नमस्कार दोस्तों मै करण... आपका स्वागत करता हूँ | दरसल ये कहाणी मेरे एक नजदिकी दोस्त अमन की है | उसने ये मुझे बताई और मैने लिखने का प्रयास किया है | तो सुनिए अमन की जुबान से.....
हाय दोस्तों मेरा नाम अमन है और मै जोधपूर राजस्थान का रहने वाली हूँ मगर नोकरी के चलते मुंबई मे रहता हूँ | मेरी एज 34 साल है और मजबूत शरीर का मालीक हूँ | ये कहाणी मेरी और मेरी बहन प्रतिभा की है | प्रतिभा की एज 32 साल है | उसकी हाईट पौने छे इंच की है | काफी लंबी है वो | उसका साईज है 36-32-38 , बुड्डे का भी खडा हो जये | और यही कारण था की मै उसके प्रती आकर्षीत हुआ |
दरसल बात ये है की उसको भी मेरे अलावा कोई मर्द खुश नही कर सका | तो उसके पास भी कोई ओप्शन नही बचा था | अब मै कहाणी पर आता हूँ | हमारा गांव जोधपूर के नजदिक है | मेरी और प्रतिभा की पढाई जोधपूर मे ही हुई है | प्रतिभा और मै एक ही स्कूल मे पढते थे और एकसाथ ही रहते , घर मे भी हम एकसाथ पढाई करते, एकसाथ खाना खाते और एकसाथ ही एक ही रजाई मे सोते थे | हम दोनों बरहवी तक तो एकसाथ ही पढे लिखे |
हम दोनों भी अपनी एज के लडकों के मुकाबले जादा बडे थे | प्रतिभा तो जब नौवी क्लास से ही ऐसी लगती जैसे वो कालेज मे पढ रही हो | उसके मम्मी और गांव बहुत बडे बडे रहे थे | मै देखता तो मेरा लंड खडा हो जाता था | हम रात मे एक दुसरे से चिपक कर सोते थे ,तो मै अक्सर उसके साथ छेडखानी करता रहता | कभी मम्मी दबाना तो कभी गांड दबाना | कभी कभी चुत मे भी उंगली करता था| प्रतिभा भी मजे लेती रहती थी वो मुझे कभी विरोध नही करती थी | चुपचाप सोई रहती थी | इतना होने के बावजूद हमने कभी अपनी हद पार नही होने दी |
जब मेरी बारवी हुई तो मै कालेज की पढाई के लिए कोटा गया और हम भाई बहन बिछड गये | कालेज के बाद मै मुंबई मे बडी कम्पनी मे जाब लग गयी और मै मुंबई मे तक अलीशान फ्लैट मे रहने आ गया | प्रतिभा ने बिजनेस मैनेजमेंट कोर्स करने के लिए मुंबई का एक कालेज चुन लिया था | हमारे घर मे सिर्फ मेरे ताऊ जी थे तो हमने सोचा प्रतिभा अब मेरे पास लहके ही अपनी पढाई पूरी करे और इधर ही कोई लडका देख उसकी शादी कर दी जाए | वो मेरे साथ रहने के लिए मुंबई मे आ गई | फ्लैट काफी बडा था | दो बेडरूम थे इसलिए कोई दिक्कत नही आनेवाली थी |वो अपना पढाई बिना रोकटोक कर सकती थी | घर मे दो नोकरानी थी जो हमारा खाना बनाना , बर्तन धोना वगैरे काम करती थी |
मै टाइम से अपने काम पर चला जाता था और वो भी अपने टाइम से कालेज जाती थी और अपनी पढाई पुरी करती थी | कभी कभी हमारी बात होती थी | हम कभी कभी रात मे खाना एकसाथ खाते तो हम एक दुसरे से गप्पे लगाते थे | प्रतिभा मेरे काफी करीब आती जब हम बाते करते या कभी एकसाथ होते थे | वो जब भी मैरे साथ बैठती थी तो चिपक कर बैठती, टंगडी पे टंगडी रखकर बैठती थी कभी मेरा हात अपने हाथों मे लेकर सहलाती कभी मेरे बालों मे हात फेरती तो कभी पीठ पर हात घुमाती रहती |
उसकी इस हरकत रे मेरा लंड खडा हो जाता था पर मै उसे छुपाकर रखता | प्रतिभा जब घर मे होती तो काफी शार्ट कपडे पहनती थी | उसकी मांसल गोरी जांघे , पेट खुले ही रहते और इस हाल मे वो मुझसे चिपक जाती थी | वो कहती थी की हम एक ही बेडरूम मे क्यों नही सोते जैसे बचपन मे सोते थे | मैने कहां की हम अब बडे हुए है और हमे अपनी जिम्मेदारियों से मूँह नही फेरने चाहिए | तब की बात अलग थी अब बात कुछ और है | इस तरह से दिन गुजर रहे थे |
मुझे कभी कभी बहुत इच्छा होती की रात को प्रतिभा के कमरे मे जाऊ और उसके पास जाकर सो जाऊ, आगे तो अपने आप हो जाएगा , पर रिश्ते का लिहाज रखकर मै अपने आप पर काबू कर रहा था | कभी तो मन करता की बाहर बहुत अच्छी अच्छी कालगर्ल मिलती थी, तो कभी मै भी ट्राय करू... पर हिम्मत नही हो रही थी | ऐसे एक साल गुजर गया था | अब प्रतिभा भी अपनी पढाई मे व्यस्त रहने लगी थी | आजकल हमारी जादा बातचित भी नही हो रही थी | उसने पिछले छे महिनों से मुझसे पैसे भी नही मांगे थे, बल्की वो तो पैसों के लिए मुझसे काफी जिद भी करती रहती थी शुरू से | और दो महिने पहरे मेरे जनमदीन पर उसने मुझे एक घडी भी गिफ्ट की थी | मैने जादा ध्यान नही दिया मगर वो घडी कम से कम दस हजार की तो होगी ही | प्रतिभा का शरीर आज क बहुत ही सेक्सी टाईप का हो गया था जैसे कोई साऊथ की हिरोईन हो | उसे देखकर मैने कयी बार मुठ भी मारी है | गांड चौडा हुई थी , पहले उसके नितंब बडे बडे तो थे मगर अब जादा बडे हुए थे और नितंबों के बिच गैप बढ गया था | बिच वली दरार जादा चौडा हुई थी जिसके कारण जब वो चलती थी तो गांड हिलोरे मारती | मम्मों का साईज बढ गया था और गोल मटोल जैसे बडे बडे टरबूज हो | चेहरा और जादा सुंदर हुआ था | वैसे उसकी हाइट जादा थी तो वो गोल-मटोल तो नही लगती थी | वो कालेज की जिम मे भी जाती थी जिससे अपने आप को फिट रख सके| जबतक वो मेरे सामने रहती मेरा लंड खडा ही रहता | वो जानबूझ कर मुझे सेड्यूस करती थी | मेरे सामने गांड करकी झुक जाना , गांड और मम्मों के दर्शन कराना...
एक दिन मैने अपने एक दोस्त से पुछा की कोई ऐसा रंडी बाजार है क्या जहां पर सेफ सेक्स होता हो और बदनामी का कोई डर भी ना हो ! तो उसने मुझे एक जगह बताई और वहां के बारे मे जानकारी दी, उसने बताया की वहाँ पर कालेज की लडकीयां मिलती है पर उनका चेहरा हम देख नही सकते क्योंकी उनका चेहरा और शरीर के बिच एक प्लायवूड की दिवार होती है और दिवार मे एक छेद होता है उसमे से सिर का भाग दिवार के उस पार और बाकी शरीर दिवार के इस तरफ एक गद्देदार बेंच पर होता है | उन लडकीयों के हात भी हमारी साईड मे खुले ही होते है | छोटासा रूम होता है वो | ऐसे कयी सारे रूम होते है और हर रूम मे एक लडकी लेटी होती है | पैसे देकर अंदर जाना पडता है | लडकी और हमारी पहचान गुप्त रखी जाती है | उसने जिस कालेज का नाम लिया उस कालेज मे तो प्रतिभा भी पड रही थी....
दोस्त की बाते सुनकर मुझे वहाँ जाने की बडी इच्छा हो रही थी | मै मौका देखकर जाने की सोचा | एक दिन छुट्टी लेकर मै घर पर रूका रहा | प्रतिभा सुबह कालेज चली गयी | जब वो घर पर होती तो मै उसे निहारता रहता था| उसने क्या पहना है, लिपस्टिक कौन सी पहनी है … पायल कौन सी है … कभी कभी पैंटी भी नजर आती थी मुझे, वो मेरे सामने ही कपडे चेंज किया करती थी| इसलिए मुझे सब पता रहता था की उसने आज कौनसी पैंटी पहनी हुई है | आज उसने टाईट जिन्स और सफेद टाप पहन रखा था| क्या गजब ढा रही थी |उसके जाने के बाद पहले तो मैने मुठ मारी वो भी उसकी पैंटी के उपर ही , जो गैलरी मे सुख रही थी | और पैंटी को वैसे ही सुखाया , बिना साफ किए | फिर मै थोडी देर सोया और दोपहर को फ्रेश होकर घर से निकला , सिधा उस पाईंट पे जहाँ का एड्रेस मेरे दोस्त ने बताया था | वहा पहूँचकर मैने पहले जगह कन्फर्म किया उसके बाद अंदर गया |
वहाँ काउंटर पर एक आदमी बैठा था मैने उसको पुछा की यहाँ पर माल मिलता है क्या ? उसने हाँ मे जवाब दिया और कितने तक चाहिए पुछा| जैसे एक घंटे केलिए दो हजार, तिन हजार , चार हजार, पाच हजार, ..... दस हजार तक लास्ट था.... एसी , नाक एसी.....
मैने ना कम ना जादा ... छे हजार एसी कमरा बोला... पैसे पेड करके रिसीप्ट लेकर वहां से एक लडका मुझे लेकर अंदर जाने लगे | अंधेरी गलियों से होते हुए हम एक गैलरी मे पहुँचे जहाँ रूम के दरवाजे एक लाइन मे थे | उन हर दरवाजे पर लिखा था होल नंबर 10, होल नंबर 11 , .... लास्ट होल नंबर 20 तक थे | लडका मुझे लेकर होल नंबर 17 के आगे तक आया और मुझे दरवाजा खोलकर अंदर जाने का ईशारा किया | मै अंदर चला आया और दरवाजा अंदर से बंद किया |
अंदर अंधेरा था, जैसे मैने दरवाजा अंदर से बंद किया लाइट आन हुई | कमरा संकरा था मगर थोडा लंबा था | सामने एक बेंच था और उसपर एक लडकी लेटी थी | उसने स्कर्ट और टाप पहना था और उसकी गर्दन से उपर का हिस्सा दिवार के उस पार था जो मुझे दिख नही रहा था | लडकी चित लेटी थी | मै उसके नजदिक गया, और उसकी टांग को स्पर्श किया तो वो थोडी हिली | ये मेरी पहली दफा थी, इसलिए मै थोडा डरा हुआ था|
मैने स्कर्ट को उठाया तो मुझे उस लडकी के मोटे मोटे पट और पैंटी दिख गयी | पहले तो मैने उसके पैंटी के उपर से चूत को सूँघा | अजिब खुशबु थी | मेरा लंड अब पूरा खडा हो चुका था| एक बात बताना मै भूल गया था की मैने अपने हतियार का साइज आपको नही बताया है | दोस्तों मै झूट नही कहूँगा मेरे लिंग का साईज नौ इंच से कम नही है और मोटी तो बहुत जादा है | मोटाई कम से कम पाँच इंच सर्कंम्परंस तो होगा ही | ये मुझे श्राफ है या वरदान ये अब पता चलेगा |
मैने लेटी हुई लडकी की पैंटी निचे से निकाल दी तो लडकी ने भी अपने पैरों को मोडकर घुटने उपर किये और टांगे फैलादी | उसकी चूत खुलकर सामने आयी | मैने उसकी चुत पर थूंक लगायी और अपने लंड पर कोंडम चढाया, जो लंड के आधे हिसस्ए तकरीबन ही पहूँचा | फिर धिरे से लंड को उसकी चुत के मूँह तक लेकर गया | चूत की दरार पर लंड टिकाकर थोडा प्रेस किया | मुझे लगा चूत खुली है चला जाएगा | पर नही गया | मैने ओर थूंक लगा कर जोर लगाया , थोडा सा टोपा ही चुत मे घुसा होगा की लडकी छटपटाई | उसने टांगों की क्लोज् करके पैरों को सिधा किया और कराहने लगी | अब मुझे आगे का अंजाम दिख रहा था की क्या होनेवाला है |
पाँच दस मिनट तक रूकने के बाद लडकी ने फिर से टांगों को उठाकर फैला दिया | मैने फिरे थूंक लगाकर लंड को चुत पर रखकर उसकी कमर को कसकर कपडा और जोर से धक्का लगाया और जोर से दबाकर रखा, आधा तो घुसा ही दिया लेकिन लडकी इतने जोर से चिल्लाई जैसे औरत डिलीवरी के वक्त चिल्लाती है | फिर भी मैने उसे छोडा नही जोर से कमर को पकडे रखा लेकिन लडकी का चिल्लाना बंद नही हुआ वो चिल्लाती ही रही | असर ये हुआ की पूरे बाहर के लोग और वहां का स्टाफ दौड कर बाहर दरवाजे के बाहर आकर चिल्लाने लगे | मैने उस लडकी को छोड दिया | लंड को बाहर खिंच दिया तो ऐसा नजारा दिखा जैसे किसीने उसके पेट मे चाकू घुसा दिया हो |
मैने फटाफट लंड अंदर किया और दरवाजा खोला , दो लडकी या और एक आदमी अंदर आए | देखते ही वो समझ गये क्या हुआ है | उन्होने उस लडकी को दिवार के उस पार खिसकाया और उधरसे ही बाहर निकालकर वो उसे कही और ले गये | मै खडा था , मुझे समझ नही आ रहा था की अब क्या करना है? आदमी ने मुझे कहा ... आपने पहले ही बता देना चाहिए था अपने हथियार के बारे मै | हम आपको दूसरे होल मे भेज देते जहाँ आपके लायक लडकी है | मै बोला ऐसा भी होता है क्या ? मुझे नही पता था की ऐसा कुछ होगा , मेरा तो पहली बार है ये सब....
तो दोस्तों इसके आगे की कहानी मै आपको अगले पार्ट मे सुनाउंगा... बहुत जल्दी जल्दी... आगे कहाणी बहुत इंटरेस्टींग होणेवाली है तो पढते रहिए.... कृमश:
कमेंट्स
कमेन्ट करने के लिए लॉगइन करें या जॉइन करें
लॉगइन करें या जॉइन करेंअभी कोई कमेन्ट नहीं किया गया है!