बुरा भला कहा। पर मैं शांती से उसकी सुना रहा।

 

अमन और मैं बचपन के दोस्त थे और एक दुसरे को अच्छी तरह से समझते थे। अमन मेरी बहन को सगी बहन की तरह से प्यार करता था और हर साल उस से राखी भी बंधवाता था। उसका गुस्सा जायज़ था। मैंने अमन को समझाया, यार देख हमारी दोनों बहनें जवान हो चुकी है। उनको भी तो चुदाई की इच्छा होती होगी? वो बाहर कहीं मुहं मारें तो क्या तुझे अच्छा लगेगा? अमन गुस्से में भन्नाया बैठा रहा। मैंने अमन को बहुत समझाया बुझाया और दो बीयर पिलाने के बाद अमन के मन में ये बात बैठा दी कि यही एक आसान सा रास्ता है जिससे हम मज़ा भी कर सकते हैं और घर की बात घर में ही रहेगी। फिर मैंने उसे श्रुति  के बारे में उसे बताया कि वो कितनी सेक्सी है। उसके बूब्स, चिकनी चूत और गोल गोल चूतड़……ये सब सुन कर अमन गर्म हो गया और वासना से अपना लंड मसलने लगा। मैं बोला कि अगर मुझे मौका मिल जाए तो मैं भी श्रुति  को चोदना चाहता हूँ।

 

अमन हैरानी से मुहं फाड़े मुझे देखने लगा। वो बोला, तू पागल तो नहीं हो गया? मैं हंस कर बेशर्मी से बोला, साले तू नहीं समझेगा। तुने कभी मेरी बहन श्रुति  के हुस्न  के बारे में सोचा है? उसकी मस्त चुचियाँ, जांघें, गोरा गोरा बदन और चिकनी चूत देखी है? एक बार उसे नंगी देख लेगा तो तेरा लौड़ा उसे सलाम करने लगेगा। मेरा तो लंड उसे देख कर रोज खड़ा हो जाता है और मैं उसके नाम की रोज मुठ भी मारता हूँ। वो तो मुझे मौका नहीं मिल रहा वरना मैं कब तक उसे चोद चुका होता (मैंने जान बूझकर अमन को नहीं बताया कि मैं अपनी प्यारी सगी बहना श्रुति  को चोद चुका हूँ, और वो भी अपनी बहन अनजाने में चोद चुका है)। ये सब बातें सुन कर अब तक वो वासना और बीयर के नशे में डूब चुका था। उसे अब श्रुति  का नंगा जिस्म सामने दिखाई देने लगा और सिसकते हुए बोला, हाँ यार…।।श्रुति  वाकई मस्त माल है, मैंने उसे इस नजर से कभी नहीं देखा था।

 

अगर तुझे कोई प्रोब्लम नहीं है तो मैं उसे जरुर चोदना चाहूँगा। मैंने देखा कि अमन का लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया है और वो बीयर के नशे मैं बडबडाने लगा, हाय श्रुति  कितनी सेक्सी है यार प्लीज़ अपनी बहन की चूत दिलादे यार। मैं खुशी से बोला, हाँ यार चोद ले मेरी बहना को पर मैं भी तेरी बहन को चोदना चाहता हूँ। अमन थोडा हिचकिचाया पर फिर मान गया। अंत में अमन हथियार डाल के बोला, ओके यार कर डालते है। पर अपनी बहनों को कैसे मनायेंगे? साले मार मत पड़वा देना। मैं बोला, वो सब तू मुझ पर छोड़ दे।

कुछ दिन बाद रक्षा बंधन का त्यौहार था। अमन और ईशा ने हम दोनों को राखी बांधी। श्रुति कनखियों से मुझे देख रही थी। मानों पूछ रही थी कि क्या अब भी राखी बंधवाओगे? मैं चुपचाप राखी बंधवा रहा था। ईशा भी खामोश थी। उसे भी बहुत अजीब लग रहा था, क्योंकी वो भी अपने सगे भाई से चुद चुकी थी। अमन श्रुति से राखी बंधवाते समय थोडा हिचकिचाया, पर मैंने उसे इशारा कर दिया कि चुपचाप राखी बंधवा ले। इसके बाद हमारी दोनों बहनों ने हमारी आरती उतारी और राखी का गिफ्ट माँगा। मैंने कहा कि गिफ्ट शाम को मिलेगा। हमने एक पार्टी रखी है जिसमें तुम दोनों को शाम को आना है। मैंने अपने दोस्त के एक खाली फ्लैट की चाबी ले ली थी और उसमे बीयर पहले से ही रख दी थी।

 

शाम को चार बजे हमारी दोनों बहनें सज धज कर हमारी बाईक्स पर बैठ कर हमारे साथ चल पड़ीं। मेरे कहने पर ईशा मेरे साथ और श्रुति अमन के साथ बैठी। अभी तक हमने अपना प्लान उन दोनों को नहीं बताया था। मैं ईशा और श्रुति को सरप्राइज़ देना चाहता था। हाँ अमन को मैंने सब कुछ बता दिया था और पहले से ही कह दिया था दिया था कि चाहे ज़बरदस्ती करनी पड़े, हम आज दोनों को चोद कर रहेंगे।

 

अमन बहुत उत्साहित था। वो बड़े कामुक अंदाज़ से श्रुति को बार बार दख रहा था। श्रुति के बूब्स बहुत तने हुए थे। उसने चुन्नी भी नहीं पहन रखी थी। लाल रंग के सलवार सूट में वो गज़ब की क़यामत ढा रही थी। ईशा नें भी गुलाबी रंग की सूट सलवार पहन कर मेरे अंदर हलचल मचा दी थी।

 

अपने दोस्त के फ्लैट में आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और बीयर की बोतलें निकाल लीं। ईशा बीयर नहीं पीती थी। उसने अमन की तरफ देखा। अमन बोला, आज जश्न का दिन है, इसलिए तुझे थोड़ी सी पीनी पड़ेगी। हमने उन दोनों को जिद करके दो दो ग्लास बीयर के पिला दिए। हमारी दोनों बहनें मस्त हो गयीं और बीयर के नशे में हंस हंस कर बातें करने लगीं। मैं हंस हंस कर बारी बारी से श्रुति और ईशा को छेड़ने लगा। कभी मैं उनकी चुचियाँ दबा देता तो कभी गाल पर पप्पी ले लेता। दोनों लडकियां मदहोश हुए जा रही थीं।

 

मैंने श्रुति के बूब्स दबाते हुए कहा, यार अमन देख क्या मस्त जवानी है मेरी प्यारी बहना की। श्रुति मचलते हुए मेरे हाथ हटा कर बोली, अरे छोडो न भईया क्या करते हो? कुछ तो शर्म करो। ईशा भी अपने भाई के सामने ये सब होता देख कर काफी अजीब सा महसूस कर रही थी। हम दोनों दुसरे कमरे में चले गए और हमने अपने सारे कपडे उतार दिए। हमारे तन पर सिर्फ अंडर वीयर बचे थे। हम दोनों के लंड तने हुए थे और अंडर वीयर में उभरे हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे। हमदोनों नें एक एक बीयर पी ली। जब हम लोग वापस आये तो वहाँ का नज़ारा देख कर दंग रह गए।

 

हमारी दोनों बहनें एक दुसरे को लिप्स किस कर रही थीं और एक दुसरे के बूब्स मसल रही थीं। मैं बोला, देख अमन, मैं ना कहता था कि हमारी बहनें जवान हो चुकी हैं? हम दोनों को देख कर श्रुति और ईशा छिटक कर अलग हो गयीं। मैं आगे बढ़ा और ईशा की चुचियाँ दबाते हुए बोला, मेरी जान मुझे भी थोड़ी दबाने दो। ईशा भाई के सामने शर्म से पानी पानी हो गयी, और बोली, हाय भईया छोड़ दो। अमन भी श्रुति की तरफ बढ़ा और उसके गालों पर किस करने लग। श्रुति हल्का हल्का विरोध का रही थी। मैंने अमन से बोला, यार चल आज हम अपनी बहनों को राखी का गिफ्ट दे देते हैं। इतना कह कर मैंने अपना अंडर वीयर उतार दिया। देखते देखते अमन नें भी अपना अंडर वीयर उतार दिया और श्रुति पर टूट पड़ा। श्रुति ना ना करती रही, पर अमन नहीं रुका। वो जोर जोर से मेरी बहन की चुचियाँ दबाने लगा। मैं भी ईशा के साथ चिपक गया और उसके लिप्स पर किस करने लगा।

 

दोनों लडकियां अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित हो रही थीं, पर सब लोग एक कमरे में होने से वो हिचकिचा रही थीं। मैं सब समझ गया। मैंने ईशा को गोद में उठा लिया और उसे दूसरे कमरे में ले गया। ईशा अपने भाई के सामने विरोध का नाटक कर रही थी। हाँ श्रुति का विरोध असली था, पर उसमें दम नहीं था।

 

मैं दुसरे कमरे में ईशा के साथ लिपट गया और उसके लिप्स पर किस करने लगा। ईशा मुझे परे हटाते हुए बोली, अमन भईया मेरी जान ले लेंगे। मैं हँसते हुए बोला, चिंता मत कर मेरी जान, हमारी डील हो चुकी है। ईशा नें हैरानी से पूछा, कैसी डील? फिर मैंने ईशा को सारी बात बात बता दी। ईशा अब निश्चंत हो कर मेरा साथ देने लगी। मैंने बड़े आराम से ईशा के सारे कपडे उतार दिए। वो मेरे सामने अब पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। मैं उसके बदन को बेतहाशा चूमने लगा। ईशा अब सिसकारियाँ भर रही थी।

 

उधर अमन भी मेरी प्यारी बहना की मस्त जवानी का मज़ा लूट रहा था। श्रुति का विरोध समाप्त हो चुका था और वो भी अमन का साथ दे रही थी। मैंने ईशा की मस्त चुचियाँ अपने मुहं में ले लीं और एक एक करके उनको चूसने लगा। ईशा ने भी मस्ती में आकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी। ईशा बोली, भईया एक बात बताऊँ? मैं बोला हाँ बोलो। ईशा बोली, उस दिन अमन भईया के साथ मज़ा नहीं आया और उसकी सील भी नहीं टूटी। मैं हैरान हो गया और पूछा कि ये कैसे हुआ? ईशा ने बताया कि अमन का लंड जल्दबाजी में पूरा अंदर नहीं गया था और जल्दी झड़ गया था। वो उस दिन प्यासी की प्यासी ही रह गयी थी।

 

मैं सुन कर मन ही मन बहुत खुश हुआ कि मुझे आज एक कुंवारी चूत चोदने को मिलेगी। मैं उसकी चूत सहलाता हुआ बोला, चिंता मन कर मेरी रानी आज मैं तुझे जी भर के चोदुंगा। मैं उसके पूरे बदन को चूमता रहा। ईशा को बेड पर लिटा कर मैंने उसकी दोनों टांगें खोल दीं। उसकी कुंवारी अनचुदी चूत को देख कर मैं पागल सा हो गया। उसकी शेव की हुई चूत की दोनों फांकों को खोल कर मैंने उनमें अपनी जीभ घुसा दी। मैं बड़ी मस्ती से ईशा की चूत चाटने लगा। ईशा भी चूतड़ उठा उठा मेरा साथ देने लगी। थोड़ी ही देर में ईशा झड़ गयी। मैंने ईशा का सारा रस चाट चाट कर पी लिया।

 

अब मैं उठ कर दुसरे कमरे में देखने गया कि वहाँ क्या हो रहा है। मैंने देखा कि श्रुति बड़े मज़े से अमन का लंड चूस रही है। अमन नें उसके बाल पकडे हुए थे उन दोनों के मुहं से कामुक आवाजें निकल रही थीं। मैंने भी वापस आते ही अपना लंड ईशा के मुहं में ठूंस दिया। ईशा नें थूक लगा कर मेरा लंड गीला किया और फिर मज़े से लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया। करीब दस मिनट में ही मैं झड़ गया। ईशा मेरा सारा माल चाट कर साफ़ कर गयी। अब मैंने ईशा की दोनों टांगें फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पे टिका दिया। ईशा की चूत पहले से ही गीली थी। थोडा सा जोर लगाते ही मेरा लंड अंदर चला गया। ईशा कराहते हुए बोली, जरा आराम से भईया। मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया और बड़े जोर शोर से उसकी चुदाई करने लगा। कुछ देर तक ईशा कराहती रही फिर बाद में मज़े से चुदाई का आनंद लेने लगी। हमारी आवाजें बाहर तक आ रही थीं। काफी देर अक चुदाई करने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। मैं थक कर ईशा के मखमली बदन पर लेट गया। हम लोग पसीने से तर बतर हो चुके थे।

 

मैंने बड़े प्यार से ईशा के गाल पर चुम्मा दे कर पूछा, मज़ा आया मेरी जान? ईशा नें शर्माते हुए मझे अपने सीने से भींच लिया और हाँ में गर्दन हिलाई। हमने देखा की चादर खून से लाल हो गई है, यानी ईशा कुंवारी लड़की से औरत बन चुकी थी। हम लोगों ने जल्दी से चादर धोई और एक साथ बाथरूम में नहाये। ईशा थक कर सो गई और मैं उठ कर दुसरे कमरे में गया।

 

वहाँ पर मैंने देखा कि अमन मेरी बहना श्रुति को घोड़ी बना कर चोद रहा है। श्रुति के बूब्स लटके हुए आम जैसे दिख रहे थे, जिन्हें अमन बीच बीच में दबा रहा था। मेरे देखते देखते वो दोनों भी झड़ गए। मैंने अमन से पूछा, मज़ा आया मेरे यार? कैसी लगी मेरी बहना की प्यारी चूत? अमन पूरा सन्तष्ट नज़र आ रहा था। वो बोला, हाँ यार, बहत मज़ा आया। तेरी बहन तो सचमुच मस्त है। इसकी चुदाई करके मुझे वो मज़ा आया जो कि मैंने जिंदगी में कभी नहीं लिया। उस दिन तो जल्दबाजी में और घबराहट में मुझे मज़ा नहीं आया था पर तेरी बहन के साथ तो मैं जैसे जन्नत का मज़ा ले रहा हूँ।

 

श्रुति थक कर उल्टी लेटी हुई थी। मैंने बड़े प्यार से श्रुति को सीधी लिटा दिया और साथ में बगल में लेट गया। अमन भी दुसरी तरफ लेट गया। हम दोनों बड़े प्यार श्रुति की चुचियाँ सहलाने लगे। हमारे दोनों हाथों में श्रुति की बांधी हुई राखी थी। ये देख कर मुस्कुरा कर श्रुति बोली, क्या भईया, आप लोग कैसे हो? जिस हाथ में मेरी राखी बंधी हुई है उसी हाथ से मेरी इज्ज़त से खेल रहे हो। आपको तो मेरी रक्षा करनी चाहिए। मैं श्रुति के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला, मेरी रानी, हम तेरी रक्षा करेंगे। कोई माई का लाल हमारे होते हुए तुझे छू नहीं सकेगा। श्रुति बहुत खुश हुई और बाथरूम में नहाने चली गई।

 

नहाने के बाद श्रुति टोवल लपेट कर बाहर आयी। फिर अमन बाथरूम में घुस गया। जाते जाते उसने श्रुति का टोवल खेंच लिया। श्रुति नंगी मेरे सामने खड़ी थी। अमन बोला, आज सच में रक्षा बंधन मनाना है तो चोद डाल अपने सगी बहन को। क्यों हिम्मत है? है दम तेरे लौड़े में? ये कह कर अमन हँसता हुआ बाथरूम में घुस गया। मैंने तुरंत श्रुति को अपनी बाँहों में भर लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा।श्रुति भी मुझे यहाँ वहाँ किस करने लगी। मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने प्यार से अपनी बहना की आँखों में झांककर देखा और पूछा, क्यों? आज चुदेगी मुझसे? राखी वाले दिन? आज मैं तुझे बहुत प्यार करना चाहता हूँ। श्रुति ने हाँ में गर्दन हिलाई और मेरे लंड को सहलाने लगी। अब मैं उसकी बूब्स मसलने लगा और उसकी चूत में उंगली करने लगा।

 

श्रुति बहुत उत्तेजित हो गयी और उसने झट से नीचे झुक कर मेरे लंड का सुपाड़ा अपने मुहं में ले लिया और जोर जोर से उसे चूसने लगी। मैं सिसक उठा, हाय …।चूस मेरी प्यारी बहन…।।ये तेरा यार है…।।फिर मैंने उसे 69 पोसिशन में कर के उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

 

इस बीच अमन आ गया। हम लोगों को इस तरह देख कर उसका लंड भी खड़ा हो गया। मैंने पोसिशन बदली और श्रुति को नीचे लिटा कर उसकी चूत में दनादन अपना लंड पेलने लगा। मैं बडबडाने लगा…ले मेरी जान…राखी का तोहफा…।अपने भाई का लंड…।देख…कैसे अंदर बाहर आ जा रहा है…अह्हह्ह…ओह्ह्ह्ह…अमन नें भी अपना लंड मेरी प्यारी बहना के मुहं में डाल दिया और उससे चुसवाने लगा।

 

कुछ देर बाद मैं झड़ गया। मेरे हटते ही अमन ने अपना लंड श्रुति की चूत में घुसेड दिया और मैंने अपना लंड अपनी बहना के मुहं में डाल दिया। श्रुति मेरे और अपने रस से गीले लंड को जोर जोर से चूसने लगी। मैं थक कर थोड़ी देर के लिए सुस्ताने लगा। श्रुति की वासना चरम सीमा पर थी। वो सिसकियाँ भर भर कर बोली…हाय मेरे भाईओ…आज रक्षा बंधन का असली त्यौहार मना है…चोदो मुझे…जी भर के…अपने बहन की चूत फाड़ दो…।राखी का फर्ज निभाओ…जोर से करो…आह…मर गयी…मेरा निकल गया…ओह्ह्ह्ह्ह……श्रुति और अमन एक साथ मेरे सामने झडे।

 

अपनी सगी बहन को रक्षा बंधन के दिन किसी दुसरे से चुदते देख कर मुझे जरा भी शर्म या गुस्सा नहीं आया, बल्कि खुशी ही हुई। हमारा नशा अब उतर चुका था। सब लोगों ने फिर से नहा लिया। हम अब काफी तारो ताज़ा लग रहे थे।

 

उधर ईशा आज सही मायनों में पहली बार चुदी थी, इसलिए अभी तक सोई हुई थी। अमन नें उसे जाकर जगाया। ईशा नंगी ही लेटी हुई थी। अमन के आने पर वो घबरा गयी और एक चादर अपने उपर ले कर सर झुका कर बोली, भईया आप बाहर जाओ, मैं कपडे पहन कर आती हूँ। अमन का मन हुआ कि वो जी भर के अपनी सगी बहना की चूत चाटे और उसकी चुचियाँ दबा दे। पर दो तीन बार चुदाई करके और श्रुति से मुहं में झड़वा के काफी थक चुका था। वैसे भी रात के आठ बज चुके थे, और हमारे घर वापस जाने का टाइम हो चला था। अमन चुपचाप बाहर आ गया। मैंने मजाक में पूछा, अपने बहन को नहीं चोदेगा? देख मैंने तो चोद लिया। साले तू भी रक्षा बंधन मनाले। अमन मुस्कुरा कर बोला, आज नहीं फिर कभी। ईशा को तो मैं हमारे घर में कभी भी चोद लूँगा। ये बात बाहर आती हुई ईशा ने सुन ली। अमन सकपका गया। पर ईशा मुस्कुरा दी। यानी उसे अपने भाई से दुबारा चुदने में कोई ऐतराज़ नहीं था। अब हम लोग अपने अपने अपने घर को लौट गए

 

अमन अब रोज मौका देखने लगा कि वो कब अपनी जवान बहन की चुदाई का मज़ा ले सके। घर पर सब लोग होने की वजह से उसे मौका नहीं मिल रहा था। अमन मुझे कई बार मेरे दोस्त के फ्लैट की चाबी के लिए मिन्नत कर चुका था। पर मेरा दोस्त मुंबई चला गया था और चाबी उसी के पास थी। अमन की इच्छा दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी। इस तरह से चार दिन बीत गए। हम दोस्त रोज शाम को मिलते और उस शाम की बात करते जब हम लोगों ने एक दूसरे के बहनों को चोदा था। अमन मुझे रोज कोसता, साले बहनचोद…तेरी वजह से मुझे चुदाई की आदत पड़ गयी और मैं अपनी ही सगी बहन को चोदने के बारे में सोचता रहता हूँ। अब ईशा नहीं मिल रही तो क्या तेरी बहन की चूत में लंड डालूं? मैं उसकी बेसब्री पर खूब हँसता और विश्वास दिलाता कि चिंता मत कर, कोई न कोई मौका जरुर मिल जाएगा।

 

अमन घर पर बहुत बेचैन रहने लगा। जब वो कोलेज से वापस आता तो ईशा को देखते ही उसका लंड खड़ा हो जाता। एक दिन जब उसकी मम्मी नहाने चली गई तो उसने झटके से ईशा को अपनी बाँहों में भर लिया, और उसके लिप्स पर किस करने लगा। ईशा छूटने की कोशिश करने लगी और बोली, भईया…मम्मी आ जायेगी…प्लीज़…रुको…उफ्फ्फ…पर अमन नहीं रुका और पागलों की तरह अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा। दोनों को पकडे जाने का डर था। इसलिए बड़ी मुश्किल से वो अलग हुए। अमन नें कई बार मम्मी की नज़रों से बच कर ईशा को अपना तन्नाया हुआ लौड़ा दिखाया और उसे हिलाते हुए अपनी तरफ आने के लिए इशारा किया। पर ईशा मजबूर थी। वो मुस्कुरा कर अपनी आँखें शर्म से नीचे कर लेती थी और पकडे जाने के डर से पास नहीं आती थी

 

ईशा और श्रुति एक दूसरे से सारी बातें शेयर करते थे और श्रुति मुझे उसकी सारी बातें बता देती थी। अमन तो मुझे सारी बात बताता ही था। इस तरह से मुझे दोनों के दिल का हाल मालूम था। असल में दोनों चुदाई चाहते थे।

एक बार अमन की मम्मी मार्केट गयी हुई थी। मम्मी बता कर गयी थी कि वो चार पांच घंटे बाद लौटेगी। घर पर अमन और ईशा दोनों अकेले रह गए। अमन नें मेन डोर बंद किया और सीधा किचन में गया जहाँ ईशा काम कर रही थी। उसने ईशा को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करते हुए पूछा, क्या कर रही है मेरी प्यारी बहना? ईशा सारा काम छोड़कर की अपने भईया से लिपट गयी। ईशा भी कई दिन से नहीं चुदी थी और वो भी अपने भाई का प्यार पाना चाहती थी – उसी तरह से जैसे श्रुति और उसके भाई नें।

 

अमन ने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों पर रख दिए। अमन नें कस कर ईशा को अपने साथ चिपटा लिया। उसके बूब्स उसकी छाती से चिपके हुए थे। अब अमन ईशा को लिप्स किस करने लगा। ईशा बोली, भईया…आयी लव यू…अमन बोला, आयी… लव यु टू…अमन नें उसके बूब्स मसलते हुए कहा, आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी जान…चल जल्दी से उतार अपने कपड़े…हमारे पास ज्यादा टाइम नहीं है। ईशा नें मचलते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर कहा, आप खुद ही उतार दो ना। अमन नें झट से कुर्ती उसके बदन से अलग कर दी और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा। अमन नें फुर्ती से अपनी बहन को पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। उसके बूब्स देख कर अमन बोला, हाय मेरी जान…क्या सेक्सी बदन है तेरा…तुझे तो मैं रोज चोदना चाहूँगा…तेरे गोरे गोरे दूध…क्या मस्त हैं…हाय। इतनी चिकनी चूत…तेरे चूतड़ कितने गोल और प्यारे हैं…इतना बोल के अमन नें अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और ईशा के सीने से लग गया। अमन अब ईशा बी चूत सहलाने लगा। ईशा उत्तेजित होने लगी। उसकी चूत गीली हो गयी। किचन में ही अमन ने अपनी बहन को नीचे फर्श पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया। ईशा बोली…आह…भईया…आराम से करना…प्लीज़…अमन बोला, मेरी जान…तू अब तक कैसे बची रही मुझ से… मुझे तो पहले ही तुझे चोद देना चाहिए था…काश मैं पहला लड़का होता जो तुझे चोदता…।

 

अमन उसकी चूत में उंगली करता हुआ सिसकारी भर के बोला…काश मेरी बहन पहले मुझ से चुदी होती…वो साला मेरा दोस्त …दीपक…… सारे मज़े लूट के…मेरी बहन की सील तोड़ गया…पर मेरी ही गलती थी…घर पर इतना सेक्सी माल…और मैं अब तक कुछ न कर सका?

ईशा से अब रहा नहीं गया। वो बोल उठी, भईया…आप ने ही मुझ से पहली बार सेक्स किया था… दीपक भईया नें नहीं…।आप ही पहले लड़के हो जिसने मेरी चूत में अपना लंड डाला था। अमन चौंक पड़ा और बोला, नहीं…।मैं माँ कसम खा के कहता हूँ कि मैंने तुझे कभी बुरी नज़र से नहीं देखा…वो तो साले मेरे दोस्त दीपक नें मेरी मती मार दी और मैंने अपने हाथों से तुझे उसके साथ चुदने दिया…वो भी राखी के दिन।

ईशा बोली, पर पहले सेक्स आपने ही किया था। याद है वो मास्क वाली लड़की? ईशा मुस्कुराते हुए बोली…भईया वो मैं ही थी…अमन हैरान रह गया। फिर ईशा नें उसे सारी कहानी बता दी। अमन बहुत खुश हुआ कि उसने ही अपनी सगी बहन से पहली बार सेक्स किया था।

वो बोला, कोई बात नहीं अगर तू बाद में दीपक से चुदी…मैं भी घाटे में नहीं रहा…श्रुति को तो चोद चुका…तू पहले मुझ से अनजाने में चुदी थी… आज मैं तुझे…अपनी सगी बहना को भरपूर प्यार से चोदुंगा। इतना कह के अमन अपनी सुंदर बहना को गोदी में उठा कर बेडरूम में ले गया। उसने उसकी चूत को बड़े ध्यान से देखा। वहाँ पर एक तिल था। उसे याद आ गया कि ये वही चूत है जो वो मास्क वाली लड़की की थी। अमन नें अपनी बहना की गुलाबी चूत की दोनों फांकें अलग कर के अपनी जीभ उस में घुसा दी। ईशा की चूत की खुशबू उसे पागल बना दे रही थी। अपनी बहना की नमकीन चूत अमन बड़े प्यार से चाटने लगा। ईशा अपना सर मदहोशी में पटकने लगी और बडबडाने लगी, आह्ह……भइया…क्या मज़ा आ रहा है……चूसो……मेरे राजा……आप बहुत अच्छा चूसते हो……हाय…।।ईशा अमन का सर पकड़ कर अपनी चूत की और दबाने लगी…अमन जोर जोर से अपनी बहन की चूत चाटता रहा……तब तक जब तक वो झड़ नहीं गयी। ईशा का सारा रस अमन चाट चाट के साफ़ कर गया। अब अमन बोला…मेरी प्यारी बहन आज दिखा दे अपने भाई को तू कितना प्यार करती है…चल ले मेरा लंड अपने मुहं में डाल ले। ईशा ने बड़ी अदा से अमन का लंड पकड़ा उसे सहलाने लगी। फिर उसे अपनी चुचिओं और निप्पल पर रगड़ा। बड़े प्यार से फिर ईशा नें अपने भईया के लंड को अपने मुहं में डाल लिया और उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी। अमन वासना में डूबता जा रहा था। उसके मुहं से कामुक आवाजें निकल रही थीं। वही हाल ईशा का था। ईशा नें अमन का लंड तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो झड़ नहीं गया। ईशा अमन का सारा माल चाट कर साफ़ कर गयी। प्यार से अपने भाई का लंड सहलाते हुए ईशा ने पूछा, भैय्या…अब तो पता चल गया कि मैं आपको कितना चाहती हूँ? अमन नें उसे बेड पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया और बोला,

मेरी प्यारी बहन की चूत में जब मेरा लौड़ा जाएगा…तब असली प्यार का पता लगेगा…यह कह कर अमन नें अपनी सगी बहना की चूत में अपना लंड पेल दिया…ईशा सिस्कारी भर के बोली…आह…भईया ज़रा धीरे से…अमन नें एक जोर का धक्का लगाया और साथ में ईशा की चुचियाँ दबाने लगा। 

 

उसने एक एक करके दोनों निप्पल चूसने शुरू कर दिए और दना दन ईशा को चोदने लगा। ईशा चूतड़ उठा उठा कर अमन के साथ चुदाई में लय ताल दे रही थी। पूरा कमरा चुदाई के संगीत से गूँज उठा। अमन ईशा को लिप्स पर किस करने लगा। उसने अपनी पूरी जीभ अपनी बहना के मुहं में डाल दी। ईशा नें भी अमन के मुहं में अपनी जीभ डाल दी। इस तरह से दोनों भाई बहन डीप किसिंग करने लगे। अमन के हाथ अपनी बहना के निप्पल की घुंडियों को दबाने में लगे थे। नीचे अमन का लंड ईशा की चूत में पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था। ईशा उछल उछल कर अपने भाई से चुदवा रही थी।

 

आज उसे बहुत मज़ा आ रहा था। वो सिसकारियाँ ले ले कर बोल रही थी…हाय मेरे भाई…आज असली मज़ा आया है…अपना भाई अपना होता है…हाय भईया……चोदो मुझे…जी भर के…अपनी बहन की चूत फाड़ दो…।जोर से करो…आह…मर गयी…मेरा निकल गया…ओह्ह्ह्ह्ह……अमन भी हाँफते हुए बोल रहा था…हाँ चुद मेरी प्यारी बहन…अपने सगे भाई से चुदाई करके तुझे जो मज़ा आएगा वो कहीं और नहीं आएगा…ले मेरा लंड …(धक्का देकर)…और जोर से अंदर ले…काश तुझे बहुत पहले चोदा होता……तू तो मस्त माल है मेरी रानी…आह…मेरा निकलने वाला है……ओह्ह…इतना कह कर दोनों भाई बहन एक साथ झड़ गए। अमन नें अपना सारा वीर्य अपनी बहन की चूत में डाल दिया। फिर थक कर ईशा के उपर ही लेट गया। थोड़ी देर बाद उन दोनों ने उठकर एक साथ शोवर के नीचे स्नान किया। मम्मी के आने से पहले उन दोनों ने कपड़े पहने। दोनों भाई बहन तब तक चूमा चाटी करते रहे जब तक उनकी मम्मी नहीं आ गयी। हाँ एक बात मैं बताना भूल गया कि जब जब हमारी बहनें चुदीं, तब तब हम उनको गर्भ निरोधक टैबलेट खिलाना नहीं भूले।

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